गुरुवार, 28 मई 2015

7 कारन जो हल्‍दी का दूध पीने के लिये करते हैं प्रेरित :-

7 कारन जो हल्‍दी का दूध पीने के लिये करते हैं प्रेरित :-
बहुत फायदेमंद हैं हल्‍दी वाला दूध :-
दूध जहां कैल्शियम से भरपूर होता है वहीं दूसरी तरफ हल्‍दी में एंटीबायोटिक होता है। दोनों ही आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। और अगर दोनों को एक साथ मिला लिया जाये तो इनके लाभ दोगुना हो जायेगें। आइए हल्‍दी वाले दूध के ऐसे फायदों को जानकर आप इसे पीने से खुद को रोक नहीं पायेगें
1.सांस संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी :-
हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते है, इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह मसाला आपके शरीर में गरमाहट लाता है और फेफड़े तथा साइनस में जकड़न से तुरन्त राहत मिलती है। साथ ही यह बैक्टीरियल/वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है।
2. मोटापा कम करें :-
हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल और अन्‍य पोषक तत्व वजन घटाने में मदगार होते है।
3. हडि्डयों को मजबूत बनाये :-
दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयां मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस की समस्‍या में कमी आती है।
4. खून साफ करें :-
आयुर्वेदिक परम्‍परा में हल्‍दी वाले दूध को एक बेहतरीन रक्त शुद्ध करने वाला माना जाता है। यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है। और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है।
5. पाचन संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी :-
हल्‍दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आंतों को स्‍वस्‍थ बनाने के साथ पेट के अल्‍सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्‍सर, डायरिया और अपच की समस्‍या नहीं होती है।
6. दर्द कम करें :-
हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया का निदान होता हैं। साथ ही इसका रियूमेटॉइड गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। यह जोड़ो और मांसपेशियों को लचीला बनाता है जिससे दर्द कम होता है।
7. गहरी नींद में सहायक:-
हल्‍दी शरीर में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो अम्ल को बनाता है जो शान्तिपूर्वक और गहरी नींद में सहायक होता है। इसलिए अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहें है या आपको बैचेनी हो रही है तो सोने से आधा घंटा पहले हल्दी वाला दूध पीएं। इससे आपको गहरी नींद आएगी और नींद ना आने की समस्या दूर हो जाएगी।

वास्तु शास्त्र से पहचानें शुभ पेड़-पौधे

वास्तु शास्त्र से पहचानें शुभ पेड़-पौधे
भारतीय संस्कृति में वृक्षों का अपना महत्वपूर्ण स्थान रहा है। अंततोगत्वा भूमि पर उत्पन्न होने वाले वृक्षों के आधार पर भूमि का चयन किया जाता है।
कांटेदार वृक्ष घर के समीप होने से शत्रु भय होता है। दूध वाला वृक्ष घर के समीप होने से धन का नाश होता है।
* पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा काँटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित कहे गए हैं।
* भवन निर्माण के पहले यह भी देख लेना चाहिए कि भूमि पर वृक्ष, लता, पौधे, झाड़ी, घास, कांटेदार वृक्ष आदि नहीं हों।
*जिस भूमि पर पपीता, आंवला, अमरूद, अनार, पलाश आदि के वृक्ष बहुत हों वह भूमि, वास्तुशास्त्र में बहुत श्रेष्ठ बताई गई है।
* जिन वृक्षों पर फूल आते रहते हैं और लता एवं वनस्पतियां सरलता से वृद्धि करती हैं इस प्रकार की भूमि भी वास्तुशास्त्र में उत्तम बताई गई है।
* जिस भूमि पर कंटीले वृक्ष, सूखी घास, बैर आदि वृक्ष उत्पन्न होते हैं। वह भूमि वास्तु में निषेध बताई गई है।
* जो व्यक्ति अपने भवन में सुखी रहना चाहते हैं उन्हें कभी भी उस भूमि पर निर्माण नहीं करना चाहिए, जहां पीपल या बड़ का पेड़ हो।
* सीताफल के वृक्ष वाले स्थान पर भी या उसके आसपास भी भवन नहीं बनाना चाहिए। इसे भी वास्तुशास्त्र ने उचित नहीं माना है, क्योंकि सीताफल के वृक्ष पर हमेशा जहरीले जीव-जंतु का वास होता है।
* जिस भूमि पर तुलसी के पौधे लगे हों वहां भवन निर्माण करना उत्तम है तुलसी का पौधा अपने चारों ओर का 50 मीटर तक का वातावरण शुद्ध रखता है, क्योंकि शास्त्रों में यह पौधा बहुत ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है।
* भवन के निकट वृक्ष कम से कम दूरी पर होना चाहिए ताकि दोपहर की छाया भवन पर न पड़े।

रविवार, 17 मई 2015

किसी शुभ कार्य के जाने से पहले :-

किसी शुभ कार्य के जाने से पहले :-
१ :- रविवार को पान का पत्ता साथ रखकर जायें।
२ :- सोमवार को दर्पण में अपना चेहरा देखकर जायें।
३ :- मंगलवार को मिष्ठान खाकर जायें।
४ :- बुधवार को हरे धनिये के पत्ते खाकर जायें।
५ :- गुरूवार को सरसों के कुछ दाने मुख में डालकर जायें।
६ :- शुक्रवार को दही खाकर जायें। शनिवार को अदरक और घी खाकर जाना चाहिये।
७ :- किसी भी शनिवार की शाम को माह की दाल के दाने लें। उसपर थोड़ी सी दही और सिन्दूर लगाकर पीपल के वृक्ष के नीचे रख दें और बिना मुड़कर देखे वापिस आ जायें। सात शनिवार लगातार करने से आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली बनी रहेगी।
गृह बाधा की शांति के लिए :-
१ :- पश्चिमाभिमुख होकर क्क नमः शिवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूर्वक जप करें।
आर्थिक परेशानियों से मुक्ति के लिए
१ :- गणपति की नियमित आराधना करें। इसके अलावा श्वेत गुजा (चिरमी) को एक शीशी में गंगाजल में डाल कर प्रतिदिन श्री सूक्त का पाठ करें। बुधवार को विशेष रूप से प्रसाद चढ़ाकर पूजा करें।
क्या पति का प्यार कम हो गया है?
अगर पति या प्रेमी का पत्नी या प्रेमिका के प्रति प्यार कम हो गया हो तो श्री कृष्ण का स्मरण कर तीन इलायची अपने बदन से स्पर्श करती हुई शुक्रवार के दिन छुपा कर रखें। जैसे अगर साड़ी पहनतीं हैं तो अपने पल्लू में बांध कर उसे रखा जा सकता है और अन्य लिबास पहनती हैं तो रूमाल में रखा जा सकता है।
शनिवार की सुबह वह इलायची पीस कर किसी भी व्यंजन में मिलाकर पति या प्रेमी को खिला दें। मात्र तीन शुक्रवार में स्पष्ट फर्क नजर आएगा।
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धन्यवाद।

शुक्रवार, 15 मई 2015

श्री दत्तात्रय

दत्त जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभ कामनायेँ ...
श्री दत्तात्रय याने अत्रि ऋषि और अनुसूया की तपस्या का प्रसाद ...
" दत्तात्रय " शब्द दत्त + अत्रेय की संधि से बना है।
त्रिदेवों द्वारा प्रदत्त आशीर्वाद “ दत्त “ ... अर्थात दत्तात्रय !
मार्गशीर्ष (अगहन) मास की पूर्णिमा को दत्त जयंती मनाई जाती है।
शास्त्रानुसार इस तिथि को भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवताओं की परमशक्ति जब केंद्रित हुई तब 'त्रयमूर्ति दत्त' का जन्म हुआ।
अगहन पूर्णिमा को प्रदोषकाल में भगवान दत्त का जन्म होना माना गया है।
दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं और इसलिए उन्हें ' परब्रह्ममूर्ति सदगुरु ' और ' श्री गुरुदेव दत्त ' भी कहा जाता है।
उन्हें गुरु वंश का प्रथम गुरु, साधक, योगी और वैज्ञानिक माना जाता है।
विविध पुराणों और महाभारत में भी दत्तात्रेय की श्रेष्ठता का उल्लेख मिलता है।
वे श्री हरि विष्णु का अवतार हैं।
वे पालनकर्ता, त्राता और भक्त वत्सल हैं तो भक्ताभिमानी भी।
वेदों को प्रतिष्ठा देने वाले महर्षि अत्रि और ऋषि कर्दम की कन्या अनुसूया के ब्रह्मकुल में जन्मा यह दत्तावतार क्षमाशील अंतकरण का भी है।
भारतीय भक्ति परंपरा के विकास में श्री दत्त देव एक अनूठे अवतार हैं।
रज-तम-सत्व जैसे त्रिगुणों,
इच्छा-कर्म-ज्ञान तीन भावों और
उत्पत्ति-स्थिति-लय के एकत्व के रूप में वे प्रतिष्ठित हैं।
उनमें शैव और वैष्णव दोनों मतों के भक्तों को आराध्य के दर्शन होते हैं।
शैवपंथी उन्हें शिव का अवतार और वैष्णव विष्णु अवतार मानते हैं।
नाथ, महानुभव, वारकरी, रामदासी के उपासना पंथ में श्रीदत्त आराध्य देव हैं।
तीन सिर, छ: हाथ, शंख-चक्र-गदा-पद्म, त्रिशूल-डमरू-कमंडल, रुद्राक्षमाला, माथे पर भस्म, मस्तक पर जटाजूट, एकमुखी और चतुर्भुज या षडभुज इन सभी रूपों में श्री गुरुदेव दत्त की उपासना की जाती है।
मान्यता यह भी है कि दत्तात्रेय ने परशुरामजी को श्री विद्या-मंत्र प्रदान किया था।
शिवपुत्र कार्तिकेय को उन्होंने अनेक विद्याएं दी थी।
भक्त प्रल्हाद को अनासक्ति-योग का उपदेश देकर उन्हें श्रेष्ठ राजा बनाने का श्रेय भी भगवान दत्तात्रेय को ही है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक मे इन्ही के नाम से एक “ दत्त संप्रदाय “ भी है।
मान्यता है कि दत्तात्रेय नित्य प्रात:काल काशी की गंगाजी में स्नान करते थे। इसी कारण काशी के मणिकर्णिका घाट की दत्त पादुका दत्त भक्तों के लिए पूजनीय है।
इसके अलावा मुख्य पादुका स्थान कर्नाटक के बेलगाम में स्थित है। दत्तात्रेय को गुरु रूप में मान उनकी पादुका को नमन किया जाता है।
गिरनार क्षेत्र दत्तात्रय भगवान की सिद्धपीठ है , इनकी गुरुचरण पादुकाएं वाराणसी तथा आबू पर्वत आदि कई स्थानों पर हैं।
माना गया है कि भक्त के स्मरण करते ही भगवान दत्तात्रेय उनकी हर समस्या का निदान कर देते हैं इसलिए इन्हें “ स्मृति गामी व स्मृतिमात्रानुगन्ता “ भी कहा गया है। अपने भक्तों की रक्षा करना ही श्री दत्त का 'आनंदोत्सव' है।
श्री गुरुदेव दत्त , भक्त की इसी भक्ति से प्रसन्न होकर स्मरण करने समस्त विपदाओं से रक्षा करते हैं।
दत्तात्रेय को शैवपंथी शिव का अवतार और वैष्णवपंथी विष्णु का अंशावतार मानते हैं। दत्तात्रेय को नाथ संप्रदाय की नवनाथ परंपरा का भी अग्रज माना है।
यह भी मान्यता है कि रसेश्वर संप्रदाय के प्रवर्तक भी दत्तात्रेय थे।
भगवान दत्तात्रेय से वेद और तंत्र मार्ग का विलय कर एक ही संप्रदाय निर्मित किया था।
आदि शंकराचार्य के अनुसार –
‘ समस्त दैहिक – दैविक और भौतिक सुखों, आरोग्य, वैभव, सत्ता, संपत्ति सभी कुछ मिलने के बाद यदि मन गुरुपद की शरण नहीं गया तो फिर क्या पाया।'
दत्तात्रय भगवान का रूप तथा उनका परिवार भी आध्यात्मिक संदेश देता है ,
उनका भिक्षुक रूप अहंकार के नाश का प्रतीक है ... कंधे पर झोली , मधुमक्खी के समान मधु एकत्र करने का संदेश देती है ।
उनके साथ खड़ी गाय , कामधेनु है जो कि पृथ्वी का प्रतीक हैं ।
चार कुत्ते , चारों वेदों के प्रतीक माने गए हैं ... गाय और कुत्ते एक प्रकार से उनके अस्त्र भी हैं ,
क्यूंकी गाय अपने सींगों से प्रहार करती है और कुत्ते काट लेते हैं।
औदुंबर अर्थात ‘ गूलर वृक्ष ‘ दत्तात्रय का सर्वाधिक पूज्यनीय रूप है ... इसी वृक्ष मे दत्त तत्व अधिक है।
दत्तात्रय साधना -
भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियो से समाहित महाराज दत्तात्रेय की साधना अत्यंत ही सफ़ल और शीघ्र फ़ल देने वाली है।
महाराज दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी,अवधूत,और दिगम्बर रहे थे ,वे सर्वव्यापी है और किसी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी से भक्त की सुध लेने वाले है,
यदि मानसिक रूप से , कर्म से या वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना की जावे तो साधकों को शीघ्र ही सफलता प्राप्त हो जाती है।
साधना विधि -
श्री दत्तात्रेय जी की प्रतिमा,चित्र या यंत्र को लाकर लाल कपडे पर स्थापित करने के बाद चन्दन लगाकर,फ़ूल चढाकर,धूप की धूनी देकर,नैवेद्य चढाकर दीपक से आरती उतारकर पूजा की जाती है,पूजा के समय में उनके लिये पहले स्तोत्र को ध्यान से पढा जाता है,
फ़िर मन्त्र का जप किया जाता है,
उनकी उपासना तुरत प्रभावी हो जाती है और शीघ्र ही साधक को उनकी उपस्थिति का आभास होने लगता है।
साधकों को उनकी उपस्थिति का आभास सुगन्ध के द्वारा,दिव्य प्रकाश के द्वारा,या साक्षात उनके दर्शन से होता है।
साधना के समय अचानक स्फ़ूर्ति आना भी उनकी उपस्थिति का आभास देती है।
विनियोग -
पूजा करने के आरम्भ में भगवान श्री दत्तात्रेय के लिय आवाहन किया जाता है,
एक साफ़ बर्तन में पानी लेकर पास में रखना चाहिये,
बायें हाथ में एक फ़ूल और चावल के दाने लेकर इस प्रकार से विनियोग करना चाहिये-
" ॐ अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषि: अनुष्टुप छन्द:,श्री दत्त परमात्मा देवता:, श्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोग: ",
इतना कहकर दाहिने हाथ से फ़ूल और चावल लेकर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा,चित्र या यंत्र पर चढाने चाहिये,
फ़ूल और चावल को चढाने के बाद हाथों को पानी से साफ़ कर लेना चाहिये,और दोनों हाथों को जोडकर प्रणाम मुद्रा में उनके लिये जप / ध्यान स्तुति को करना चाहिये।
जप स्तुति इस प्रकार है -
" जटाधाराम पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम। सर्व रोग हरं देव,दत्तात्रेयमहं भज॥"
मंत्र
पूजा करने में फ़ूल और नैवेद्य चढाने के बाद आरती करनी चाहिये और आरती करने के समय यह स्तोत्र पढना चाहिये -
जगदुत्पति कर्त्रै च स्थिति संहार हेतवे। भव पाश विमुक्ताय दत्तात्रेय नमो॓‍ऽस्तुते॥
जराजन्म विनाशाय देह शुद्धि कराय च। दिगम्बर दयामूर्ति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
कर्पूरकान्ति देहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च। वेदशास्त्रं परिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
ह्रस्व दीर्घ कृशस्थूलं नामगोत्रा विवर्जित। पंचभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
यज्ञभोक्त्रे च यज्ञाय यशरूपाय तथा च वै। यज्ञ प्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णु: अन्ते देव: सदाशिव:। मूर्तिमय स्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
भोगलयाय भोगाय भोग योग्याय धारिणे। जितेन्द्रिय जितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूप धराय च। सदोदित प्रब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
जम्बूद्वीपे महाक्षेत्रे मातापुर निवासिने। जयमान सता देवं दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
भिक्षाटनं गृहे ग्रामं पात्रं हेममयं करे। नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वक्त्रो चाकाश भूतले। प्रज्ञानधन बोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
अवधूत सदानन्द परब्रह्म स्वरूपिणे। विदेह देह रूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
सत्यरूप सदाचार सत्यधर्म परायण। सत्याश्रम परोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
शूल हस्ताय गदापाणे वनमाला सुकंधर। यज्ञसूत्रधर ब्रह्मान दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्पर पराय च। दत्तमुक्ति परस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे। गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
शत्रु नाश करं स्तोत्रं ज्ञान विज्ञान दायकम।सर्वपाप शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
इस स्तोत्र को पढने के बाद एक सौ आठबार " ऊँ द्रां “ बीज मंत्र का मानसिक जप करना चाहिये।
इसके बाद रुद्राक्ष की माला से , दस माला का नित्य जप इस मंत्र से करना चाहिये " ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा "
भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल यानी संध्या के समय ही माना गया है।
यही कारण है हर पूर्णिमा तिथि पर भी दत्तात्रेय की उपासना ज्ञान, बुद्धि, बल प्रदान करने के साथ शत्रु बाधा दूर कर कार्य में सफलता और मनचाहे परिणामों को देने वाली मानी गई है।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामनापूर्ति या संकटनाश करते हैं।
गुरुवार और हर पूर्णिमा की शाम भगवान दत्त की उपासना में विशेष मंत्र का स्मरण बहुत ही शुभ माना गया है।
इन मंत्रों के जप से भी शीघ्र सफलता प्राप्त होती है –
ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात्
ॐ ऐं क्रों क्लीं क्लूंप ह्रां ह्रीं ह्रूं सौ:
ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा
ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः
दत्तविद्याठ्य लक्ष्मीशं दत्तस्वात्म स्वरूपिणे, गुणनिर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोस्तुते
ॐ आं ह्रीं क्रों दत्तात्रय नमः ( आदित्य गुरुदेव प्रदत्त मंत्र )
!! ॐ नमः शिवाय !!

पीलिया का उपचार....!

पीलिया का उपचार....!
घबरायें नहीं करे पीलिया का उपचार....!
* पीलिया का आयुर्वेद में अचूक इलाज है।
आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार यदि मकोय की पत्तियों को गरम पानी में उबालकर उसका सेवन करें तो रोग से जल्द राहत मिलती है। मकोय पीलिया की अचूक दवा है और इसका सेवन किसी भी रूप में किया जाए स्वास्थ्य के लिए लाभदायक ही होता है।
* जब भी रोगी का यह लगे कि उसका शरीर पीला हो रहा है तथा उसे पीलिया हो सकता है, तो वह पानी की मात्रा बढ़ा दे क्योंकि पानी की मात्रा कम होने पर शरीर से उत्सर्जित होने वाले तत्व रक्त में मिल जाते हैं। इससे व्यक्ति की हालत बिगडऩे लगती है।
चिकित्सक बताते हैं कि यदि कच्चा पपीता सलाद के रूप में लिया जाए तो भी पीलिया का असर कम होता है। कई लोग यह मानते हैं कि पीलिया के रोगी को मीठा नहीं खाना चाहिए जबकि आयुर्वेद चिकित्सक ऐसा नहीं मानते उनका कहना है कि पीलिया का रोगी गाय के दूध से बना पनीर व छेने का रसगुल्ला आराम से खा सकता है यह रोगी को कोई नुकसान नहीं बल्कि लाभ पहुंचाता है।
* नाश्ते में अंगूर ,सेवफल पपीता ,नाशपती तथा गेहूं का दलिया लें । दलिया की जगह एक रोटी खा सकते हैं। * मुख्य भोजन में उबली हुई पालक, मैथी ,गाजर , दो गेहूं की चपाती और ऐक गिलास छाछ लें। * करीब दो बजे नारियल का पानी और सेवफल का जूस लेना चाहिये। * रात के भोजन में एक कप उबली सब्जी का सूप , गेहूं की दो चपाती ,उबले आलू और उबली पत्तेदार सब्जी जैसे मेथी ,पालक । * रात को सोते वक्त एक गिलास मलाई निकला दूध दो चम्मच शहद मिलाकर लें। * सभी वसायुक्त पदार्थ जैसे घी ,तेल , मक्खन ,मलाई कम से कम १५ दिन के लिये उपयोग न करें। इसके बाद थौडी मात्रा में मक्खन या जेतून का तैल उपयोग कर सकते हैं। प्रचुर मात्रा में हरी सब्जियों और फलों का जूस पीना चाहिेये। कच्चे सेवफल और नाशपती अति उपकारी फल हैं। * दालों का उपयोग बिल्कुल न करें क्योंकि दालों से आंतों में फुलाव और सडांध पैदा हो सकती है। लिवर के सेल्स की सुरक्षा की दॄष्टि से दिन में ३-४ बार निंबू का रस पानी में मिलाकर पीना चाहिये। * मूली के हरे पत्ते पीलिया में अति उपादेय है। पत्ते पीसकर रस निकालकर छानकर पीना उत्तम है। इससे भूख बढेगी और आंतें साफ होंगी। * धनिया के बीज को रातभर पानी में भिगो दीजिये और फिर उसे सुबह पी लीजिये। धनिया के बीज वाले पानी को पीने से लीवर से गंदगी साफ होती है। * एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच पिसा हुआ त्रिफला रात भर के लिए भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को छान कर पी जाएँ। ऐसा 12 दिनों तक करें।
* इस रोग से पीड़ित रोगियों को नींबू बहुत फायदा पहुंचाता है। रोगी को 20 ml नींबू का रस पानी के साथ दिन में 2 से तीन बार लेना चाहिए। * आमला मे भी बहुत सारा विटामिन सी पाया जाता है। आप आमले को कच्चा या फिर सुखा कर खा सकते हैं। इसके अलावा इसे लीवर को साफ करने के लिये जूस के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। * यह एक प्राकृतिक उपाय है जिसेस लीवर साफ हो सकता है। सुबह सुबह खाली पेट 4-5 तुलसी की पत्तियां खानी चाहिये। * जब आप पीलिया से तड़प रहे हों तो, आपको गन्ने का रस जरुर पीना चाहिये। इससे पीलिया को ठीक होने में तुरंत सहायता मिलती है। * गोभी और गाजर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास रस तैयार करें। इस रस को कुछ दिनों तक रोगी को पिलाएँ। * रोगी को दिन में तीन बार एक एक प्लेट पपीता खिलाना चाहिए। * टमाटर पीलिया के रोगी के बहुत लाभदायक होता है। एक गिलास टमाटर के जूस में चुटकी भर काली मिर्च और नमक मिलाएं। यह जूस सुबह के समय लें। पीलिया को ठीक करने का यह एक अच्छा घरेलू उपचार है। * नीम के पत्तों को धोकर इनका रस निकाले। रोगी को दिन में दो बार एक बड़ा चम्मच पिलाएँ। इससे पीलिया में बहुत सुधार आएगा। * पीलिया के रोगी को लहसुन की पांच कलियाँ एक गिलास दूध में उबालकर दूध पीना चाहिए , लहसुन की कलियाँ भी खा लें। इससे बहुत लाभ मिलेगा।
पीलिया में परहेज...!
<<<<<>>>>>>> * पीलिया के रोगियों को मैदा, मिठाइयां, तले हुए पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले, उड़द की दाल, खोया, मिठाइयां नहीं खाना चाहिए। * पीलिया के रोगियों को ऐसा भोजन करना चाहिए जो कि आसानी से पच जाए जैसे खिचड़ी, दलिया, फल, सब्जियां आदि।

आज हम गणित के जरिये बतायेगे आप कितने भाई बहन है

आज हम गणित के जरिये बतायेगे आप कितने भाई बहन है
-विश्ववास नही हो रहा है ना ??ये मजाक नही है !
चलो Try करके देखते है !
1- सबसे पहले भाइयो की सख्या जितने आप के भाई है !
2- अब उसमे 2 का अकं जोड ले !
3- अब उस मै 2 का गुणा करिये !
4- अब उसमे 1अकं और जोडिये !
5-अब उसमे 5 का गुणा करिये !
6- अब उस योग मे बहनो कि सख्या जोड ले !
7- अब कुल योग मे 25 घटा दिजिये !
8- अब आपको 2 अकं मिलेगे पहला अकं भाई का दूसरा अकं
बहन की सँख्या है
दोस्तो चेक कर लो गलत हुआ तो कल से fb बंद कर दुॅगा

आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह

आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह आज बिहार के पटना में गुमनामी का जीवन बिता रहे हैं. इनके बारे में मशहूर है कि अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था.
- धन-संपत्ति के लिएैं बड़े ही सरल और सहज उपाय
*दाईं कलाई पर पंडितजी से लाल मौली बंधवा लें। और बंधवाते समय गणेश जी का ध्यान करें।
*चांदी की चेन गले में पहनें। या चांदी का कोई भी आभूषण अपने शरीर से स्पर्श करता हुआ पहनें। अंगूठी, ब्रेसलेट आदि। स्त्रियों के लिए यह सूची और लंबी हो सकती है टॉप्स से लेकर पायल तक।
*सुबह जब उठें, सबसे पहले जरा सा शहद खाएं। इसे नियम बना लें।
*भगवान हनुमानजी का पूजन करें, मंगलवार को उनका व्रत रखें।
*सूर्यास्त के बाद मीठा प्रसाद बांटें।
*8 किलो साबुत उड़द केवल एक बार किसी बहते पानी में बहा दें और श्रद्धापूर्वक धन-संपत्ति प्राप्ति की प्रार्थना करें।

मंगलवार, 12 मई 2015

सुखी जीवन के सरल उपाय.. कौडिय़ां- समस्या का समाधान-

सुखी जीवन के सरल उपाय
1-प्रतिदिन अगर तवे पर रोटी सेंकने से पहले दूध के छींटे मारें, तो घर में बीमारी का प्रकोप कम होगा।
2-प्रत्येक गुरुवार को तुलसी के पौधें को थोडा - सा दूध चढाने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
3-प्रतिदिन संवेरे पानी में थोडा - सा नमक मिलाकर घर में पोंछा करें, मानसिक शांति मिलेगी। 
4-प्रतिदिन सवेरे थोडा - सा दूध और पानी मिलाकर मुखय द्वार के दोनों ओर डाले, सुख - शांति मिलेगी।
5-मुखय द्वार के परदे के नीचे कुछ घुंघरु बांध दे, इसके संगीत से घर में प्रसन्नता का वातावरण बनेगा।
6-प्रतिदिन शाम को पीपल के पेड को थोडा - सा दूध - पानी मिलाकर चढाएं, दीपक जलाएं तथा मनोकामना के साथ पांच परिक्रमा करें। शीघ्र मनोकामना पूरी होगी।
7-प्रतिदिन सवेरे पहली रोटी गाय को, दूसरी रोटी कुत्ते को एवं तीसरी रोटी छत पर पक्षियों को डालें। इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है तथा पितृदोष के कारण प्राप्त कष्ट समाप्त होते हैं
8-किसी भी दिन शुभ - चौघडिये में पांच किलो साबूत नमक एक थैली में लाकर अपने घर में ऐसी जगह रखें जहां पानी नहीं लगे। यदि अपने आप पानी लग जाए तो इसे काम में नहीं ले, फेंक दे तथा नया नमक लाकर रख दें। यह घर के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है एवं सकारात्मक प्रभाव को बढाता हैं

    
कौडिय़ां- समस्या का समाधान-
यह समुद्र से निकलती हैं और सजावट के काम भी आती हैं। तंत्र शास्त्र के अंतर्गत धन प्राप्ति के लिए
किए जाने वाले अनेक टोटकों में इसका प्रयोग किया जाता है। कौडिय़ों के कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-
1- यदि प्रमोशन नहीं हो रहा है तो 11 कौडिय़ां लेकर किसी लक्ष्मी मंदिर में अर्पित कर दें। आपके
प्रमोशन का रास्ते खुल जाएंगे।
2- यदि दुकान में बरकत नहीं हो रही है तो दुकान के गल्ले में 7 कौडिय़ां रखें और सुबह-शाम
इनकी पूजा करें। निश्चित ही बरकत होने लगेगी।
3- यदि आप नया घर बनवा रहे हैं तो उसकी नींव में 21 कौडिय़ां डाल दें। ऐसा करने से आपके घर
में कभी पैसों की कमी नहीं रहेगी और घर में सुख-शांति भी बनी रहेगी।
4- अगर आपने नया वाहन खरीदा है तो उस पर 7 कौडिय़ां एक काले धागे में पिरोकर बांध दें।
इससे वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना कम हो जाएगी।