सोमवार, 30 नवंबर 2015

आर्थिक तंगी से मुक्ति एवं धन लाभ के कुछ सरल उपायl



आर्थिक तंगी से मुक्ति एवं धन लाभ के कुछ सरल उपायl
1-आर्थिक तंगी से परेशान हों तो मन्दिर में केले के दो पौधे (नर-मादा) का रोपण करें।
2- कारोबार में दिन दुगुनी रात चौगुणी तरक्की करने के लिए शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के वृक्ष पर लगाए ।
3- सरसो के तेल से दीपक जलाएं, उसमें लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। समस्त विध्नों का नाश होगा और धन प्राप्ती के साधन बनने लगेंगे।
4- हनुमान जी के आगे चमेली के तेल से दीपक जलाए । कर्ज से मुक्ति मिलेगी ।
5- गुरूवार को दो लड्डू विष्णु जी की मूर्ति के आगे रखे जल्द ही रुके हुए काम बने लगेंगे ।
6- शनिवार को शाम को पीपल के नीचे दिया जलाए । व्यपार में तरक्की होने लगेगी
7- मुट्ठी भर काले तिल लेकर परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर से सात बार फेर कर घर की उत्तर दिशा में फेंक दें। धनहानि समाप्त हो जाएगी
8- अगर काम में रुकावट आ रही है तो मंगलवार के दिन अपने ऊपर से सात बार नारियल उतारकर किसी बहते पानी में डाल दे
9- लोहे के पात्र में जल, चीनी, घी तथा दूध का मिश्रण बना कर पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पित करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
10- लक्ष्मी के वास के लिए घर में तुलसी का पौधा लगाए ।

शनिवार, 28 नवंबर 2015

मैं किडनी ट्रांसप्लांट से कैसे बचा।

अनुभव : – मैं किडनी ट्रांसप्लांट से कैसे बचा।
How I Avoid Kidney Transplant.
जिन लोगो को डॉकटरो ने किडनी ट्रांसप्‍लांट की सलाह दी हो, या डायलसिस चल रहा हो तो उन्हे किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के पहले इस दवा का प्रयोग जरूर करके देखना चाहिए हो सकता है कि ट्रांसप्‍लांट की नौबत ना आए। बता रहे हैं श्री ओम प्रकाश जी जिनको यही समस्या 2009 में आई थी, और डॉक्टर ने उनको किडनी ट्रांसप्लांट करने के लिए बोल दिया था। तो उन्होंने ना ही सिर्फ अपनी किडनी को स्वस्थ किया बल्कि ऐसे अनेक लोगो को भी इसका दम्भ झेलने से बचाया।
आइये जानते हैं श्री ओम प्रकाश सिंह जी से….
किडनी ट्रांसप्लांट करवाना बहुत महंगा हैं, और कुछ लोग तो ये अफोर्ड नहीं कर सकते, और जो कर भी सकते हैं तो किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पहले जैसा जीवन नहीं बन पाता। मैं 17 अक्टोबर 2009 से किडनी की समस्या से झूझ रहा था अप्रैल 2012 मे मुंम्बई के नानावाती हॉस्पिटल के डॉक्टर शरद शेठ से ट्रांसप्लांट की बात भी तय हो चुकी थी लेकिन इसी दरमियान अखिल भारतीय शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के महासचिव डॉक्टर आर बी सिंह से मुलाकात हो गई और उन्होने कहा की यह काढ़ा 15 दिन पीने के बाद अपना फैसला लेना है के आपको क्या करना है, मैने उनकी बात मानकर काढ़े का उपयोग किया और एक हफ्ते के बाद चलने फिरने मे सक्षम हो गया तब से में अभी तक पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ कोई दवा भी नही लेता हूँ और ना ही कोई खाने पीने का परहेज ही करता हूँ, और ना ही किसी प्रकार की कमजोरी महसूस करता हु।
तो कौन सा हैं वो काढ़ा आइये जानते हैं।
काढ़ा बनाने की विधि:
पाव (250 ग्राम) गोखरू कांटा (ये आपको पंसारी से मिल जायेगा) लेकर 4 लीटर पानी मे उबालिए जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और कांटा फेंक दीजिए। इस काढे को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए। शाम को खाली पेट का मतलब है दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद। काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रोटिन पूर्ववत ही रखिए।
15 दिन के अंदर यदि आपके अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो जाए तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा बंद कर दीजिए।जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा काढे की मात्रा कम कर सकते है या दो बार की बजाए एक बार भी कर सकते है। मुझे उम्मीद है की ट्रांसप्लांट का विचार त्याग देंगे जैसा मैने किया है।
मेरा ये अनुभव नवभारत टाइम्स में भी छाप चूका हैं। जिसके बाद मुझे बहुत फोन आये और 3-400 लोगो को मैंने ये बताया भी। जिसमे से 90 % से ऊपर लोगो को आराम मिला।
और अगर आप भी ये प्रयोग करना चाहे तो निश्चिन्त हो कर करिये और अगर ऊपर लिखा हुआ समझ में ना आये या किसी प्रकार की शंका हो तो मुझसे मेरे फोन नंबर 8097236254 पर भी सहायता मांग सकता है।
आपको आराम मिले तो आप दूसरे भाइयो को भी इसी प्रकार बताइये।

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

मैने कई बार शनि देव के बारे मे बताया है

मैने कई बार शनि देव के बारे मे बताया है आज बताते है की कौन जातक नौकरी करता है और कौन करवाता है यानी नौकर चाकर होते है इनका सीधा सबंध शनि देव से है जब भी शनि देव नीचगत हो या खराब हो साथ मे परम मित्र शुक्र भी मंगल व सुर्य से पिडित हो तो जातक काम अपना खोलेगा तो कर्जा ही देगा राहू 12 मे होगा तो काम बदलता रहेगा पर कभी न सफल होता है न समझ पाता है ऐसे हाल मे गुलामी यानी नौकरी करनी पडती है पर वहाॅ भी धन सचंय नही हो पाता । सभी राशियो का अपना एक अधिकार रहता है शनि देव और केतू एक साथ अपना साथ निभाते है कर्म दोनो का सूचक है शनि का बलवान होना यानी केतू का बलवान होना पर यदि गुरू पिडित हो तो फलहीन रहेगा नौकरीनौकरी करवाना और नौकरी करना दो अलग अलग बातें है। जन्म कुन्डली में अगर शनि नीच का है तो नौकरी करवायेगा,और शनि अगर उच्च का है तो नौकरों से काम करवायेगा। तुला का शनि उच्च का होता है और मेष का शनि नीच का होता है। मेष राशि से जैसे जैसे शनि तुला राशि की तरफ़ बढता जाता है उच्चता की ओर अग्रसर होता जाता है,और तुला राशि से शनि जैसे जैसे आगे जाता है नीच की तरफ़ बढता जाता है,अपनी अपनी कुन्डली में देख कर पता किया जा सकता है कि शनि की स्थिति कहां पर है। और जिस स्थान पर शनि होता है उस स्थान के साथ शनि अपने से तीसरे स्थान पर,सातवें स्थान पर और दसवें स्थान पर अपना पूरा असर देता है। इसके साथ हीशनि पर राहु केतु मन्गल अगर असर दे रहे है तो शनि के अन्दर इन ग्रहों का भी असर शुरु हो जाता है,मतलब जैसे शनि नौकरी का मालिक है,और शनि वृष राशि का है,वृष राशि धन की राशि है और भौतिक सामान की राशि है,वृष राशि से अपनी खुद की पारिवारिक स्थिति का पता किया जाता है। वृष राशि में शनि नीच का होगा लेकिन उच्चता की तरफ़ बढता हुआ होगा,इसके प्रभाव से जातक धन और भौतिक सामान के संस्थान के प्रति काम करने के लिये उत्सुक रहेगा,इसके साथ ही शनि की तीसरी निगाह कर्क राशि पर होगी,कर्क राशि चन्द्रमा की राशि है,और कर्क राशि के लिये माता मन मकान पानी पानी वाली वस्तुयें चांदीचावल जनता और वाहन आदि के बारे में जाना जाताहै,तो जातक का ध्यान काम करने के प्रति भौतिक साधनों तथा धन के लिये इन क्षेत्रों में सबसे पहले ध्यान जायेगा। उसके बाद शनि की सातवीं निगाह वृश्चिक राशि पर होगी,यह भी जल की राशि है और मंगल इसका स्वामी है। यह मृत्यु के बाद प्राप्त धन की राशि है,जो सम्पत्ति मौत के बाद प्राप्त होती है उसके बारे में इसी राशि से जाना जाता है। किसी की सम्पत्ति को बेचकर उसके बीच से प्राप्त कियेजाने वाले कमीशन की राशि है,तो जातक जब नौकरी करेगा तो उसका ध्यान इन कामों की तरफ़ भी जायेगा। काम करवाने के लिऐ शनि का अच्छा होना साथ ही केतू अहम है जैसे शनि मृत्यु है वैसे केतू उसके बाद मोक्ष का है यानी शनि कर्म है और कराने का काम केतू का । जिसका चौथा भाव बलि या उसका स्वामि पूर्ण बल मे हो दसवा पूर्ण फल मे हो ऐसे जातक के पास सारी सुविधा होती है । पर जिनका राहू 11-12 घर जाऐगा वो अपनी जन्म भूमि से दूर काम करेगा 12 मे तो दूसरे देशो की यात्रा और वही का काम देगा ॥

अगर आप चाहते हैं कि आपका दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदल जाए तो

अगर आप चाहते हैं कि आपका दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदल जाए तो नीचे लिखे उपाय करें। यह उपाय आपके दुर्भाग्य कौ सौभाग्य में बदल देंगे।उपाय1- बरगद(बड़) के पत्ते को गुरु पुष्य या रवि पुष्य योग में लाकर उस पर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।2- घर के मुख्य द्वार के ऊपर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा अथवा चित्र इस प्रकारलगाएं कि उनका मुख घर के अंदर की ओर रहे। उस पर सुबह दूर्वा अवश्य अर्पित करें।3- धन संबंधी कार्य सोमवार एवं बुधवार को करें।4- नए कार्य, व्यवसाय, नौकरी, रोजगार आदि शुभ कार्यों के लिए जाते समय घर की कोई महिला एक मुठ्ठी काले उड़द उस व्यक्ति के ऊपर से उतार कर भूमि पर छोड़ दे तो हर कार्य में सफलता मिलेगी।5- गरीब, असहाय, रोगी व किन्नरों की सहायता दान स्वरूप अवश्य करें। यदि संभव हो तो किन्नरों को दिए पैसे में से एक सिक्का वापस लेकर अपने कैश बॉक्स या लॉकर में रखें। इससे बहुत लाभ होगा।6- काली हल्दी की एक गांठ शुभ मुहूर्त में प्राप्त कर अपने घर में, व्यवसायी अपने कैशबॉक्स में तथा व्यापारी अपने गल्ले में रखें।7- रवि पुष्य नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में बहेड़े की जड़ या एक पत्ता तथा शंखपुष्पी की जड़ लाकर घर में रखें। चांदी की डिब्बी में रखें तो और भी शुभ रहेगा।

दमा या अस्थमा से बचें -

Muktiya
• दमा या अस्थमा से बचें -
यह रोग मुख्यत: पौष्टिक भोजन की कमी, बहुत ज्यादा शारीरिक परिश्रम करने, धूल-धुँये से भरे हुए वातावरण में रहने से, सीलन एवं दुर्गन्ध भरे वातावरण मे रहने से, उपदंश या ज्यादा एलोपैथी दवाइयों के सेवन आदि के कारण हो जाता है।
अक्सर मेरे पास ऐसे भी मरीज आते हैं, जिन्होंने चर्म रोग, एक्जीमा, सोरायसिस आदि कोई भी बीमारी को एलोपैथी दवा से दबा दिया, फिर उसके परिणाम स्वरुप उनको दमा, हार्ट की बीमारी या घुटने की गंभीर बीमारी हो जाती है. फिर उन्हें जीवन भर कष्ट भोगना पड़ता है. अतः कभी भी किसी भी चर्मरोग के ऊपर कोई भी ऑइंटमेंट नहीं लगाये या उसे दबाने की दवाई न खाएं, नहीं तो उसका दुष्परिणाम आपको जिन्दगी भर भुगतना पड़ेगा.
इस रोग में जरा से श्रम से ही रोगी का दम फूल जाना, अधिक बलगम निकलना, खाँसी आना, खाँसी बार-बार तथा बडी तेज उठती है, गले से साँय-साँय की आवाज आती है, छाती में दर्द और खिंचाव बना रहता है, दमा, हँफनी, साँस फूलना, बैचैनी, घबराहट, साँस लेने व निकालने में बहुत कष्ट, लेटने में साँस फूलना, सर आगे झुकाकर बैठने से आराम मिलना आदि परेशानी होती हैं. ठण्ड में यह रोग बहुत बढ़ जाता है।
इस रोग का उपचार इस तरह करें -
1. आप सल्फर 200 को सुबह 7 बजे, दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को आठ बजे Nux Vom 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से सिर्फ एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं 11की दो गोली दिन में तीन से चार बार लें.
3. या ब्रोंकाइल अस्थमा के लिए HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं 28 की दो गोली दिन में तीन से चार बार तक ली जा सकती है.
4. या बलगम बिलकुल नहीं निकलने पर HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं 97 की दो गोली दिन में तीन से चार बार तक ली जा सकती है.
5. साथ ही DROX 3 की दस बूँद आधे कप पानी में दिन में चार बार लें. दमा की तीव्र अवस्था में एक कांच के गिलास पानी भर कर उसमे 20 बूँद DROX 3 की डालकर हर दस-दस मिनिट से मरीज को दे सकते हैं.
6. बायो काम्ब नं. 2 की छह पिल्स भी दिन में चार बार चूसें. आपातकाल में इसे भी हर घंटे कुनकुने पानी से ले सकते हैं.
7. बहुत ज्यादा दर्द और तकलीफ होने पर इन तीनो दवाइयों को हर एक घंटे में बदल-बदल कर भी ले सकते हैं.
8. जो लोग दमा और अन्य रोगों से पीड़ित हैं और अंग्रेजी दवाइयां ले रहे हैं, वे उन्हें एक दम से बंद न करें और उपरोक्त इन दवाइयों को तीन माह तक लेने के बाद अपने डॉक्टर की सलाह से उन्हें धीरे-धीरे कम कर सकते हैं.
• शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग –
हमेशा स्वस्थ रहने के लिए कोई भी व्यक्ति या परिवार अगर निम्न उपचार द्वारा अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग करता है और खान-पान तथा एक्सरसाइज भी निम्न अनुसार लेता है, तो उसे कभी भी कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, चर्म रोग आदि कोई भी गंभीर बीमारी नहीं होगी और वह आजीवन सपरिवार स्वस्थ, प्रसन्न और खुशहाल रह सकेगा -
1. सबसे पहले आप सुबह 7 बजे कुल्ला करके सल्फर 200 को, फिर दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. इन दवाइयों को लेने के एक हफ्ते बाद हर 15-15 दिन में सोरिनम 200 का मात्र एक-एक पांच बूँद का डोज चार बार तक ले, ताकि आपके शरीर के अंदर जमा दवाई और दूसरे अन्य केमिकल और पेस्टीसाइड के विकार दूर हो सकें और आपके शरीर के सभी ह्रदय, फेफड़े, लीवर, किडनी आदि मुख्य अंग सुचारू रूप से कार्य कर सकेंगे. बच्चों और ज्यादा वृद्धों में ये सभी दवा 30 की पावर में दें.
3. अगर कब्ज रहता हो, तो होम्योलेक्स या HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 67 की एक या आधी गोली रोज रात एक सफ्ताह तक 9.30 बजे लें. इसके बाद हर व्यक्ति को चाहिए कि वह इसे हर हफ्ते एक या आधी गोली रात्रि 9.30 बजे ले.
4. आप सुबह दो से चार गिलास कुनकुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिया) करें.
5. साथ ही पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार करें. फिर 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करें. इसके बाद प्राणायाम करें.
6. रोज सुबह और रात को 15-15 मिनिट का शवासन भी करें.
7. फिर एक घंटे बाद अगर सूट करे, तो कम से कम एक माह तक नारियल पानी लें.
8. सुबह और शाम को अगर संभव हो, तो एक घंटा अवश्य घूमें.
9. रात को सोते समय अष्टावक्र गीता में बताये अनुसार दो मिनिट के लिए “मैं स्वयं ही तीन लोक का चैतन्य सम्राट हूँ” ऐसा जाप करें.
10. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के चार्ज किये और मिलाकर बने चुम्बकित जल को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में रोज दिन में 3 बार उपयोग करें.
11. रोज सुबह उच्च शक्ति चुम्बकों को हथेलियों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए लगायें और रात्रि को खाने के दो घंटे बाद पैर के तलुवों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए दक्षिणी चुम्बक को बायीं ओर और उत्तरी चुम्बक को दाहिनी ओर लगाये.
12. गेंहू, जौ, देसी चना और सोयाबीन को सम भाग मिलाकर पिसवा ले और उसकी रोटी सादे मसाले की रेशेदार सब्जी से खाएं. दाल का प्रयोग कम कर दें. बारीक आटे व मैदे से बनी वस्तुएं, तली वस्तुएं एव गरिष्ठ भोजन का त्याग करे।
13. सुबह-शाम चाय के स्थान पर नीबू का रस गरम पानी में मिला कर पिएं।
14. खाने में सिर्फ सेंधे नमक का प्रयोग करें.
15. रात को सोने से पहले पेट को ठण्डक पहुँचायें। इसके लिए खाने के चार घंटे बाद एक नेपकिन को सामान्य ठन्डे पानी से गीली करके पेट पर रखें और हर दो मिनिट में पलटते रहें. 15 मिनिट से 20 मिनिट तक इसे करें.
16. मैथी दाना 250 ग्राम, अजबाइन 100 ग्राम और काली जीरी 50 ग्राम को पीस कर इस चूर्ण को कुनकुने पानी से रात्रि 9.30 बजे एक चम्मच लें.
17. रात्रि को खाना और जमीकंद खाना, शराब पीना व धूम्रपान अगर करते हों या तम्बाखू खाते हों, तो इन्हें बंद करें. शाकाहारी भोजन ही लें.
18. अपने शरीर की सालाना ओवरहालिंग के लिए साल में एक बार अपने आसपास के किसी भी प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में जाकर वहां का दस दिन का कोर्स करें.
19. अपने घर के बुजुर्ग लोगों की रोज एक घंटे के लिये सेवा और मदद करें.
20. अपने आसपास की झोपड़पट्टी में रहने वाले किसी गरीब व्यक्ति की हर हफ्ते जाकर मदद करें.
21. अध्यात्मिक कैप्सूल के रूप में मेरी पुस्तक मुक्तियाँ की एक-एक मुक्ति तीन माह तक रोज पढ़ें. इससे आपकी नेगेटिव एनर्जी कम होगी और पॉजिटिव एनर्जी बहुत तेजी से बढेगी.
22. मेरी स्वस्थ रहे, स्वस्थ करें, मुक्तियाँ और अन्य कई पुस्तकों को मेरे समाधान ग्रुप से निशुल्क डाउन लोड करें. आप चाहे तो अपना email address मेरे मेसेज बाक्स में दे दे, तो मैं आपको डायरेक्ट मेल कर दूंगा.
23. होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब नम्बर से मिलती हैं. इनके नम्बर ध्यान से लिखें. साथ ही होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब में कन्फ्यूज न हों. इन्हें साफ़-साफ़ लिखें.
24. किसी भी गंभीर मरीज को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को तत्काल दिखायें.
25. होम्योपैथी की दवाइयों को मुंह साफ़ करके कुल्ला करके लेना चाहिए. इनको लेते समय किसी भी तरह की सुगन्धित चीजों और प्याज, लहसुन, काफी, हींग और मांसाहार आदि से बचे और दवा लेने के आधा घंटा पहले और बाद में कुछ न लें.
26. हर दिन नई एलोपथिक दवाइयां बन रही हैं और अधिकांश पुरानी दवाइयों के घातक और खतरनाक परिणामों के कारण इन्हें कुछ ही वर्षों में भारत को छोड़ कर विश्व के कई देशों में बेन भी किया जा रहा है.
27. हमें भी चाहिये कि हम मात्र एलोपथिक दवाइयों पर ही निर्भर न रहकर योगासन, सूर्य किरण भोजन, अमृत-जल या सूर्य किरण जल चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, बायोकेमिक दवाइयाँ आदि निर्दोष प्रणालियों को अपना कर खुद और अपने परिवार को सुरक्षित करें.
28. इस तरह दवा मुक्त विश्व का निर्माण करना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है और इसके लिए आप सभी का सहयोग चाहिये, जो आप मेरे इन सन्देशों को दूर-दूर तक फैला कर मुझे दे सकते हैं.
29. मेरी सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी, लोक कल्याण, मानवाधिकार और आध्यात्मिक पोस्ट और पुस्तकों को देखने और उन्हें डाउनलोड करने के लिए आप मेरे ग्रुप “HEALTH CARE स्वस्थ रहो, स्वस्थ करो” और “Samadhan समाधान” से जुड़ सकते हैं और अपने दोस्तों को भी जोड़ सकते हैं.
30. मेरे नये आध्यात्मिक ग्रुप “कहान गुरु आस्था परिवार Kahan Guru Aastha Parivar” में आप सभी का स्वागत है. अतः मेरे इस इस शाश्वत कल्याणकारी ग्रुप से खुद भी जुड़े और अपने संगी-साथी को भी जोड़कर उनका भी अपने निज-परमात्मा के चैतन्य-चमत्कार से परिचय करवाएं. 

झाड़ू से जुड़े शकुन-अपशकुन और लक्ष्मी कृपा पाने के उपाय

झाड़ू से जुड़े शकुन-अपशकुन और लक्ष्मी कृपा पाने के उपाय :
शास्त्रों के अनुसार झाड़ू को भी महालक्ष्मी का ही एक स्वरूप माना गया है। झाड़ू से दरिद्रता रूपी गंदगी को बाहर किया जाता है। जिन घरों के कोने-कोने में भी सफाई रहती है, वहां का वातावरण सकारात्मक रहता है। घर के कई वास्तु दोष भी दूर होते हैं। साथ ही, इनसे जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है।
महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए करें झाड़ू का ये उपाय
देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए घर के आसपास किसी भी मंदिर में तीन झाड़ू रख आएं। यह पुराने समय से चली आ रही परंपरा है। पुराने समय में लोग अक्सर मंदिरों में झाड़ू दान किया करते थे।
ध्यान रखें ये बातें-
- मंदिर में झाड़ू सुबह ब्रह्म मुहूर्त में रखना चाहिए।
- यह काम किसी विशेष दिन करना चाहिए। विशेष दिन जैसे कोई त्योहार, ज्योतिष के शुभ योग या शुक्रवार को।
- इस काम को बिना किसी को बताए गुप्त रूप से करना चाहिए। शास्त्रों में गुप्त दान का विशेष महत्व बताया गया है।
- जिस दिन यह काम करना हो, उसके एक दिन पहले ही बाजार से 3 झाड़ू खरीदकर ले आना चाहिए।
घर में पोंछा लगाते समय करें ये उपाय
जब भी घर में पोंछा लगाते है, तब पानी में थोड़ा-सा नमक भी मिला लेना चाहिए। नमक मिले हुए पानी से पोंछा लगाने पर फर्श के सूक्ष्म कीटाणु नष्ट होंगे। साथ ही, घर की नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म हो जाएगी। घर का वातावरण पवित्र होगा और जिन घरों में पवित्रता रहती है, वहां लक्ष्मी का आगमन होता है। पुरानी मान्यता है कि गुरुवार को घर में पोंछा न लगाएं ऐसा करने से लक्ष्मी रूठ जाती है। शेष सभी दिनों में पोंछा लगाना चाहिए।
घर में झाड़ू कहां और कैसे रखें
झाड़ू से घर में प्रवेश करने वाली बुरी अथवा नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। अत: इसके संबंध ध्यान रखें कि...
1. खुले स्थान पर झाड़ू रखना अपशकुन माना जाता है, इसलिए इसे छिपा कर रखें।
2. भोजन कक्ष में झाड़ू न रखें, क्योंकि इससे घर का अनाज जल्दी खत्म हो सकता है। साथ ही, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
3. यदि अपने घर के बाहर हर रोज रात के समय दरवाजे के सामने झाड़ू रखते हैं तो इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है। ये काम केवल रात के समय ही करना चाहिए। दिन में झाड़ू छिपा कर रखें।
Know The Omen And Bed Omen Related Jhadu
झाड़ू से जुड़े शकुन-अपशकुन
1. अगर कोई बच्चा घर में अचानक झाड़ू लगा रहा है तो समझना चाहिए अनचाहे मेहमान घर में आने वाले हैं।
2. सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू पोंछा गलती से भी नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करना अपशकुन माना जाता है।
3. झाड़ू पर गलती से भी पैर नहीं रखना चाहिए। ऐसा होने पर लक्ष्मी रूठ जाती हैं। यह अपशकुन है।
4. कभी भी गाय या अन्य जानवर को झाड़ू से नहीं मारना चाहिए। यह अपशकुन माना गया है।
5. कोई भी सदस्य किसी खास कार्य के लिए घर से निकला हो तो उसके जाने के तुरंत बाद घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने पर उस व्यक्ति को असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
6. झाड़ू को कभी भी खड़ी करके नहीं रखना चाहिए। यह अपशकुन माना गया है।
7. हम जब भी किसी नए घर में प्रवेश करें, उस समय नई झाड़ू लेकर ही घर के अंदर जाना चाहिए। यह शुभ शकुन माना जाता है। इससे नए घर में सुख-समृद्धि और बरकत बनी रहेगी।
ps

• सूर्य किरण से सीधे भोजन प्राप्त करे –

Muktiya
14 hrs
• सूर्य किरण से सीधे भोजन प्राप्त करे –
किसी ने मुझ से पूंछा कि जब आज सूर्य किरणों से खाना पकाया जा रहा है, बिजली पैदा की जा रही है, तो हम हम सूर्य किरणों से सीधे अपना भोजन प्राप्त कर पुष्ट और तंदुरुस्त नहीं रह रह सकते हैं क्या?
अहो, हमारे साधु और मुनि गण तो लाखों-करोड़ो वर्ष पहले से ही जानते थे कि सूर्य ही इस संसार में शक्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है और वे अपना अधिकाँश समय सूर्य की रौशनी में ही जप-तप और साधना आदि में ही करते थे. खाना भी वे मात्र एक बार ही लेते थे और लम्बी उम्र और सुखी जीवन जीते थे.
साथ ही प्राचीन काल से ही लोग सूरज की किरणों से अपने उत्तम स्वास्थ्य को हासिल करते थे. वे खुद को चुस्त और तंदुरुस्त रखने के लिए सूर्य की किरण का भोजन, उस में व्यायाम और ताजा हवा तथा सूर्य की किरणों से शुद्ध नदी में बहते पानी का ही इस्तेमाल किया करते थे.
कारण यह है कि हमारे शरीर का अपना एक अलग इको-सिस्टम होता है और अगर हम इसे प्राकृतिक तरीके से सुचारू रूप से चलाना चाहते हैं तो हमें सूर्य किरणों को अपने अंदर समाहित कर अपने आप को स्वस्थ, नीरोगी और सुखी रखना ही चाहिये.
इस बात को एक तरह से पिछले 65 साल से ब्रिटेन के सरे क्षेत्र में रहने वाले चित्र में दर्शाए श्री डेविड लेटिमर साबित कर रहे हैं. उन्होंने 1960 में ईस्टर के दौरान एक बाँटल गार्डन शुरू किया था।
बाँटल गार्डन की शुरूवात करने के लिए उन्होंने इसमें थोडी सी खाद डाली और फिर उस बाँटल को एक चौथाई पानी से भर दिया था। उन्होंने आखिरी बार उस बाँटल में 1972 में पानी डाला था।
उसके बाद बाँटल को सील बंद कर दिया था और आज तक उसमें पानी और खाद नही दिया है, फिर भी चित्र में दिखाए अनुसार यह बाँटल गार्डन आज तक हर-भरा है।
आज श्री डेविड लेटिमर 80 साल के हो चुके है। वे कहते हैं कि उन्होंने इसे हर रोज अपने कमरे की खिड़की से 6 फीट दूर सूर्य की रोशनी वाली जगह पर रखा था। वे खुद भी आश्चर्यचकित हैं कि किस तरह आज तक उनका बाँटल गार्डन बढ़ता रहा है और अभी भी चित्र में पूरी तरह हर-भरा ही दिखाई दे रहा है।
वे समझाते हैं कि इस बाँटल गार्डन का इको-सिस्टम लाजवाब है। उनके मुताबिक सूर्य की किरणों की शक्ति से खाद से निकले बैक्टीरिया ने मृत पौधों को खाकर आक्सीजन उत्सर्जित की और पौधों को कार्बन डाईआक्साइड और अन्य जरूरी पोषक तत्व दिये। इस तरह ये पौधे आज तक जीवित और हरे-भरे और स्वस्थ हैं।
श्री डेविड लेटिमर कहते हैं कि इस तरह एक बार फिर से यह सिद्ध हो जाता है कि बाँटल गार्डन पौधों का अपना भी एक अलग इको-सिस्टम होता है। यह हमारी धरती के सम्पूर्ण इको-सिस्टम का ही एक सबसे छोटा या माइक्रोवर्जन का सर्वोत्तम उदाहरण है।
इसी तरह हमारे शरीर का भी अपना एक अलग इको-सिस्टम या डॉक्टरों की भाषा में इम्युनिटी सिस्टम होता है और अगर हम अपने आपको फिट और स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो हमें भी सूर्य किरणों को अपने अंदर समाहित कर उनकी शक्ति और पोषक तत्वों का लाभ उठाना चाहिये।
सूर्य किरण भोजन लेने से आपको अपना शरीर बहुत हल्का, उत्साहवर्धक और अद्भुत लगेगा. आप यह भी महसूस करेंगे कि आपकी भूख में पहले से कमी आ रही है. इस तरह सूरज से अपनी सभी ऊर्जा पाने से अपने आप ही आपको भोजन की आवश्यकता कम होती जायेगी और दो से तीन माह सूर्य किरण भोजन करने के बाद आप अपना खाना आधा भी कर सकते हैं और आप फिर भी किसी भी तरह की कमजोरी महसूस नहीं करेंगे, क्योकि सभी तरह के पोषण तत्व आपको सूर्य किरण भोजन से मिलने लगते हैं.
इससे आप शाम या रात्रि को ले रहे भोजन को कम कर धीरे-धीरे उसका त्याग भी कर सकते हैं, इससे आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को भी ठीक किया जा सकेगा. फिर आपका जीवन स्वस्थ, सुन्दर और सुखमय हो सकेगा.
साथ ही अगर आप हो रही इस बचत को गरीबों की भूंख को शांत करने में लगायेंगे, तो आपका इस जन्म में तो कल्याण होगा ही, साथ ही अगले जन्म में भी आपको उत्तम कुल, नीरोगी काया और मान-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी.
भोजन कम करने से आपको व्रत-उपवास का भी पुण्य-लाभ मिलेगा और फिर आप भी जल्द ही भक्त से भगवान बनने की ओर अपने कदम बढ़ा सकेंगे.
उगते और डूबते सूरज की किरणों से भोजन प्राप्त करने का समय सूर्योदय से आधा घंटे बाद तक और सूर्यास्त से आधा घंटे पहले से सूर्यास्त तक ही है. सूर्य किरण भोजन के लिए सूर्य को टकटकी लगाकर देखने का कार्य शुरू में सिर्फ पांच मिनिट के लिए करें और फिर धीरे-धीरे उसे रोज 30 सेकंड बढ़ाते जाना चाहिये.
इसे शुरू में 3 माह तक अधिक से अधिक 15 मिनट के लिए ही करना चाहिये और उसके बाद फिर आप इसको बढाकर 30 मिनट तक कर सकते हैं. सूर्योदय और सूर्यास्त का समय आपको आपके यहाँ के समाचार पत्र में मिल सकता है.
लोकहित में सूर्य किरण भोजन का अगर व्यवस्थित रूप से प्रचार और प्रसार किया जाए तो इस संसार से भूँख की समस्या काफी हद तक कम की जा सकती है. साथ ही मांसाहारियों को भी सूर्य किरण भोजन और शाकाहार की प्रेरणा दी जा सकती है, जिससे लाखो-करोड़ो जानवर भी कटने से बच जायेंगे.
• सावधानी –
अगर किसी व्यक्ति को कोई समस्या हो या आँखों में लाली हो, तो वे दो-तीन दिन तक सूर्य किरण भोजन लेना बंद कर फिर एक मिनिट की अवधि से शुरू करें.
इसके साथ ही अन्य सभी तरह की गंभीर बीमारियों से अगर आप अपने आपको और अपने परिवार को बचाना चाहते हैं, तो नियमित रूप से अपने शरीर की मेरे हर लेख में बताये अनुसार अपने पूरे परिवार की शारीरिक ओवरहालिंग और रिचार्जिंग करते रहें.

गुरुवार, 26 नवंबर 2015

सप्ताह के सात दिनों की प्रकृति और स्वभाव

ज्योतिष में सप्ताह के सात दिनों की प्रकृति और स्वभाव बताए गए हैं। इन सात दिनों पर ग्रहों का अपना प्रभाव होता है। अगर आप इन दिनों की प्रकृति और स्वभाव के अनुसार कार्यों को करें तो जरूर आपकी किस्मत साथ देगी। निश्चित ही हर काम में सफलता मिलेगी। अगर आपके सोचे हुए काम पूरे नही होते या उनका कोई परिणाम नही मिलता तो आप उन कार्यों को पुराणों, मुहूर्त ग्रंथों और फलति ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार बताए गए वार को करें। आप जरूर सफल होंगे।


जानिए किस दिन क्या करें..

रविवार- यह सूर्य देव का वार माना गया है। इस दिन नवीन गृह प्रवेश और सरकारी कार्य करना चाहिए। सोने के आभूषण और तांबे की वस्तुओं का क्रय विक्रय करना चाहिए या इन धातुओं के आभूषण पहनना चाहिए।

सोमवार- सरकारी नौकरी वालों के लिए पद ग्रहण करने के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। गृह शुभारम्भ, कृषि, लेखन कार्य और दूध, घी व तरल पदार्थों का क्रय विक्रय करना इस दिन फायदेमंद हो सकता है।


मंगलवार- मंगल देव के इस दिन विवाद एवं मुकद्दमे से संबंधित कार्य करने चाहिए। शस्त्र अभ्यास, शौर्य और पराक्रम के कार्य इस दिन करने से उस कार्य में सफलता मिलती है। मेडिकल से संबंधित कार्य और आपरेशन इस दिन करने से सफलता मिलती है। बिजली और अग्नि से संबधित कार्य इस दिन करें तो जरूर लाभ मिलेगा। सभी प्रकार की धातुओं का क्रय विक्रय करना चाहिए।


बुधवार- इस दिन यात्रा करना, मध्यस्थता करना, दलाली, योजना बनाना आदि काम करने चाहिए। लेखन, शेयर मार्केट का काम, व्यापारिक लेखा-जोखा आदि का कार्य करना चाहिए।


गुरुवार- बृहस्पति देव के इस दिन यात्रा, धार्मिक कार्य, विद्याध्ययन और बैंक से संबंधित कार्र्य करना चाहिए। इस दिन वस्त्र आभूषण खरीदना, धारण करना और प्रशासनिक कार्य करना शुभ माना गया है।


शुक्रवार- शुक्रवार के दिन गृह प्रवेश, कलात्मक कार्य, कन्या दान, करने का महत्व है। शुक्र देव भौतिक सुखों के स्वामी है। इसलिए इस दिन सुख भोगने के साधनों का उपयोग करें। सौंदर्य प्रसाधन, सुगन्धित पदार्थ, वस्त्र, आभूषण, वाहन आदि खरीदना लाभ दायक होता है।


शनिवार- मकान बनाना, टेक्रीकल काम, गृह प्रवेश, ऑपरेशन आदि काम करने चाहिए। प्लास्टिक , लकड़ी , सीमेंट, तेल, पेट्रोल खरीदना और वाद-विवाद के लिए जाना इस दिन सफलता देने वाला होता है।

नित्य पूजा पाठ के नियम

नित्य पूजा पाठ के नियम
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कई बार लोग प्रश्न करते हैं कि घर में नियमित पूजा-पाठ किस तरह की जाये और किस भगवान की पूजा की जाये शुद्ध आसन पर बैठकर प्रातः और संध्या को पूजा अर्चना करने को नित्य नियम कहते हैं पाठ का क्रम इस तरह से होना चाहिए :-
1. सर्वप्रथम गणेश जी की उपासना:- विघ्नों को दूर करने के लिए
2 . सूर्य भगवान की उपासना:- स्वास्थ्य के लिए
3 . माँ भगवती की उपासना :- शक्ति के लिए
4 . भगवान शंकर की उपासना:- भक्ति के लिए और सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट और विपदाओं से निवारण के लिये
5 . उसके बाद अपने कुल देवता, इष्ट देवता और पितृ देवताओं की उपासना करनी चाहिए
कुछ अनुभूत नित्य नियम
1. नारायण कवच या हनुमान चालीसा एक सर्वविदित और लोकप्रिय उपाय है इसके नित्य कम से कम तीन बार पाठ करने से हर तरह की बाधाओं का निवारण हो जाता है और अटके हुए काम बन जाते हैं
२. दरिद्रता के नाश के लिए माँ लक्ष्मी के श्रीसूक्त या लिंगाष्टक का पाठ करना चाहिए
३. रोग से मुक्ति पाने के लिए और ऋण से पाने के लिए गजेन्द्र मोक्ष और नवग्रह स्तुति नित्य नियम से करना चाहिए.
४. यदि कोई व्यक्ति प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार कराता है तो उसे अनंत कोटि फल प्राप्त होते हैं
५. मंदिर में आरती के लिए धुप दीप की व्यवस्था करता है तो उसे यश कीर्ति की प्राप्ति होती है
६. अगर व्यक्ती गाय के लिए चारे पानी की व्यवस्था करता है, पक्षियों को चूगा डालता है तो उसके घर से सभी अमंगल दूर होते हैं.
७. जो लोग देवताओं को भोग लगाकर ब्राह्मणों और साधुओं को प्रसाद वितरण करते है उनके जन्म जन्मान्तर के कष्टों और पापों का नाश होता है
८. यदि कोई व्यक्ति विद्यालय या अस्पताल का निर्माण कराता है या बनाने में अपना योगदान देता है और उसकी सेवा करता है तो उसको सदबुद्घि और भगवत्कृपा मिलती है
लेकिन अपने नाम प्रचार के लिए या स्वार्थ पूर्ति के लिए जो उपरोक्त कार्य करता है, अहंकार करता है तो सभी कर्म निष्फल हो जाते हैं
🌸🌸🌸🌸🌸जय श्री राम 🌸🌸🌸🌸🌸

• डायबटीज -



• डायबटीज -
सबसे पहले मैं कहना चाहूँगा कि डायबटीज एक गंभीर रोग होता है और जो भी अभी आपकी एलोपैथी की दवाई चल रही हैं, उन्हें किसी भी स्थिति में एक दम से डॉक्टर की सलाह के बिना बंद न करें.
इस रोग में ब्लड और यूरिन में शुगर आ जाती है यूरिन बार-बार होती है और उसकी मात्रा बढ़ जाती है. इस बीमारी में किसी भी तरह की चोट या घाव भी बहुत धीरे-धीरे ठीक होते हैं. कभी-कभी वे सड़ने भी लगते हैं.
डायबटीज की बीमारी बढ़ने पर भूंख कम लगना, कमजोर होते जाना, पैरों में सूजन, कामवासना बढ़ना, क्षय, खांसी, फेफड़ों में सूजन, बहुत ज्यादा यूरिन होना आदि लक्ष्ण पाए जाते हैं.
डायबटीज की बीमारी में पेन्क्रियाज ग्रंथि अक्रियाशील हो जाती है, जिससे शरीर में इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है और डायबटीज की बीमारी हो जाती है. आपकी पेन्क्रियाज ग्रंथि को रिएक्टिवेट करने के लिए किसी अच्छे योगाचार्य के मार्ग दर्शन में साल में एक बार शंख-प्रक्षालन करें या हर तीन माह में लघु शंख प्रक्षालन करें. इससे आपकी पेन्क्रियाज ग्रंथि पुनः एक्टिव होना शुरू हो सकती है.
इस बीमारी के उपचार के लिए कई लोग आपको कई तरह के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे बतायेगे और कहेंगे कि 20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहा कोई एक बुजुर्ग इन नुस्खों से आज पूर्णतः इस रोग से मुक्त होकर सामान्य आहार ले रहा है और मिठाई भी खा रहा है.
लेकिन इस बीमारी में ये सब प्रयोग खतरनाक हो सकते हैं. अतः इस तरह की प्राणघातक गलती न करें.
इस बीमारी के उपचार के लिए आपकी एलोपैथी की दवाई के साथ निम्न दवाई भी शुरू कर दें -
1. सबसे पहले आप सुबह 7 बजे कुल्ला करके सल्फर 200 को, फिर दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. आप जो भी दवाई अभी चल रही हो, उसके साथ ही HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 73 की दो गोली दिन में चार बार लें
3. HSL कम्पनी की DROX 7 की 20 बूँद आधा कप पानी से खाना खाने के 15 मिनिट पहले लें.
4. साथ ही बायो काम्ब नं. 7 की छः गोली दिन में चार बार लम्बे समय तक लें. शुगर लेवल कम होने पर एलोपैथी की दवाई को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं.
5. कमजोरी हो तो बायोकाम्ब नं. 27 की छः गोली को एक माह तक दिन में चार बार चूसें, फिर दूसरे माह में बायोकाम्ब नं. 28 की छः गोली को एक माह तक दिन में चार बार चूसें. इस तरह बदल-बदल कर हर माह लेते रहें.
6. जो भी लोग डायबटीज और अन्य रोगों से पीड़ित हैं और अंग्रेजी दवाइयां ले रहे हैं, वे उन्हें एक दम से बंद न करें और उपरोक्त इन दवाइयों को तीन माह तक लेने के बाद अपने डॉक्टर की सलाह से उन्हें धीरे-धीरे कम कर सकते हैं.
• शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग –
हमेशा स्वस्थ रहने के लिए कोई भी व्यक्ति या परिवार अगर निम्न उपचार द्वारा अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग करता है और खान-पान तथा एक्सरसाइज भी निम्न अनुसार लेता है, तो उसे कभी भी कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, चर्म रोग आदि कोई भी गंभीर बीमारी नहीं होगी और वह आजीवन सपरिवार स्वस्थ, प्रसन्न और खुशहाल रह सकेगा -
1. सबसे पहले आप सुबह 7 बजे कुल्ला करके सल्फर 200 को, फिर दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. इन दवाइयों को लेने के एक हफ्ते बाद हर 15-15 दिन में सोरिनम 200 का मात्र एक-एक पांच बूँद का डोज चार बार तक ले, ताकि आपके शरीर के अंदर जमा दवाई और दूसरे अन्य केमिकल और पेस्टीसाइड के विकार दूर हो सकें और आपके शरीर के सभी ह्रदय, फेफड़े, लीवर, किडनी आदि मुख्य अंग सुचारू रूप से कार्य कर सकेंगे. बच्चों और ज्यादा वृद्धों में ये सभी दवा 30 की पावर में दें.
3. अगर कब्ज रहता हो, तो होम्योलेक्स या HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 67 की एक या आधी गोली रोज रात एक सफ्ताह तक 9.30 बजे लें. इसके बाद हर व्यक्ति को चाहिए कि वह इसे हर हफ्ते एक या आधी गोली रात्रि 9.30 बजे ले.
4. आप सुबह दो से चार गिलास कुनकुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिया) करें.
5. साथ ही पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार करें. फिर 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करें. इसके बाद प्राणायाम करें.
6. रोज सुबह और रात को 15-15 मिनिट का शवासन भी करें.
7. फिर एक घंटे बाद अगर सूट करे, तो कम से कम एक माह तक नारियल पानी लें. या फिर इसे दोपहर चार बजे भी ले सकते हैं.
8. सुबह और शाम को अगर संभव हो, तो एक घंटा अवश्य घूमें.
9. रात को सोते समय अष्टावक्र गीता में बताये अनुसार दो मिनिट के लिए “मैं स्वयं ही तीन लोक का चैतन्य सम्राट हूँ” ऐसा जाप करें.
10. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के चार्ज किये और मिलाकर बने चुम्बकित जल को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में रोज दिन में 3 बार उपयोग करें.
11. रोज सुबह उच्च शक्ति चुम्बकों को हथेलियों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए लगायें और रात्रि को खाने के दो घंटे बाद पैर के तलुवों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए दक्षिणी चुम्बक को बायीं ओर और उत्तरी चुम्बक को दाहिनी ओर लगाये.
12. गेंहू, जौ, देसी चना और सोयाबीन को सम भाग मिलाकर पिसवा ले और उसकी रोटी सादे मसाले की रेशेदार सब्जी से खाएं. दाल का प्रयोग कम कर दें.
13. बारीक आटे व मैदे से बनी वस्तुएं, तली वस्तुएं एव गरिष्ठ भोजन का त्याग करे।
14. सुबह-शाम चाय के स्थान पर नीबू का रस गरम पानी में मिला कर पिएं।
15. खाने में सिर्फ सेंधे नमक का प्रयोग करें.
16. रात को सोने से पहले पेट को ठण्डक पहुँचायें। इसके लिए खाने के चार घंटे बाद एक नेपकिन को सामान्य ठन्डे पानी से गीली करके पेट पर रखें और हर दो मिनिट में पलटते रहें. 15 मिनिट से 20 मिनिट तक इसे करें.
17. मैथी दाना 250 ग्राम, अजबाइन 100 ग्राम और काली जीरी 50 ग्राम को पीस कर इस चूर्ण को कुनकुने पानी से रात्रि 9.30 बजे एक चम्मच लें.
18. रात्रि को खाना और जमीकंद खाना, शराब पीना व धूम्रपान अगर करते हों या तम्बाखू खाते हों, तो इन्हें बंद करें. शाकाहारी भोजन ही लें.
19. अपने शरीर की सालाना ओवरहालिंग के लिए साल में एक बार अपने आसपास के किसी भी प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में जाकर वहां का दस दिन का कोर्स करें.
20. अपने घर के बुजुर्ग लोगों की रोज एक घंटे के लिये सेवा और मदद करें.
21. अपने आसपास की झोपड़पट्टी में रहने वाले किसी गरीब व्यक्ति की हर हफ्ते जाकर मदद करें.
22. अध्यात्मिक कैप्सूल के रूप में मेरी पुस्तक मुक्तियाँ की एक-एक मुक्ति तीन माह तक रोज पढ़ें. इससे आपकी नेगेटिव एनर्जी कम होगी और पॉजिटिव एनर्जी बहुत तेजी से बढेगी.
23. मेरी स्वस्थ रहे, स्वस्थ करें, मुक्तियाँ और अन्य कई पुस्तकों को मेरे Samadhan समाधान ग्रुप से निशुल्क डाउन लोड करें. आप चाहे तो अपना email address मेरे मेसेज बाक्स में दे दे, तो मैं आपको डायरेक्ट मेल कर दूंगा.
24. होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब नम्बर से मिलती हैं. इनके नम्बर ध्यान से लिखें. साथ ही होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब में कन्फ्यूज न हों. इन्हें साफ़-साफ़ लिखें.
25. किसी भी गंभीर मरीज को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को तत्काल दिखायें.
26. होम्योपैथी की दवाइयों को मुंह साफ़ करके कुल्ला करके लेना चाहिए. इनको लेते समय किसी भी तरह की सुगन्धित चीजों और प्याज, लहसुन, काफी, हींग और मांसाहार आदि से बचे और दवा लेने के आधा घंटा पहले और बाद में कुछ न लें.
27. हर दिन नई एलोपथिक दवाइयां बन रही हैं और अधिकांश पुरानी दवाइयों के घातक और खतरनाक परिणामों के कारण इन्हें कुछ ही वर्षों में भारत को छोड़ कर विश्व के कई देशों में बेन भी किया जा रहा है.
28. हमें भी चाहिये कि हम मात्र एलोपथिक दवाइयों पर ही निर्भर न रहकर योगासन, सूर्य किरण भोजन, अमृत-जल या सूर्य किरण जल चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, बायोकेमिक दवाइयाँ आदि निर्दोष प्रणालियों को अपना कर खुद और अपने परिवार को सुरक्षित करें.
29. इस तरह दवा मुक्त विश्व का निर्माण करना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है और इसके लिए आप सभी का सहयोग चाहिये, जो आप मेरे इन सन्देशों को दूर-दूर तक फैला कर मुझे दे सकते हैं.
30. मेरी सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी, लोक कल्याण, मानवाधिकार और आध्यात्मिक पोस्ट और पुस्तकों को देखने और उन्हें डाउनलोड करने के लिए आप मेरे ग्रुप “HEALTH CARE स्वस्थ रहो, स्वस्थ करो” और “Samadhan समाधान” से जुड़ सकते हैं और अपने दोस्तों को भी जोड़ सकते हैं.
31. मेरे नये ग्रुप “कहान गुरु आस्था परिवार Kahan Guru Aastha Parivar” में आप सभी का स्वागत है. अतः मेरे इस इस शाश्वत कल्याणकारी ग्रुप से खुद भी जुड़े और अपने संगी-साथी को भी जोड़कर उनका भी अपने निज-परमात्मा के चैतन्य-चमत्कार से परिचय करवाएं.
मेरे पूर्णतः आध्यात्मिक, चैतन्य तत्व की बात करने ग्रुप
“डॉ. स्वतंत्र जैन सा. के आध्यात्मिक सूत्र : Dr.Swatantra Jain Sa Ka Aadhyatm”
में आप सभी का स्वागत है.
आप चाहे तो अपने सभी परिवार और इष्ट-मित्रों सहित इस शाश्वत कल्याणकारी ग्रुप से जुड़े.
मेरी सभी आध्यात्मिक पुस्तको को भी आप यहाँ से डाउन लोड कर सकते हैं.
इस ग्रुप से जुड़ने का का लिंक इस तरह का है -
https://www.facebook.com/groups/1659544197625682/

सोमवार, 23 नवंबर 2015

चना खाये स्वाथ्य रहे --


चना खाये स्वाथ्य रहे --
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चना और चने की दाल दोनों के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है।
चने को गरीबों का बादाम कहा जाता है, क्योंकि ये सस्ता होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं। लेकिन इसी सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों की लड़ने की क्षमता है। चना खाने से अनेक रोगों की चिकित्सा हो जाती है। 

-- सर्दियों में चने के आटे का हलवा कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। यह हलवा वात से होने वाले रोगों में व अस्थमा में फायदेमंद होता है।
-- रात को चने की दाल भिगों दें सुबह पीसकर चीनी व पानी मिलाकर पीएं। इससे मानसिक तनाव व उन्माद की स्थिति में राहत मिलती है। 50 ग्राम चने उबालकर मसल लें। यह जल गर्म-गर्म लगभग एक महीने तक सेवन करने से जलोदर रोग दूर हो जाता है।
-- चने के आटे की की नमक रहित रोटी 40 से 60 दिनों तक खाने से त्वचा संबंधित बीमारियां जैसे-दाद, खाज, खुजली आदि नहीं होती हैं। भुने हुए चने रात में सोते समय चबाकर गर्म दूध पीने से सांस नली के अनेक रोग व कफ दूर हो जाता हैं।
-- 25 ग्राम काले चने रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से डायबिटीज दूर हो जाती है। यदि समान मात्रा में जौ चने की रोटी भी दोनों समय खाई जाए तो जल्दी फायदा होगा।
-- चने को पानी में भिगो दें उसके बाद चना निकालकर पानी को पी जाएं। शहद मिलाकर पीने से किन्हीं भी कारणों से उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
-- हिचकी की समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धुम्रपान करने से शीत के कारण आने वाली हिचकी तथा आमाशय की बीमारियों में लाभ होता है।
-- पीलिया में चने की दाल लगभग 100 ग्राम को दो गिलास जल में भिगोकर उसके बाद दाल पानी में से निकलाकर 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4-5 दिन तक खाएं राहत मिलेगी।
-- देसी काले चने 25-30 ग्राम लेकर उनमें 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला लें चने को कुछ घंटों के लिए भिगो दें। उसके बाद चने को किसी कपड़े में बांध कर अंकुरित कर लें। सुबह नाश्ते के रूप में इन्हे खूब चबा चबाकर खाएं।
-- बुखार में ज्यादा पसीना आए तो भूने चने 50 ग्राम को पीसकर अजवायन 10 ग्राम और वच का चूर्ण 5 ग्राम मिलाकर मालिश करनी चाहिए।
-- चीनी के बर्तन में रात को 20 ग्राम चने भिगोकर रख दे। सुबह उठकर खूब चबा-चबाकर खाएं इसके लगातार सेवन करने से वीर्य में बढ़ोतरी होती है व पुरुषों की कमजोरी से जुड़ी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। भीगे हुए चने खाकर दूध पीते रहने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है।
-- गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।
-- बार-बार पेशाब जाने की बीमारी में भुने हूए चनों का सेवन करना चाहिए। गुड़ व चना खाने से भी मूत्र से संबंधित समस्या में राहत मिलती है।
-- रोजाना भुने चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाता है।
भोजन में चना : रोटी के आटे में चोकर मिला हुआ हो और सब्जी या दाल में चने की चुनी यानी चने का छिलका मिला हुआ हो तो यह आहार बहुत सुपाच्य और पौष्टिक हो जाता है। चोकर और चने में सब प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। चना गैस नहीं करता, शरीर में विषाक्त वायु हो तो अपान वायु के रूप में बाहर निकाल देता है। इससे पेट साफ और हलका रहेगा, पाचन शक्ति प्रबल बनी रहेगी, खाया-पिया अंग लगेगा, जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त और शक्तिशाली बना रहेगा। मोटापा, कमजोरी, गैस, मधुमेह, हृदय रोग, बवासीर, भगन्दर आदि रोग नहीं होंगे।
- बेजड़ या मिक्सी रोटी - गेहूँ- चना-जौ : गेहूँ, चना और जौ तीनों समान वजन में जैसे तीनों 2-2 किलो लेकर मिला लें और मोटा पिसवा कर, छाने बिना, छिलका चोकरसहित आटे की रोटी खाना शुरू कर दें। इसे बेजड़ या मिक्सी रोटी कहते हैं।
-- खाज-खुजली,त्वचा संबंधित बीमारियां में फायदा - चने के आटे की की नमक रहित रोटी 40 से 60 दिनों तक खाने से त्वचा संबंधित बीमारियां जैसे-दाद, खाज, खुजली आदि नहीं होती हैं।
-- कुष्ट रोग में लाभ -
अंकुरित चना 3 साल तक खाते रहने से कुष्ट रोग में लाभ होता है।
त्वचा का कालापन- लगभग 12 चम्मच बेसन, 3 चम्मच दही या दूध, थोड़ा सा पानी सभी को मिलाकर पेस्ट सा बनाकर पहले चेहरे पर मले और फिर सारे शरीर पर मलने के लगभग 10 मिनट बाद स्नान करें तथा स्नान में साबुन का उपयोग न करें। इस प्रकार का उबटन करते रहने से त्वचा का कालापन दूर हो जाएगा।
-- चेहरे का सौंदर्यवर्धक-
चना के बेसन में नमक मिलाकर अच्छी तरह गौन्दकर लेप बना लें। इस लेप को चेहरे पर मलने से त्वचा में झुर्रियां नहीं आती हैं और चेहरा सुन्दर रहता है।
चेहरे की झांई के लिए- रात्रि में 2 बड़े चम्मच चने की दाल को आधा कप दूध में भिगोकर रख दें। सुबह दाल को पीसकर उसी दूध में मिला लें। फिर इसमें एक चुटकी हल्दी और 6 बूंदे नींबू की मिलाकर चेहरे पर लगाकर रखें। सूखने पर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगाने से चेहरे की झाईयां दूर हो जाती हैं।
-- सांस नली व कफ रोग दूर-
भुने हुए चने रात में सोते समय चबाकर गर्म दूध पीने से सांस नली के अनेक रोग व कफ दूर हो जाता हैं।
मधुमेह में बहुत लाभ
25 ग्राम काले चने रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से डायबिटीज दूर हो जाती है। यदि समान मात्रा में जौ चने की रोटी भी दोनों समय खाई जाए तो डायबिटीज में जल्दी फायदा होगा।
--नपुंसकता समाप्त -
चने को पानी में भिगो दें उसके बाद चना निकालकर पानी को पी जाएं। शहद मिलाकर पीने से किन्हीं भी कारणों से उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
--वीर्य का पतलापन दूर व बढ़ोतरी -
चीनी के बर्तन में रात को चने भिगोकर रख दे। सुबह उठकर खूब चबा-चबाकर खाएं इसके लगातार सेवन करने से वीर्य में बढ़ोतरी होती है व पुरुषों की कमजोरी से जुड़ी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। भीगे हुए चने खाकर दूध पीते रहने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है।
धातु पुष्ट हो - दस ग्राम चने की भीगी दाल और 10 ग्राम शक्कर दोनों मिलाकर 40 दिनों तक खाने से धातु पुष्ट हो जाती है।
--धातु पुष्टि हो - 1 मुट्ठी सेंके हुए चने या भीगे हुए चने और 5 बादाम खाकर दूध पीने से वीर्य का पतलापन दूर होकर वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
-नपुंसकता भीगे हुए चने सुबह-शाम चबाकर खाने से ऊपर से बादाम की गिरी खाने से मैथुन-शक्ति बढ़ती है और नंपुसकता खत्म होती है।
-अण्डकोष वृद्धि
चने के बेसन को पानी और शहद में मिलाकर अण्डकोष की सूजन पर लगाने से लाभ होता है।
--श्वेतप्रदर -
प्रातः सेंके हुए चने पीसकर उसमें खाण्ड मिलाकर खाएं। ऊपर से एक गिलास दूध में एक चम्मच देशी घी मिलाकर पियें। इससे श्वेतप्रदर लाभ होता है। श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea) या "सफेद पानी आना" स्त्रिओं का एक रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है।
--बार-बार पेशाब व मूत्र से संबंधित समस्या -
बार-बार पेशाब जाने की बीमारी में भुने हूए चनों का सेवन करना चाहिए। गुड़ व चना खाने से भी मूत्र से संबंधित समस्या में राहत मिलती है।
पीलिया में फायदा
पीलिया में चने की दाल लगभग 100 ग्राम को दो गिलास जल में भिगोकर उसके बाद दाल पानी में से निकलाकर 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4-5 दिन तक खाएं राहत मिलेगी।
पीलिया - चना का सत्तू पीलिया रोग में लाभदायक है। 1 मुट्ठी चने की दाल को 2 गिलास पानी में भिगो दें। फिर दाल को निकालकर बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 3 दिन तक खाना चाहिए। प्यास लगने पर दाल का वहीं पानी पीना चाहिए। इससे पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।
जुकाम में फायदा गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।
बवासीर में फायदा रोजाना भुने चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाता है।
--कब्ज -
1 या 2 मुट्ठी चनों को धोकर रात को भिगो दें। सुबह जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पीने से कब्ज दूर होती है।
-निम्न रक्तचाप
20 ग्राम काला चना और 25 दाने किशमिश या मुनक्का रात को ठण्डे पानी में भिगो दें। सुबह रोजाना खाली पेट खाने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में लाभ होगा और साथ ही चेहरे की चमक भी बढ़ जाती है।
-सफेद दाग
मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। कम से कम 12 घंटों के बाद इन चनों को मोटे कपड़े में बांधकर रख दें और बचा हुआ पानी कपडे़ की पोटली के ऊपर डाल दें। फिर 24 घंटे के बाद पोटली को खोल दें अब तक इन चनों में से अंकुर निकल आयेंगे। यदि किसी मौसम में अंकुर न भी निकले तो चनों को ऐसे ही खा लें। इस तरह से अंकुरित चनों को चबा-चबाकर लगातार 6 हफ्तों खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
-शरीर का वजन बढ़ाने के लिए
लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर शाम को 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। अब इस दाल को सुबह उठकर किशमिश और मिश्री में मिलाकर अच्छी तरह से चबाकर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए।
--रात को सोते समय थोड़े से देशी चने लेकर उनको पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को 2-3 तीन महीने तक खाना चाहिए।
-शरीर का वजन कम करने के लिए उबले चने को सिर्फ नमक के साथ मिला कर खाने से आपका वजन भी कम हो सकता है। वैसे भी कहा गया है कि `जो खाये चना वो रहे बना`|
--लूह नहीं लगती,शरीर ठंडा रहता है - चने का सत्तू लाभदायक होता है कारण छिलके सहित चने का बनता हैपूरी तरह से फाइबर होता है।काला चना का सत्तू गर्मियों में खाने से लूह नहीं लगती,शरीर ठंडा रहता है।
जले हुए भाग पर लगाने से तुरंत आराम - चने को दही के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से तुरंत आराम आ जाता है |
खांसी में लाभ - रात को सोते समय थोड़े भुने हुए चने खाकर ऊपर से गुड़ खा लें,इससे खांसी में लाभ होता है |
उलटी में लाभ - चने को छः गुने जल में भिगोकर दूसरे दिन प्रातःकाल उसका पानी छानकर 10-12 मिली की मात्रा में पीने से उलटी में लाभ होता है |

कैंसर के रोगी के उपचार में कितनी तकलीफे आती हैं।

डॉ योहाना बुडविज:- जानिये उनके बारे में के कैसे वह कैंसर को सही करती थी।
कैंसर के रोगी के उपचार में कितनी तकलीफे आती हैं। भयंकर पीड़ा सहन करनी पड़ती हैं। और कैंसर के 99% रोगियों को आराम भी नहीं आता।
मगर क्या आप जानते हैं के एक ऐसी भी महिला थी जिन्होंने कैंसर के हज़ारो रोगियों को बिना दवा के सही किया, सिर्फ घरेलु चिकित्सा से।
आइये जाने उनकी चिकित्सा प्रणाली को। और प्रणाम करे ऐसी महान औरत को।
Budwig Protocol – CANCER LADY.
प्रस्तावनाः-
डॉ योहाना बुडविज (जन्म 30 सितम्बर, 1908 – मृत्यु 19 मई 2003) विश्व विख्यात जर्मन जीवरसायन विशेषज्ञ व चिकित्सक थीं। उन्होंने भौतिक विज्ञान, जीवरसायन विज्ञान, भेषज विज्ञान में मास्टर की डिग्री हासिल की व प्राकृतिक विज्ञान में पी.एच.ड़ी. की। वे जर्मन व सरकार के खाद्य और भेषज विभाग में सर्वोच्च पद पर कार्यरत थी और सरकार की विशेष सलाहकार थी। वे जर्मनी व यूरोप की विख्यात वसा और तेल विशेषज्ञ थी। उन्होंने वसा, तेल तथा कैंसर के उपचार के लिए बहुत शोध की। उनका नाम नोबल पुरस्कार के लिए 7 बार चयनित हुआ। वे आजीवन शाकाहारी रहीं। जीवन के अंतिम दिनों में भी वे सुंदर, स्वस्थ व अपनी आयु से काफी युवा दिखती थी। उन्होंने पहली बार संतृप्त और असंतृप्त वसा पर बहुत शोध किया। उन्होंने पहली बार आवश्यक वसा अम्ल ओमेगा-3 व ओमेगा–6 को पहचाना और उन्हें पहचानने की पेपर क्रोमेटोग्राफी तकनीक विकसित की। इनके हमारे शरीर पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। उन्होंने यह भी पता लगाया कि ओमेगा – 3 किस प्रकार हमारे शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाते हैं तथा स्वस्थ शरीर को ओमेगा–3 व ओमेगा–6 बराबर मात्रा में मिलना चाहिये। इसीलिये उन्हे “ओमेगा-3 लेडी” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा मार्जरीन (वनस्पति घी), ट्रांस फैट व रिफाइण्ड तेलों के हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का पता लगाया था। वे मार्जरीन, हाइड्रोजिनेटेड और रिफाइंड तेलों को प्रतिबंधित करना चाहती थी जिसके कारण खाद्य तेल और मार्जरीन बनाने वाले संस्थान परेशानी में थे।
1931 में डॉ. ओटो वारबर्ग को कैंसर पर उनकी शोध के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने पता लगाया था कि कैंसर का मुख्य कारण कोशिकाओं में होने वाली श्वसन क्रिया का बाधित होना है। यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व ही संभव नहीं है। परन्तु तब वारबर्ग यह पता नहीं कर पाये कि कैंसर कोशिकाओं की बाधित श्वसन क्रिया को कैसे ठीक किया जाये।
सामान्य कोशिकाएँ अपने चयापचय हेतु ऊर्जा ऑक्सीजन से ग्रहण करती है। जबकि कैंसर कोशिकाऐं ऑक्सीजन के अभाव और अम्लीय माध्यम में ही फलती फूलती है। कैंसर कोशिकायें ऑक्सीजन से श्वसन क्रिया नहीं करती। यदि कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति 48 घन्टे के लिए लगभग 35 प्रतिशत कम कर दी जाए तो वह कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व ही संभव नहीं है।उन्होनें कई परिक्षण किये परन्तु वारबर्ग यह पता नहीं कर पाये कि कैंसर कोशिकाओं की बाधित श्वसन क्रिया को कैसे ठीक किया जाये। डॉ. योहाना ने वारबर्ग के शोध को जारी रखा। वर्षों तक शोध करके पता लगाया कि इलेक्ट्रोन युक्त, अत्यन्त असंतृप्त ओमेगा–3 वसा से भरपूर अलसी, जिसे अंग्रेजी में linseed या Flaxseed कहते हैं, का तेल कोशिकाओं में नई ऊर्जा भरता है, कोशिकाओं की स्वस्थ भित्तियों का निर्माण करता है और कोशिकाओं में ऑक्सीजन को खींचता है। इनके सामने मुख्य समस्या ये थी की अलसी के तेल को जो रक्त में नहीं घुलता है, को कोशिकाओं तक कैसे पहुँचाया जाये ? वर्षों तक कई परीक्षण करने के बाद डॉ. योहाना ने पाया कि सल्फर युक्त प्रोटीन जैसे पनीर अलसी के तेल के साथ मिलाने पर तेल को पानी में घुलनशील बनाता है और तेल को सीधा कोशिकाओं तक पहुँचाता है। इससे कोशिकाओं को भरपूर ऑक्सीजन पहुँचती है व कैंसर खत्म होने लगता है।
1952 में डॉ. योहाना ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल व पनीर के मिश्रण तथा कैंसर रोधी फलों व सब्जियों के साथ कैंसर रोगियों के उपचार का तरीका विकसित किया, जो “बुडविज प्रोटोकोल के नाम से विख्यात हुआ”। इस उपचार से कैंसर रोगियों को बहुत लाभ मिलने लगा था। इस सरल, सुगम, लभ उपचार से कैंसर के रोगी ठीक हो रहे थे। इस उपचार से 90 प्रतिशत तक सफलता मिलती थी। नेता और नोबल पुरस्कार समिति के सभी सदस्य इन्हें नोबल पुरस्कार देना चाहते थे पर उन्हें डर था कि इस उपचार के प्रचलित होने और मान्यता मिलने से 200 बिलियन डालर का कैंसर व्यवसाय (कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा उपकरण बनाने वाले बहुराष्ट्रीय संस्थान) रातों रात धराशाही हो जायेगा। इसलिए उन्हें कहा गया कि आपको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी को भी अपने उपचार में शामिल करना होगा। उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया।
यह सब देखकर कैंसर व्यवसाय से जुड़े मंहगी कैंसररोधी दवाईयां और रेडियोथेरेपी उपकरण बनाने वाले संस्थानों की नींद हराम हो रही थी। उन्हें डर था कि यदि यह उपचार प्रचलित होता है तो उनकी कैंसररोधी दवाईयां और कीमोथेरिपी उपकरण कौन खरीदेगा ? इस कारण सभी बहुराष्ट्रीय संस्थानों ने उनके विरूद्ध कई षड़यन्त्र रचे। ये नेताओं और सरकारी संस्थाओं के उच्चाधिकारियों को रिश्वत देकर डॉ. योहाना को प्रताड़ित करने के लिए बाध्य करते रहे। फलस्वरूप डॉ. योहाना को अपना पद छोड़ना पड़ा, सरकारी प्रयोगशालाओं में इनके प्रवेश पर रोक लगा दी गई और इनके शोध पत्रों के प्रकाशन पर भी रोक लगा दी गई।
विभिन्न बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने इन पर तीस से ज्यादा मुकदमें दाखिल किये। डॉ. बुडविज ने अपने बचाव हेतु सारे दस्तावेज स्वंय तैयार किये और अन्तत: सारे मुकदमों मे जीत भी हासिल की। कई न्यायाधीशों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियो को लताड़ लगाई और कहा कि डॉ. बुडविज द्वारा प्रस्तुत किये गये शोध पत्र सही हैं, इनके प्रयोग वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं, इनके द्वारा विकसित किया गया उपचार जनता के हित में है और आम जनता तक पहुंचना चाहिए। इन्हे व्यर्थ परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
वे 1952 से 2002 तक कैंसर के लाखों रोगियों का उपचार करती रहीं। अलबर्ट आईन्स्टीन ने एक बार सच ही कहा था कि आधुनिक युग में भोजन ही दवा का काम करेगा। इस उपचार से सभी प्रकार के कैंसर रोगी कुछ महीनों में ठीक हो जाते थे। वे कैंसर के ऐसे रोगियों को, जिन्हें अस्पताल से यह कर छुट्टी दे दी जाती थी कि अब उनका कोई इलाज संभव नहीं है और उनके पास अब चंद घंटे या चंद दिन ही बचे हैं, अपने उपचार से ठीक कर देती थीं। कैंसर के अलावा इस उपचार से डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, आर्थ्राइटिस, हृदयाघात, अस्थमा, डिप्रेशन आदि बीमारियां भी ठीक होजाती हैं।
डॉ. योहाना के पास अमेरिका व अन्य देशों के डाक्टर मिलने आते थे, उनके उपचार की प्रसंशा करते थे पर उनके उपचार से व्यावसायिक लाभ अर्जित करने हेतु आर्थिक सौदे बाज़ी की इच्छा व्यक्त करते थे। वे भी पूरी दुनिया का भ्रमण करती थीं। अपनी खोज के बारे में व्याख्यान देती थी। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमें “फेट सिंड्रोम”, “डेथ आफ ए ट्यूमर”, “फलेक्स आयल – ए ट्रू एड अगेन्स्ट आर्थाइटिस, हार्ट इन्फार्कशन, कैंसर एण्ड अदर डिजीज़ेज”, “आयल प्रोटीन कुक बुक”, “कैंसर – द प्रोबलम एण्ड सोल्यूशन” आदि मुख्य हैं। उन्होंने अपनी आख़िरी पुस्तक 2002 में लिखी थी।
कैंसररोधी योहाना बुडविज आहार विहार
डॉ. बुडविज आहार-विहार क्रूर, कुटिल, कपटी, कठिन, कष्टप्रद कर्क रोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है। आहार में प्रयुक्त खाद्य पदार्थ ताजा इलेक्ट्रोन युक्त और (जैविक जहां तक सम्भव हो) होने चाहिए। इस आहार में अधिकांश खाद्य पदार्थ सलाद और रसों के रूप में लिये जाते है, जिन्हें ताजा तैयार किया जाना चाहिए ताकि रोगी को भरपूरइलेक्ट्रोन्स मिले। ड़ॉ. बुडविज ने इलेक्ट्रोन्स पर बहुत जोर दिया है। अलसी के तेल में भरपूर इलेक्ट्रोन्स होते हैं और ड़ॉ बुडविज ने अन्य इलेक्ट्रोन्स युक्त खाद्यान्न भी ज्यादा से ज्यादा लेने की सलाह दी है। इस उपचार के बाद में कहा जाता है कि छोटी-छोटी बातें भी महत्वपूर्ण हैं। और जरा सी असावधानी इस आहार के औषधीय प्रभाव को प्रभावित कर सकती है।
रोज सूर्य के प्रकाश का सेवन अनिवार्य है। इससे विटामिन-डी भी प्राप्त होता है। रोजाना दस-दस मिनट के लिए दो बार कपड़े उतार कर धूप में लेटना आवश्यक है। पांच मिनट सीधा लेटे और करवट बदलकर पांच मिनट उल्टे लेट जायें ताकि शरीर के हर हिस्से को सूर्य के प्रकाश का लाभ मिले। रोगी की रोजाना अलसी के तेल की मालिश भी की जानी चाहिए इससे शरीर मेंरक्त का प्रवाह बढ़ता है और टॉक्सिन बाहर निकलते है। रोगी को हर तरह के प्रदूषण (जैसे मच्छर मारने के स्प्रे आदि) और इलेक्ट्रानिक उपकरणों (जैसे CRT वाले टी.वी. आदि) से निकलने वाले विकिरण से जहां तक सम्भव हो बचना चाहिए। रोगी को सिन्थेटिक कपड़ो की जगह ऊनी, लिनन और सूती कपड़े प्रयोग पहनना चाहिए। गद्दे भी फोम और पोलिएस्टर फाइबर की जगह रुई से बने हों।
यदि रोगी की स्थिति बहुत खराब हो या वह ठीक से भोजह नहीं ले पा रहा है तो उसे अलसी के तेल का एनीमा भी दिना चाहिये। ड़ॉ. बुडविज ऐसे रोगियों के लिए “अस्थाई आहार” लेने की सलाह देती थी। यह अस्थाई आहार यकृत और अग्न्याशय कैंसर के रोगियों को भी दिया जाता है क्योंकि वे भी शुरू में सम्पूर्ण बुडविज आहार नहीं पचा पाते हैं। अस्थाई आहार में रोगी को सामान्य भोजन के अलावा कुछ दिनों तक पिसी हुई अलसी और पपीते, अंगूर व अन्य फलों का रस दिया जाता है। कुछ दिनों बाद जब रोगी की पाचन शक्ति ठीक हो जाती है तो उसे धीरे-धीरे सम्पूर्ण बुडविज आहार शुरू कर दिया जाता है।
प्रातः –
प्रातः एक ग्लास सॉवरक्रॉट (खमीर की हुई पत्ता गोभी) का रस या एक गिलास छाछ लें। सॉवरक्रॉट में कैंसररोधी तत्व और भरपूर विटामिन-सी होता है और यह पाचन शक्ति भी बढ़ाता है। यह हमारे देश में उपलब्ध नहीं है परन्तु इसे घर पर पत्ता गोभी को ख़मीर करके बनाया जा सकता है।
पनीर बनाने के लिए गाय या बकरी का दूध सर्वोत्तम रहता है। इसे एकदम ताज़ा बनायें, तुरंत खूब चबा चबा कर आनंद लेते हुए सेवन करें। 3 बड़ी चम्मच यानी 45 एम.एल. अलसी का तेल और 6 बड़ी चम्मच यानी 90 एम.एल. पनीर को बिजली से चलने वाले हेन्ड ब्लेंडर से एक मिनट तक अच्छी तरह मिक्स करें। तेल और पनीर का मिश्रण क्रीम की तरह हो जाना चाहिये और तेल दिखाई देना नहीं चाहिये। तेल और पनीर को ब्लेंड करते समय यदि मिश्रण गाढ़ा लगे तो 1 या 2 चम्मच अंगूर का रस या दूध मिला लें। अब 2 बड़ी चम्मच अलसी ताज़ा पीस कर मिलायें। अलसी को पीसने के बाद पन्द्रह मिनट के अन्दर काम में ले लेना चाहिए।
मिश्रण में स्ट्राबेरी, रसबेरी, जामुन आदि फल मिलाऐं। बेरों में एलेजिक एसिड होते हैं जो कैंसररोधी हैं। आप चाहें तो आधा कप कटे हुए अन्य फल भी मिला लें। इसे कटे हुए मेवे खुबानी, बादाम, अखरोट, किशमिश, मुनक्के आदि सूखे मेवों से सजाऐ। मूंगफली वर्जित है। मेवों में सल्फर युक्त प्रोटीन, वसा और विटामिन होते हैं। स्वाद के लिए वनिला, दाल चीनी, ताजा काकाओ, कसा नारियल या नींबू का रस मिला सकते हैं।
दिन भर में कुल शहद 3 – 5 चम्मच से ज्यादा न लें। याद रहे शहद प्राकृतिक व मिलावट रहित हो। डिब्बा बंद या परिष्कृत कतई न हो। दिन भर में 6 या 8 खुबानी के बीज अवश्य ही खायें। इनमें विटामिन बी-17 होता हैं जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है। फल, मेवे और मसाले बदल कर प्रयोग करें। ओम खण्ड को बनाने के दस मिनट के भीतर ले लेना चाहिए। यदि और खाने की इच्छा हो तो टमाटर, मूली, ककड़ी आदि के सलाद के साथ कूटू, ज्वार, बाजरा आदि साबुत अनाजों के आटे की बनी एक रोटी ले लें। कूटू को बुडविज ने सबसे अच्छा अन्न माना है। गैहू में ग्लूटेन होता है और पचने में भारी होता है अतः इसका प्रयोग तो कम ही करें।
10 बजेः-
नाश्ते के 1 घंटे बाद घर पर ताजा बना गाजर, मूली, लौकी, चुकंदर, गाजर आदि का ताजा रस लें। गाजर और चुकंदर
यकृत को ताकत देते हैं और अत्यंत कैंसर रोधी होते हैं।
दोपहर का खानाः-
दोपहर के खाने के आधा घंटा पहले एक गर्म हर्बल चाय लें। कच्ची सब्जियां जैसे चुकंदर, शलगम, मूली, गाजर, गोभी, हरी गोभी, हाथीचाक, शतावर, आदि के सलाद को घर पर बनी सलाद ड्रेसिंग या ऑलियोलक्स के साथ लें। ड्रेसिंग को 1-2 चम्मच अलसी के तेल व 1-2 चम्मच पनीर के मिश्रण में एक चम्मच सेब का सिरका या नीबू के रस और मसाले डाल कर बनाएं।
सलाद को मीठा करना हो तो अलसी के तेल में अंगूर, संतरे या सेब का रस या शहद मिला कर लें। यदि फिर भी भूख है तो आप उबली या भाप में पकी सब्जियों के साथ एक दो मिश्रित आटे की रोटी ले सकते हैं। सब्जियों व रोटी पर ऑलियोलक्स (इसे नारियल, अलसी के तेल, प्याज, लहसुन से बनाया जाता है) भी डाल सकते हैं। मसाले, सब्जियों व फल बदल – बदल कर लेवें। रोज़ एक चम्मच कलौंजी का तेल भी लें। भोजन तनाव रहित होकर खूब चबा-चबा कर खाएं।
ॐ खंड की दूसरी खुराकः-
अब नाश्ते की तरह ही 3 बड़ी चम्मच अलसी के तेल व 6 बड़ी चम्मच पनीर के मिश्रण में ताजा फल, मेवे और मसाले मिलाकर लें। यह अत्यंत आवश्यक हैं। हां पिसी अलसी इस बार न डाले।
दोपहर बादः-
अन्नानास, चेरी या अंगूर के रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीस कर मिलाएं और खूब चबा कर, लार में मिला कर धीरे धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें। चाहें तो आधा घंटे बाद एक ग्लास रस और ले लें।
तीसरे पहरः-
पपीता या ब्लू बेरी (नीला जामुन) रस में एक चम्मच अलसी को ताजा पीस कर डालें खूब चबा–चबा कर, लार में मिला कर धीरे – धीरे चुस्कियां ले लेकर पियें। पपीते में भरपूर एंज़ाइम होते हैं और इससे पाचन शक्ति भी ठीक होती है।
सायंकालीन भोजः-
शाम को बिना तेल डाले सब्जियों का शोरबा या अन्य विधि से सब्जियां बनायें। मसाले भी डालें। पकने के बाद ईस्ट फ्लेक्स और ऑलियोलक्स डालें। ईस्ट फ्लेक्स में विटामिन-बी होते हैं जो शरीर को ताकत देते हैं। टमाटर, गाजर, चुकंदर, प्याज, शतावर, शिमला मिर्च, पालक, पत्ता गोभी, गोभी, हरी गोभी (ब्रोकोली) आदि सब्जियों का सेवन करें। शोरबे को आप उबले कूटू, भूरे चावल, रतालू, आलू, मसूर, राजमा, मटर साबुत दालें या मिश्रित आटे की रोटी के साथ ले सकते हैं।
बुडविज आहार के अत्यंत महत्वपूर्ण बिन्दु
1. डॉ. योहाना कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, वनस्पति घी, ट्रांस फेट, मक्खन, घी, चीनी, मिश्री, गुड़, रिफाइण्ड तेल, सोयाबीन व सोयाबीन से निर्मित दूध व टॉफू आदि, प्रिज़र्वेटिव, कीटनाशक, रसायन, सिंथेटिक कपड़ों, मच्छर मारने के स्प्रे, बाजार में उपलब्ध खुले व पेकेट बंद खाद्य पदार्थ, अंडा, मांस, मछली, मुर्गा, मैदा आदि से पूर्ण परहेज करने की सलाह देती थी। वे कैंसर रोगी को सनस्क्रीन लोशन, धूप के चश्में आदि का प्रयोग करने के लिए भी मना करती थी।
2. इस उपचार में यह बहुत आवश्यक है कि प्रयोग में आने वाले सभी खाद्य पदार्थ ताजा, जैविक और इलेक्ट्रोन युक्त हो। बचे हुए व्यंजन फेंक दें।
3. अलसी को जब आवश्यकता हो तभी पीसें। पीसकर रखने से ये खराब हो जाती है। तेल को तापमान (42 डिग्री सेल्सियस पर यह खराब हो जाता है), प्रकाश व ऑक्सीजन से बचायें। आप इसे गहरे रंग के पात्र में भरकर डीप फ्रीज़ में रखें।
4. दिन में कम से कम तीन बार हरी या हर्बल चाय लें।
5. इस उपचार में धूप का बहुत महत्व है। थोड़ी देर धूप में बैठना है या भ्रमण करना है जिससे आपको विटामिन डी प्राप्त होता है। सूर्य से ऊर्जा मिलेगी।
6. प्राणायाम, ध्यान व जितना संभव हो हल्का फुल्का व्यायाम या योगा करना है।
7. घर का वातावरण तनाव मुक्त, खुशनुमा, प्रेममय, आध्यात्मिक व सकारात्मक रहना चाहिये। आप मधुर संगीत सुनें, खूब हंसें, खेलें कूदें। क्रोध न करें।
8. सप्ताह में दो-तीन बार भाप स्नान या सोना-बाथ लेना चाहिए।
9. पानी स्वच्छ व फिल्टर किया हुआ पियें।
10. इस उपचार से धीरे-धीरे लाभ मिलता है और यदि उपचार को ठीक प्रकार से लिया जाये तो सामान्यत: एक वर्ष या कम समय में कैंसर पूर्णरूप से ठीक हो जाता है। रोग ठीक होने के पश्चात भी इस उपचार को 2-3 वर्ष या आजीवन लेते रहना चाहिये।
11. अपने दांतो की पूरी देखभाल रखना है। दांतो को इंफेक्शन से बचाना चाहिये।
12. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस उपचार को जैसा ऊपर विस्तार से बताया गया है वैसे ही लेना है अन्यथा फायदा नहीं होता है या धीरे-धीरे होता है।
आप सोच रहे होगें कि डॉ. योहाना की उपचार पद्धति इतनी असर दायक व चमत्कारी है तो यह इतनी प्रचलित क्यों नहीं है। यह वास्तव में इंसानी लालच की पराकाष्ठा है। सोचिये यदि कैंसर के सारे रोगी अलसी के तेल व पनीर से ही ठीक होने लगते तो कैंसर की मंहगी दवाइयॉं व रेडियोथेरेपी उपकरण बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कितना बड़ा आर्थिक नुकसान होता। इसलिए उन्होंने किसी भी हद तक जाकर डॉ. योहाना के उपचार को आम आदमी तक नहीं पहुंचने दिया। मेडीकल पाठ्यक्रम में उनके उपचार को कभी भी शामिल नहीं होने दिया।
उनके सामने शर्त रखी गई थी कि नोबेल पुरस्कार लेना है तो कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी को भी अपने इलाज में शामिल करो जो डॉ. योहाना को कभी भी मंजूर नहीं था। यह हम पृथ्वी वासियों का दुर्भाग्य है कि हमारे यहां शरीर के लिए घातक व बीमारियां पैदा करने वाले वनस्पति घी बनाने वालों पाल सेबेटियर् और विक्टर ग्रिगनार्ड को 1912 में नोबेल पुरस्कार दे दिया गया और कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी के इलाज की खोज करने वाली डॉ. योहाना नोबेल पुरस्कार से वनचित रह गई।
क्या कैंसर के उन करोड़ों रोगियों, जो इस उपचार से ठीक हो सकते थे, की आत्माएँ इन लालची बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कभी क्षमा कर पायेगी ? ? ? लेकिन आज यह जानकारी हमारे पास है और हम इसे कैंसर के हर रोगी तक पहुँचाने का संकल्प लेते हैं।
डॉ. योहाना का उपचार श्री कृष्ण भगवान का वो सुदर्शन चक्र है जिससे किसी भी कैंसर का बच पाना मुश्किल है।
डॉ योहाना बुडविज:- जानिये उनके बारे में के कैसे वह कैंसर को सही करती थी।Budwig Protocol - CANCER LADY.प्रस्तावनाः-डॉ योहाना बुडविज (जन्म 30 सितम्बर, 1908

ज्ञान वर्धक उपा • गुर्दे में पथरी –

ज्ञान वर्धक उपा
जीवन से जुडी कुछ जरुरी ध्यान देने योग्य बातें
[1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे ।
[२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की बरक्कत समाप्त हो जाती है ।
[३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं ।
[४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा ।
[५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की जल्दी कृपा होती है ।
[६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा ।
[७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि बाथरूम में बाल्टी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नही आवेगी ।
[८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार के दिन हरी वस्तु खाएं लेकिन पीली वस्तु बिलकुल ना खाएं इससे सुख समृद्धि बड़ेगी ।
[९] रात्रि को झूठे बर्तन कदापि ना रखें इसे पानी से निकाल कर रख सकते है हानि से बचोगें ।
[१०] स्नान के बाद गीले या एक दिन पहले के प्रयोग किये गये तौलिये का प्रयोग ना करें इससे संतान हठी व परिवार से अलग होने लगती है अपनी बात मनवाने लगती है अतः रोज़ साफ़ सुथरा और सूखा तौलिया ही प्रयोग करें ।
[११] कभी भी यात्रा में पूरा परिवार एक साथ घर से ना निकलें आगे पीछे जाएँ इससे यश की वृद्धि होगी । ऐसे ही अनेक अपशकुन है जिनका हम ध्यान रखें तो जीवन में किसी भी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा तथा सुख समृद्धि बड़ेगी






Muktiya
23 hrs
• गुर्दे में पथरी –
कई बार लोगो को खान-पान की गड़बड़ी, देर रात को भोजन करना, अत्यधिक एलोपैथिक दवाइयों का प्रयोग आदि कई तरह के कारणों से किडनी में एक तरह का पथरीला तत्व जमा होने लगता है. इसे ही पथरी कहते हैं. इसका शीघ्र उपचार न किया जाए, तो यह किडनी को भारी क्षति पहुंचा सकता है.
अगर यह मूत्र-नली में आकर अटक जाता है, तो बहुत ही ज्यादा पीड़ा होती है.
इसका उपचार इस तरह से करें -
1. सुबह उठते ही सबसे पहले आप सल्फर 200 7 बजे, दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. पथरी को गलाने के लिए कल्केरिया कार्ब 30 और चाइना 30 दिन में तीन-तीन बार बदल-बदल कर ले.
3. आप HSL कम्पनी का DROX 23 दिन में 3 बार बीस-बीस बूँद आधे कप पानी से ले.
4. या फिर Balvaris Vargaris Q + Pathrkurchi Q + Sarsparilla Q + Hydrengia Q + Paravia B. Q + Urtica Urens Q के मिश्रण की 25 -25 बूंद दिन में चार बार आधे कप पानी से ले.
5. बायोकेमीक दवाई KP 6X, MP 6X, NS 6X और Silicea 6X इन चारों की दो-दो गोली कुनकुने पानी से चार बार लें.
• शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग –
हमेशा स्वस्थ रहने के लिए कोई भी व्यक्ति या परिवार अगर निम्न उपचार द्वारा अपने शरीर की ओवरहालिंग और रिचार्जिंग करता है और खान-पान तथा एक्सरसाइज भी निम्न अनुसार लेता है, तो उसे कभी भी कैंसर, डायबटीज, ह्रदय रोग, लिवर रोग, किडनी फेल्यर, टी.बी., फेफड़े के रोग, चर्म रोग आदि कोई भी गंभीर बीमारी नहीं होगी और वह आजीवन सपरिवार स्वस्थ, प्रसन्न और खुशहाल रह सकेगा -
1. सबसे पहले आप सुबह 7 बजे कुल्ला करके सल्फर 200 को, फिर दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को खाने के एक से दो घंटे बाद या नौ बजे नक्स वोम 200 की पांच-पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले, फिर हर तीन से छह माह में तीन दिन तक लें.
2. इन दवाइयों को लेने के एक हफ्ते बाद हर 15-15 दिन में सोरिनम 200 का मात्र एक-एक पांच बूँद का डोज चार बार तक ले, ताकि आपके शरीर के अंदर जमा दवाई और दूसरे अन्य केमिकल और पेस्टीसाइड के विकार दूर हो सकें और आपके शरीर के सभी ह्रदय, फेफड़े, लीवर, किडनी आदि मुख्य अंग सुचारू रूप से कार्य कर सकेंगे. बच्चों और ज्यादा वृद्धों में ये सभी दवा 30 की पावर में दें.
3. अगर कब्ज रहता हो, तो होम्योलेक्स या HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 67 की एक या आधी गोली रोज रात एक सफ्ताह तक 9.30 बजे लें. इसके बाद हर व्यक्ति को चाहिए कि वह इसे हर हफ्ते एक या आधी गोली रात्रि 9.30 बजे ले.
4. आप सुबह दो से चार गिलास कुनकुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिया) करें.
5. साथ ही पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार करें. फिर 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करें. इसके बाद प्राणायाम करें.
6. रोज सुबह और रात को 15-15 मिनिट का शवासन भी करें.
7. फिर एक घंटे बाद अगर सूट करे, तो कम से कम एक माह तक नारियल पानी लें. या फिर इसे दोपहर चार बजे भी ले सकते हैं.
8. सुबह और शाम को अगर संभव हो, तो एक घंटा अवश्य घूमें.
9. रात को सोते समय अष्टावक्र गीता में बताये अनुसार दो मिनिट के लिए “मैं स्वयं ही तीन लोक का चैतन्य सम्राट हूँ” ऐसा जाप करें.
10. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के चार्ज किये और मिलाकर बने चुम्बकित जल को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में रोज दिन में 3 बार उपयोग करें.
11. रोज सुबह उच्च शक्ति चुम्बकों को हथेलियों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए लगायें और रात्रि को खाने के दो घंटे बाद पैर के तलुवों पर 15 मिनिट से आधे घंटे के लिए दक्षिणी चुम्बक को बायीं ओर और उत्तरी चुम्बक को दाहिनी ओर लगाये.
12. गेंहू, जौ, देसी चना और सोयाबीन को सम भाग मिलाकर पिसवा ले और उसकी रोटी सादे मसाले की रेशेदार सब्जी से खाएं. दाल का प्रयोग कम कर दें.
13. बारीक आटे व मैदे से बनी वस्तुएं, तली वस्तुएं एव गरिष्ठ भोजन का त्याग करे।
14. सुबह-शाम चाय के स्थान पर नीबू का रस गरम पानी में मिला कर पिएं।
15. खाने में सिर्फ सेंधे नमक का प्रयोग करें.
16. रात को सोने से पहले पेट को ठण्डक पहुँचायें। इसके लिए खाने के चार घंटे बाद एक नेपकिन को सामान्य ठन्डे पानी से गीली करके पेट पर रखें और हर दो मिनिट में पलटते रहें. 15 मिनिट से 20 मिनिट तक इसे करें.
17. मैथी दाना 250 ग्राम, अजबाइन 100 ग्राम और काली जीरी 50 ग्राम को पीस कर इस चूर्ण को कुनकुने पानी से रात्रि 9.30 बजे एक चम्मच लें.
18. रात्रि को खाना और जमीकंद खाना, शराब पीना व धूम्रपान अगर करते हों या तम्बाखू खाते हों, तो इन्हें बंद करें. शाकाहारी भोजन ही लें.
19. अपने शरीर की सालाना ओवरहालिंग के लिए साल में एक बार अपने आसपास के किसी भी प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में जाकर वहां का दस दिन का कोर्स करें.
20. अपने घर के बुजुर्ग लोगों की रोज एक घंटे के लिये सेवा और मदद करें.
21. अपने आसपास की झोपड़पट्टी में रहने वाले किसी गरीब व्यक्ति की हर हफ्ते जाकर मदद करें.
22. अध्यात्मिक कैप्सूल के रूप में मेरी पुस्तक मुक्तियाँ की एक-एक मुक्ति तीन माह तक रोज पढ़ें. इससे आपकी नेगेटिव एनर्जी कम होगी और पॉजिटिव एनर्जी बहुत तेजी से बढेगी.
23. मेरी स्वस्थ रहे, स्वस्थ करें, मुक्तियाँ और अन्य कई पुस्तकों को मेरे Samadhan समाधान ग्रुप से निशुल्क डाउन लोड करें. आप चाहे तो अपना email address मेरे मेसेज बाक्स में दे दे, तो मैं आपको डायरेक्ट मेल कर दूंगा.
24. होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब नम्बर से मिलती हैं. इनके नम्बर ध्यान से लिखें. साथ ही होम्योकाम्ब और बायोकाम्ब में कन्फ्यूज न हों. इन्हें साफ़-साफ़ लिखें.
25. किसी भी गंभीर मरीज को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को तत्काल दिखायें.
26. होम्योपैथी की दवाइयों को मुंह साफ़ करके कुल्ला करके लेना चाहिए. इनको लेते समय किसी भी तरह की सुगन्धित चीजों और प्याज, लहसुन, काफी, हींग और मांसाहार आदि से बचे और दवा लेने के आधा घंटा पहले और बाद में कुछ न लें.
27. हर दिन नई एलोपथिक दवाइयां बन रही हैं और अधिकांश पुरानी दवाइयों के घातक और खतरनाक परिणामों के कारण इन्हें कुछ ही वर्षों में भारत को छोड़ कर विश्व के कई देशों में बेन भी किया जा रहा है.
28. हमें भी चाहिये कि हम मात्र एलोपथिक दवाइयों पर ही निर्भर न रहकर योगासन, सूर्य किरण भोजन, अमृत-जल या सूर्य किरण जल चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, बायोकेमिक दवाइयाँ आदि निर्दोष प्रणालियों को अपना कर खुद और अपने परिवार को सुरक्षित करें.
29. इस तरह दवा मुक्त विश्व का निर्माण करना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है और इसके लिए आप सभी का सहयोग चाहिये, जो आप मेरे इन सन्देशों को दूर-दूर तक फैला कर मुझे दे सकते हैं.
30. मेरी सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी, लोक कल्याण, मानवाधिकार और आध्यात्मिक पोस्ट और पुस्तकों को देखने और उन्हें डाउनलोड करने के लिए आप मेरे ग्रुप “HEALTH CARE स्वस्थ रहो, स्वस्थ करो” और “Samadhan समाधान” से जुड़ सकते हैं और अपने दोस्तों को भी जोड़ सकते हैं.
31. मेरे नये आध्यात्मिक ग्रुप “कहान गुरु आस्था परिवार Kahan Guru Aastha Parivar” में आप सभी का स्वागत है. अतः मेरे इस इस शाश्वत कल्याणकारी ग्रुप से खुद भी जुड़े और अपने संगी-साथी को भी जोड़कर उनका भी अपने निज-परमात्मा के चैतन्य-चमत्कार से परिचय करवाएं.
मेरे पूर्णतः आध्यात्मिक, चैतन्य तत्व की बात करने ग्रुप
“डॉ. स्वतंत्र जैन सा. के आध्यात्मिक सूत्र : Dr.Swatantra Jain Sa Ka Aadhyatm”
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