मंगलवार, 5 मई 2020

जन्म कुंडली नहीं तो इसका



जन्म कुंडली नहीं तो इसका प्रिंट निकलवा कर अपने पास रखें, जीवन भर काम आएगा

कुछ लोगों की जन्म कुंडली नहीं होती न ही उन्हें अपने जन्म समय का अच्छी तरह से ज्ञान होता है !

ऐसी दशा में कैसे पता लगाया जाए कि आप पर किस ग्रह का प्रभाव चल रहा है !

जब आपका बुरा समय चल रहा हो तो आपको किसी दैवज्ञ या विद्वान ज्योतिषी की सहायता लेनी पड़ेगी ! 

कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिनका सीधा सम्बन्ध किसी ख़ास योग या ग्रह से होता है, जैसे कि :-

» अगर आपको अचानक धन हानि होने लगे ! आपके पैसे खो जाएँ, बरकत न रहे, दमा या सांस की बीमारी हो जाए, त्वचा सम्बन्धी रोग उत्पन्न हों, कर्ज उतर न पाए, किसी कागजात पर गलत दस्तखत से नुक्सान हो तो

आप पर बुध ग्रह का कुप्रभाव चल रहा है !

इसके लिए बुधवार को किन्नरों को हरे वस्त्र दान करें और गाय को हरा चारा इसी दिन खिलाएं !

» अगर बुजुर्ग लोग आपसे बार बार नाराज होते हैं, जोड़ों मैं तकलीफ है, शरीर मैं जकरण या आपका मोटापा बढ़ रहा है, नींद कम है, पढने लिखने में परेशानी है
 किसी ब्रह्मण से वाद विवाद हो जाए अथवा पीलिया हो जाए तो समझ लेना चाहिए की
गुरु का अशुभ प्रभाव आप पर पढ़ रहा है ! अगर सोना गुम हो जाए ,पीलिया हो जाए ,या पुत्र पर संकट आ जाए

तो निस्संदेह आप पर गुरु का अशुभ प्रभाव चल रहा है !

ऐसी स्थिति में केसर का तिलक वीरवार से शुरू करके २७ दिन तक रोज लगायें, सामान्य अशुभता दूर हो जाएगी किन्तु गंभीर परिस्थितियों में जैसे अगर नौकरी चली जाए या पुत्र पर संकट, सोना चोरी या गुम हो जाए तो बृहस्पति के बीज मन्त्रों का जाप करें या करवाएं ! तुरंत मदद मिलेगी !
 मंत्र का प्रभाव तुरंत शुरू हो जाता है !

» अगर आपको वहम हो जाए, जरा जरा सी बात पर मन घबरा जाए, आत्मविश्वास मैं कमी आ जाए, सभी मित्रों पर से विशवास उठ जाए, ब्लड प्रेशर की बीमारी हो जाए, जुकाम ठीक न हो या बार बार होने लगे, आपकी माता की तबियत खराब रहने लगे ! अकारण ही भय सताने लगे और किसी एक जगह पर आप टिक कर ना बैठ सकें, छोटी छोटी बात पर आपको क्रोध आने लगे तो समझ लें की
आपका चन्द्रमा आपके विपरीत चल रहा है !
इसके लिए हर सोमवार का व्रत रखें और दूध या खीर का दान करें !

» अगर आपकी स्त्रियों से नहीं बनती, किसी स्त्री से धोखा या मान हानि हो जाए, किसी शुभ काम को करते वक्त कुछ न कुछ अशुभ होने लगे, आपका रूप पहले जैसा सुन्दर न रहे ! लोग आपसे कतराने लगें ! वाहन को नुक्सान हो जाए ! नीच स्त्रियों से दोस्ती, ससुराल पक्ष से अलगाव तथा शूगर हो जाए
तो आपका शुक्र बुरा प्रभाव दे रहा है !

उपाय के लिए महालक्ष्मी की पूजा करें, चीनी, चावल तथा चांदी शुक्रवार को किसी ब्राह्मण की पत्नी को भेंट करें, बड़ी बहन को वस्त्र दें, २१ ग्राम का चांदी का बिना जोड़ का कड़ा शुक्रवार को धारण करें ! अगर किसी के विवाह में देरी या बाधाएं आ रही हों तो जिस दिन रिश्ता देखने जाना हो उस दिन जलेबी को किसी नदी मैं प्रवाहित करके जाएँ ! इन में से किसी भी उपाय को करने से आपका शुक्र शुभ प्रभाव देने लगेगा ! किसी सुहागन को सुहाग का सामन देने से भी शुक्र का शुभ प्रभाव होने लगता है !
ध्यान रहे, शुक्रवार को राहुकाल में कोई भी उपाय न करें !

» अगर आपके मकान मैं दरार आ जाए ! घर में प्रकाश की मात्रा कम हो जाए ! जोड़ों में दर्द रहने लगे विशेषकर घुटनों और पैरों में या किसी एक टांग पर चोट, रंग काला हो जाए, जेल जाने का डर सताने लगे, सपनों मैं मुर्दे या शमशान घाट दिखाई दे, आंखों मैं मोतिया उतर आये, गठिया की शिकायत हो जाए, परिवार का कोई वरिष्ठ सदस्य गंभीर रूप से बीमार या मृत्यु को प्राप्त हो जाए

तो आप पर शनि का कुप्रभाव है जिसके निवारण के लिए

शनिवार को १ लीटर सरसों का तेल लोहे के कटोरे में डाल कर अपना मुह उसमे देख कर किसी काले वर्ण वाले ब्राह्मण को दान में दें ! ऐसा हर शनिवार करें ! बीमारी की अवस्था में किसी गरीब, बीमार व्यक्ति को दवाई दिलवाएं !

» अगर आपके बाल झड जाएँ और आपकी हड्डियों के जोड़ों मैं कड़क कड़क की आवाज आने लगे, पिता से झगडा हो जाए, मुकदमा या कोर्ट केस मैं फंस जाएँ, आपकी आत्मा दुखी हो जाए, आलसी प्रवृत्ति हो जाये

तो आपको समझ लेना चाहिए की सूर्य का अशुभ प्रभाव आप पर हो रहा है !

ऐसी दशा मैं सबसे अच्छा उपाय है की हर सुबह लाल सूर्य को मीठा डालकर अर्ध्य दें ! इनकम टैक्स का भुगतान कर दें व् पिता से सम्बन्ध सुधरने की कोशिश करें !

» आपको खून की कमी हो जाए, बार बार दुर्घटना होने लगे या चोट लगने लगे, सर मैं चोट, आग से जलना, नौकरी मैं शत्रु पैदा हो जाएँ या ये पता न चल सके की कौन आपका नुक्सान करने की चेष्टा कर रहा है, व्यर्थ का लड़ाई झगडा हो, पुलिस केस, जीवन साथी के प्रति अलगाव नफरत या शक पैदा हो जाए, आपरेशन की नौबत आ जाए, कर्ज ऐसा लगने लगे की आसानी से ख़त्म नहीं होगा
 तो आप पर मंगल ग्रह क्रुद्ध हैं !

हनुमान जी की यथासंभव उपासना शुरू कर दें ! हनुमान जी के चरणों मैं से तिलक लेकर माथे पर प्रतिदिन लगायें, अति गंभीर परिस्थितियों मैं रक्त दान करें तो जो रक्त आपका आपरेशन, चोट या दुर्घटना आदि के कारण निकलना है, नहीं होगा।
शक्ति साधक-आचार्य सविता पटवाल रिद्धि सिद्धि ज्योतिष केंद्र

राजनैतिक- सफलता के विशेष योग

राजनैतिक- सफलता के विशेष योग -                                                     आज- कुंडली के विशेष लक्षण...कल की पोस्ट में विस्तार से बताऊंगी

1. यदि सूर्य स्व या उच्च राशि (सिंह, मेष) में होकर केंद्र, त्रिकोण आदि शुभ भावो में बैठा हो तो राजनीति में सफलता मिलती है।

2. सूर्य दशम भाव में हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता मिलती है।

3. सूर्य यदि मित्र राशि में शुभ भाव में हो और अन्य किसी प्रकार पीड़ित ना हो तो भी राजनैतिक सफलता मिलती है।

4. शनि यदि स्व, उच्च राशि (मकर , कुम्भ, तुला) में होकर केंद्र त्रिकोण आदि शुभ स्थानों में बैठा हो तो राजनीती में अच्छी सफलता मिलती है।
5.यदि चतुर्थेश चौथे भाव में बैठा हो या चतुर्थेश की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को विशेष जनसमर्थन मिलता है।

6. चतुर्थेश का स्व या उच्च राशि में होकर शुभ स्थानं में होना भी राजनैतिक सफलता में सहायक होता  है।

7. बृहस्पति यदि बलि होकर लग्न में बैठा हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।

8. दशमेश और चतुर्थेश का योग हो या दशमेश चतुर्थ भाव में और चतुर्थेश दशम भाव में हो तो ये भी राजनीती में सफलता दिलाता है 

9. सूर्य और बृहस्पति का योग केंद्र ,त्रिकोण में बना हो तो ये भी राजनैतिक सफलता दिलाता है।

10. बुध-आदित्य योग (सूर्य + बुध) यदि दशम भाव में बने और पाप प्रभाव से मुक्त हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।

विशेष - कुंडली में सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव बलि होने के बाद व्यक्ति को राजनीति में किस स्तर तक सफलता मिलेगी यह उसकी पूरी कुंडली की शक्ति और अन्य ग्रह स्थितियों पर निर्भर करता है।

जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो राहु से पीड़ित हो अष्टम भाव में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो राजनीति में सफलता नहीं मिल पाती या बहुत संघर्ष बना रहता है। शनि पीड़ित या कमजोर होने से ऐसा व्यक्ति चुनावी राजनीति में सफल नहीं हो पाता, कमजोर शनि वाले व्यक्ति की कुंडली में अगर सूर्य बलि हो तो संगठन में रहकर सफलता मिलती है।
उपाय - राजनीती से जुड़े या राजनीती में जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को सूर्य उपासना अवश्य करनी चाहिये -

1. आदित्य हृदय स्तोत्र का रोज पाठ करें।
2. सूर्य को रोज जल अर्पित करें।
3. ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। ..............
जै माता दी 🚩🚩🚩

हर महीने में दो रातें ऐसी होती हैं  जो संपूर्ण जीवन की दिशा  बदल सकती हैं।
जो है अमावस्या और पूर्णिमा
इन दो रातों में किया गया दान , ओर पूजा,
आपके जीवन में बहुत कुछ बदल सकती है

आइए इसे विस्तार से जाने।

आपके कर्मों के अनुसार जैसी आपके मन,आत्मा और शरीर में यादें बसी हुई है और जिसके साथ आप ज्यादा है। वह आप और ज्यादा हो जाते हैं इन दो रातों में।

अगर आप भावुक है तो और ज्यादा हो जाएंगे। अगर कोई मानसिक रोगी है तो और परेशान हो जाएगा। अगर आप हंस रहे हैं या रो रहे हैं तो और ज्यादा बढ़ जाएगा।

प्ररनतु इसे जीवन के लिए उपयोगी कैसे बनाया जाए।

बस आपको इन 2 दिन और दो रातों में किसी विशेष स्थिति में रहना होता है।

जैसे  कोई भी तामासिक भोजन ओर मदिरा का सेवन न करें
तथा अपनी मानसिक स्थिति को भी ठीक अपनी मुख्य इच्छा पर केंद्रित करना होता है।

इसके लिए अगर आप अपने किसी ज्योतिष आचार्य की मदद लेते हैं तो वह आपकी कुंडली के अनुसार बताएगा।

यह फार्मूला काम नहीं करेगा,

क्योंकि जैसे केलकुलेटर से हम फोन काल नहीं कर सकते, केलकुलेटर का अपना काम है और फोन का अपना।

इसके लिए किसी अच्छे साधक या इसके जानकार की जरूरत पड़ेगी।
अगर आपको कोई ना भी मिले तो बस आप अपने मुख्य कार्य, अपनी अभीष्ट इच्छा पर केंद्रित हो जाइए। इन दो रातों में और 2 दिनों में। इसी पर केंद्रित रहिए।

अपने जीवन की किसी विशेष प्लानिंग को इस दिन मूर्त रूप दीजिए।

आप इसको ऐसे समझें की पूर्णिमा रोशनी के दिनों में आपको 15 दिन किसी एक विषय पर प्लानिंग करनी होती है। 

अगर आप इतना भी कर लें तो आप की सफलता का प्रतिशत बहुत बढ़ जाएगा।

पर अगर  किसी विशेष साधक या जानकर की मदद से अपने आप को विशेष स्तिथि में रखें तो जीवन स्तर बहुत ऊंचा हो जाएगा।

समाज में, अर्थ में, पर्सनालिटी में, भौतिक सुखों में एकदम से वृद्धि होगी। बस आपको यह करना आ जाए।

चांद धरती को एक दूरी पर स्थिर रखता है,  घूमने के बाद भी धरती अगर  इधर उधर डोलती नहीं तो वह चंद्रमा की वजह से है। 

इसका असर  धरती के हर जीव पर सीधा पड़ता है। आप इसका सीधा असर समुद्र पर देख सकते हैं। पूर्णिमा की रात वह उफान पर होता है। जो चंद्रमा इतने विशाल समुद्र को आकर्षित कर सकता है वह आपको भी करता है।

धरती पर 75% जल है हमारे शरीर में भी 75% ही जल है।
हम एक तरह से मिनरल वाटर की 75% भरी हुई बोतल है तो चंद्रमा का हमारे ऊपर बहुत असर होता है।
अमावस की रात को तो पूर्णिमा की रात से भी ज्यादा।

अपने अंदर सही तरह के गुण पैदा करें।ताकि आप  जागरूक होकर कुछ विशेष बन सकें।

आप अपने अंदर अचेतन रूप से होने वाले विस्फोटों के शिकार ना हो जाए।

चांद खुद आपको पागल नहीं बनाता है। बस मौजूद गुणों को बढ़ा देता है।

सागर भी पागल हो जाता है।

आप समुद्र तट पर तैर रहे हैं तो यह पागलपन है। अगर आप एक बड़े जहाज के पायलट हैं तो यह आपके लिए वरदान है।

पूरा समुद्र ऊपर उठने की कोशिश करता है। जब सागर ऊपर उठ रहा हो तो यह स्थिति आपको भी ऊंचा उठने में सहायक हो सकती हैं। अगर आपने इसका इस्तेमाल करने की कला आ जाये।

इंसानी जीवन पर चांद का प्रभाव इससे कहीं ज्यादा है।

यह सिस्टम में अलग-अलग तरह के गुण और ऊर्जा पैदा करता है।
अगर कोई जागरूक है तो उसका इस्तेमाल कर सकता है।

अगर व्यापार करना चाहते हैं। आप घर बनाना चाहते हैं। आप दुनिया में सभी चीजें करना चाहते हैं तो आपको किसके साथ तालमेल बिठाना होगा और इसे समझना होगा यह ज्यादा से ज्यादा कैसे काम करता है।

भूलकर भी इन दो रातों में तार्किक अंग्रेजी में कहें तो लॉजिकल ना रहे। यह स्थिति खतरनाक है  मन के लिए। आपकी प्लानिंग के लिए। 
बस  अपने कार्य के साथ प्रैक्टिकल रहे अपनी प्लानिंग के साथ प्रैक्टिकल रहे।

हठ योग में हम इसे दो पहलुओं के रूप में देखते हैं।
हठ योग का मतलब सूर्य और चाँद।
ह-यानी सूर्य, 
ठ-यानी चाँद,

इसके कई प्रतीक हैं। आपने देखा होगा कि शिव को आधे पुरुष और आधी नारी के रूप में दर्शाया जाता है।

हमारे अंदर भी यह दोनों स्वरूप मौजूद है।

यह जीवन के 2 आयाम हैं।

इन दोनों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। जो इन दोनों आयामों पर ध्यान देता है, वही सुखी,संपन्न वैभवशाली, स्वस्थ और समाज में स्थिर एवं ताकतवर बनकर उभरता है।

आपको अपने जीवन के दोनों आयामों को समझना होगा और इन पर ध्यान देना होगा ।

ग्रहों के 120 गुण.......



ग्रहों के 120 गुण.......

लगन अगर-
मेष है तो आदमी का बच्चा है
वृष है तो धन की मशीन है
मिथुन है तो टेलीफ़ोन है
कर्क है तो भावना की पुडिया है
सिंह है तो अहम भरा हुआ है
कन्या है तो कर्जा दुश्मनी बीमारी से घिरा है
तुला है तो हर बात में फ़ायदा सोचने वाला है
वृश्चिक है तो भूतो का सरदार है
धनु है तो बाप दादा की बात करने वाला है
मकर है तो चौबीस घंटे काम ही काम है
कुम्भ है तो जल्दी रिस्ता बना सकता है
मीन है तो हमेशा मौन रहने वाला है

लगन से सूर्य अगर-
पहले भाव मे है तो अहम भरा है
दूसरे भाव मे है तो चमक के आगे कुछ दिखाई ही नही देता
तीसरे भाव मे है तो नेतागीरी पहले है
चौथे भाव मे है तो राजनीति वाली सोच है
पंचम भाव मे है तो परिवार मे ही राजनीति करने वाला है
छठे भाव मे है तो बाप को नौकर समझता है
सातवे भाव मे है जीवन साथी का गुलाम है
आठवे भाव मे है तो बेचारा दिल का मरीज है
नवे भाव मे है तो धर्म से भी कमाने वाला है
दसवे भाव मे है तो सभी काम नेतागीरी से किये जाते है
ग्यारहवे भाव मे है तो पिता को नोट छापने की मशीन समझता है
बारहवे भाव मे है तो आंखों का मरीज है

लगन से चन्द्र अगर-
पहले भाव मे है तो मन से काम करने वाला है
दूसरे भाव मे है तो ख्यालों से धनी है
तीसरे भाव मे है तो हर बात को पूंछ कर चलने वाला है
चौथे भाव मे है तो मकान दुकान और घर मे रहने वाला है
पंचवे भाव मे है तो मनोरंजन में ही मस्त रहने वाला है
छठे भाव मे है तो कोई काम सोचने से नही होता है
सातवे भाव मे है तो हर बात में माता की राय जरूरी है
आठवे भाव मे है तो दिल की गहराइया बहुत है,थाह पाना मुश्किल है
नवे भाव मे है तो हर काम भाग्य के भरोसे है
दसवे भाव मे है तो कार्य के लिये सोचने वाला है करने वाला नही है
ग्यारहवे भाव मे है तो कमाने के पहले ही कर्जा करने वाला है
बारहवे भाव मे है तो टोने टोटके और ज्योतिष मे रुचि रखने वाला है

मंगल अगर-
पहले भाव मे है तो तलवार का धनी है
दूसरे भाव मे है तो खरी खोटी सुनाने वाला है
तीसरे भाव मे है तो झगडा करने की आदत है
चौथे भाव मे है तो दिल को सुलगाने वाला है
पंचम भाव मे है तो खिलाडी है
छठे भाव मे है तो खून मे ही बीमारी है
सातवे भाव मे है तो काम मे चौकस है
आठवे भाव मे है तो जली हुयी मिठाई है
नवे भाव मे है तो खानदान को आग लगाने वाला है
दसवे भाव में है तो जो कहा है वह सच है,भले ही झूठ हो
ग्यारहवे भाव मे है तो चोरों का सरदार है
बारहवे भाव मे है तो तवे पर पानी छिनछिनाता है

बुध अगर-
पहले भाव मे है तो बातूनी है
दूसरे भाव मे है तो जमीन जायदाद वाला है
तीसरे भाव मे है तो चुगलखोर है
चौथे भाव मे है तो गाने बजाने मे रुचि है
पंचम भाव मे है तो गेंद की तरह परिवार को उछालने वाला है
छठे भाव मे है तो आवाज भी धीमी है
सातवे भाव मे है तो मौन रहकर सुनने वाला है
आठवे भाव मे है तो बात की औकात ही नही है
नवे भाव मे है तो पहुंच कर भी जगह से फ़िसलने वाला है
दसवें भाव मे है तो बातों का व्यापार करने वाला है
ग्यारहवे भाव मे है तो इतिहास को बखानने वाला है
बारहवे भाव मे है तो आधा पागल है

गुरु अगर-
पहले भाव मे है तो बेचारा अकेला है
दूसरे भाव मे है तो वेद को भी बेचकर खाने वाला है
तीसरे भाव मे है तो हर बात धर्मानुसार होनी चाहिये
चौथे भाव मे है तो कपडे की जानकारी है
पंचम भाव मे रास्ते चलते शिक्षा देने वाला है
छठे भाव मे है तो कर्जा दुश्मनी और बीमारी के मामले मे गुणी है
सप्तम भाव मे है तो धर्म पर बहस करने वाला है
अष्टम भाव मे है तो जमा पूंजी को खाने वाला है
नवम भाव मे है तो पूर्वजों के भाग्य की खा रहा है
दसम भाव मे है तो पूर्वजों की सम्पत्ति को बेच कर खाने वाला है
ग्यारहवे भाव मे है तो दोस्तों के साथ ही पति या पत्नी के सम्बन्ध बनाने वाला है
बारहवे भाव मे है तो आगे नाम चलाने वाला ही नही है

शुक्र अगर-
पहले भाव मे है तो खूबसूरत है
दूसरे भाव मे है तो बिना क्रीम लगाये कही जाने वाला नही
तीसरे भाव मे है तो सज संवर कर ही निकलेगा
चौथे भाव मे है तो रोजाना सवारी तो करनी ही है
पंचम भाव मे है तो फ़िल्म देखने से ही फ़ुर्सत नही है
छठे भाव मे है तो मकान दुकान और पत्नी को भी गिरवी रखने वाला है
सातवें भाव मे है तो जीवन को पैर के नीचे लेकर चलने वाला है
अष्टम मे है तो शमशान मे भी सो सकते है
नवम मे है तो देश मे तो रह ही नही सकते है
दसवे भाव मे है तो चमक दमक मे ही काम करना है,शाम को भले भूखा सोना पडे
ग्यारहवे भाव मे है तो शाम को रोटी भी उधारी की आ सकती है
बारहवे भाव मे है तो आराम का मामला है

शनि अगर-
पहले भाव मे है तो जड है
दूसरे भाव मे है तो धन की चिन्ता है
तीसरे भाव मे है तो आलसी है
चौथे भाव में ठंड अधिक लगती है
पंचम मे है तो कल का खाया ही नही पचता है
छठे भाव मे है तो सारी जिन्दगी की ताबेदारी यानी नौकरी है
सप्तम मे है तो रोजाना पहाड पर चढ कर काम करना है
अष्टम मे है तो सूखा कुआ है
नवम मे है तो भाग्य भरोसे नही काम के भरोसे कमाना है
दसवे भाव मे है तो दिन रात की मेहनत के बाद भी केवल रोटी
ग्यारहवे भाव मे है तो रोजाना काम का पैसा डूबने वाला है
बारहवे भाव मे है तो आराम के मामलो मे खर्चा नही

राहु अगर-
पहले भाव मे है तो आसमान से उतरना मुश्किल है
दूसरे भाव मे है तो पैसा कहां से आयेगा
तीसरे भाव मे है तो कोई भरोसा नही कब थप्पड मार दे
चौथे भाव मे है तो हर बात में शक है
पंचम मे है तो पढाई से क्या होता है हम तो बहुत जानते है
छठे भाव मे है तो बिना दवाई के रास्ता नही चलनी
सातवे भाव मे है तो घर मे कभी नही बननी
आठवे भाव मे है तो पता नही कब गुम जायें
नवे भाव मे है तो खाना खाने से भी पहले पूर्वजों का नाम लेना है
दसवे भाव मे कभी तो भूत की तरह काम करना है कभी करना ही नही है
ग्यारहवे भाव मे है तो कभी बहुत कमाई कभी धेला भी नही
बारहवे भाव मे है तो घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है

केतु अगर-
पहले भाव मे है तो अकेला काफ़ी है
दूसरे भाव मे है तो मालिक के लिये धनदायक है
तीसरे भाव मे है तो टेलीफ़ोन का तार है
चौथे भाव मे है तो बेचारा सांस का मरीज है
पंचम भाव मे है तो क्रिकेट का बल्ला है
छठे भाव मे है तो औजार ही खराब है
सातवे भाव मे है तो सामने खम्भा है
आठवे भाव मे है तो एक टांग टूटी है
नवे भाव मे है तो कोई धर्म हो सब एक जैसे है
दसवे भाव मे है तो सरकारी नेता है
ग्यारहवे भाव मे है तो हर काम बायें हाथ का है
बारहवे भाव मे है तो झंडा ऊंचा रहे हमारा

पद्मपुराण में श्रीक्षेत्र नीरा-नृसिंहपुर

श्रीक्षेत्र नीरा-नृसिंहपुर की महिमा

भक्त प्रह्लाद पूजित श्री नृसिंह भगवान की बालुकामय मूर्ति


१. पद्मपुराण में श्रीक्षेत्र नीरा-नृसिंहपुर स्थान का उल्लेख है ।

पुणे जनपद के पूर्व-दक्षिण कोण की दिशा में नीरा और भीमा नदियों के संगम तट पर श्रीक्षेत्र नीरा-नृसिंहपुर बसा है । जिनके कुलदेवता ‘नृसिंह’ हैं, वे इस तीर्थक्षेत्र में जाकर श्री नृसिंह के दर्शन करें । इसी स्थान पर देवर्षि नारद  जी ने वहां इंद्र को रोककर कहा  था कि कयाधु के गर्भ से भगवान के भक्त का जन्म होनेवाला है । तब इंद्र ने कयाधु को नारद के आश्रम में रखा । आगे, इसी आश्रम में कयाधु के गर्भ से भक्त प्रह्लाद का जन्म हुआ । नारदमुनि के साथ रहने से प्रह्लाद में भक्ति दृढ हुई ।


२. प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न श्री नृसिंह भगवान का उसे दर्शन देना

कुछ बडा होने पर प्रह्लाद ने नीरा-भीमा नदियों के संगम की बालू से श्री नृसिंह भगवान की मूर्ति बनाई और उसकी प्रतिदिन मनोभाव से पूजा करने लगा । इस पूजा से प्रसन्न होकर श्री नृसिंह भगवान से उसे दर्शन दिए और वर दिया कि जो भी तुम्हारी भांति इस बालुकामूर्ति की पूजा-अर्चा करेगा, उसकी मनोकामना पूरी होगी ।
बताया जाता है कि वही मूर्ति आजकल इस मंदिर में पश्मिमाभिमुख विराजमान है । यहां के एक शिलालेख में लिखा है कि इस मंदिर का निर्माण ई.स. १६७८ में आरंभ हुआ था ।


३. श्री नृसिंहमूर्ति की विशेषताएं

यहां की श्री नृसिंहमूर्ति पश्‍चिमाभिमुख है और बालू की शिला से बनाई गई है । भक्त प्रह्लाद से पूजित यह मूर्ति वीरासन मुद्रा में है, जिसके दोनों हाथ जंघों पर हैं और ऐसा लगता है कि भगवान नृसिंह सामने के मंदिर में स्थित भक्त प्रह्लाद की मूर्ति तथा भक्तों की ओर बहुत करुणाभाव से देख रहे हैं । इस मूर्ति के बाईं ओर स्थित गर्भगृह में ही ब्रह्मदेव पूजित अति प्राचीन श्री नृसिंह शामराजा की उत्तराभिमुखी मूर्ति है । यह देवस्थान बहुत जागृत है ।


४. क्षेत्रमाहात्म्य

इस क्षेत्र में नृसिंह भगवान सदा निवास करते हैं । इस मंदिर के केवल दर्शन से भी चारों पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं और मृत्यु के पश्‍चात वैकुंठलोक में स्थान मिलता है । यह स्थान, पृथ्वी के केंद्र में स्थित है । पद्मपुराण के एक श्‍लोक में नीरा-नृसिंहपुर क्षेत्र के विषय में लिखा है –
सुदर्शनमित्यभिहितं क्षेत्रं यत् वेदविद्वरैः ।
तन्नाभिरेव भूगर्भे क्षेत्रराजो विराजते ॥
अर्थ : वेदों के ज्ञाता जिस तीर्थक्षेत्र की प्रशंसा में ‘सुदर्शन’ शब्द का प्रयोग करते हैं वह (नीरा-नृसिंहपुर क्षेत्र), क्षेत्रराज है और पृथ्वी के केंद्र में विराजमान है ।