मंगलवार, 31 मार्च 2015

8 आदतों से सुधारें अपना घर :

8 आदतों से सुधारें अपना घर :
१) ::
अगर आपको कहीं पर भी थूकने की आदत है तो यह निश्चित है
कि आपको यश, सम्मान अगर मुश्किल से मिल भी जाता है
तो कभी टिकेगा ही नहीं .
wash basin में ही यह काम कर आया करें !
२) ::
जिन लोगों को अपनी जूठी थाली या बर्तन वहीं उसी जगह पर
छोड़ने की आदत होती है उनको सफलता कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती.!
बहुत मेहनत करनी पड़ती है और ऐसे लोग अच्छा नाम नहीं कमा पाते.!
अगर आप अपने जूठे बर्तनों को उठाकर उनकी सही जगह पर रख आते हैं तो चन्द्रमा और शनि का आप सम्मान करते हैं !
३) ::
जब भी हमारे घर पर कोई भी बाहर से आये, चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला, उसे स्वच्छ पानी जरुर पिलाएं !
ऐसा करने से हम राहू का सम्मान करते हैं.!
जो लोग बाहर से आने वाले लोगों को स्वच्छ पानी हमेशा पिलाते हैं उनके घर में कभी भी राहू का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.!
४) ::
घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं, उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखभाल की जरुरत होती है.!
जिस घर में सुबह-शाम पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध, सूर्य और चन्द्रमा का सम्मान करते हुए परेशानियों से डटकर लड़ पाते हैं.!
जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते हैं, उन लोगों को depression, anxiety जैसी परेशानियाँ जल्दी से नहीं पकड़ पातीं.!
५) ::
जो लोग बाहर से आकर अपने चप्पल, जूते, मोज़े इधर-उधर फैंक देते हैं, उन्हें उनके शत्रु बड़ा परेशान करते हैं.!
इससे बचने के लिए अपने चप्पल-जूते करीने से लगाकर रखें, आपकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी
६) ::
उन लोगों का राहू और शनि खराब होगा, जो लोग जब भी अपना बिस्तर छोड़ेंगे तो उनका बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा, सिलवटें ज्यादा होंगी, चादर कहीं, तकिया कहीं, कम्बल कहीं ?
उसपर ऐसे लोग अपने पुराने पहने हुए कपडे तक फैला कर रखते हैं ! ऐसे लोगों की पूरी दिनचर्या कभी भी व्यवस्थित नहीं रहती, जिसकी वजह से वे खुद भी परेशान रहते हैं और दूसरों को भी परेशान करते हैं.!
इससे बचने के लिए उठते ही स्वयं अपना बिस्तर समेट दें.!
७)::
पैरों की सफाई पर हम लोगों को हर वक्त ख़ास ध्यान देना चाहिए,
जो कि हम में से बहुत सारे लोग भूल जाते हैं ! नहाते समय अपने पैरों को अच्छी तरह से धोयें, कभी भी बाहर से आयें तो पांच मिनट रुक कर मुँह और पैर धोयें.!
आप खुद यह पाएंगे कि आपका चिड़चिड़ापन कम होगा, दिमाग की शक्ति बढेगी और क्रोध 
धीरे-धीरे कम होने लगेगा.!
८) ::
रोज़ खाली हाथ घर लौटने पर धीरे-धीरे उस घर से लक्ष्मी चली जाती है और उस घर के सदस्यों में नकारात्मक या निराशा के भाव आने लगते हैं.!
इसके विपरित घर लौटते समय कुछ न कुछ वस्तु लेकर आएं तो उससे घर में बरकत बनी रहती है.!
उस घर में लक्ष्मी का वास होता जाता है.!
हर रोज घर में कुछ न कुछ लेकर आना वृद्धि का सूचक माना गया है.!
ऐसे घर में सुख, समृद्धि और धन हमेशा बढ़ता जाता है और घर में रहने वाले सदस्यों की भी तरक्की होती है.!

रविवार, 29 मार्च 2015

💫रोगप्रतिकारक शक्ति बनाये रखने के उपाय व सावधानियाँ💫

💫रोगप्रतिकारक शक्ति बनाये रखने के उपाय व सावधानियाँ💫
1- 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।
2- कुल 13 असाधारणीय शारीरिक वेग होते हैं । उन्हें रोकना नहीं चाहिए ।।
3-160 रोग केवल मांसाहार से होते है
4- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
5- 80 रोग चाय पीने से होते हैं।
6- 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।
7- शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।
8- अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।
9- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।
10- मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
11- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
12- बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
13- दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
14- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
15- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।
16- टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।
17- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
18- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।
19- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
20- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
21- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
22- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।
23- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
24- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
25- मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
26- अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है।
27- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।
28- भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
29- अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।
30- मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।
31- जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
32- नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है।
33- चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिए।
34- फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए।
35- भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए । उसके पश्चात् उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।।
36- मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोशकता 100% कांसे के बर्तन में 97% पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
37- गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए।
38- मनष्य को मैदे से बनीं वस्तुएं (बिस्कुट, ब्रेड, पीज़ा समोसा आदि)
कभी भी नहीं खाना चाहिए।
39- खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।
40- जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते।
41- सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए है। रिफाइंड तेल और
वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
42- पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
43- खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
44- चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है।
हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है।
45- मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी (कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है।
46- कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
47-बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
48- टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे ।
(आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
49- यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़े और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है ।
50- निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा(ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है।
51- देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं।
52- प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और देर रात्रि का भिखारी के
समान ।

गुरुवार, 26 मार्च 2015

अगर अपनी राशि के अनुसार मंत्र जाप करे

अगर अपनी राशि के अनुसार मंत्र जाप करे
तो निसंदेह शीघ्र सफलता मिलती है।
मंत्र पाठ से व्यक्ति कई प्रकार के संकट से मुक्त रहता है। आर्थिक रूप से संपन्न हो जाता है।साथ ही जो लोग आपकी राह में बाधा उत्पन्न करते हैं
वह भी कमजोर हो जाते हैं।
आपकी राशि के अनुसार अचूक दिव्य मं‍त्र,
इसे जपने के पश्चात किसी अन्य पूजा या तंत्र की आवश्यकता नहीं है।
मेष : ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:
वृषभ : ॐ गौपालायै उत्तर ध्वजाय नम:
मिथुन : ॐ क्लीं कृष्णायै नम:
कर्क : ॐ हिरण्यगर्भायै अव्यक्त रूपिणे नम:
सिंह : ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधारायै नम:
कन्या : ॐ नमो प्रीं पीताम्बरायै नम:
तुला : ॐ तत्व निरंजनाय तारक रामायै नम:
वृश्चिक : ॐ नारायणाय सुरसिंहायै नम:
धनु : ॐ श्रीं देवकीकृष्णाय ऊर्ध्वषंतायै नम:
मकर : ॐ श्रीं वत्सलायै नम:
कुंभ : ॐ श्रीं उपेन्द्रायै अच्युताय नम:
मीन : ॐ क्लीं उद्‍धृताय उद्धारिणे नम:


अगर आप जीवन में अनेक बाधाओं से परेशान हैं, बार-बार काम बिगड़ रहा है तो भगवान शिव का अभिषेक सरसों के तेल से कीजिए। इससे आपके बिगड़े हुए काम बनने लगेंगे।

मंगलवार, 24 मार्च 2015

नवरात्रे और वैदिक-ज्योतिष -

नवरात्रे और वैदिक-ज्योतिष -
नवरात्रों में माँ दुर्गा के जो भक्त वर्ष में दो बार माँ की विधि सहित पूजा अर्चना करते हैं वो जाने अनजाने नवदुर्गा की भक्ति से नवग्रहों को स्वत: ही शांत कर लेते हैं ।
बुध - कन्या , 
शुक्र - स्त्री ,
चंद्र - माता
ये तीनो रूप स्त्रीलिंग होने से ‘ माँ जगम्बा ’ के ही माने जाते हैं और पूजन विधि तो साक्षात् नवग्रह शांति है जहाँ कुम्भ स्थापित करके खेत्री बीजी जाती है वहां ये दृश्य साक्षात् है।
ध्यान से देखे तो
घडा - बुध
जौं - राहु
जल - चन्द्रमा
अखंड ज्वाला - मंगल
लाल दुप्पटा - केतु
माँ का वस्त्र और देसी घी - शुक्र
काले चने – शनि
मीठा हलवा - मंगल
पूजन विधि और माँ का शेर - गुरु
दिन/रात की अखंड ज्योति सेवा - सूर्य और शनि
नारियल – राहु का सर
और अंत में कंजक पूजन और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले पंडित जी दोनों को भेंट और दक्षिणा देना ‘बुध’ और ‘गुरु’ को प्रसन्न करना होता है।
ये सारी विधि ऋषि मार्कण्डेय द्वारा माँ की भक्ति करते हुए समस्त संसार को प्रदान की गयी है और
जो भक्त इस विधि से पूजन-अर्चन करता है उसकी जन्म पत्रिका के नवग्रह स्वयं ही माँ दुर्गा के शक्ति आशीर्वाद से शांत हो कर शुभ प्रभाव देने लग जाते हैं।
!! ॐ नमः शिवाय !! 

नवग्रह शांतिदायक उपाय-
सूर्यः-
१॰ सूर्यदेव के दोष के लिए खीर का भोजन बनाओ और रोजाना चींटी के बिलों पर रखकर आवो और केले को छील कर रखो ।
२॰ जब वापस आये तभी गाय को खीर और केला खिलाओ ।
३॰ जल और गाय का दूध मिलाकर सूर्यदेव को चढ़ावो। जब जल चढ़ाओ, तो इस तरह से कि सूर्य की किरणें उस गिरते हुए जल में से निकल कर आपके मस्तिष्क पर प्रवाहित हो ।
४॰ जल से अर्घ्य देने के बाद जहाँ पर जल चढ़ाया है, वहाँ पर सवा मुट्ठी साबुत चावल चढ़ा देवें ।
चन्द्रमाः-
१॰ पूर्णिमा के दिन गोला, बूरा तथा घी मिलाकर गाय को खिलायें । ५ पूर्णमासी तक गाय को खिलाना है ।
२॰ ५ पूर्णमासी तक केवल शुक्ल पक्ष में प्रत्येक १५ दिन गंगाजल तथा गाय का दूध चन्द्रमा उदय होने के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दें । अर्घ्य देते समय ऊपर दी गई विधि का इस्तेमाल करें ।
३॰ जब चाँदनी रात हो, तब जल के किनारे जल में चन्द्रमा के प्रतिबिम्ब को हाथ जोड़कर दस मिनट तक खड़ा रहे और फिर पानी में मीठा प्रसाद चढ़ा देवें, घी का दीपक प्रज्जवलित करें ।
उक्त प्रयोग घर में भी कर सकते हैं, पीतल के बर्तन में पानी भरकर छत पर रखकर या जहाँ भी चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब पानी में दिख सके वहीं पर यह कार्य कर सकते हैं ।
मंगलः-
१॰ चावलों को उबालने के बाद बचे हुए माँड-पानी में उतना ही पानी तथा १०० ग्राम गुड़ मिलाकर गाय को खिलाओ ।
२॰ सवा महीने में जितने दिन होते हैं, उतने साबुत चावल पीले कपड़े में बाँध कर यह पोटली अपने साथ रखो । यह प्रयोग सवा महीने तक करना है ।
३॰ मंगलवार के दिन हनुमान् जी के व्रत रखे । कम-से-कम पाँच मंगलवार तक ।
४॰ किसी जंगल जहाँ बन्दर रहते हो, में सवा मीटर लाल कपड़ा बाँध कर आये, फिर रोजाना अथवा मंगलवार के दिन उस जंगल में बन्दरों को चने और गुड़ खिलाये ।
बुधः-
१॰ सवा मीटर सफेद कपड़े में हल्दी से २१ स्थान पर “ॐ” लिखें तथा उसे पीपल पर लटका दें ।
२॰ बुधवार के दिन थोड़े गेहूँ तथा चने दूध में डालकर पीपल पर चढ़ावें ।
३॰ सोमवार से बुधवार तक हर सप्ताह कनैर के पेड़ पर दूध चढ़ावें । जिस दिन से शुरुआत करें उस दिन कनैर के पौधे की जड़ों में कलावा बाँधें । यह प्रयोग कम-से-कम पाँच सप्ताह करें ।
बृहस्पतिः-
१॰ साँड को रोजाना सवा किलो ७ अनाज, सवा सौ ग्राम गुड़ सवा महीने तक खिलायें ।
२॰ हल्दी पाँच गाँठ पीले कपड़े में बाँधकर पीपल के पेड़ पर बाँध दें तथा ३ गाँठ पीले कपड़े में बाँधकर अपने साथ रखें ।
३॰ बृहस्पतिवार के दिन भुने हुए चने बिना नमक के ग्यारह मन्दिरों के सामने बांटे । सुबह उठने के बाद घर से निकलते ही जो भी जीव सामने आये उसे ही खिलावें चाहे कोई जानवे हो या मनुष्य ।
शुक्रः-
१॰ उड़द का पौधा घर में लगाकर उस पर सुबह के समय दूध चढ़ावें । प्रथम दिन संकल्प कर पौधे की जड़ में कलावा बाँधें । यह प्रयोग सवा दो महीने तक करना है ।
२॰ सवा दो महीने में जितने दिन होते है, उतने उड़द के दाने सफेद कपड़े में बाँधकर अपने पास रखें ।
३॰ शुक्रवार के दिन पाँच गेंदा के फूल तथा सवा सौ उड़द पीपल की खोखर में रखें, कम-से-कम पाँच शुक्रवार तक ।
शनिः-
१॰ सवा महिने तक प्रतिदिन तेली के घर बैल को गुड़ तथा तेल लगी रोटी खिलावें ।
राहूः-
१॰ चन्दन की लकड़ी साथ में रखें । रोजाना सुबह उस चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर पानी में मिलाकर उस पानी को पियें ।
२॰ साबुत मूंग का खाने में अधिक सेवन करें ।
३॰ साबुत गेहूं उबालकर मीठा डालकर कोड़ी मनुष्यों को खिलावें तथा सत्कार करके घर वापस आवें ।
केतुः-
१॰ मिट्टी के घड़े का बराबर आधा-आधा करो । ध्यान रहे नीचे का हिस्सा काम में लेना है, वह समतल हो अर्थात् किनारे उपर-नीचे न हो ।
इसमें अब एक छोटा सा छेद करें तथा इस हिस्से को ऐसे स्थान पर जहाँ मनुष्य-पशु आदि का आवागमन न हो अर्थात् एकान्त में, जमीन में गड्ढा कर के गाड़ दें ।
ऊपर का हिस्सा खुला रखें । अब रोजाना सुबह अपने ऊपर से उबार कर सवा सौ ग्राम दूध उस घड़े के हिस्से में चढ़ावें । दूध चढ़ाने के बाद उससे अलग हो जावें तथा जाते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें

सोमवार, 23 मार्च 2015

शुभ योग में जानिए एक विशेष मंत्र उपाय, जिसके द्वारा भगवान गणेश का आवाहन कर कार्यक्षेत्र, नौकरी या कारोबार में तरक्की व समृद्धि की इच्छा को जल्द पूरा किया जा सकता है।
धूप व घी का दीप जलाकर नीचे लिखे मंत्रों से श्रीगणेश का स्मरण करें-
लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्।
आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।

सरल उपाय :
- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा खिलाना चाहिए। हो सके तो सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे ।
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें।
-हनुमान चालीसा का पाठ करें। -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं।
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।
- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:सूर्य के उपाय
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।
_________________


आइए जानते हैं कि ज्योतिष के अनुसार किस दिन कौन सा काम करना शुभ नहीं होता है और किस वार को कौन सा काम जरूर करना चाहिए।
किस दिन तेल लगाएं और कब नहीं-
- सोमवार को तेल लगाने से चेहरे पर कांति आती है। बालों के लिए भी इसी दिन तेल लगाना उत्तम माना गया है।
- मंगलवार को तेल लगाने से बीमारी के घर में आने की आशंका रहती है।
- बुधवार को तेल लगाने से सुख, सौभाग्य और सुंदरता में वृद्धि होती है।
- गुरुवार को हरगिज़ तेल न लगाएं, इस दिन तेल लगाने से घर में गरीबी आती है।
- शुक्रवार को भी तेल लगाने से बचें, किसी बड़े काम में नुकसान हो सकता है।
- शनिवार को तेल लगाना बड़ा शुभ माना गया है। इस दिन तेल लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

निष्ट ग्रहों से बचाव के उपाय ***************
सूर्य : सूर्य अनिष्ट हो तो हृदय रोग उदर संबंधी नेत्र संबंधी ऋण मानहानी अपयश होता है। ऐसे में जातक सूर्य उपासना, रविवार का व्रत, हरिवंश पुराण का पाठ करें।
चंद्र : चंद्र अगर कमजोर हो तो शारीरिक आर्थिक मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। मिर्गी माता को कष्ट होता है। ऐसे में कुलदेवी की उपासना चावल पानी का दान करें।
मंगल : भाई का विरोध, अचल सम्पत्ति, पुलिस कार्रवाई अदालती अड़चने हिंसा, चोरी आदि मंगल के कमजोर होने पर होते हैं। ऐसे में सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, हनुमान जी की आराधना फलदायक होती है।
बुध : पथरी, बवासीर, ज्वर, गुर्दा, स्नायुरोग, दंत, विकार बुध की दुर्बलता से होता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें व पंता रत्न धारण करें।
गुरू : विवाह में बाधा, अपनों से वियोग घर में तनाव, घर से विरक्ती होती है। ऐसे में श्रीमद भागवत का पाठ, हरी पूजन व गुरुवार का व्रत करें।
शुक्र : वायु प्रकोप, संतान उत्पन्न करने में अक्षमता, दुर्बल शरीर, अतिसार, अजीर्ण आदि शुक्र के कारण होता है। ऐसे में मां लक्ष्मी की उपासना, खीर का दान करें।
शनि : दाम्पत्य जीवन का कलह पूर्ण होना गुप्त रोग, दुर्घटना, अयोग्य संतान आदि शनि के कारण होता है। भैरव जी की आराधना शनि उपासना, मांस मदिरा से परहेज करें।
राहु : आकस्मिक घटना भूत–प्रेत बाधा ज्वर विदेश यात्रा टीबी, बवासीर आदि रोग होते हैं। राहु का प्रभाव राजनीति क्षेत्र में माना जाता है। ऐसे में कन्या दान, भैरव आराधना करें।
केतु : घुटने में दर्द मधुमेह ऐश्वर्य नाश ऋण का बढ़ना पुत्रों पर संकट आदि होता है। कुत्ते को रोटी, कम्बल का दान आदि किया जाता है।

शनि राहु केतु के बिना गाडी सडक पर चल ही नही सकती
शनि राहु केतु के साथ के बिना कोई शुक्र सडक पर नही चल सकता है,शुक्र गाडी है,खाली
शुक्र शनि है तो भार वाहक गाडी है,शुक्र के साथ राहु है तो सजी हुई गाडी है,गुरु का प्रभाव
है तो हवाई जहाज भी है,केतु अगर कर्क के संचरण में है तो चार पहिये की गाडी है,वृश्चिक
के संचरण में है तो आठ पहिये की गाडी है,और अगर किसी प्रकार से तुला या वृष का है
तो दो पहिये के अलावा कुछ सामने नही आता है,गुरु केतु और शुक्र सही जगह पर है तो
जातक हवाई जहाज उडाने की हैसियत रखता है,और अगर वह नकारात्मक पोजीसन में है तो जातक को पतंग उडाना सही रूप से आता होगा,तो देखा आपने केतु की कितनी बडी औकात है,
बिना केतु की सहायता के रिलायंस के फ़ोन नही चल सकते थे,बिना सूर्य राहु और नवें भाव के केतु के बीएसएनएल भारत में टेलीफ़ोन नही चला सकता था,और बिना गुरु केतु के एयरटेल टावर खडे करने के बाद मोबाइल का काम नही कर सकता था,शुक्र केतु नोकिया को चलाकर महंगे मोबाइल दे रहा है,तो शुक्र केतु ही सूर्य के असर से स्पाइस के मोबाइल बाजार में लाने की हिमाकत कर रहा है,शुक्र मंगल और बुध केतु को सहारा बनाकर दुनिया की बडी बडी बैंको के अन्दर दिवालियापन ला रहे है,लेकिन यही कारण उन कम्पनियों को बहुत आशा देगा,जो राहु नामकी रिस्वत को न देकर अपने काम को ईमानदारी से कर रहे है,और उनके लिये बहुत बढिया समय सामने आ रहा है।शनि गाडी है,राहु पैट्रोल है और केतु पहिये है,इसी प्रयोग को अगर शरीर के अन्दर लाया जाय तो शनि शरीर राहु विद्या और केतु हाथ पैर,बताइये इनके बिना गाडी कैसे चल सकती है?

उपाय

उपाय
मित्रों आज बात करते है उपयों की
अकसर ये सुनने में आता है की मै इतने समय से उस ग्रह
का उपाय कर रहा हुँ लेकिन कोई फ़ायदा नही
मिला तो दोस्तों सबसे पहले उस ग्रह से रिलेटेड
रिस्तों को अच्छा किजेये जैसे यदि आप शुक्र का
उपाय कर रहे है तो अपनी पत्नि को खुश रखिये पराइ
औरत या पुरुष से दुर रहे . सूर्य का कर रहे है तो अपने
पिता से संबंध अच्छे रखे और उंकी सलाह लेकर काम
करे.
बुद्ध के कर रहे है तो अपनी बहन बुआ को खुश रखे.
राहू के कर रहे है तो अपने ससुर और ससुराल से संबंध
अच्छे रखे.
केतू के कर रहे है तो अपने पुत्र के साथ संबंध अच्छे रखे.
गुरू के कर रहे है तो अपने दादा और बुजुर्गोन को खुश
रखे. चन्द्र के लिय अपनी माता जी का कभी दिल न
दुखाय. मंगल के लिय छोटे भाइ की सेवा करे.
तो मित्रों जब तक आप इन सभी को खुश नही रखोगे
कितने भी उपाय कर लो लाभ नही मिलने वाला
जय श्री राम


तीन ग्रहों की युति के फल
;--------------
1. सूर्य+चन्द्र+बुध = माता-पिता के लिये अशुभ। मनोवैज्ञानिक।
सरकारी अधिकारी। ब्लैक मेलर । अशांत।
मानसिक तनाव। परिवर्तनशील।
2 सूर्य+चन्द्र +केतू = रोज़गार के लिये परेशान। न दिन को चैन न
रात को चैन। बुद्धि काम ना दे, चाहे लखपति भी हो
जाये। शक्तिहीन।
3. सूर्य+शुक्र+शनि = पति/पत्नी में विछोह। तलाक
हो। घर में अशांति। सरकारी नौकरी में गड-
बड़।
4. सूर्य+बुध+राहू = सरकारी नौकरी।
अधिकारी। नौकरी में गड-बड़। दो विवाह का
योग। संतान के लिये हल्का। जीवन में अन्धकार।
तीन ग्रहों की युति के फल :-
5 चन्द्र+शुक्र+बुध = सरकारी अधिकारी।
कर्मचारी। घरेलू अशांति। बहू -सास का झगड़ा। व्यापार
के लिये बुरा। लड़कियाँ अधिक। संतान में विघ्न।
6. चन्द्र +मंगल+बुध = मन, साहस , बुद्धि का सामंजस्य।
स्वास्थ अच्छा। नीतिवान साहसी ,सोच-
विचार से काम करे। पाप दृष्टी में होतो, डरपोक /.
दुर्घटना /ख्याली पुलाव पकाए।




>>>मुख्य द्वार के सामने सीढ़*ियां नहीं होनी चाहिए।
* रात को कपड़े बाहर न सुखाएं।
पति-पत्नी हमेशा एक ही तकिए पर सोएं।
* खाली दीवार की तरफ मुंह करके ना बैठें।

लंबे गलियारे में दर्पण जरूर लगाएं।
* सूखे फूल घर में कभी ना रखें।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्फटिक का झूमर टांगें।
* बंद घड़*ियां घर में अशुभ होती है।

वास्तु और रोग वास्तु दोष और रोग( कारण एवं उपाय/निवारण)

वास्तु और रोग
वास्तु दोष और रोग( कारण एवं उपाय/निवारण)
वास्तुशास्त्र

इस विलक्षण भारतीय वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करने से घर में स्वास्थय, खुशहाली एवं समृद्धि को पूर्णत: सुनिश्चित किया जा सकता है. एक इन्जीनियर आपके लिए सुन्दर तथा मजबूत भवन का निर्माण तो कर सकता है, परन्तु उसमें निवास करने वालों के सुख और समृद्धि की गारंटी नहीं दे सकता. लेकिन भारतीय वास्तुशास्त्र आपको इसकी पूरी गारंटी देता है.
यहाँ हम अपने पाठकों को जानकारी दे रहे हैं कि वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन न करने से पारिवारिक सदस्यों को किस तरह से नाना प्रकार के रोगों का सामना करना पड सकता है.
पूर्व दिशा में दोष:-
* यदि भवन में पूर्व दिशा का स्थान ऊँचा हो, तो व्यक्ति का सारा जीवन आर्थिक अभावों, परेशानियों में ही व्यतीत होता रहेगा और उसकी सन्तान अस्वस्थ, कमजोर स्मरणशक्ति वाली, पढाई-लिखाई में जी चुराने तथा पेट और यकृत के रोगों से पीडित रहेगी.
पोस्ट अनिल कुमार वर्मा
* यदि पूर्व दिशा में रिक्त स्थान न हो और बरामदे की ढलान पश्चिम दिशा की ओर हो, तो परिवार के मुखिया को आँखों की बीमारी, स्नायु अथवा ह्रदय रोग की स्मस्या का सामना करना पडता है.
* घर के पूर्वी भाग में कूडा-कर्कट, गन्दगी एवं पत्थर, मिट्टी इत्यादि के ढेर हों, तो गृहस्वामिनी में गर्भहानि का सामना करना पडता है. पोस्ट अनिल कुमार वर्मा
* भवन के पश्चिम में नीचा या रिक्त स्थान हो, तो गृहस्वामी यकृत, गले, गाल ब्लैडर इत्यादि किसी बीमारी से परिवार को मंझधार में ही छोडकर अल्पावस्था में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है.
* यदि पूर्व की दिवार पश्चिम दिशा की दिवार से अधिक ऊँची हो, तो संतान हानि का सामना करना पडता है.
* अगर पूर्व दिशा में शौचालय का निर्माण किया जाए, तो घर की बहू-बेटियाँ अवश्य अस्वस्थ रहेंगीं.
बचाव के उपाय:-
* पूर्व दिशा में पानी, पानी की टंकी, नल, हैंडापम्प इत्यादि लगवाना शुभ रहेगा.
* पूर्व दिशा का प्रतिनिधि ग्रह सूर्य है, जो कि कालपुरूष के मुख का प्रतीक है. इसके लिए पूर्वी दिवार पर ‘सूर्य यन्त्र’ स्थापित करें और छत पर इस दिशा में लाल रंग का ध्वज(झंडा) लगायें.
* पूर्वी भाग को नीचा और साफ-सुथरा खाली रखने से घर के लोग स्वस्थ रहेंगें. धन और वंश की वृद्धि होगी तथा समाज में मान-प्रतिष्ठा बढेगी.
पश्चिम दिशा में दोष:-
पश्चिम दिशा का प्रतिनिधि ग्रह शनि है. यह स्थान कालपुरूष का पेट, गुप्ताँग एवं प्रजनन अंग है.
* यदि पश्चिम भाग के चबूतरे नीचे हों, तो परिवार में फेफडे, मुख, छाती और चमडी इत्यादि के रोगों का सामना करना पडता है.
* यदि भवन का पश्चिमी भाग नीचा होगा, तो पुरूष संतान की रोग बीमारी पर व्यर्थ धन का व्यय होता रहेगा.
* यदि घर के पश्चिम भाग का जल या वर्षा का जल पश्चिम से बहकर, बाहर जाए तो परिवार के पुरूष सदस्यों को लम्बी बीमारियों का शिकार होना पडेगा.
* यदि भवन का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर हो, तो अकारण व्यर्थ में धन का अपव्यय होता रहेगा.
* यदि पश्चिम दिशा की दिवार में दरारें आ जायें, तो गृहस्वामी के गुप्ताँग में अवश्य कोई बीमारी होगी.
* यदि पश्चिम दिशा में रसोईघर अथवा अन्य किसी प्रकार से अग्नि का स्थान हो, तो पारिवारिक सदस्यों को गर्मी, पित्त और फोडे-फिन्सी, मस्से इत्यादि की शिकायत रहेगी.
बचाव के उपाय:-
* ऎसी स्थिति में पश्चिमी दिवार पर ‘वरूण यन्त्र’ स्थापित करें.
* परिवार का मुखिया न्यूनतम 11 शनिवार लगातार उपवास रखें और गरीबों में काले चने वितरित करे.
* पश्चिम की दिवार को थोडा ऊँचा रखें और इस दिशा में ढाल न रखें.
* पश्चिम दिशा में अशोक का एक वृक्ष लगायें.
उत्तर दिशा में दोष-
उत्तर दिशा का प्रतिनिधि ग्रह बुध है और भारतीय वास्तुशास्त्र में इस दिशा को कालपुरूष का ह्रदय स्थल माना जाता है. जन्मकुंडली का चतुर्थ सुख भाव इसका कारक स्थान है.
* यदि उत्तर दिशा ऊँची हो और उसमें चबूतरे बने हों, तो घर में गुर्दे का रोग, कान का रोग, रक्त संबंधी बीमारियाँ, थकावट, आलस, घुटने इत्यादि की बीमारियाँ बनी रहेंगीं.
* यदि उत्तर दिशा अधिक उन्नत हो, तो परिवार की स्त्रियों को रूग्णता का शिकार होना पडता है.
बचाव के उपाय :-
यदि उत्तर दिशा की ओर बरामदे की ढाल रखी जाये, तो पारिवारिक सदस्यों विशेषतय: स्त्रियों का स्वास्थय उत्तम रहेगा. रोग-बीमारी पर अनावश्यक व्यय से बचे रहेंगें और उस परिवार में किसी को भी अकाल मृत्यु का सामना नहीं करना पडेगा.
* इस दिशा में दोष होने पर घर के पूजास्थल में ‘बुध यन्त्र’ स्थापित करें.
* परिवार का मुखिया 21 बुधवार लगातार उपवास रखे.
* भवन के प्रवेशद्वार पर संगीतमय घंटियाँ लगायें.
* उत्तर दिशा की दिवार पर हल्का हरा(Parrot Green) रंग करवायें.
दक्षिण दिशा में दोष:-
दक्षिण दिशा का प्रतिनिधि ग्रह मंगल है, जो कि कालपुरूष के बायें सीने, फेफडे और गुर्दे का प्रतिनिधित्व करता है. जन्मकुंडली का दशम भाव इस दिशा का कारक स्थान होता है.
* यदि घर की दक्षिण दिशा में कुआँ, दरार, कचरा, कूडादान, कोई पुराना सामान इत्यादि हो, तो गृहस्वामी को ह्रदय रोग, जोडों का दर्द, खून की कमी, पीलिया, आँखों की बीमारी, कोलेस्ट्राल बढ जाना अथवा हाजमे की खराबीजन्य विभिन्न प्रकार के रोगों का सामना करना पडता है.
* दक्षिण दिशा में उत्तरी दिशा से कम ऊँचा चबूतरा बनाया गया हो, तो परिवार की स्त्रियों को घबराहट, बेचैनी, ब्लडप्रैशर, मूर्च्छाजन्य रोगों से पीडा का कष्ट भोगना पडता है.
* यदि दक्षिणी भाग नीचा हो, ओर उत्तर से अधिक रिक्त स्थान हो, तो परिवार के वृद्धजन सदैव अस्वस्थ रहेंगें. उन्हे उच्चरक्तचाप, पाचनक्रिया की गडबडी, खून की कमी, अचानक मृत्यु अथवा दुर्घटना का शिकार होना पडेगा. दक्षिण पिशाच का निवास है, इसलिए इस तरफ थोडी जगह खाली छोडकर ही भवन का निर्माण करवाना चाहिए.
* यदि किसी का घर दक्षिणमुखी हो ओर प्रवेश द्वार नैऋत्याभिमुख बनवा लिया जाए, तो ऎसा भवन दीर्घ व्याधियाँ एवं किसी पारिवारिक सदस्य को अकाल मृत्यु देने वाला होता है.
बचाव के उपाय:-
* यदि दक्षिणी भाग ऊँचा हो, तो घर-परिवार के सभी सदस्य पूर्णत: स्वस्थ एवं संपन्नता प्राप्त करेंगें. इस दिशा में किसी प्रकार का वास्तुजन्य दोष होने की स्थिति में छत पर लाल रक्तिम रंग का एक ध्वज अवश्य लगायें.
* घर के पूजनस्थल में ‘श्री हनुमंतयन्त्र’ स्थापित करें.
* दक्षिणमुखी द्वार पर एक ताम्र धातु का ‘मंगलयन्त्र’ लगायें.
* प्रवेशद्वार के अन्दर-बाहर दोनों तरफ दक्षिणावर्ती सूँड वाले गणपति जी की लघु प्रतिमा लगायें.


रावण सहिंता के ये उपाय चमका देंगे आपकी किस्मत को .........
यहां जानिए रावण संहिता के अनुसार कुछ ऐसे तांत्रिक उपाय जिनसे किसी भी व्यक्ति की किस्मत चमक सकती है...
1. धन प्राप्ति का उपाय: किसी भी शुभ मुहूर्त में या किसी शुभ दिन में सुबह जल्दी उठें। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी पवित्र नदी या जलाशय के किनारे जाएं। किसी शांत एवं एकांत स्थान पर वट वृक्ष के नीचे चमड़े का आसन बिछाएं। आसन पर बैठकर धन प्राप्ति मंत्र का जप करें।
धन प्राप्ति का मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा।
इस मंत्र का जप आपको 21 दिनों तक करना चाहिए। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। 21 दिनों में अधिक से अधिक संख्या में मंत्र जप करें।
जैसे ही यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा आपको अचानक धन प्राप्ति अवश्य कराएगा।
2.यदि किसी व्यक्ति को धन प्राप्त करने में बार-बार रुकावटें आ रही हों तो उसे यह उपाय करना चाहिए।
यह उपाय 40 दिनों तक किया जाना चाहिए। इसे अपने घर पर ही किया जा सकता है। उपाय के अनुसार धन प्राप्ति मंत्र का जप करना है। प्रतिदिन 108 बार।
मंत्र: ऊँ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा।
इस मंत्र का जप नियमित रूप से करने पर कुछ ही दिनों महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो जाएगी और आपके धन में आ रही रुकावटें दूर होने लगेंगी।
3. यदि आप दसों दिशाओं से यानी चारों तरफ से पैसा प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें। यह उपाय दीपावली के दिन किया जाना चाहिए।
दीपावली की रात में विधि-विधान से महालक्ष्मी का पूजन करें। पूजन के सो जाएं और सुबह जल्दी उठें। नींद से जागने के बाद पलंग से उतरे नहीं बल्कि यहां दिए गए मंत्र का जप 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ नमो भगवती पद्म पदमावी ऊँ ह्रीं ऊँ ऊँ पूर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा।
शय्या पर मंत्र जप करने के बाद दसों दिशाओं में दस-दस बार फूंक मारें। इस उपाय से साधक को चारों तरफ से पैसा प्राप्त होता है
4.सफेद आंकड़े को छाया में सुखा लें। इसके बाद कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध में मिलाकर इसे पीस लें और इसका तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का समाज में वर्चस्व हो जाता है।
5.यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी स्थान पर धन गढ़ा हुआ है और आप वह धन प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें।
गड़ा धन प्राप्त करने के लिए यहां दिए गए मंत्र का जप दस हजार बार करना होगा।
मंत्र: ऊँ नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।
गड़े हुए धन के दर्शन करने के लिए विधि इस प्रकार है। किसी शुभ दिवस में यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या करें। मंत्र सिद्धि हो जाने के बाद जिस स्थान पर धन गड़ा हुआ है वहां धतुरे के बीज, हलाहल, सफेद घुघुंची, गंधक, मैनसिल, उल्लू की विष्ठा, शिरीष वृक्ष का पंचांग बराबर मात्रा में लें और सरसों के तेल में पका लें। इसके बाद इस सामग्री से गड़े धन की शंका वाले स्थान पर धूप-दीप ध्यान करें। यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या में करें।
ऐसा करने पर उस स्थान से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का साया हट जाएगा। भूत-प्रेत का भय समाप्त हो जाएगा। साधक को भूमि में गड़ा हुआ धन दिखाई देने लगेगा।
ध्यान रखें तांत्रिक उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी का परामर्श अवश्य लें।
6.शास्त्रों के अनुसार दूर्वा घास चमत्कारी होती है। इसका प्रयोग कई प्रकार के उपायों में भी किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति सफेद दूर्वा को कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध के साथ पीस लें और इसका तिलक लगाएं तो वह किसी भी काम में असफल नहीं होता है।
7.महालक्ष्मी की कृपा तुरंत प्राप्त करने के लिए यह तांत्रिक उपाय करें।
किसी शुभ मुहूर्त जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया, होली आदि की रात यह उपाय किया जाना चाहिए। दीपावली की रात में यह उपाय श्रेष्ठ फल देता है। इस उपाय के अनुसार आपको दीपावली की रात कुमकुम या अष्टगंध से थाली पर यहां दिया गया मंत्र लिखें।
मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम:।
इस मंत्र का जप भी करना चाहिए। किसी साफ एवं स्वच्छ आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला या कमल गट्टे की माला के साथ मंत्र जप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। अधिक से अधिक इस मंत्र की आपकी श्रद्धानुसार बढ़ा सकते हैं।
इस उपाय से आपके घर में महालक्ष्मी की कृपा बरसने लगेगी।
8.अपामार्ग के बीज को बकरी के दूध में मिलाकर पीस लें, लेप बना लें। इस लेप को लगाने से व्यक्ति का समाज में आकर्षण काफी बढ़ जाता है। सभी लोग इनके कहे को मानते हैं।
9.यदि आप देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की कृपा से अकूत धन संपत्ति चाहते हैं तो यह उपाय करें।
उपाय के अनुसार आपको यहां दिए जा रहे मंत्र का जप तीन माह तक करना है। प्रतिदिन मंत्र का जप केवल 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
मंत्र जप करते समय अपने पास धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। जब तीन माह हो जाएं तो यह कौड़ी अपनी तिजोरी में या जहां आप पैसा रखते हैं वहां रखें। इस उपाय से जीवनभर आपको पैसों की कमी नहीं होगी।
10.यदि आप घर या समाज या ऑफिस में लोगों को आकर्षित करना चाहते हैं तो बिल्वपत्र तथा बिजौरा नींबू लेकर उसे बकरी के दूध में मिलाकर पीस लें। इसके बाद इससे तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है।
ध्यान रखें तांत्रिक उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी का परामर्श अवश्य लें।

यह प्रयोग दिखने मे साधारण है परंतु पूर्ण प्रभावशाली है

यह प्रयोग दिखने मे साधारण है परंतु पूर्ण प्रभावशाली है,सिर्फ इनमे आपका विश्वास अटूट होना चाहिये क्यूके यह सभी प्रयोग माँ जगदंबा राणी के है जो इस संसार की जगत-जननी है...........
==============================================================
१> प्रथम दिवस पे लाल वस्त्र मे अपनी ३ मनोकामना बोलकर ३ लौंग बांधकर माँ के चरनो मे समर्पित करे और “ॐ ह्रीं कामना सिद्ध्यर्थे स्वाहा” का १०-१५ मिनिट तक जाप करे,दूसरे दिन सुबह पवित्र होकर लाल वस्त्र मे देखे कितनी लौंग बची हुयी है,अगर सारी लौंग गायब हो जाए तो समज लीजिये ३ कामनाये पूर्ण होगी,क्रिया का समय है रात्रि मे ११:३६ से ०१:४२ तक..........
२> द्वितीय दिवस पर एक स्टील के प्लेट मे कुमकुम से स्वस्तिक बनाये और उस प्लेट मे अनार का शुद्ध रस भर दीजिये और वह प्लेट माँ के चरनोमे रखिये साथ मे आरोग्य प्राप्ति की कामना करे,आप चाहे तो किसी दूसरे व्यक्ति विशेष के लिए भी कर सकते है,इस प्रयोग मे अनार के रस को देखते हुये “ॐ ह्रीं आरोग्यवर्धीनी ह्रीं ॐ नम:” का ३० मिनिट तक जाप करना है,दूसरे दिन स्नान करे और फिर अनार के रस से स्नान करे और जल से फिर एक बार शुद्धोदक स्नान करे,किसी और के लिए कर रहे हो तो उनका स्नान करे,संभव ना हो तो अनार के रस को पीपल के वृक्ष मे चढ़ा दीजिये......प्रयोग का समय शाम को ६:३० से ८ बजे तक......
३> तृतीय दिवस पर ७ काली मिर्च के दाने लीजिये उसे सर से लेकर पैरो तक ७ बार उतारिये और काले वस्त्र मे बांधकर माँ के चरनो मे समर्पित करे और मंत्र का ३६ मिनिट तक जाप कीजिये “ॐ क्रीं सर्व दोष निवारण कुरु कुरु क्रीं फट”,इस प्रयोग से तंत्र बाधा समाप्त होती है,प्रयोग के बाद दूसरे दिन सुबह काले वस्त्र के पोटली को जल मे प्रवाहित कर दीजिये,साधना का समय रात्रि मे १० बजे से १२:२४ तक रहेगा...........
४> चतुर्थ दिवस पर लाल वस्त्र मे कुमकुम से स्वस्तिक निकाले और स्वस्तिक पर ९ कमलगट्टे स्थापित करे,उनका पूजन करे,साथ मे २७ मिनिट तक “ॐ श्रीं प्रसीद प्रसीद श्रीयै नमः” मंत्र का जाप करे,समय होगा रात्री मे ७.५५ से १०.५८ तक॰साधना से पूर्व एवं दूसरे दिन माँ को प्रार्थना करे की मेरा जीवन आपकी कृपा से धन-धान्य-सुख-सौभाग्य युक्त हो,और वस्त्र सहित कमलगट्टे जल मे प्रवाहित कर दे........
५> पंचम दिवस पर पाँच हरी इलायची माँ के चरनो मे समर्पित करे और व्यवसाय वृद्धि की कामना करे,साथ मे श्री सूक्त का ५ बार पाठ करे,और दूसरे दिन इलायची को किसी डिबिया मे संभाल कर रखे तो शीघ्र ही व्यवसाय मे वृद्धि एवं लाभ की प्राप्ति होती हे। साधना समय शाम ६.३० से रात्री ११ बजे तक.........
६> षष्टम दिवस पर पाँच केले माँ के चरनो मे समर्पित करे और माँ से गुरुकृपा प्राप्ति की कामना करे और “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शक्ति सिद्धये नमः” का ४५ मिनिट तक जाप करे॰ साधना का समय दोपहर ४.३० से रात्री मे ९ बजे तक रहेगा। दूसरे दिन केले छोटे बालको मे बाँट दे.....
७> सप्तम दिवस पर १०८ हरी चूड़िया माँ के चरनो मे समर्पित करे,और माँ से बल,बुद्धि,विद्या एवं सुख प्राप्ति की कामना करे साथ मे “ॐ नमो भगवती जगदंबा सर्वकामना सिद्धि ॐ” का ३२४ बार उच्चारण करे तथा दूसरे दिन १२-१२ चूड़िया ९ कन्याओ मे बाँट दे....साधना का समय रात्री ९ बजे से १.३० बजे तक.......
८> अष्टम-नवम दिन पर दो समय साधना करनी हैं, को सुबह ६ से ७.४७ के शुभ समय पर १०९ लौंग की माला बनाये जिस मे १ लौंग मेरु होगा और इसी माला से “ॐ ७ ४ १ ५ २ ३ ६ ॐ दूं दुर्गायै नमः” इस विशेष अंक मंत्र का १ माला जाप करे, मंत्र का उच्चारण होगा “ॐ सात चार एक पाँच दो तीन छ: ॐ दूं दुर्गायै नमः”,मंत्र जाप के बाद माला को किसी दुर्गा जी के मंदिर जाकर शेर के गले मे पहना दे और अपनी विशेष कामना शेर के कान मे बोल दे या फिर आप माला को जहा कही दुर्गा जी के विग्रह की स्थापना हूई हो वहा भी यह कार्य कर सकते है,माला पहेनाने का समय होगा दोपहर मे ११:३० से १२:३० तक.......
९> नवमी तिथि को ९ कुँवारी कन्या का पूजन करे और उन्हे उपहार स्वरूप काजल की डिब्बिया अवश्य दे,और ज्यादा से ज्यादा त्रि-शक्ति मंत्र का जाप करे “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ॐ नमः”,कुँवारी कन्या पूजन का समय होगा सुबह ७:४८ से रात्री ६:५७ तक....................
१०> यह दिवस विजय प्राप्ति का सर्व श्रेष्ठ दिवस है ज्यादा से ज्यादा गुरुमंत्र का जाप करे एवं “ॐ रां रामाय नमः” का जाप करे अवश्य ही आपको जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे पूर्ण विजय प्राप्ति होगी.

कैसे करें नवरात्री में गृह शांति ?

बात हो रही थी सतांन सुख की सतांन होना ,सतांन का गर्भ मे मर जाना , या होके कुछ दिन बाद मर जाना ,तथा मानसिक और शाररिक रूप विकलांग वो भी बडी औलाद का ऐ सब अलग अलग है इन सारी बातो का अलग अलग गुण है । शनि पहले सूर्य पाचवे और केतू देव सातवे भाव मे हो और राहू दःव बीच की भूमिका निभा रहे हो तो सतांन एक के बाद एक मर जाती है खासतर पुत्र सतांन नि होती ।अब शनि महाराज पाचवें मे राहू मगंल शुक्र 2.7.12 मे हो जाए साथ मे सुर्य केतू छठे मे आ जाए तो सतांन होती तो है लेकिन विकलांग होती है वो औलाद पहली होती है या तीसरे नबंर की ।इसे शनि और केतू का पित्र दोष भी कहते है जो तीसरी पीढी से अपने फल देना शुरू करता है । काफी लोग कहते है कि पित्र बुरा नि करते ऐ सही है लेकिन पूर्वजो के कर्म बुरा करते है ।
याद हो तो राजा भगीरथ के पुर्वजो के कर्मो का भोग पूरी पीढीयो और प्रजा ने भुगते थे कपिल मुनि के श्राप से कई सालो मे गंगा के कारन वो श्राप खतम हुआ था ।

कैसे करें नवरात्री में गृह शांति ?
नवग्रह से शांति:-
आदिशक्ति के नौ रूप नवदुर्गा इन नौ ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव को नियंत्रित करती है।
शैलपुत्री – सूर्य
चंद्रघंटा – केतु
कुष्माण्डा – चंद्रमा
स्कन्दमाता – मंगल
कात्यायनी – बुध
महागौरी – गुरु
सिद्धिदात्री – शुक्र
कालरात्रि – शनि
ब्रह्मचारिणी – राहु
नवरात्री में नो दिनों तक देवी दुर्गा के नो रूपों की आराधना कर न सिर्फ शक्ति संचय किया जाता है वरन नव ग्रहों से जनित दोषों का समन भी किया जाता है|
नवग्रह शांति पूजा विधि :-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रतेक प्राणी किसी न किसी ग्रह बाधाओ से पीड़ित रहता है यदि ये सोम्य गृह है तो तकलीफ का स्तर कुछ कम होता है और कूर ग्रहों द्वारा पीड़ित रहने पर अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है
ग्रहों की शांति हेतु यन्त्र ,तंत्र या मंत्र तीनो में से किसी एक को आधार बनाकर माँ दुर्गा के शक्ति पर्व नवरात्री में आराधना की जाय तो ग्रह जनित बाधाओ से मुक्ति प्राप्त होती है|
आराधना की विधि:-
सर्वप्रथम नवरात्री के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में माँ दुर्गा के सामने एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछकर और उस पर चावल के नौ खंड बनाकर उस पर कलश की स्थापना करे ये नौ खंड नौ ग्रह के प्रतिक होते है
जहा पर माँ दुर्गा की कलश सहित स्थापना की गई है उसी के पास इस यन्त्र की नव ग्रहों के मंत्रो से पूजा करे और माँ दुर्गा से ग्रह जनित बधू से राहत प्रदान करने की प्रार्थना करे
नवरात्री के प्रथम दिन मंगल ग्रह की इसी क्रम में राहु, गुरु ,शनि, बुध, केतु, शुक्र, सूर्य एवेम नवमी को चंद्र ग्रह की पूजा करे ग्रह से सम्बंदित मंत्र की एक माला पंचमुखी रुद्राक्ष से और ग्रह संबंदी अष्टोत्तर शत्नामावली का पाठ करे
और दसवे दिन हवन करे और सभी ग्रहों के मंत्रो से ११ ११ आहूतिया दे इस नवग्रह यन्त्र को संभाल कर पूजा घर में रखे इससे ग्रह जनित समस्त बाधाओ का निदान होगा|
पूजा विधि :-
शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करे घट स्थापना के लिए मिटटी अथवा धातु का कलश ले इसे गंगा जल एवेम सुद्ध जल से भर ले एवेम कुमकुम अक्षत रोली मोली फूल डालकर पूजा करे कलश के मुख पर लाल वस्त्र या चुनरी लपेट कर उस पर श्री फल (नारियल) रखे अशोक के पते नारियल के नीचे दबा दे और इसे पूजा घर में स्थापित कर दे
जव बोना:-जो यक्ति नवरात्री व्रत व् नव दुर्गा सप्तसती का पाठ करते है वे मिटटी के पात्र में जव बो ले अंकुरित जव को बहूत ही शुभ मना जाता है|
मूर्ति स्थापना:-
माँ भगवती के चित्र या प्रतिमा को स्थापित करने के लिए चोकी ले उस पैर लाल वस्त्र बिछाकर प्रतिमा को स्थापित करे इस के पास दुर्गा यन्त्र को स्थापित करना अतिशुभ व् लाभदायक माना जाता है
अतः इसे भी माता की मूर्ति के पास स्थापित करे प्रतिमा को सुद्ध जल स्नान करवाकर चन्दन, रोली अक्षत, पुष्प दूप दीप एवं नैवेद्य से परंपरा अनुसार पूजा प्रारंभ करे|
आसन:-
साधक को सफ़ेद या लाल रंग का गर्म आसन लेना शास्त्र सम्मत बताया गया है पूजा मंत्र जप हवन आदि आसन पर बैठकर करे|
अखंड ज्योति :-
नव साधना से सम्पूर्ण काल में नौ दिनों तक शुद्ध गाय के घी का दीपक अखंड प्रजव्लित रखे|
पाठ :-
माँ दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए अरगला कवच , किलक , दुर्गा सप्तसती का पाठ किया जाता है सिंह कुंगिका स्त्रोत करने पैर ही दुर्गा सप्तसती का फल मिलता है|
नैवेद्य प्रसाद :-
प्रतिदिन माँ दुर्गा को सामर्थ्यानुसार नैवेद्य चढ़ाये, विसेस्त हलवे का भोग लगाये|नवरात्री में हर दिन अलग अलग प्रसाद का विधान है जो इस प्रकार से है|
प्रतिपदा:- गाय का घी अर्पण करने से रोग मुक्ति होती है|
द्वितीय :- चीनी अर्पण करने से दीर्धायु होती है |
तृतीय :- दूध अर्पण से दुखो का अंत होता है |
चतुर्थी :- मालपुआ अर्पण करने से विघ्न दूर होते है |
पंचमी :- केले अर्पण करने से बुद्धि का विकास होता है |
षष्ठी :- मधु अर्पण करने से सुन्दरता बढती है |
सप्तमी : – गुड अर्पण करने से शोक मुक्ति होती है |
अष्टमी : – नारियल का भोग लगाने से संताप दूर होते है |
नवमी : – धान का लावा का भोग लगाने से लोक परलोक में सुखी होता है |
कुमारी पूजन :- अष्टमी नवमी के दिन दो से दस वर्ष की कन्याओ को अपने घर बुलाकर उनकी पूजा करे एवं उन्हें भोजन करवाए |
विसर्जन : – विजयादशमी के दिन समस्त पूजा , हवन सामग्री को पवित्र जलाशय या जल में विसर्जन करे |