बुधवार, 5 अप्रैल 2023

ओशो ने मांसाहार और शाकाहार पर बहुत सटीक बातें कही हैं

 ओशो ने मांसाहार और शाकाहार पर बहुत सटीक बातें कही हैं। उन्होंने कहा है कि फल और सब्जियाँ रंगदार और खुशबूदार होती हैं, वो आपको मोहक लगती हैं जबकि मांस देखने में भद्दा और बदबूदार होता है। किसी फल के बगीचे में चले जायें तो मन खिल जाता है। एक दो फल तोड़ कर खाने का मन करता है, वहीं किसी कत्लगाह में चले जाएँ तो अच्छा खासा स्वस्थ मन भी खराब हो जाए। फल या सब्ज़ी तोड़ने या काटने पर आपको कोई ग्लानि नहीं होती, उनकी पीड़ा, उनका रोना और चीखना आपको सुनाई या दिखाई नहीं देता, वहीं किसी पशु की हत्या करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। इसलिए देखा जाए तो प्रकृति ने आपकी इंद्रियों को ऐसा बनाया है कि जिव्हा के अलावा बाकी सभी इन्द्रियाँ मांसाहार के ख़िलाफ़ हैं। इससे आपको समझना चाहिए कि प्रकृति आपको क्या इशारा कर रही है। इस इशारे को समझकर ही अपना भोजन चुनें।

चुनाव आपका है।

*शारीरिक सुख में लिप्त मनुष्यों की भी गति उसी कौए की तरह होती है,

 नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी। एक कौए ने लाश देखी, तो प्रसन्न हो उठा, तुरंत उस पर आ बैठा। यथेष्ट मांस खाया। नदी का जल पिया। उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए कौए ने परम तृप्ति की डकार ली। वह सोचने लगा, अहा! यह तो अत्यंत सुंदर यान है, यहां भोजन और जल की भी कमी नहीं। फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूं?

कौआ नदी के साथ बहने वाली उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा। भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता, प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता। अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह, किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर वह विभोर होता रहा।
नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली। वह मुदित थी कि उसे अपना गंतव्य प्राप्त हुआ। सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था, किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो बड़ी दुर्गति हो गई। चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे ऐसी जगह ला पटका था, जहां उसके लिए न भोजन था, न पेयजल और न ही कोई आश्रय। सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि तरंगायित हो रही थी।
कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में पंख फटकारता रहा, अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से झूठा रौब फैलाता रहा, किंतु महासागर का ओर-छोर उसे कहीं नजर नहीं आया। आखिरकार थककर, दुख से कातर होकर वह सागर की उन्हीं गगनचुंबी लहरों में गिर गया। एक काल रूपी विशाल मगरमच्छ उसे निगल गया।
*शारीरिक सुख में लिप्त मनुष्यों की भी गति उसी कौए की तरह होती है, जो आहार और आश्रय को ही परम गति मानते हैं और अंत में अनन्त संसार रूपी सागर में समा जाते है।
हम सब बड़भागी है,जो यह मानव तन मिला है।इसका और समय का सदुपयोग करे.. ईश्वर, गुरुदेव और गुरुकार्य- रामकाज के प्रति मन से आत्मा से समर्पित रहें।
🚩 जय सिया राम 🚩

आप जो दवाएँ खाते है या डॉक्टर लिखता है वह किसलिये दे रहा है इसकी जानकारी रखिए...

 


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🖤 आप जो दवाएँ खाते है या डॉक्टर लिखता है वह किसलिये दे रहा है इसकी जानकारी रखिए.......
क्योंकि आजकल अगर जरूरत एक दवा की है डॉक्टर चार साथ में देगा क्योंकि कम्पनी विदेश का टूर जो देती है...
❤️.प्रत्येक अंग्रेजी दवा के अंत मे एक शब्द होता है जिससे जान सकते है वह दवा किस काम आएगी.😊
CAIN.........❤️❤️
Xylocaine
Benzocaine
Amylocaine
Lidocaine
ये एक लोकल इनेस्थेटिक है, अर्थात ये दवाईया किसी अंग को सुन्न करने के लिए दी जाती है...
MYCIN........❤️❤️
Azithromycin
Erythromycin
Neomycin
Strptomycin
ये एंटीबायोटिक है अर्थात इंफेक्शन के लिए दी जाती है...
OLOL.........❤️❤️
Metaprolol
Atenolol
Esmolol
Bisoprolol
ये बीटा ब्लॉकर्स होते है अर्थात इनका प्रयोग हाइपरटेंशन, या हार्ट अटैक /HIGH BP में करते है...
MIDE & ZIDE.........❤️❤️
Furosemide
Bumetanide
Benzthiazide
Chlorothiazide
ये डाइयुरेटिक्स है अर्थात यूरीन को बढ़ाती है, शरीर मे सूजन होती है या BP ज्यादा होता है उन्हें देते है...
VIR........❤️❤️
Acyclovir
Ritonavir
Indinavir
ये एन्टीवायरल है अर्थात वायरस के इंफेक्शन में प्रयोग करते है...
PAM........❤️❤️
Diazepam
Lorazepam
ये एंटीएंजाइटी है अर्थात घबराहट बेचैनी नींद न आने में दी जाती है...
STATIN......❤️❤️
Atorvastatin
Simvastatin
Lovastatin
इसका प्रयोग एंटी हायपर लिपिडेमिक्स में होता है अर्थात जिनका कोलस्ट्रॉल बढ़ जाता है उन्हें देते है...
SONE........❤️❤️
Betamethasone
Cortisone
Dexamethasone
ये स्टेरॉइड है अर्थात सूजन को दूर करने के लिए...
AZOLE.........❤️❤️
Ketoconazole
Fluconazole
Econazole
Miconazole
एंटीफंगल है अर्थात फंगल इंफकेशन में दी जाती है...
TIDINE.........❤️❤️
Ranitidine
Cimetidine
Famotidine
Roxatidine
ये H2 रिसेप्टर ब्लोकर है अर्थात पेट मे एसिड को कम करती है, पेप्टिक अल्सर में प्रयोग होता है...
SETRON.........❤️❤️
Ondasetron
Grenisetron
Dolosetron
5HT3 एनटागोनिस्ट होती है अर्थात उल्टी, चक्कर मे दी जाती है...
OFLOXACIN.......❤️❤️
Ciprofloxacin
Norfloxacin
Levofloxcin
ये एंटीबैक्टीरियल है...
NIDAZOLE.........❤️❤️
Metronidazole
Ornidazole
Tinidazole
ये एन्टीअमेबिक है अर्थात दर्द के साथ दस्त में दी जाती है...
TRIPTAN..........❤️❤️
Sumatriptan
Rizatriptan
Naratripton
5HT एगोनिस्ट होती है अर्थात माइग्रेन में दी जाती है...
PROFEN.........❤️❤️
Ibuprofen
Ketoprofen
Flurbiprofen
ये नॉन स्ट्रोइडल एंटी इन्फ्लामेट्री ड्रग्स होती है अर्थात सूजन, बुखार ,दर्द आदि में दिया जाता है...
PRAZOLE........❤️❤️
Pantoprazole
Omeprazole
Esomeprazole
Rabeprazole
ये प्रोटोन पम्प इन्हेबिटर है अर्थात पेट मे एसिड कम करती है और पेट मे हाइड्रोजन पोटेशियम पम्प को बन्द कर देती ह, गेस्ट्रो सम्बन्धी पेप्टिक अल्सर में प्रयोग करते है...
GLIPTIN........❤️❤️
Sitagliptin
Vildagliptin
Alogiptin
Linagliptin
DDP 4 इन्हेबिटर है, अर्थात डाइबिटीज में प्रयोग होता है।
सीखते रहिये, फिर कुछ बताऊंगा

श्रीराम में ऐसा क्या है कि राम का नाम ही ईश्वर का पर्याय बन गया

 शिव तो आदिदेव हैं, उनकी पूजा समझ आती है...

कृष्ण ने अनगिनत चमत्कार दिखाए, गीताज्ञान दिया, उनकी आराधना ठीक लगती है...
पर राम, दशरथनन्दन श्रीराम में ऐसा क्या है कि राम का नाम ही ईश्वर का पर्याय बन गया, कि लोग वेदों में वर्णित देवताओं को भूल राम-राम करने लगे। उन्होंने तो बाकी देवताओं की तरह कभी चमत्कार नहीं दिखाया, न हलाहल विषपान किया, न मुख से ज्ञान का प्रसाद वितरित किया। फिर, फिर उन्होंने ऐसा क्या किया जो राम 'राम' हुए...
उत्तर है उनके कर्म!
उच्च वर्ग में, बल्कि सत्ता, धन, अधिकार के सर्वोत्तम शिखर के घर जन्में उस महामानव ने किसी भी मानव के गुणों का सर्वोत्तम सोपान छू लिया था...
सोचिए कि एक राजा का बेटा, जिसके एक आदेश पर सेनाएं सज्ज हो जाती हों, जिसके कहने पर अनगिनत वीर मरने-मारने, प्राण त्यागने को उद्यत हो जाते हों, वह एक मामूली अंगरक्षक के रूप में, एक सुरक्षाकर्मी के रूप में अपनी ही प्रजा के एक वैज्ञानिक की रक्षा हेतु चल पड़ता है...
जिसने धर्म का पाठ पढ़ा हो, जिसका धर्म ही हो कि गौ, स्त्री और ब्राह्मण की रक्षा करनी है, वह बिना संकोच के देखते ही ताटका नामक स्त्री का वध कर देता है। वह अपराधी को देख हिचक नहीं जाता कि यह तो स्त्री है, और स्त्री का वध नहीं किया जाना चाहिए। उसका न्याय लिंगभेद नहीं कर्ता...
वह सद्पुरुषों का रक्षण करता है, खलपुरुषों का वध करता है और तिसपर भी उसकी मुस्कान बनी रहती है। किसी के सम्मुख सिर झुकाते समय उसे संकोच नहीं होता, और किसी का सिर उतारने पर वह अहंकार से ग्रसित नहीं होता। वह चलता है तो धरती डोलती नहीं, बल्कि खिल उठती है। वह परमवीर है, पर उसे देख पुरजनों को भय नहीं अभय की प्राप्ति होती है। दुर्दमनीय धनुष को तोड़कर भी वह विनीत बना रहता है, क्रोधित दुर्दम्य परशुराम के सम्मुख भी वह विचलित नहीं होता...
जितना सहज होकर वह पिता की आज्ञा से सिंहासन स्वीकारता है, उतनी ही सहजता से त्याग भी देता है। पिता की आज्ञा, माता की इच्छा और भाई के कल्याण के लिए वह अपना परंपरागत अधिकार छोड़ वक्कल वस्त्र पहन वनों में चला जाता है...
राजमहलों का निवासी जंगलों में, वनवासियों के साथ घुलमिल कर रह रहा है। उनके जैसे वस्त्र, उनके जैसा भोजन, उनके जैसा श्रम...
प्रियतमा के अपहरण पर उसका रूदन, उस युग में जब राजपुरुषों के लिए बहुविवाह मान्य था, स्वयं उसके पिता की कई स्त्रियां थी, वह एक स्त्री के लिए पेड़ो से लिपट कर रो रहा है। नदी और पर्वतों से पागलों की भांति पूछ रहा है। सामान्य मनुष्य की भाँति, जब दुख अत्यधिक हो तो क्रोध बन जाता है, वह सब तहस-नहस करने पर उतारू हो जाता है, पर अंततः स्वयं को नियंत्रित कर लेता है और अपनी स्त्री को खोजने के लिए धरती-पाताल एक कर देता है...
संसाधनहीन वनवासी शून्य से सेना का निर्माण करता है। अधर्मी को दण्डित करना ही धर्म है, अतः अधर्मी का छुपकर वध करते समय परंपरागत धर्म उसका बाधक नहीं बनता...
संसार में जो पहले कभी न हुआ था, वह कर दिखाता है। समुद्र को बाँध लेता है। वह विनय की प्रतिमूर्ति है जो हाथ जोड़कर विनती करता है, परन्तु अवहेलना पर वही हाथ शस्त्र उठाकर दण्ड देने की क्षमता भी रखते हैं। वह सहिष्णु है, पर उसकी सहिष्णुता दुर्बलता के कारण नहीं है। वह जानता है कि वही विजयी होगा, फिर भी वह हाथ जोड़ना जानता है...
सामने शत्रु है, ऐसा शत्रु जिससे संसार भय खाता है। जिसने देवताओं तक पर विजय प्राप्त की हुई है, वह उससे भिड़ जाता है। हिंसा अंतिम उपाय है, यह संदेश अवश्य देता है, पर जब प्रतिपक्ष को अहिंसा स्वीकार नहीं तो परम हिंसक होने में क्षण नहीं लगाता...
वह, जो अपने राज्य से निर्वासित है, अपने राज्य से भी अधिक सम्पन्न राज्य जीतकर भी उसे तृण की भाँति त्याग देता है और उस स्त्री को, जो उसके शत्रु के घर वर्ष भर कैदी रही हो, गले लगा लेता है...
जिसका चरित्र इतना पावन है कि उसके महाबलशाली भाई उसके अनुचर बने रहते हैं। वे भाई, जो अपने बड़े भाई के लिए कोई भी त्याग करने को प्रस्तुत हैं, जो बड़े भाई के हित के लिए माता-पिता, गुरु और स्वयं बड़े भाई की आज्ञा मानने से भी इंकार कर देते हैं...
जिसका मन इतना निर्मल है कि हर वर्ग उसका अपना है। जिसका प्रेम इतना पावन है कि वनवासिनी बुढ़िया अपना मान उसे अपना जूठा खिला लेती है। जिसका क्रोध इतना भीषण है कि समुद्र भी थर-थर कांपता है...
जो वन में वनवासी होकर भी राजा की भाँति रक्षण करता है, जो सिंहासन पर बैठकर भी वनवासियों की भाँति प्रकृति से जुड़ा रहता है, जो मानव होकर भी मानवेतर सामर्थ्य रखता है, मानवीय गुणों की पराकाष्ठा को सतत प्राप्त है, जो सच्चिदानन्द है, ऐसा महामानव है, ऐसा आदिपुरुष है कि आदिदेव महादेव भी उसके भक्त बन जाते हैं, ऐसे धृतिमान् महाबाहु को साक्षात ईश्वर न मानें तो क्या मानें?
श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये 🚩🚩🚩
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अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी

 *** बहुत सुंदर विचार ***

◆ *अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी* ...
🙏थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना 🙏
✍️ मौत के स्वाद का
चटखारे लेता मनुष्य ...
थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...
*मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है*।---
बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ।
न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....
स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*❗
स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।
जो हमारी तरह बोल नही सकते,
अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं,
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?
डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !
बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ?
जो कराहा होगा ?
जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ?
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?
कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो
भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓
क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..❓
धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो।
कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो ।
कभी सोचा ...!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?
किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?
अल्लाह को ?
जीसस को?
या खुद को ?
मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!!
अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!!
झूठ पर झूठ....
...झूठ पर झूठ
..झूठ पर झूठ ..
ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी । ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया।
तुम्ही कहते हो, की हम जो प्रकति को देंगे, वही प्रकृति हमे लौटायेगी।
यह संकेत है ईश्वर का।
प्रकृति के साथ रहो।
प्रकृति के होकर रहो।
🙏 सबनै राम राम 🙏
आइए हम सब भाई बहन मिलकर मांसाहार भोजन का सदा सदा के लिए त्याग करें और जीवन भर के लिए शुद्ध सात्विक भोजन ही ग्रहण करने का प्रण लेंl आपका जीवन मंगल मय हो।🙏🙏
जैसा खाओं अन्न,वैसा होगा मन!