शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

भारत के पास



3. जब कहीं भ्रमण करने का कोई साधन स्कूटर मोटर साईकल, जहाज वगैरह नहीं थे. तब भारत के पास बडे बडे वायु विमान हुआ करते थे। (इसका उदाहरण आज भी अफगानिस्तान में निकला महाभारत कालीन विमान है. जिसके पास जाते ही वहाँ के सैनिक गायब हो जाते हैं। जिसे देखकर आज का विज्ञान भी हैरान है).....

4. जब डाक्टर्स नहीं थे. तब सहज में स्वस्थ होने की बहुत सी औषधियों का ज्ञाता था, भारत देश सौर ऊर्जा की शक्ति का ज्ञाता था भारत देश। चरक और धनवंतरी जैसे महान आयुर्वेद के आचार्य थे भारत देश में......

5. जब लोगों के पास हथियार के नाम पर लकडी के टुकडे हुआ करते थे. उस समय भारत देश ने आग्नेयास्त्र, प्राक्षेपास्त्र, वायव्यअस्त्र बडे बडे परमाणु हथियारों का ज्ञाता था भारत......

6. हमारे इतिहास पर रिसर्च करके ही अल्बर्ट आईंसटाईन ने अणु परमाणु पर खोज की है.....

7. आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके नासा अंतरिक्ष में ग्रहों की खोज कर रहा है......

8. आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रशिया और अमेरीका बडे बडे हथियार बना रहा है.. ...

9. आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रूस, ब्रिटेन, अमेरीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया बडे बडे देश बचपन से ही बच्चों को संस्कृत सिखा रहे हैं स्कूलों मे.....

10.आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके वहाँ के डाक्टर्स बिना इंजेक्शन, बिना अंग्रेजी दवाईयों के केवल ओमकार का जप करने से लोगों के हार्ट अटैक, बीपी, पेट, सिर, गले छाती की बडी बडी बिमारियाँ ठीक कर रहे हैं। ओमकार थैरपी का नाम देकर इस नाम से बडे बडे हॉस्पिटल खोल रहे हैं.
और हम किस दुनिया में जी रहे हैं?? अपने इतिहास पर गौरव करने की बजाय हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे हैं। हम अपनी महिमा को भूलते जा रहे हैं।
हम अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं....

गुरुवार, 25 अक्तूबर 2018

महाकाल" से शिव ज्योतिर्लिंगों के बीच कैसा सम्बन्ध है..

to Shri Banke Bihari Temple, Vrindavan
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की भारत में ऐसे शिव मंदिर है जो केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बनाये गये है। आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसा कैसा विज्ञान और तकनीक था जिसे हम आज तक समझ ही नहीं पाये? उत्तराखंड का केदारनाथ, तेलंगाना का कालेश्वरम, आंध्रप्रदेश का कालहस्ती, तमिलनाडू का एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंततः रामेश्वरम मंदिरों को 79° E 41’54” Longitude के भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है।
यह सारे मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे हम आम भाषा में पंच भूत कहते है। पंच भूत यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। इन्ही पांच तत्वों के आधार पर इन पांच शिव लिंगों को प्रतिष्टापित किया है। जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल मंदिर में है, आग का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नमलई में है, हवा का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में है, पृथ्वी का प्रतिनिधित्व कांचीपुरम में है और अतं में अंतरिक्ष या आकाश का प्रतिनिधित्व चिदंबरम मंदिर में है! वास्तु-विज्ञान-वेद का अद्भुत समागम को दर्शाते हैं ये पांच मंदिर।
भौगॊलिक रूप से भी इन मंदिरों में विशेषता पायी जाती है। इन पांच मंदिरों को योग विज्ञान के अनुसार बनाया गया था, और एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक संरेखण में रखा गया है। इस के पीछे निश्चित ही कॊई विज्ञान होगा जो मनुष्य के शरीर पर प्रभाव करता होगा। इन मंदिरों का करीब चार हज़ार वर्ष पूर्व निर्माण किया गया था जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध ही नहीं था। तो फिर कैसे इतने सटीक रूप से पांच मंदिरों को प्रतिष्टापित किया गया था? उत्तर भगवान ही जाने।
केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 किमी की दूरी है। लेकिन ये सारे मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में पड़ते है। आखिर हज़ारों वर्ष पूर्व किस तकनीक का उपयॊग कर इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाया गया है यह आज तक रहस्य ही है। श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से पता चलता है कि वह वायु लिंग है। तिरूवनिक्का मंदिर के अंदरूनी पठार में जल वसंत से पता चलता है कि यह जल लिंग है। अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक से पता चलता है कि वह अग्नि लिंग है। कंचिपुरम के रेत के स्वयंभू लिंग से पता चलता है कि वह पृथ्वी लिंग है और चिदंबरम की निराकार अवस्था से भगवान के निराकारता यानी आकाश तत्व का पता लगता है।
अब यह आश्चर्य की बात नहीं तो और क्या है कि ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करनेवाले पांच लिंगो को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही प्रतिष्टापित किया गया है। हमें हमारे पूर्वजों के ज्ञान और बुद्दिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास ऐसा विज्ञान और तकनीक था जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं भेद पाया है। माना जाता है कि केवल यह पांच मंदिर ही नहीं अपितु इसी रेखा में अनेक मंदिर होगें जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में पड़ते है। इस रेखा को “शिव शक्ति अक्श रेखा” भी कहा जाता है। संभवता यह सारे मंदिर कैलाश को द्यान में रखते हुए बनाया गया हो जो 81.3119° E में पड़ता है!? उत्तर शिवजी ही जाने। ...
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कमाल की बात है "महाकाल" से शिव ज्योतिर्लिंगों के बीच कैसा सम्बन्ध है......??
उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी है रोचक-
उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी
उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी
उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी
उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी
उज्जैन से,मल्लिकार्जुन- 999 किमी
उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी
उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी
उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
उज्जैन से रामेश्वरम- 1999 किमी
उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी
हिन्दु धर्म में कुछ भी बिना कारण के नही होता था ।
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है । जो सनातन धर्म में हजारों सालों से केंद्र मानते आ रहे है इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गण ना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये है करीब 2050 वर्ष पहले ।
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क)अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला । आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते है सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये।जय श्री महाँकाल राजा की 🚩🚩🚩🚩🚩

🤵🏻 *मैनेजमेंट लेसन:*

🤵🏻 *मैनेजमेंट लेसन:*
एक दिन एक कुत्ता 🐕 जंगल में रास्ता खो गया..
तभी उसने देखा, एक शेर 🦁 उसकी तरफ आ रहा है..
कुत्ते की सांस रूक गयी..
"आज तो काम तमाम मेरा..!"
He thought, & applied A lesson of
MBA..
फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ  पड़ी देखी..
वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया..
और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा,
और जोर जोर से बोलने लगा..
"वाह ! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है..
एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी !"
और उसने जोर से डकार मारी..
इस बार शेर सोच में पड़ गया..
उसने सोचा-
"ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है ! जान बचा कर भागने मे ही भलाइ है !"
और शेर वहां से जान बचा के भाग गया..
पेड़ पर बैठा एक बन्दर 🐒 यह सब तमाशा देख रहा था..
उसने सोचा यह अच्छा मौका है,
शेर को सारी कहानी बता देता हूँ ..
शेर से दोस्ती भी हो जायेगी,
और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा भी दूर हो जायेगा..
वो फटाफट शेर के पीछे भागा..
कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया की कोई लोचा है..
उधर बन्दर ने शेर को सारी कहानी बता दी, की कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है..
शेर जोर से दहाडा -
"चल मेरे साथ, अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ"..
और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ चल दिया..
Can you imagine the quick "management" by the DOG...???
कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसके आगे जान का संकट आ गया,
मगर फिर हिम्मत कर कुत्ता उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया l
He applied Another lesson of MBA ..
और जोर जोर से बोलने लगा..
"इस बन्दर को भेजे 1 घंटा हो गया..
साला एक शेर को फंसा कर नहीं ला सकता !"
यह सुनते ही शेर ने बंदर को वही पटका और वापस पिछे भाग गया ।
(Moral 1:-Don't loose your confidence in the difficult conditions.
Moral 2:-Be a Smart Worker rather than a Hard Worker.
Moral 3:-There are many such monkeys around us, try to identify them..)
😃Happy living😃

परमात्मा का आभार करो

एक पुरानी सी इमारत में था वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो।
एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकते हुए नज़र आए किन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपनी तंत्रिकाओं पर नियंत्रण पा लिया। आटे-दाल-चावल आदि के बाद पत्नी ने लिखा था, *"बेटी का विवाह 20 तारीख़ को है, उसके दहेज का सामान।"* कुछ देर सोचते रहे फिर बाकी चीजों की क़ीमत लिखने के बाद दहेज के सामने लिखा, '' *यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।*''
एक-दो रोगी आए थे। उन्हें वैद्यजी दवाई दे रहे थे। इसी दौरान एक बड़ी सी कार उनके दवाखाने के सामने आकर रुकी। वैद्यजी ने कोई खास तवज्जो नहीं दी क्योंकि कई कारों वाले उनके पास आते रहते थे। दोनों मरीज दवाई लेकर चले गए। वह सूटेड-बूटेड साहब कार से बाहर निकले और नमस्ते करके बेंच पर बैठ गए। वैद्यजी ने कहा कि अगर आपको अपने लिए दवा लेनी है तो इधर स्टूल पर आएँ ताकि आपकी नाड़ी देख लूँ और अगर किसी रोगी की दवाई लेकर जाना है तो बीमारी की स्थिति का वर्णन करें।
वह साहब कहने लगे "वैद्यजी! आपने मुझे पहचाना नहीं। मेरा नाम कृष्णलाल है लेकिन आप मुझे पहचान भी कैसे सकते हैं? क्योंकि मैं 15-16 साल बाद आपके दवाखाने पर आया हूँ। आप को पिछली मुलाकात का हाल सुनाता हूँ, फिर आपको सारी बात याद आ जाएगी। जब मैं पहली बार यहाँ आया था तो मैं खुद नहीं आया था अपितु ईश्वर मुझे आप के पास ले आया था क्योंकि ईश्वर ने मुझ पर कृपा की थी और वह मेरा घर आबाद करना चाहता था। हुआ इस तरह था कि मैं कार से अपने पैतृक घर जा रहा था। बिल्कुल आपके दवाखाने के सामने हमारी कार पंक्चर हो गई। ड्राईवर कार का पहिया उतार कर पंक्चर लगवाने चला गया। आपने देखा कि गर्मी में मैं कार के पास खड़ा था तो आप मेरे पास आए और दवाखाने की ओर इशारा किया और कहा कि इधर आकर कुर्सी पर बैठ जाएँ। अंधा क्या चाहे दो आँखें और कुर्सी पर आकर बैठ गया। ड्राइवर ने कुछ ज्यादा ही देर लगा दी थी।
एक छोटी-सी बच्ची भी यहाँ आपकी मेज़ के पास खड़ी थी और बार-बार कह रही थी, '' चलो न बाबा, मुझे भूख लगी है। आप उससे कह रहे थे कि बेटी थोड़ा धीरज धरो, चलते हैं। मैं यह सोच कर कि इतनी देर से आप के पास बैठा था और मेरे ही कारण आप खाना खाने भी नहीं जा रहे थे। मुझे कोई दवाई खरीद लेनी चाहिए ताकि आप मेरे बैठने का भार महसूस न करें। मैंने कहा वैद्यजी मैं पिछले 5-6 साल से इंग्लैंड में रहकर कारोबार कर रहा हूँ। इंग्लैंड जाने से पहले मेरी शादी हो गई थी लेकिन अब तक बच्चे के सुख से वंचित हूँ। यहाँ भी इलाज कराया और वहाँ इंग्लैंड में भी लेकिन किस्मत ने निराशा के सिवा और कुछ नहीं दिया।"
आपने कहा था, "मेरे भाई! भगवान से निराश न होओ। याद रखो कि उसके कोष में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। आस-औलाद, धन-इज्जत, सुख-दुःख, जीवन-मृत्यु सब कुछ उसी के हाथ में है। यह किसी वैद्य या डॉक्टर के हाथ में नहीं होता और न ही किसी दवा में होता है। जो कुछ होना होता है वह सब भगवान के आदेश से होता है। औलाद देनी है तो उसी ने देनी है। मुझे याद है आप बातें करते जा रहे थे और साथ-साथ पुड़िया भी बनाते जा रहे थे। सभी दवा आपने दो भागों में विभाजित कर दो अलग-अलग लिफ़ाफ़ों में डाली थीं और फिर मुझसे पूछकर आप ने एक लिफ़ाफ़े पर मेरा और दूसरे पर मेरी पत्नी का नाम लिखकर दवा उपयोग करने का तरीका बताया था।
मैंने तब बेदिली से वह दवाई ले ली थी क्योंकि मैं सिर्फ कुछ पैसे आप को देना चाहता था। लेकिन जब दवा लेने के बाद मैंने पैसे पूछे तो आपने कहा था, बस ठीक है। मैंने जोर डाला, तो आपने कहा कि आज का खाता बंद हो गया है। मैंने कहा मुझे आपकी बात समझ नहीं आई। इसी दौरान वहां एक और आदमी आया उसने हमारी चर्चा सुनकर मुझे बताया कि खाता बंद होने का मतलब यह है कि आज के घरेलू खर्च के लिए जितनी राशि वैद्यजी ने भगवान से माँगी थी वह ईश्वर ने उन्हें दे दी है। अधिक पैसे वे नहीं ले सकते।
मैं कुछ हैरान हुआ और कुछ दिल में लज्जित भी कि मेरे विचार कितने निम्न थे और यह सरलचित्त वैद्य कितना महान है। मैंने जब घर जा कर पत्नी को औषधि दिखाई और सारी बात बताई तो उसके मुँह से निकला वो इंसान नहीं कोई देवता है और उसकी दी हुई दवा ही हमारे मन की मुराद पूरी करने का कारण बनेंगी। आज मेरे घर में दो फूल खिले हुए हैं। हम दोनों पति-पत्नी हर समय आपके लिए प्रार्थना करते रहते हैं। इतने साल तक कारोबार ने फ़ुरसत ही न दी कि स्वयं आकर आपसे धन्यवाद के दो शब्द ही कह जाता। इतने बरसों बाद आज भारत आया हूँ और कार केवल यहीं रोकी है।
वैद्यजी हमारा सारा परिवार इंग्लैंड में सेटल हो चुका है। केवल मेरी एक विधवा बहन अपनी बेटी के साथ भारत में रहती है। हमारी भान्जी की शादी इस महीने की 21 तारीख को होनी है। न जाने क्यों जब-जब मैं अपनी भान्जी के भात के लिए कोई सामान खरीदता था तो मेरी आँखों के सामने आपकी वह छोटी-सी बेटी भी आ जाती थी और हर सामान मैं दोहरा खरीद लेता था। मैं आपके विचारों को जानता था कि संभवतः आप वह सामान न लें किन्तु मुझे लगता था कि मेरी अपनी सगी भान्जी के साथ जो चेहरा मुझे बार-बार दिख रहा है वह भी मेरी भान्जी ही है। मुझे लगता था कि ईश्वर ने इस भान्जी के विवाह में भी मुझे भात भरने की ज़िम्मेदारी दी है।
वैद्यजी की आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गईं और बहुत धीमी आवाज़ में बोले, '' कृष्णलाल जी, आप जो कुछ कह रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा कि ईश्वर की यह क्या माया है। आप मेरी श्रीमती के हाथ की लिखी हुई यह चिठ्ठी देखिये।" और वैद्यजी ने चिट्ठी खोलकर कृष्णलाल जी को पकड़ा दी। वहाँ उपस्थित सभी यह देखकर हैरान रह गए कि ''दहेज का सामान'' के सामने लिखा हुआ था '' यह काम परमात्मा का है, परमात्मा जाने।''
काँपती-सी आवाज़ में वैद्यजी बोले, "कृष्णलाल जी, विश्वास कीजिये कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि पत्नी ने चिठ्ठी पर आवश्यकता लिखी हो और भगवान ने उसी दिन उसकी व्यवस्था न कर दी हो। आपकी बातें सुनकर तो लगता है कि भगवान को पता होता है कि किस दिन मेरी श्रीमती क्या लिखने वाली हैं अन्यथा आपसे इतने दिन पहले ही सामान ख़रीदना आरम्भ न करवा दिया होता परमात्मा ने। वाह भगवान वाह! तू महान है तू दयावान है। मैं हैरान हूँ कि वह कैसे अपने रंग दिखाता है।"
वैद्यजी ने आगे कहा,सँभाला है, एक ही पाठ पढ़ा है कि सुबह परमात्मा का आभार करो, शाम को अच्छा दिन गुज़रने का आभार करो, खाते समय उसका आभार करो, सोते समय उसका आभार करो।

बरहस्पति के दान व उपाय

बरहस्पति के दान व उपाय
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को देव गुरु कहा गया है। गुरु को धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतान का कारक माना जाता है। बृहस्पति ग्रह शांति से संबंधित कई उपाय हैं, जिन्हें करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। जन्म कुंडली में बृहस्पति की अनुकूल स्थिति से धर्म, दर्शन और संतान की प्राप्ति होती है। गुरु को वैदिक ज्योतिष में आकाश तत्व का कारक माना गया है। इसका गुण विशालता, विकास और व्यक्ति की कुंडली और जीवन में विस्तार का संकेत होता है। गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव से संतान प्राप्ति में बाधा, पेट से संबंधित बीमारी और मोटापा आदि परेशानी होती है। अगर आप बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो बृहस्पति ग्रह शांति के लिए ये उपाय करें। इन कार्यों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी और अशुभ प्रभाव दूर होंगे।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े बृहस्पति ग्रह शांति के उपाय
पीला, क्रीम कलर और ऑफ़ व्हाइट रंग उपयोग में लाया जा सकता है।
गुरु ब्राह्मण एवं अपने से बड़े लोगों का सम्मान करें। यदि आप महिला हैं तो अपने पति का सम्मान करें।
अपने बच्चे और बड़े भाई से अच्छे संबंध बनाएँ।
किसी से झूठ न बोलें।
ज्ञान का वितरण करें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले बृहस्पति ग्रह के उपाय
भगवान शिव की आराधना करें।
वामन देव की पूजा करें।
शिव सहस्रनाम स्तोत्र का जाप करें।
श्रीमद् भागवत पुराण का पाठ करें।
बृहस्पति के लिये व्रत
शीघ्र विवाह, धन, विद्या आदि की प्राप्ति के लिए गुरुवार के दिन व्रत धारण करें।
बृहस्पति शांति के लिये दान करें
बृहस्पति ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान गुरुवार के दिन बृहस्पति के होरा और गुरु के नक्षत्रों (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व भाद्रपद) में शाम को करना चाहिए।
दान की जाने वाली वस्तुएँ हैं- केसरिया रंग, हल्दी, स्वर्ण, चने की दाल, पीत वस्त्र, कच्चा नमक, शुद्ध घी, पीले पुष्प, पुखराज रत्न एवं किताबें।
बृहस्पति के लिए रत्न
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह शांति के लिए पुखराज रत्न को धारण किया जाता है। गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है। अतः धनु और मीन राशि के जातकों के लिए पुखराज रत्न शुभ होता है।
श्री गुरु यंत्र
बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए गुरु यंत्र को गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा एवं इसके नक्षत्र के समय धारण करें।
बृहस्पति के लिये जड़ी
गुरु ग्रह (बृहस्पति) के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए पीपल की जड़ धारण करें। इस जड़ को गुरु की होरा और गुरु के नक्षत्र में धारण करें।
बृहस्पति के लिये रुद्राक्ष
गुरु ग्रह (बृहस्पति) की शुभता के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए मंत्र:
ॐ ह्रीं नमः।
ॐ ह्रां आं क्षंयों सः ।।
बृहस्पति मंत्र
बृहस्पति देव से शुभ आशीष पाने के लिए गुरु बीज मंत्र का जाप करें। मंत्र - ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः!
वैसे तो गुरु मंत्र को कम से कम 19000 बार इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए, परंतु देश-काल-पात्र पद्धति के अनुसार कलयुग में इसे 76000 बार करने की सलाह दी गई है।
गुरु की कृपा दृष्टि पाने के लिए आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ बृं बृहस्पतये नमः!
ऊपर दिए गए बृहस्पति शांति के उपाय बहुत ही कारगर हैं। ये गुरु ग्रह शांति के उपाय वैदिक ज्योतिष पर आधारित हैं, जिन्हें जातक आसानी से कर सकते हैं। यदि कोई जातक विधि अनुसार बृहस्पति को मजबूत करने के उपाय को करता है तो उसे न केवल बृहस्पति के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे गुरु और स्वयं ब्रह्मा जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस लेख में आपको बृहस्पति दोष के उपाय के साथ-साथ उन्हें करने की विधि भी बतायी गई है जिसके अनुसार, आप गुरु मंत्र या गुरु यंत्र को स्थापित कर सकते हैं।
ज्योतिष में गुरु को शुभ ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। हालाँकि किसी क्रूर ग्रह से पीड़ित होने पर अथवा अपनी नीच राशि मकर में होने पर गुरु के फल नकारात्मक भी हो सकते हैं। यदि आपका गुरु शुभ स्थिति में है अथवा अपनी उच्च राशि (कर्क) में बैठा है तो आप गुरु ग्रह शांति के उपाय कर सकते हैं। इससे आपके ज्ञान में वृद्धि होगी और धर्म कर्म के कार्यों में आपकी रुचि बढ़ेगी। बृहस्पति मंत्र का जाप करने से जातकों को संतान सुख एवं अपने गुरुजनों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
नोट रत्न कुंडली मे गुरु की स्थिति देखकर ही धारण करे 
जय महाकाल 
जय श्रीराम
*काला जादू से बचने के उपाय*
*क्या आप काले जादू पर विश्वास करते है? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब आप हाँ या ना दोनों मे दे सकते है। लेकिन हकीकत ये है की इस काले जादू शब्द ने दुनिया भर मे लोगों के दिमाग मे अपनी जगह बना ली है। बहुत से लोग इससे डरते है और काले जादू से दूर ही रहना चाहते है। जैसे की ये काला-जादू शब्द ही अपने आप मे बड़ा नकरात्मक एहसास दिलाता है, और बुरे कामों के लिए इस्तेमाल के रूप मे जाना जाता है। लोग अक्सर इससे डरते तो है, पर वही इस विषय पर आधारित TV सिरियल व फिल्मों को बड़े चाव से देखते है।*
*नींबू, मिर्ची, सिंदूर, लोहे की पिन व गुड़ियों जैसी चीज़ों का प्रयोग काले-जादू के दौरान बड़ा किया जाता है। जो देखने मे रोचक व भयानक दोनों ही लगते है।जब एक इंसान ऊर्जा का इस्तेमाल किसी गलत काम के लिए करता है तो वो अक्सर वो इस काले-जादू का सहारा लेकर सामने वाले का बुरा करना चाहता है। हमने ऊपर ऊर्जा की बात की, जिसका इस्तेमाल भी इंसान अच्छे या बुरे रूप मे कर सकता है। यानि इंसान चाहे तो इस ऊर्जा को देवी रूप या फिर शैतानी रूप मे बना सकता है। पर इससे पहले की हम आपको काले-जादू के प्रभाव से बचने के उपाय बताए, ये जान लेना भी उतना ही जरूरी है कि अक्सर कई बाते सिर्फ हमारे दिमाग की उपज होती है। जैसे की आप कही जाते वक़्त रास्ते मे अचानक नींबू-मिर्ची देख ले,या फिर चावल के साथ सिंदूर बिखरा हुआ देख ले- तो ये चीज़े यकीनन दिमाग मे एक गलत संदेश डालती है।यानि दिमागी तौर पर किसी इंसान को परेशान करने का ये आसान तरीका है।जिसमे बिना कुछ किए बस इंसान के रास्ते मे इनमे से कोई सामान रख दिया जाये। वो सोच-सोचकर ही हर दिन परेशान हो जाएगा।*
*दूसरी तरफ ये कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की काले-जादू का इस्तेमाल ज़्यादातर वो लोग ही करते है, जिनहे हर काम का परिणाम जल्दी चाहिए होता है। जो जैसे-तैसे सफलता को प्राप्त करना चाहते है।एक आम इंसान के जैसे रहकर,लंबे समय तक किए जाने वाला परिश्रम इन्हे राज़ नहीं आता। तो चलिये आपको हम कुछ ऐसे उपाय बताते है जिसके इस्तेमाल से आप काले-जादू के प्रभाव को दूर कर सकते है। अगर आपको लग रहा हो की किसी ने आप पर काला-जादू कर दिया है, जिसकी वजह से आपके सारे काम रुक रहे है, या बार-बार परेशान आ रही है तो इन उपाय को आजमा कर देख सकते है।*
*पहले उपाय के रूप मे आप हनुमान चालीसा का सहारा ले और हर मंगलवार मंदिर भी जाये। हर सभी हनुमान चालीसा की ताकत से रु-ब-रु है की कैसे इसके पाठ से भूत-पिचास भी दूर रहते है। काले जादू के प्रभाव को खत्म करने के लिए आप धतुरे के पौधे का इस्तेमाल भी कर सकते है। इस उपाय के लिए आप पुष्य नक्षत्र में एक धतूरे के पौधे को जड़ से उखाड़कर, फिर उसे जमीन मे उल्टा लगा दे, जिसमे उसकी जड़े ऊपर नज़र आए। इसके अलावा एक उपाय है कि आप अमावस्या और पूर्णिमा के दिन बाहर जाकर किसी के भी साथ पार्टी या खाना खाने से बचे।अगर आपको अपने ऊपर काले-जादू होने का संदेह है।मांस-मदिरा से खास तौर से दूर रहे।*
*काले जादू के असर से दूर रहने के लिय कई लोग शक्तिशाली कवच धारण करने के अलावा अपने-अपने घरों मे सिद्ध यंत्रों की स्थापना भी करते है। ताकि घर व जीवन मे शांति और खुशी बने रहे। इसके अलावा एक उपाय के बारे मे यकीनन आप लोगों ने जरूर सुना होगा कि बहुत से लोग काले-जादू के प्रभाव को खतम करने के लिए गोमूत्र का सहारा भी लेते है। कुछ लोग अपने घर में गोमूत्र का छिड़काव करवाते है। वैसे भी हमरे शास्त्रों मे गोमूत्र को पवित्र माना गया है, क्योंकि गाय मे सभी देवी-देवताओ का वास होता है। एक अन्य बात अवश्य ध्यान रखे की अक्सर जादू टोटका लोग चौक पर करते है। यदि आप कभी किसी ऐसे रास्ते से गुजरे जहां आपतिजनक कुछ दिखे तो उसपर से न गुजरे, या उस पर गलती से भी कदम न रखे। इसी तरफ नकारात्मक शक्ति को अपने घर से दूर रखने के लिए आप घर के दरवाजे पर नींबू-मिर्ची बांध सकते है। कई बार आपने वैसे देखा भी होगा की बहुत से लोग ऐसा करते है, और यहाँ तक की चप्पल व किसी शैतान का मुखोटा भी घर के बाहर लटका देता है, ताकि उनके घर को किसी की बुरी नज़र न लगे।*
*जादू-टोटके से बचाव के लिए आप शनिवार के दिन एक कटोरी में तेल लेकर, उसमें अपना चेहरा देखकर, किसी जरुरतमंद व्यक्ति या मंदिर मे उस तेल का दान कर दे। अगर आपको लगता है की हर बार किए जा रहे प्रयास विफल होते जा रहे है, मन मे अशांति बनी रहती है या घर का महोल पहले जैसा नहीं रहा, अब माहौल काफी खराब होते जा रहा है। जब पूर्ण विश्वास लगे की किसी की बुरी नज़र के आप शिकार हो चुके है तो ऐसे मे आप एक बर्तन में सरसों का तेल लेकर आग पर उसे गर्म करले, फिर इसमें चमड़े का एक टुकड़ा डालें। जब उसमे से धुआं निकलने लगे तब ऊपर से नींबू, तीन काली चूड़ी, थोड़ी सी फिटकरी और एक कील डाल दें उस बर्तन मे। सब कुछ डालने के बाद उस बर्तन को सिर के ऊपर से सात बार घुमा ले और इसके बाद इसे किसी गड्डे मे दबा दें, फिर ऊपर से एक कील ठोंक दें। ऐसा करने से व्यक्ति नकारात्मक शक्ति से अपना बचाव कर पता है।*
*अंत मे हम उम्मीद करते है की आप अपने जीवन मे कभी भी शक्ति का प्रयोग नकारात्मक रूप मे नहीं करेंगे। शक्ति एक ऐसे चीज़ है जिसका प्रयोग इंसान अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकता है, वो न बुरी होती है न अच्छी, पर हाँ वो दोनों हो सकती है। तो इसका इस्तेमाल कैसे करे ये आपकी सोच पर निर्भर करता है।*

शुक्र ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय

शुक्र ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को लाभदाता ग्रह कहा जाता है। यह प्रेम, जीवनसाथी, सांसारिक वैभव, प्रजनन और कामुक विचारों का कारक है। शुक्र ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गये हैं। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र उच्च भाव में रहता है उन्हें जीवन में भौतिक संसाधनों का आनंद प्राप्त होता है। वहीं कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर होने से आर्थिक कष्ट, स्त्री सुख में कमी, डायबिटीज़ और सांसारिक सुखों में कमी आने लगती है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह शांति के लिए दान, पूजा-पाठ और रत्न धारण किये जाते हैं। शुक्र से जुड़े इन उपायों में शुक्रवार का व्रत, दुर्गाशप्तशी का पाठ, चावल और श्वेत वस्त्र का दान आदि करने का विधान है। अगर आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर है, तो उन उपायों को अवश्य करें। इन कार्यों को करने से शुक्र ग्रह से शुभ फल की प्राप्ति होगी और अशुभ प्रभाव दूर होंगे।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े शुक्र ग्रह शांति के उपाय
चमकदार सफेद एवं गुलाबी रंग का प्रयोग करें।
प्रियतम एवं अन्य महिलाओं का सम्मान करें। यदि आप पुरुष हैं तो अपनी पत्नी का आदर करें।
कलात्मक क्रियाओं का विकास करें।
चरित्रवान बनें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले शुक्र ग्रह के उपाय
माँ लक्ष्मी अथवा जगदम्बे माँ की पूजा करें।
भगवान परशुराम की आराधना करें।
श्री सूक्त का पाठ करें।
शुक्र के लिये व्रत
अशुभ शुक्र की शांति के लिए शुक्रवार के दिन उपवास रखें।
शुक्र शांति के लिये दान करें
पीड़ित शुक्र को मजबूत करने के लिए शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा एवं इसके नक्षत्रों (भरानी, पूर्व फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा) के समय दान करना चाहिए।
दान करने वाली वस्तुएँ- दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि।
शुक्र के लिए रत्न
शुक्र ग्रह के लिए हीरा धारण किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार वृषभ और तुला दोनों शुक्र की राशि हैं। अतः इन राशि के जातकों के लिए हीरा पहनना शुभ होता है।
शुक्र यंत्र
शुक्र यंत्र की पूजा से प्रेम जीवन, व्यापार और धनलाभ में वृद्धि होती है। शुक्र यंत्र को शुक्रवार को शुक्र की होरा एवं शुक्र के नक्षत्र के समय धारण करें।
शुक्र ग्रह के लिये जड़ी
शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए अरंड मूल अथवा सरपंखा मूल धारण करें। अरंड मूल/सरपंखा मूल को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा अथवा शुक्र के नक्षत्र में धारण किया जा सकता है।
शुक्र के लिये रुद्राक्ष
शुक्र के लिये 6 मुखी रुद्राक्ष / 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ ह्रीं नमः।
ॐ रं मं यं ॐ।
शुक्र मंत्र
जीवन में आर्थिक संपन्नता, प्रेम और आकर्षण में बढ़ोत्तरी के लिए शुक्र बीज मंत्र "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः" का उच्चारण करना चाहिए।
इस मंत्र को कम से कम 16000 बार उच्चारण करना चाहिए और देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को 64000 बार जपने के लिए कहा गया है।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ शुं शुक्राय नमः।
वैदिक ज्योतिष में दिए गए शुक्र शांति के उपाय को नियम के अनुसार करने से जातकों को भौतिक सुखों का आनंद प्राप्त होता है। इसके साथ ही जातकों के जीवन में ऐश्वर्य, धन, एवं समृद्धि का आगमन होता है और व्यक्ति के कलात्मक गुणों का विकास होता है। चूंकि ज्योतिष में शुक्र का संबंध कला से जोड़ा गया है। अतः जो व्यक्ति कला की विभिन्न विधाओं से जुड़ा है तो ऐसे लोगों को शुक्र दोष के उपाय करने चाहिए। इससे उन्हें इस क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होगी। इस आलेख में मजबूत शुक्र के टोटके बहुत ही सरल रूप में बताए गए हैं जिन्हें आप आसानी से कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला का स्वामी कहा जाता है। अर्थात इन राशियों के जातकों को शुक्र ग्रह के आसान उपाय करने चाहिए। शास्त्रो में कहा गया है कि शुक्र ग्रह माँ लक्ष्मी जी का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जो व्यक्ति शुक्र व्रत का पालन करता है उसे माता लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जय महाकाल
जय श्रीराम
आज 10 बजे से पूर्व अपनी पत्नी को गुलाब का डियो या शाम को कोई सुहाग का सामान जरूर दे बहुत प्रेम बन जायेगा

राहु ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय

राहु ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह एक क्रूर ग्रह है। कुंडली में राहु दोष होने से मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, तालमेल की कमी होने लगती है। किसी समय विशेष पर हर कोई ग्रह अशुभ प्रभाव देने लगता है। ऐसी स्थिति में ग्रह शांति के लिए उपाय किये जाते हैं। राहु ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गये हैं। इनमें राहु से संबंधित वस्तु का दान, रत्न, राहु यंत्र, राहु मंत्र और जड़ी धारण करना प्रमुख उपाय हैं। ऐसी मान्यता है कि राहु के शुभ प्रभाव से व्यक्ति रातों रात रंक से राजा बन जाता है, वहीं अशुभ फल मिलने से राजा से रंक बन जाता है। यदि आपकी कुंडली में राहु कमजोर है तो राहु ग्रह शांति के लिए इन उपायों को अवश्य करें। क्योंकि इन कार्यों के प्रभाव से राहु शुभ फल प्रदान करेगा और आपके कष्टों में कमी आने लगेगी।
इसके खराब होने की प्रथम पहचान है कि ऐसा इंसान लोगो की पीठ पीछे बुराई करता मिलेगा
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े राहु ग्रह शांति के उपाय
नीले रंग के कपड़े पहनें।
अपने ससुर, नाना-नानी एवं मरीज़ लोगों का सम्मान करें।
शराब एवं मांस का सेवन न करें।
कुत्तों की देखभाल करें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले राहु ग्रह के उपाय
माँ दुर्गा की पूजा करें।
वराह देव की आराधना करें।
भैरव देव की पूजा करें।
दुर्गा चालिसा का पाठ करें।
राहु शांति के लिये दान करें
राहु की अशुभ दशा से बचने के लिये राहु ग्रह से संबंधित वस्तुओं को बुधवार के दिन राहु के नक्षत्र (आर्द्र, स्वाति, शतभिषा) में शाम और रात में दान करें।
दान करने वाली वस्तुएँ- जौ, सरसो, सिक्का, सात प्रकार के अनाज (जौ, तिल, चावल, साबूत मूंग, कंगुनी, चना, गेहूँ ), गोमेद रत्न, नीले अथवा भूरें रंग के कपड़े, कांच निर्मित वस्तुएँ आदि।
राहु के लिए रत्न
राहु के लिए गोमेद रत्न है। इस रत्न को धारण करने से जातकों को राहु दोष से मुक्ति मिलती है तथा जातक को बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
राहु यंत्र
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, वैभव वृद्धि, अचानक आने वाली बाधाओं और बीमारियों से बचने के लिए राहु यंत्र का पूजन करें। राहु यंत्र को बुधवार के दिन राहु के नक्षत्र में धारण करें।
राहु ग्रह के लिये जड़ी
राहु ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए बुधवार के दिन नागरमोथा की जड़ को राहु के नक्षत्र के दौरान धारण करें।
राहु के लिये रुद्राक्ष
राहु दोष निवारण के लिए 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ हूं नमः।
ॐ ह्रां ग्रीं लुं श्री।।
राहु मंत्र
राहु महादशा निवारण के लिए राहु बीज मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। मंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः!
राहु मंत्र का 18000 बार जाप करें जबकि देश-काल-पात्र पद्धति के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को अधिकतम 72000 बार जपना चाहिए।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ रां राहवे नमः!
राहु ग्रह शांति के उपाय करने से जातकों को राहु दोष से मुक्ति मिलती है। राहु एक छाया ग्रह है, जिसका कोई भौतिक रूप नहीं है। हिन्दू शास्त्रो के अनुसार राहु ग्रह भगवान भैरव देव का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु को एक पापी ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से जातकों को कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। हालाँकि यह जातकों को शुभ और अशुभ दोनों ही परिणाम देता है। परंतु इसके अशुभ परिणामों से बचने के लिए राहु मंत्र का विधि अनुसार जाप करना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु के कारण कुंडली में काल सर्प दोष उत्पन्न होता है। इस दोष से बचने के लिए राहु शांति के उपाय कारगर हैं। राहु यंत्र की स्थापना तथा उसकी आराधना करने से जातकों को शिक्षा, व्यवसाय, कैरियर में आ रही परेशानियाँ दूर होती हैं। राहु दोष के उपाय छिपे हुए शत्रुओं, गुप्त रूप से आ रही बाधाओं, छल- कपट, गुप्त रोगों, सामाजिक असम्मान और भेदभाव से बचाता है।
जय महाकाल

सूर्य =

सूर्य = 
★★★★★
सूर्य की बात करे तो हम यह सबसे बड़ा ग्रह है तो जब यह कोई भी चीज आदि देगा तो बड़ी ही देगा और यह प्रकाश है तो यह आंखों का भी कारक होता है यह राजा है इसके साथ जो भी ग्रह होता है उस ग्रह को यह पीड़ित ही करता है सूर्य , चन्द्रमा की युति साथ हुई तो जातक का जन्म अमावस्या के आस पास होगा , चन्द्रमा मन का कारक है यो मन मे पीड़ा , मानशिक अशांति , धन आदि के लिए असूभ ही स्तिथि होगी क्योंकि, चन्द्रमा लग्न है तो यह पीड़ित हुआ तो लग्न धन आदि देने वाला ही होता है मंगल सूर्य साथ हुआ तो जातक का स्वभाव क्रूर हो जाएगा , वैसे भी मंगल सूर्य का मित्र है पर सूर्य के साथ कष्ट ही पायेगा , जिस भाव आदि को देखेंगे उस भाव के सम्बंदि बहुत कष्ट देगे जैसे की लगन में हुए तो दोनों की दृष्टि 7 भाव पर होगी तो वैवाहिक सुख को बहुत कम कर देंगे , बुध जो की सूर्य के आस पास ही रहता है और वैसे भी यह गैसीय ग्रह है इन दोनो की युति होगी तो बुधादित्य योग बनाएगी , जो की बहुत शुभ फल दायक होगी , सूर्य सरकार तो सरकार से विशेष लाभ देगी , गुरु की साथ युति होगी , तो शिक्षा आदि के लिए बहुत ही उत्तम योग होगा पर सूर्य आग है सब को जलाता है और गुरु सम्पति आदि का कारक ग्रह है तो यह आर्थिक स्तिथि के लिए युति थोड़ी अच्छी नही समझी जाती है सूर्य की साथ शुक्र की युति हो तो शुक्र जो की स्त्री का कारक ग्रह है तो सबसे पहले तो स्त्री सुख कम करेगा , शुक्र सांसारिक और लग्जरी सुख का भी कारक है तो यह सब सुख कम करेगा , वीर्य शक्ति की कमजोरी होगी , वैवाहिक सुख में तनाव आदि देगा , शनि सूर्य की युति बाप बेटे की युति होगी दोनो की आपस मे शत्रुता है तो बाप बेटे की आपस मे बनेगी नही , शत्रुता रहेगी , दोनो जिस भाव मे हुए उस भाव के फल को कम करेगे और जिस भाव को देखेंगे उस भाव के फल तो बहुत ही कम मिलेंगे , जिस दोनो की युति भाग्य भाव मे हुई तो भाग्य उदय में बहुत दिक्कत , और दृष्टि होगी 3 भाव मे तो साहस की बहुत ही कमी और वैसे भी सूर्य के साथ पाप ग्रह , शनि , राहु केतु की युति को पित्र दोष , ग्रहण दोष आदि होते है जो कि असूभ फल देते है और जीवन मे सघर्ष की अधिकता होती है राहु की युति शनि की तरह समझे और केतु की युति मंगल की तरह समझना चाहिए , कुंडली और प्रश्न कुंडली के फलादेश के लिए और राशि रत्न आदि के लिए सम्पर्क करें राम राम

*कर्ज लेना व कर्ज देना*

*कर्ज लेना व कर्ज देना*
1.आशलेषा मूल नक्षत्र में संक्रांति मावस रविवार व मंगलवार को कर्ज लेना निषेध है,क्योंकि इनमें लिया हुआ कर्ज किठनाई 
से उतरेगा,नुक्सान होगा।किन्तु इनमें कर्ज देना ठीक होगा,लाभ लेकर लौटेगा।
2.मूल ज्येष्ठा मावस पूर्णमासी बुधवार को कर्ज देना ठीक नहीं,क्योंकि इनमें गया हुआ पैसा जाम होगा,झगड़ा चलेगा,मूल ब्याज दोनों को खतरा होगा।
3.मावस पूर्णमासी मंगलवार को कर्ज उतारना ठीक है एवं शनिवार को लेना देना दोनों गलत है।...

केतु ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय

केतु ग्रह शांति, मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष में राहु की तरह केतु ग्रह को भी क्रूर ग्रह माना गया है। इसे तर्क, कल्पना और मानसिक गुणों आदि का कारक कहा जाता है। केतु ग्रह शांति के लिए अनेक उपाय बताये गये हैं। इनमें केतु यंत्र, केतु मंत्र, केतु जड़ी और भगवान गणेश की आराधना करना प्रमुख उपाय है। केतु हानिकारक और लाभकारी दोनों तरह के प्रभाव देता है। एक ओर जहां यह हानि और कष्ट देता है वहीं दूसरी ओर व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति के शिखर तक लेकर जाता है। यदि आप केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं या कुंडली में केतु की स्थिति कमजोर है, तो केतु ग्रह शांति के लिए यह उपाय अवश्य करें। इन कार्यों को करने से केतु से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
वेश-भूषा एवं जीवन शैली से जुड़े केतु ग्रह शांति के उपाय
ग्रे, भूरा या विविध रंग का प्रयोग करें।
पुत्र, भतीजा एवं छोटे लड़कों के साथ अच्छे संबंध बनाए।
शॉवर में स्नान करें।
कुत्तों की सेवा करें।
विशेषतः सुबह किये जाने वाले केतु ग्रह के उपाय
गणेश जी की पूजा करें।
मतस्य देव की पूजा करें।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष का जाप करें।
केतु शांति के लिये दान करें
केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए केतु से संबंधित वस्तुओं को बुधवार के दिन बुध के नक्षत्र (अश्विनी, मेघा, मूल) में देर शाम को दान किया जाना चाहिए।
दान की जाने वाली वस्तुएँ- केला, तिल के बीज, काला कंबल, लहसुनिया रत्न एवं काले पुष्प आदि।
केतु के लिए रत्न
ज्योतिष में केतु ग्रह के लिए लहसुनिया रत्न को बताया गया है। यह रत्न केतु के बुरे प्रभावों से रक्षा करता है।
केतु यंत्र
व्यापार लाभ, शारीरिक स्वास्थ्य व पारिवारिक मामले आदि के लिए केतु यंत्र के साथ माँ लक्ष्मी और गणपति की अराधना करें। केतु यंत्र को बुधवार के दिन केतु के नक्षत्र में धारण करें।
केतु के लिये जड़ी
केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए बुधवार को बुध के नक्षत्र में अश्वगंधा अथवा अस्गंध मूल धारण करें।
केतु ग्रह के लिये रुद्राक्ष
केतु ग्रह के लिये 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभदायक होता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने हेतु मंत्र:
ॐ ह्रीं हूं नमः।
ॐ ह्रीं व्यं रूं लं।।
केतु मंत्र
केतु की अशुभ दशा से बचने के लिए केतु बीज मंत्र का जाप करें। मंत्र - ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः!
केतु मंत्र का 17000 बार उच्चारण करें। देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र को 68000 बार जपने के लिए कहा गया है।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं - ॐ कें केतवे नमः!
वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह शांति के उपाय को बड़ा महत्व है। दरअसल, केतु ग्रह का कोई भौतिक स्वरूप नहीं है। बल्कि यह एक छाया ग्रह है। इसके स्वभाव के कारण इसे पापी ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि केतु के कारण जातकों को सदैव परेशानी का सामना करना पड़ता है। बल्कि इसके शुभ प्रभावों से जातकों को मोक्ष भी प्राप्त हो सकता है। मिथुन राशि में यह नीच भाव में होता है और नीच भाव में होने के कारण जातकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे जातक के जीवन में अचानक कोई बाधा आ जाती है, पैरों और जोड़ों में दर्द, रीड़ की हड्डी से संबंधित परेशानी आदि रहती हैं। इन सबसे बचने के लिए केतु दोष के उपाय बहुत ही कारगर हैं। केतु मंत्र का जाप करने से जातक को केतु से संबंधित बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। वहीं केतु यंत्र की स्थापना करने से जातकों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
जय महाकाल
जय श्रीराम

कर्ज बढ़ा देती हैं घर में रखी ये चीजें

कर्ज बढ़ा देती हैं घर में रखी ये चीजें
वास्तु शास्त्र के मताबिक घर में रखी ऐसी कई चीजें होती है जो सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है। नकरारात्मक ऊर्जा वाली चीजें आपको गरीब बनाकर कर्ज में डुबा सकती है। इसलिए ऐसी चीजों को तुरंत घर से हटा देना चाहिए। यहां हम आपको ऐसी ही चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं।
देवी-देवताओं की टूटी मूर्ति या फटे चित्र :
घर में देवी-देवताओं की टूटी मूर्ति या फटे चित्र नहीं रखना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान होता है। इन्हें जल्द किसी नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। एक ही देवी या देवता की 3-3 मूर्तियां या तस्वीर रखने से भी हानि होती है।
पुराने या फटे कपड़ों की पोटली :
अक्सर लोगों के घर में फटे-पुराने कपड़ों की पोटली होती है। फटे-पुराने कपड़ों या चादरों से भी घर में नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। इस तरह के कपड़ों को दान कर देना चाहिए या इसका किसी और काम में उपयोग करना चाहिए।
टूटी-फूटी वस्तुएं :
घर में किसी भी तरह की टूटी-फूटी वस्तु न रखें। आपके घर में टूटी हुई चेयर या टेबल पड़ी है तो उसे तुरंत घर से हटा दें। ये पैसों और तरक्की को रोक देती है। सोफा भी फटा या टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। उस पर बिछाई चादर भी गंदी न हो।
इन तस्वीरों को भी हटाएं :
ऐसा कहा जाता है कि ताजमहल, डूबता जहाज, फव्वारे, जंगली जानवरों के चित्र और कांटेदार पौधों के चित्र से मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लगातार इन चित्रों को देखते रहने से जीवन में अच्छी घटनाएं बंद हो जाती हैं।
टूटी या खुली अलमारी :
घर या दुकान की कोई भी अलमारी टूटी न हो। इसके अलावा काम न होने पर अलमारी को हमेशा बंद रखें। अलमारी को बेवजह खुला रखने से धन पानी की तरह बह जाता है।
हटाएं अनावश्यक ताबीज :
लोग अनावश्यक पत्थर, नग, अंगूठी, ताबीज या अन्य सामान घर में कहीं रख देते हैं। कौनसा नग फायदा पहुंचा रहा है और कौन-सा नुकसान पहुंचा इसकी जानकारी किसी को नहीं होती। इसलिए ऐसे सामान को जल्द निकाल दें।
मकड़ी का जाला :
घर में बनने वाले मकड़ी के जाले घर-दुकान में कई तरह के वास्तु दोष पैदा करते हैं। इसलिए इसका होना अशुभ माना जाता है।
घर की छत :
घर की छत पर पड़ी गंदगी तंगी को बढ़ सकती है। घर की छत पर कबाड़ा या फालतू सामान बिल्कुल न रखें। इससे पितृ दोष भी उत्पन्न होता है

मानशिकता =

मानशिकता =
★★★★★★
आज हम बात करते है मानशिक शक्ति तो इन सब का कारक चन्द्रमा है और चन्द्रमा कुंडली मे जहाँ स्तिथ होता है वो ही हमारी जन्म राशि होती है चन्द्रमा की राशि है कर्क जो कि छाती फेफड़ो की कारक होता है और साथ साथ चन्द्रमा को मन का कारक भी बताया गया है जब चन्द्रमा हमारा कमजोर होता है तो हमें खासी , सर्दी , ज़ुकाम , टिब्बी निमोनिया आदि की शिकायत रहती है रहती है जिन बच्चों का चन्द्रमा कमजोर है उन बच्चो को सर्दी , ज़ुकाम बहुत जल्द होता है पर दूसरा पहलू यह भी है की वो मन का कारक है और मानशिकता का भी कारक है जब चन्द्रमा कुंडली मे कमजोर होता है पाप ग्रहों से पीड़ित होता है तो स्वभाव बहुत ही क्रूर और क्रोधी हो जाता है और मन की स्तिथि बहुत ही खराब हो जाएगी , एक बात को हजार बार बोलेगा , एक काम की टेंशन लेगा , ऐसा हो गया तो क्या होगा , मेरे साथ यह होगा वो होगा आदि आदि राहु आदि पाप ग्रहों का प्रभाव अधिक होगा तो अनजाना भय बना रहेगा , 8 भाव मे यह युति मूर्छा रोग आदि भी हो सकता है चन्द्रमा एक लग्न होता तो लग्न का काम करता है जब यह शुभ हो तो धन और मान समान आदि खूब देता है और इसके विपरीत जब यह असूभ होगा तो अपमानित कराएगा , चन्द्रमा जहाँ शुभ मान समान की वृद्धि करेगा , धन आदि देगा और स्वभाव सौम्य बनाएगा , असूभ मानशिक रोग विकार आदि पक्का देगा ,यह वैसे भी जितना अधिक सूर्य से दूर होगा उतना ही शुभ होगा , सूर्य के पास हो तो यह असूभ फल दाता हो जाता है चन्द्रमा की शांति के उपाय यही है कि सबसे पहले तो हमें पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए , और साथ मे हमे सफेद चीजे , दूध चावल , चाँदी आदि का दान करना चाहिए , और साथ साथ मे भोले नाथ की पूजा से विशेष लाभ होता है जब चन्द्रमा पीड़ित हो तो जीवन मानशिक रूप से बहुत दुखी हो जाता है जिन लोगो को यह दिक्कत होती है उनको यह उपाय जरूर करने चाहिए राम राम 

ॐ उच्चारण के 11 शारीरिक, मानसिक एवं स्वास्थ्यगत लाभ :

ॐ उच्चारण के 11 शारीरिक, मानसिक एवं स्वास्थ्यगत लाभ :
ॐ : ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
अ उ म् ।
"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,
"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना।
ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।
ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
जानीए
ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...
● *उच्चारण की विधि*
प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।
01) *ॐ और थायराॅयडः*
ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
*02) *ॐ और घबराहटः-*
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
*03) *..ॐ और तनावः-*
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
*04) *ॐ और खून का प्रवाहः-*
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
*5) ॐ और पाचनः-*
ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।
*06) ॐ लाए स्फूर्तिः-*
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
*07) ॐ और थकान:-*
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
*08) .ॐ और नींदः-*
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।
*09) .ॐ और फेफड़े:-*
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
*10) ॐ और रीढ़ की हड्डी:-*
ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
*11) ॐ दूर करे तनावः-*
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।
आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे । साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है ।
अपना ख्याल रखिये, खुश रहें । 

नवग्रह के प्रभाव

नवग्रह के प्रभाव
अगर आपकी जन्म तारीख पता नही है, तो लक्षण से पता करें।कि कौन सा ग्रह के कारण बीमारी या परेशानी है।
【1】सूर्य-
सूर्य की अशुभता से नेत्र रोग, उदर विकार, हृदय रोग ये रोग के लक्षण है।
मान सम्मान मे कमी आती है।धन का नाश होता है।
कर्ज यानि ऋण लेने को मजबूर या कर्ज में डूब जाना।
झूठे अभियोग लगते है।
【2】चंद्र-
चन्द्रमा के अशुभता में मानसिक दुर्बलता, मानसिक तनाव, चिंता माता की बीमारी, फेफड़ों के रोग,
और धन की कमी होती है।
【3】मंगल-
मंगल की अशुभता से होंठ और जिगर के रोग होता है।
कर्ज से परेशान और अपना घर बनाने का सपना अधूरा ही रह जाता है।
【4】बुध-
बुध की अशुभता से दांत एवं स्नायु रोग होता है।
वाणी का दोष और माता से अनबन भी मिलता है।
【5】गुरु-
गुरु की अशुभता से गले के रोग होते है।
पुत्र से कष्ट मिलता है, अधूरी शिक्षा, दाम्पत्य में कष्ट, और विवाह में बाधा मिलता है।
【6】शुक्र-
शुक्र की अशुभता से वैवाहिक सुख में कमी और सुखों का अभाव होता है।
【7】शनि-
शनि की अशुभता से दुर्घटना, अग्नि कांड, आरोग्य संतान, आंखों के रोग तथा पिता से वैमनस्या प्राप्त होती है।
【8】राहु-
राहु की अशुभता से सिर पर चोट लगती है, मानसिक रोग होता है।
राजकोप का शिकार होता हैं।और हर कार्य मे अड़चन पैदा होता है।
【9】केतु-
केतु की अशुभता से घुटनों मे दर्द, मूत्र विकार, होता है।
पुत्र संकट, विश्वासघात का शिकार होता है।पुत्र के द्वारा दुर्व्यवहार होता है।
उपाय:-
दस मुखी रुद्राक्ष धारण करे, दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से, नवग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
कहते है, इस रुद्राक्ष के धारण करता पर श्री हरि के दशावतार की पूर्ण कृपा रहती है।और साथ जी माँ लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती हैं।
यह उपाय सर्वग्रह बाधा शांतहोती है।
दशो दिशाओ में उसका प्रभाव रहता है, इसके प्रभाव से धारक को चहुँ ओर सफलता मिलती है।
यहाँ तक कि भूत प्रेत और किसी भी तरह की ऊपरी हवा का भय नही रहता तथा शत्रु से भी रक्षा होती है।
जिन लोगों की किसी प्रकार से वैवाहिक जीवन में समस्या आ रही है तो यह दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ठीक हो जाता है।
रुद्राक्ष धारण मंत्र-” ॐ ह्रीं नमः “
धारण दिन- शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को।
मंत्र रुद्राक्ष की माला से 10 माला जप करना है।
दश मुखी रुद्राक्ष पिला और लाल धागा में धारण करने से पहले किसी भी शिव मंदिर में पहले शिव लिङ्ग में पहना कर तब धारण करे।
अत्यंत जरूरी बात,
की प्रति दिन श्री शिवरामाष्टक स्त्रोत्रं का पाठ करना बहुत ही लाभ दायक रहेगा।
हर हर महादेव, जय श्री हरि।

मनोकामना पूर्ति उपाय


गुरुवार के दिन एक हल्दी की गांठ को पीले कपड़े में लेकर किसी भी पीपल के पेड़ के बांध आये उस पर खुशबू दर इतर छिड़क आये वहां पर ये बोल आये की है वरक्षराज में इस हल्दी की गांठ को 7 दिन के लिए आपको सौपकर जा रहा हु आप अपनी कृपा दृष्टि इस पर बनाये में इसको आज से 7 दिन बाद लेकर जाऊंगा प्रत्येक दिन गाठ के पास जाए इत्तर छिड़ककर ये ही बात बोले जैसे जैसे दिन कम हो वैसे वैसे बोलते जाए जैसे दूसरे दिन बोले कि आज से 6 दिन बाद ले जाऊंगा तीसरे दिन बोले कि आज से 5 दिन बाद ले जाऊंगा जाना रोजाना एक समय पर ही है
जब अगला बुधवार आये तो इतर छिड़ककर बोले कि में कल इसको लेकर जाऊंगा है हल्दी की गाठ आप तैयार रहे दूसरे दिन लाने से पहले एक लोटा पानी का डालकर एक दूध से बनी मिठाई वहां रखकर आये फिर हल्दी की गाठ को ले आये अपना जो भी कार्य हो उस हल्दी की गाठ की स्याही बनाकर कागज पर लिखे उस कागज को पीपल के पेड़ के पास पत्थर से दबाकर रख आएं अनुभूत प्रयोग है आपका उचित कार्य अवश्य होगा
जय महाकाल
जय श्रीराम