मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

हिन्दू कौन है क्या आप जानते है,

 #विशेष:: --- हिन्दू कौन है क्या आप जानते है, नहीं जानते है  तो पढ़े........


"हिन्दू"* शब्द की खोज -

"हीनं दुष्यति इति हिन्दूः से हुई है।”


अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं।


'हिन्दू' शब्द, करोड़ों वर्ष प्राचीन, संस्कृत शब्द से है!


यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे ....

हीन+दू = हीन भावना + से दूर


अर्थात जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे, मुक्त रहे, वो हिन्दू है !


हमें बार-बार, सदा झूठ ही बतलाया जाता है कि हिन्दू शब्द मुगलों ने हमें दिया, जो "सिंधु" से "हिन्दू" हुआ l


हिन्दू शब्द की वेद से ही उत्पत्ति है !


जानिए, कहाँ से आया हिन्दू शब्द, और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति ?


कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह फारसी शब्द है। परंतु ऐसा कुछ नहीं है!

ये केवल झुठ फ़ैलाया जाता है।


हमारे "वेदों" और "पुराणों" में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला है!


"ऋग्वेद" के "ब्रहस्पति अग्यम" में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं :-

“हिमलयं समारभ्य 

यावत इन्दुसरोवरं ।

तं देवनिर्मितं देशं

हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।


अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक, देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं!


केवल "वेद" ही नहीं, बल्कि "शैव" ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया हैं:-


"हीनं च दूष्यतेव् *हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।”


अर्थात :- जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं!

इससे मिलता जुलता लगभग यही श्लोक "कल्पद्रुम" में भी दोहराया गया है :


"हीनं दुष्यति इति हिन्दूः।”


अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं।


"पारिजात हरण" में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है :-


”हिनस्ति तपसा पापां 

दैहिकां दुष्टं ।

हेतिभिः श्त्रुवर्गं च 

स हिन्दुर्भिधियते।”


अर्थात :- जो अपने तप से शत्रुओं का, दुष्टों का, और पाप का नाश कर देता है, वही हिन्दू है !


"माधव दिग्विजय" में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है :-


“ओंकारमन्त्रमूलाढ्य 

पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।

गौभक्तो भारत:

गरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।


अर्थात : वो जो "ओमकार" को ईश्वरीय धुन माने, कर्मों पर विश्वास करे, गौपालक रहे, तथा बुराइयों को दूर रखे, वो हिन्दू है!


केवल इतना ही नहीं, हमारे "ऋगवेद" (८:२:४१) में विवहिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है, जिन्होंने 46,000 गौमाता दान में दी थी! और "ऋग्वेद मंडल" में भी उनका वर्णन मिलता है l


बुराइयों को दूर करने के लिए सतत प्रयासरत रहनेवाले, सनातन धर्म के पोषक व पालन करने वाले हिन्दू हैं।

  *"हिनस्तु दुरिताम🙏🏻🙏🏻

शनि ग्रह

 शनि ग्रह अंधकार निराशा आलस्य आदि का कारक है आप जानते हैं कि सौरमंडल में सूर्य से सबसे दूर स्थित गृह शनि है

सूर्य के प्रकाश से विटामिन डी का निर्माण होता है इसलिए सूर्य का प्रकाश शारीरिक और मानसिक ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी माना गया

अब जो ग्रह सूर्य से इतनी दूर है कि वहां सूर्य का  प्रकाश पहुंचने भी महीने लग जाते है तो स्वभाविक रूप से वह अंधकार का कारक होगा ही 

ओर आप लगातार अंधेरी ओर सूर्य के प्रकाश से रहित जगहों पर रह कर  देख लीजिये  आपके अंदर विटामिन डी की कमी न हो जाये तो बता देना आत्मविस्वास की कमी न हो जाये तो कह देना


 बस इसीलिए शनि को अंधकार निराशा इत्यादि चीजों का कारक माना गया है

इसलिए नहीं कि सूर्य ने शनि को लात मारकर भगा दिया और शनि उससे नाराज हो गया इसलिए उसने सूर्य के ऑपोजिट चीजें अंधकार इत्यादि अपना ली

अब देखिए आपके वैज्ञानिकों ने तो यह बात आज पता लगाई है कि सौरमंडल में सूर्य से सबसे दूर ग्रह शनि है लेकिन हमारे एस्ट्रोलॉजी में हमारे ऋषि यों ने हमारे मनीषियों ने यह बात बहुत पहले से पता लगा ली थी और उसी हिसाब से उन्होंने शनि के कारक तत्व डिसाइड किए


 अब प्रश्न यह उठता है कि कर्म कारक भी तो शनि ही है

      जब सूर्य से  दूर रहना ही शनि का स्वभाव है तो बिना प्रकाश के कर्म कैसे संभव है

 हां सही बात है सूर्य के बिना जब जीवन ही संभव नहीं तो कर्म कैसे संभव है

लेकिन ध्यान दीजिए सूर्य यानी चमक सूर्य यानी प्रतिष्ठा अर्थात लोगों के बीच चमकदार होने की पावर


लेकिन जब तक आप लोगों के बीच ही लगे रहेंगे तब तक कर्म कहां कर पाएंगे कर्म करने के लिए तो आपको एकांत ही चाहिए होगा तभी कर्म की गति बढ़ पाएगी कर्म करने के लिए तो आपको अपने विचारों को एकत्रित करके सिर्फ उसी कर्म में केंद्रित होकर अपने अंदर उतरना होगा


लेकिन यह कब होगा जब शनि उच्च होगा,

 और शनि उच्च उसी जगह पर होता है जहां सूर्य नीच हो जाता है यानी तुला राशि में

अर्थात आपको अपने कर्मों को धार देने के लिए कर्म में ऊपर उठने के लिए कर्म योगी बनने के लिए कुछ समय के लिए तो सूर्य यानी चमक से और प्रतिष्ठा से दूरी बनानी ही पड़ेगी

रविवार, 6 दिसंबर 2020

tulsi

 "तुलसी"

गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला पर भगवन्नाम-जप करना कल्याणकारी है।
मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः 21.42)
तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए।
घर की किसी भी दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक है। पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी और सूर्य-सक्रान्ति के दिन, मध्याह्नकाल, रात्रि, दोनों संध्याओं के समय और अशौच के समय, तेल लगा के, नहाये धोये बिना जो मनुष्य तुलसी का पत्ता तोड़ता है, वह मानो भगवान श्रीहरि का मस्तक छेदन करता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः 21.50.51)
रोज सुबह खाली पेट तुलसी के पाँच-सात पतो का सेवन करे और ऊपर से ताँबे के बर्तन में रात का रखा एक गिलास पानी पियें। इस प्रयोग से बहुत लाभ होता है। यह ध्यान रखें कि तुलसी के पत्तों के कण दाँतों के बीच न रह जायें।
बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित है परंतु तुलसी दल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं है।
(स्कंद पुराण, वै.खंड, मा.मा. 8.9)
फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा हैः 'तुलसी एक अद्भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।'
तुलसी ब्रह्मचर्य की रक्षा में एवं यादशक्ति बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है।
तुलसी बीज का लगभग एक ग्राम चूर्ण रात को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट लेने से वीर्यरक्षण में बहुत-बहुत मदद मिलती है।
----------:::×:::----------
"जय तुलसी माता"

475
9 कमेंट
178 शेयर
लाइक करें
कमेंट करें
शेयर करें

जानिए किस माला के जाप का क्या फल मिलता है..

 जानिए किस माला के जाप का क्या फल मिलता है...?

〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰
भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का बहुत अधिक महत्व है। किसी भी काम को करने से पहले पूजा-पाठ की जाती है जिससे कि आगे चल कर कोई समस्या उत्पन्न न हो। इसी साथ लोगों के मन में हर देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्रृद्धा है जो अपने-अपने तरीके से व्यक्त करते है।
इसी तरह पूजा-पाठ के साथ-साथ तंत्र-मंत्र का भी विशेष महत्व है। यह आप अच्छी तरह जानते है कि तंत्र-मंत्र के पिता भगवान शिव है।
जिससे कि इन्हें हम लोग अपना आराध्य देव और उनके शक्ति स्वरूप मां दुर्गा को अपनी माता मानते हैं। भगवान शिव सभी की हर मनोकामना पूर्ण करते है। भगवान शिव ऐसे भगवान है जिसे प्रसन्न करना मुश्किल काम नही है।
देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करने के लिए विभिन्न प्रकार के मालाओं का इस्तेमाल करते है, लेकिन हमें किस माला का किस देवी-देवता का जाप करना है यह नही जानते जिससे कि हमारी मनोकामना पू्र्ण नही होती। जानिए किस माला से किस मनोकामना की पूर्ति होती है।
1👉 रुद्राक्ष जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है। इससे शिव का जाप कर आससानी से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। अगर आप शिव भगवान को प्रसन्न करना चाहते है तो रुद्राक्ष की माला से शिव के मंत्रों का जाप करे।
2👉 मां अम्बा की उपासना करने के लिए स्फटिक की माला से जप करना शुभ माना जाता है।
3👉 मां दुर्गा की उपासना लाल रंग के चंदन की माला, जिसे रक्त चंदन माला कहा जाता है, से करना चाहिए।
4👉 काली का आह्वान करने के लिए काली हल्दी या नील कमल की माला का प्रयोग करना है।
5👉 सूर्य के दोष और उन्हें प्रसन्न करने के लिए माणिक्य, गारनेट, बिल की लकड़ी की माला का उपयोग शुभ माना गया है।
6👉 मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगल ग्रह के मंत्र के साथ मूंगे और लाल चंदन की माला से जाप करना चाहिए और वही बुध ग्रह के लिए पन्ने की बनी हुई की माला से जाप करना चाहिए।
7👉 बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए हल्दी या जीया पोताज और शुक्र के लिए स्फटिक की माला से जाप करें।
8👉 अगर आप बगलामुखी की साधना कर रहे हैं तो आपको पीली हल्दी या जीयापोता की माला का इस्तेमाल करना चाहिए।
9👉 लक्ष्मीमंत्र का जाप हमेशा कमलट्टे की माला से करना चाहिए। वहीं तुलसी और चंदन की माला से विष्णु भगवान के मंत्र का जाप करना चाहिए।
10👉 चंद्रमा की शांति के लिए आप जिस मंत्र का जाप कर रहे है उस मंत्र का जाप मोती की माला से करना चाहिए।
11👉 राहु के लिए गोमेद, चंदन और कच्चे कोयले की माला उपयोगी है, वहीं केतु के लिए लहसुनिया की माला शुभ माना जाता है।
12👉 अगर आप माता लक्ष्मी की उपासना धन प्राप्त करने के लिए उनकी लाल रंग के रेशमी धागे वाली 30 मनकों की माला से जाप करें,परंतु अगर आप अपनी कोई मनोकामना पूरी होते देखना चाहते हैं तो आपके लिए 27 रुद्राक्षों की माला उपयोगी है।
13👉 मोक्ष प्राप्ति या शांति के लिए किए जा रहे मंत्र जाप के लिए 108 रुद्राक्ष को सफेद धागें से पिरोंकर जाप करें। मनोकामना पूर्ण होगी।
〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰
चित्र में ये शामिल हो सकता है: वह टेक्स्ट जिसमें 'मालाओ के विषय मे अति महत्वपूर्ण जानकारी' लिखा है
370
7 कमेंट
320 शेयर
लाइक करें
कमेंट करें
शेयर करें