गुरुवार, 21 जनवरी 2016

सदैव बरकत रहेगी ।

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वशिष्ठ ज्योतिष एवंवैदिक अनुष्ठान संन्सथान & तंन्त्र मंन्त्र ज्योतिष added 6 new photos.· 
जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेगे
संसार में रहकर गृहस्थ जीवन की सफलता के लिए सुख-समृद्धि का होना निहायत ही जरूरी है। धन-समृद्धि को अर्जित करने के लिए प्रबल पुरुषार्थ यानि कि ईमानदारी पूर्वक कठोर परिश्रम तो आवश्यक है ही। किंतु साथ ही कुछ जांचे-परखे और कारगर उपायों जिन्हें टोने-टोटके के रूप में जाना जाता है को भी आजमाना चाहिये।
🔯हर पूर्णिमा को सुबह पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
🔯तुलसी के पौधे पर गुरुवार को पानी में थोड़ा दूध डालकर चढ़ाएं।
🔯 यदि आपको बरगद के पेड़ के नीचे कोई छोटा पौधा उगा हुआ नजर आ जाए तो उसे उखाड़कर अपने घर में लगा दें।
🔯 गूलर की जड़ को कपड़े में बांधकर उसे ताबीज में डालकर बाजु पर बांधे।
🔯 पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े होकर लोहे के पात्र में पानी लेकर उसमें दूध मिलाकर उसे पीपल की जड़ में डालने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है।
🔯 धन समृद्धि की देवी लक्ष्मी को प्रति एकादशी के दिन नौ बत्तियों वाला शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
🔯घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर तांबे के सिक्के को लाल रंग के नवीन वस्त्र में बांधने से घर में धन, समृद्धि का आगमन होता है।
🔯 शनिवार के दिन कृष्ण वर्ण के पशुओं को रोटी खिलाएं
🔯.अगर जीवन में आर्थिक दिक्कते आती हो, व्यापार , नौकरी में आपेक्षित सफलता नहीं मिलती हो , कार्य में कमी हो या बेरोजगारी की सी स्थिति हो तो घर से बाहर कार्य के लिए जाते समय 'श्रीमद् भगवद् गीता' के अंतिम श्लोक को 21 बोलकर फिर घर से निकलें तो सफलता मिलने के योग बहुत बढ़ जाते है ।
" यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम "।। .जीवन में आर्थिक और किसी भी प्रकार के संकट निवारण के लिये शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू करते हुए भगवान गणेश की मूर्ति पर कम से कम 21 दिन तक थोड़ी-थोड़ी जावित्री चढ़ावे और रात को सोते समय थोड़ी जावित्री स्वयं भी खाकर सोएं । यह प्रयोग 21, 42, 64 या 84 दिनों तक अवश्य ही करें। इससे घर में सुख समृद्धि का वास होता है ।
🔯.जीवन में धन लाभ और कार्यों में मनवाँछित सफलता प्राप्त करने के लिए घर में बजरंग बली का फोटो जिसमें वह उड़ते हुए नज़र आ रहे हो रखकर उसकी विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए।
🔯हर माह के प्रथम बुधवार को पाँच मुट्ठी हरे साबुत मूँग ( साबुत मूँग की दाल ) साफ हरे रुमाल / कपडे में बाँधकर सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें, इससे धन सम्बन्धी कार्यों में विघ्न नहीं आते है , आर्थिक पक्ष मजबूत होता जाता है ।
🔯आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए बुधवार को हरी वस्तु का सेवन करें लेकिन पीली वस्तु का सेवन बिलकुल भी ना करें और बृहस्पतिवार पीली वस्तु खाएं लेकिन हरी वास्तु का सेवन ना करें तो धन संपत्ति में वृद्धि होती है ।
🔯मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद कभी भी किसी को दूध, दही या प्याज नहीं देना चाहिए इससे घर में बरकत ख़त्म हो जाती है ।
🔯घर में सुख समृद्धि लाने के लिए घर के वायव्य कोण ( उत्तरपश्चिम के कोण ) में साफ जगह पर सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर उस बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से उस घर में धन का प्रवाह लगातार बना रहता है , धन का अपव्यय भी नहीं होता है ।
🔯अगर आप जीवन में स्थाई सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो आप शुक्ल पक्ष के किसी भी दिन सूर्यास्त से पहले एक पके हुए मिट्टी के घड़े को लाल रंग से रंगकर, उसमें जटायुक्त नारियल रखकर उसके मुख पर मोली बांधकर उसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें ।ऐसा माह में एक बार अवश्य ही किया करें ।
.घर का कोई भी सदस्य बिस्तर पर बैठकर कभी भी भोजन ना करें अन्यथा लक्ष्मी माँ रुष्ट हो जाती है और घर के सदस्यों को आर्थिक संकट घेरे रहते है ।
🔯घर में झाड़ू किसी साफ और किसी सुनिश्चित स्थान पर रखे । घर में झाड़ू ऐसी जगह रखे कि वह किसी भी बाहर वाले को दिखाई ना दें । झाड़ू को हमेशा लिटा कर रखे, उसे ना तो खड़ा करके रखे, ना उसे पैर लगाएँ और ना ही उसके ऊपर से गुजरे , अन्यथा लाख प्रयास के बावजूद भी घर में लक्ष्मी टिक नहीं पाती है ।
🔯. सदैव याद रखें कभी भी किसी से कोई चीज मुफ्त में न लें , हमेशा उसका मूल्य अवश्य ही चुकाएं , कभी भी किसी व्यक्ति को धोखा देकर धन का संचय न करें , इस तरह से कमाया हुआ धन टिकता नहीं है , वह उस व्यक्ति और उसके परिवार के ऊपर कर्ज के रूप में चढ जाता है और ऐसा करने से व्यक्ति के स्वयं के भाग्य और उसके कर्म से आसानी से मिलने वाली सम्रद्धि और सफलता में भी हमेशा बाधाएँ ही आती है ।
🔯. हर एक व्यक्ति को चाहे वह अमीर हो या गरीब , उसका जो भी व्यवसाय / नौकरी हो अपनी आय का कुछ भाग प्रति माह धार्मिक कार्यों में अथवा दान पुण्य में अवश्य ही खर्च करें , ऐसा करने से उस व्यक्ति पर माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है , उसके परिवार में हर्ष - उल्लास और सहयोग का वातावरण बना रहता है तथा सामान्यता वह अपने दायित्वों के पूर्ति के लिए पर्याप्त धन अवश्य ही आसानी से कमा लेता है ।
🔯. स्त्रियों को स्वयं लक्ष्मी का स्वरुप माना गया है । प्रत्येक स्त्री को पूर्ण सम्मान दें । घर की व्यवस्था अपनी पत्नी को सौपें , वही घर को चलाये उसके काम में कभी भी मीन मेख न निकालें । अपने माता पिता को अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा अवश्य ही दें । घर में कोई भी बड़ा काम हो तो उस घर के बड़े बुजुर्गों विशेषकर स्त्रियों को अवश्य ही आगे करें । अपने घर एवं रिश्तेदारी में अपनी पत्नी को अवश्य ही आगे रखें । अपनी माँ, पत्नी, बहन एवं बेटी को हर त्यौहार , जन्मदिवस , एवं शादी की सालगिरह आदि पर कोई न कोई उपहार अवश्य ही दे ।
🔯. घर के मुखिया जो अपने घर व्यापार में माँ लक्ष्मी की कृपा चाहते है वह रात के समय कभी भी चावल, सत्तू , दही , दूध ,मूली आदि खाने की सफेद चीजों का सेवन न करें इस नियम का जीवन भर यथासंभव पालन करने से आर्थिक पक्ष हमेशा ही मजबूत बना रहता है ।
🔯. शुक्रवार को सवा सौ ग्राम साबुत बासमती चावल और सवा सौ ग्राम ही मिश्री को एक सफेद रुमाल में बांध कर माँ लक्ष्मी से अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हुए उनसे अपने घर में स्थायी रूप से रहने की प्रार्थना करते हुए उसे नदी की बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें , धीरे धीरे आर्थिक पक्ष मजबूत होता जायेगा ।
🔯. प्रथम नवरात्री से नवमी तिथि तक प्रतिदिन एक बार श्रीसूक्त का अवश्य ही पाठ करें इससे निश्चय ही आप पर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि बनी रहेगी ।
🔯 घर के पूजा स्थल और तिजोरी में सदैव लाल कपडा बिछा कर रखें और संध्या में आपकी पत्नी या घर की कोई भी स्त्री नियम पूर्वक वहां पर ३ अगरबत्ती जला कर अवश्य ही पूजा करें ।
🔯. प्रत्येक पूर्णिमा में नियमपूर्वक साबूदाने की खीर मिश्री और केसर डाल कर बनाये फिर उसे माँ लक्ष्मी को अर्पित करते हुए अपने जीवन में चिर स्थाई सुख , सौभाग्य और सम्रद्धि की प्रार्थना करें , तत्पश्चात घर के सभी सदस्य उस खीर के प्रशाद का सेवन करें ।
🔯. हर 6 माह में कम से कम एक बार अपने माता पिता को कोई उपहार अवश्य ही दें इससे आपकी आय में सदैव बरकत रहेगी ।
🔯. घर में तुलसी का पौधा लगाकर वहां पर संध्या के समय रोजाना घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी उस घर से कभी भी नहीं जाती है ।
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किसी भी सहायता के लिए संपर्क करें!हत्था जोडी,सियार सिंगी,बिल्ली की जेर,बिवाह बाधा निारण यन्त्र, असली पारद शिवलिंग पारद श्री यंत्र पारद अगुठी पैन्डल ,पारद की मूर्तिया {१मुखी से २१ मुखी तक रुद्राछ{इनडोनेशिया } सभी उपलब्ध हैं संपर्क करें
पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी उपाध्यछ
वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान
जयपुर एवं हैदराबाद 

रविवार, 10 जनवरी 2016

साबूदाना का सच

साबूदाना का सच जानकर अपना होश खो बैठोगे। जानना चाहोगे...?? -----------------------------------------
साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं उगत। यह कासावा या टैपियोका नामक कंद से बनाया जाता है। कासावा वैसे तो दक्षिण अमेरिकी पौधा है, लेकिन अब भारत में यह तमिलनाडु,केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
केरल में इस पौधे को ‘कप्पा’ कहा जाता है। इस पौधे की जड़ को काट कर साबूदाना बनाया जाता है जो शकरकंदी की तरह होती है। इस कंद में भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है। यह सच है कि साबूदाना टैपियोका कसावा के गूदे से बनाया जाता है, परंतु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है कि इसे किसी भी सूरत में शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता।
तमिलनाडु प्रदेश में सालेम से कोयम्बटूर जाते समय रास्ते में साबूदाने की बहुत सी फैक्ट्रियाँ पड़ती हैं, यहाँ पर फैक्ट्रियों के आस-पास भयंकर बदबू ने हमारा स्वागत किया। तब हमने जाना साबूदाने कि सच्चाई को। साबूदाना विशेष प्रकार की जड़ों से बनता है। यह जड़ें केरला में होती है।
इन फैक्ट्रियों के मालिक साबूदाने को बहुत ज्यादा मात्रा में खरीद कर उसका गूदा बनाकर उसे 40 फीट से 25 फीट के बड़े गड्ढे में डाल देते हैं, सड़ने के लिए।
महीनों तक साबूदाना वहाँ सड़ता रहता है। साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले कसावा को खुले मैदान में पानी से भरी बड़ी-बड़ी कुंडियों में डाला जाता है और रसायनों की सहायता से उन्हें लंबे समय तक गलाया-सड़ाया जाता है। इस प्रकार सड़ने से तैयार हुआ गूदा महीनों तक खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है।
रात में कुंडियों को गर्मी देने के लिए उनके आस-पास बड़े-बड़े बल्ब जलाए जाते हैं। इससे बल्ब के आस-पास उड़ने वाले कई छोटे-मोटे जहरीले जीव भी इन कुंडियों में गिर कर मर जाते हैं। यह गड्ढे खुले में हैं और हजारों टन सड़ते हुए साबूदाने पर बड़ी-बड़ी लाइट्स से हजारों कीड़े मकोड़े गिरते हैं।
फैक्ट्री के मजदूर इन साबूदाने के गड्ढो में पानी डालते रहते हैं, इसकी वजह से इसमें सफेद रंग के कीट पैदा हो जाते हैं। यह सड़ने का, कीड़े-मकोड़े गिरने का और सफेद कीट पैदा होने का कार्य 5-6 महीनों तक चलता रहता है। दूसरी ओर इस गूदे में पानी डाला जाता है, जिससे उसमें सफेद रंग के करोड़ों लंबे कृमि पैदा हो जाते हैं। इसके बाद इस गूदे को मजदूरों के पैरों तले रौंदा जाता है।
आज-कल कई जगह मशीनों से भी मसला जाता है। इस प्रक्रिया में गूदे में गिरे हुए कीट-पतंग तथा सफेद कृमि भी उसी में समा जाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जाती है। पूरी प्रक्रिया होने के बाद जो स्टार्च प्राप्त होता है उसे धूप में सुखाया जाता है। धूप में वाष्पीकरण के बाद जब इस स्टार्च में से पानी उड़ जाता है तो यह गाढ़ा यानी लेईनुमा हो जाता है।
इसके बाद इसे मशीनों की सहायता से इसे छन्नियों पर डालकर महीन गोलियों में तब्दील किया जाता है। यह प्रक्रिया ठीक वैसे ही होती है, जैसे बेसन की बूंदी छानी जाती है। इन गोलियों के सख्त बनने के बाद इन्हें नारियल का तेल लगी कढ़ाही में भूना जाता है और अंत में गर्म हवा से सुखाया जाता है। फिर मशीनों से इस कीड़े-मकोड़े युक्त गुदे को छोटा-छोटा गोल आकार देकर इसे पोलिश किया जाता है।
इतना सब होने के बाद अंतिम उत्पाद के रूप में हमारे सामने आता है मोतियों जैसा साबूदाना। बाद में इन्हें आकार, चमक और सफेदी के आधार पर अलग-अलग छांट लिया जाता है और बाजार में पहुंचा दिया जाता है, परंतु इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह तो अब आप जान ही चुके होंगे। आप लोगों की बातों में आकर साबूदाने को शुद्ध ना समझें। साबूदाना बनाने का यह तरीका सौ प्रतीशत सत्य है।
इस वजह से बहुत से लोगों ने साबूदाना खाना छोड़ दिया है। तो चलिये उपवास के दिनों में
(उपवास करें या न करें यह अलग बात है)
साबूदाने की स्वादिष्ट खिचड़ी या खीर या बर्फी खाते हुए साबूदाने की निर्माण प्रक्रिया को याद कीजिए कि क्या साबूदाना एक खाद्य पदार्थ है
या वृत के लिये उपयुक्त है या शाकाहारी भोजन है।
ये छोटे-छोटे मोती की तरह सफेद और गोल होते हैं। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ्रीका का पौधा है। पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है। भारत में इसका उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीजों को गाढ़ा करने के लिए भी इसका उपयोग होता है।
भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग 1943-44 में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को मसल कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे, फिर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे। टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है।
लगभग 700 इकाइयां सेलम में स्थित हैं।
साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है।
अब फैसला आपका है..! व्रत के पाखण्ड से बचना है या फिर व्रत की पवित्रता और गरिमा को बचा के रखना है। आपके व्रत 100 प्रतिशत शुद्ध, पवित्र और शाकाहारी हों ऐसी हमारी कामना है।

शनिवार, 9 जनवरी 2016

अपनी हथेली

बहुत ही आसान सा काम है की दिन रात जब भी मौका मिले 4 – 5 मिनट अपनी हथेली के आगे पीछे, अपने हाथ की उँगलियों को आगे पीछे दायें बाएं चारो ओर से तथा अपनी कलाई को गोल गोल चारो ओर से मालिश कर लीजिये !  इससे आपके शरीर का बहुत ही भला होगा क्योंकि मनुष्य के हथेलियों में, उँगलियों में तथा कलाई में शरीर के लगभग सारे अंगों के बहुत शक्ति शाली पॉइंट्स होते हैं जिन पर नियम से प्रेशर पड़ने से उन अंगों से सम्बंधित रोग नहीं हो पाते हैं जब तक की कोई बड़ी बदपरहेजी ना हो ! अंगड़ाई लेना एक अच्छी किस्म की एक्सरसाइज होती है जिससे शरीर को चैतन्यता, स्फूर्ति, ताकत के साथ साथ अन्य कई अंदरूनी फायदे (जैसे तनाव मुक्ति, अनिद्रा मुक्ति आदि) प्राप्त होते है ! शरीर की अंगड़ाई शरीर की ताकत के हिसाब से ही लेना चाहिए ना की बहुत तेज ! और खाने के 2 घन्टे तक अंगड़ाई ना ले तो बेहतर है ! कृपया इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने परिवार और मित्रों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें!

...Copyright (C) http://www.aajtakbharat.com . Read more at http://www.aajtakbharat.com/in-his-spare-time-palm-fingers-massage-and-dont-forget-to-angadai/ .

बुखार

बुखार शरीर का कुदरती सुरक्षा तंत्र है जो संक्रमण से मुक्ति दिलाता है। इसलिये बुखार कोई बीमारी नहीं है। शरीर का बढा हुआ तापमान रोगाणुओं के प्रतिकूल होता है। लेकिन ज्वर जब 40 डिग्री सेल्सियस अथवा 104 डिग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा हो जाता है तो समस्या गंभीर हो जाती है। थर्मामीटर से दिन में कई बार बुखार नापते रहना उचित है। मुख में जिव्हा के नीचे 2 मिनट तक थर्मामीटर रखने पर समान्य तापमान 98.4 डिग्री फ़ारेनहीट होता है। इससे ज्यादा तापमान होने पर बुखार समझना चाहिये।
बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सर्दी-खांसी, थकावट, चिंता, रोगाणुओं का संक्रमण और दिमागी तनाव प्रमुख कारण होते हैं। घरेलू चिकित्सा से ज्वर दूर करना प्रयोजनीय और हितकारी है।
1.....ललाट और सिर पर बर्फ़ या पानी की गीली पट्टी रखें। इससे आपके शरीर का तापमान शीघ्र ही नीचे आ जाएगा।
2.....बुखार में होने वाले शारीरिक दर्दों के निवारण के लिये हाथ, पैर, ऊंगलियां, गर्दन, सिर, पीठ पर सरसों के तेल की मालिश करवानी चाहिये। इससे शारीरिक पीडा शांत होगी और सूकून मिलेगा।
3.....शरीर पर मामूली गरम पानी डालते हुए स्नान करें इससे शरीर का तापमान बढेगा । शरीर का तापमान ज्यादा होने पर बुखार के रोगाणु नष्ट होंगे। यह प्रक्रिया ज्वर रहित अवस्था में करना है।
4.....बुखार अगर 102 डिग्री फ़ारेनहीट से ज्यादा न हो तो यह स्थिति हानिकारक नहीं है। इससे शरीर के विजातीय पदार्थों का निष्कासन होता है और शरीर को संक्रमण से लडने में मदद मिलती है।मामूली बुखार होते ही घबराना और गोली-केप्सूल लेना उचित नहीं है।
5.....बुखार की स्थिति में आईसक्रीम खाना उपयोगी है। इससे तापक्रम सामान्य होने में सहायता मिलती है।
6.....बुखार मे अधिक पसीना होकर शरीरगत जल कम हो जाता है इसकी पूर्ति के लिये उबाला हुआ पानी और फ़लों का जूस पीते रहना चाहिये। नींबू पानी बेहद लाभकारी है।
7.....रोगी को अधिक मात्रा में उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पीना चाहिये। इससे अधिक पेशाब और पसीना होकर शरीर की शुद्धि होगी। जहरीले पदार्थ बाहर निकलेंगे।
8.....चाय बनाते वक्त उसमें आधा चम्मच दालचीनी का पावडर,,दो बडी ईलायची, दो चम्मच सोंठ का पाउडर डालकर खूब उबालें। दिन में 2-3 बार यह काढा बनाकर पियें। बुखार का उम्दा ईलाज है।
9.....तुलसी की 10 पती और 4 नग काली मिर्च मुंह में भली प्रकार चबाकर खाएं। यह बहुत उपयोगी चिकित्सा है।
10.....रात को सोते वक्त त्रिफ़ला चूर्ण एक चम्मच गरम जल के साथ लें। त्रिफ़ला चूर्ण में ज्वर नाशक गुण होते हैं। इससे दस्त भी साफ़ होगा बुखार से मुक्ति का उत्तम उपचार है।
11.....बुखार के रोगी को भली प्रकार दो तीन कंबल ओढाकर पैर गरम पानी की बाल्टी में 20 मिनिट तक रखना चाहिये। इससे पसीना होने लगेगा और बुखार उतर जाएगा।
12.....ज्वर रोगियों के लिये संतरा अमृत समान है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है, तुरंत उर्जा मिलती है और बिगडे हुए पाचन संस्थान को ठीक करता है।
13.....एक चम्मच मैथी के बीज के पावडर की चाय बनाकर दिन में दो बार पीने से ज्वर में लाभ होता है।
14.....एक प्याज को दो भागों में काटें। दोनों पैर के तलवों पर रखकर पट्टी बांधें। यह उपचार रोगी के शरीर का तापमान सामान्य होने में मदद करता है।
15..... रोगी को तरल भोजन देना चाहिये। गाढा भोजन न दें। सहज पचने वाले पदार्थ हितकारी हैं। उबली हुई सब्जियां, दही और शहद का उपयोग करना चाहिये। ताजा फ़ल और फ़लों का रस पीना उपादेय है। 150 मिलि की मात्रा में गाय का दूध दिन में 4-5 बार पीना चाहिये।