रविवार, 18 जून 2017

बच्चे का जन्म किस पाये में

*बच्चे का जन्म किस पाये में..*

*किसी परिवार में बच्चे का जन्म होना परिवार में वंश वृद्धि का परिचायक है l*
🔅बच्चे के जन्म के साथ ही बच्चे की स्वस्थता जानने के उपरांत सबसे पहले सबका यही प्रश्न होता है कि बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है ? शास्त्रों में मुख्य रूप से चार पायों का वर्णन है :-
1. चांदी का पाया 2. ताँबे का पाया
3. सोने का पाया 4. लोहे का पाया
🔅हर पाये में जन्मे बालक का शुभाशुभ फल भिन्न होता है l बालक/बालिका का जन्म किस पाये में हुआ है ये निम्न विधि से आसानी से जाना जा सकता है l
जन्म पत्रिका में, लग्न से जातक का चन्द्रमा किस भाव में है ये देखा जाता है..
जन्म लग्न से जातक का चन्द्रमा, यदि पहले, छठे या ग्यारहवें भाव में हो तो बच्चे का जन्म "सोने के पाये" में हुआ है l
यदि जातक का जन्म चंद्र लग्न से भाव.. दो, पांच या नौवें में है तो बच्चे का जन्म चाँदी के पाये में हुआ है l
जन्म लग्न से ज.चन्द्रमा यदि "तीसरे, सातवें या दसवें भाव" में हो तो बच्चे का जन्म "ताम्बे के पाये" में हुआ है l
जन्म लग्न से जातक का चन्द्रमा यदि चौथे, आठवें या बारहवें भाव में.. "मोक्ष-∆" में हो तो बच्चे का जन्म लोहे के पाये में हुआ है l
इस तरीके से कुंडली में देखकर आसानी से बताया जा सकता है की बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है l अब प्रश्न है कि...
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किस पाये का क्याँ फल होता है 
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🔺"चाँदी के पाये" में अगर बच्चेका जन्म हुआ है तो *बच्चा परिवार में सुख समृद्धि लेकर आता है l बच्चा सुखों में पलता है l परिवार का मान सम्मान में वृद्धि होती है l माता पिता की तरक्की होती है l
🔺अगर बच्चा "सोने के पाये" में पैदा हुआ है तो, बालक "चिंता-दायक" ज्यादा शुभ नहीं है l ऐसा "बच्चा रोगी" होता है तथा "बचपन में ही इस बच्चे की स्वास्थ समस्या, दवाईयाँ शुरू हो जाती हैं l "परिवार की शुखशान्ति भंग होती है l" जातक के पिता को, शत्रुओं का सामना करना पड़ता है और धन की हानि भी हो सकती है l
🔅 इसकी शांति के लिए बच्चे के वजन के बराबर गेंहू का दान करना चाहिए l अगर संपन्न हो तो सोने का दान भी किया जा सकता है l
🔺ताम्बे के पाये में उत्पन्न बच्चा, "पिता के व्यापार में वृद्धि, "लक्ष्मि- पति" बनाता है और परिवार में सुख-समृद्धि लेकर आता है l
🔺लोहे के पाये में पैदा हुआ बच्चा परिवार के लिए "भारी कष्टदायक" होता है l बच्चा कुछ़ रोगी रहता है l पिता के लिए बच्चा विशेषतया भारी होता है l परिवार में कोई शोकप्रद घटना भी होती है l
🔅इसलिए, यदि किसी जातक का लोहे के पाये में जन्म हो तो माता-पिता को, परिवारजन सह, बच्चे के बचपनमें ही शास्त्रानुसार आवश्यक उचित "ग्रह-शांति" करवानी चाहिए l

आज, या किसी भी रविवार को किये जाने वाले कुछ विशेष उपाय - :

आज, या किसी भी रविवार को किये जाने वाले कुछ विशेष उपाय - :
1. अगर परिवार में कलह रहता हो, विशेष तौर पर पिता-पुत्र में :
किसी भी रविवार से शुरू करके / हर रविवार, अथवा (किसी भी वार का ध्यान किये बिना, लगातार) 21 बार शिव जी और सूर्य देव का (दिन में) ध्यान और पूजन करें.
2. पिता पुत्र के झगडे को समाप्त करने के लिए शनिवार को सूर्य को जल देना बहुत लाभकारी है.
3. रविवार के दिन अगर कुछ विशेष उपाय किए जाऐं, तो घर में सुख-शांति बनी रहती है। इन उपायों को करने से घर से नकारात्मकता का नाश होता है और सकारात्मकता से शुभ प्रभाव आता है। ये उपाय कठिन नहीं है, इन्हें आप आसानी से कर सकते हैं। अगर प्रत्येक रविवार को ये उपाय किए जाऐं तो लक्ष्मी
उस घर पर कृपा-दृष्टि बनाए रखती है :
- घर के हर कोने में कपूर का धुआं करें। इससे घर में व्याप्त बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- पानी में नमक मिलाकर पूरे घर में इसका छिड़काव करें। नमक हवा में मौजुद नकारात्मक शक्ति को सोख लेता है और घर में सकारात्मक वातावरण का संचार करता है। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
- जब किसी काम से निवृत्त होकर शाम को घर वापस आएं तो कुछ न कुछ खाने की वस्तु अवश्य लेकर आएं। इससे घर में देवी अन्नपूर्णा सहित महालक्ष्मी का वास बना रहता है।
नोट :
1.अगर तीनों न कर पाएं, तो कोई भी एक-दो करने से भी लाभ होगा.
2.अगर लगातार न कर सकें, केवल कभी-कभार, या एकबार करने से भी कुछ न कुछ लाभ अवश्य होगा.
3. अगर इनमें से कोई भी उपाय किसी और वार को करेंगे, तब भी लाभ ही है. हाँ, रविवार को विशेष लाभ होता है.
4. इन उपायों को घर का मुखिया करे तो बेहतर है. अगर सभी करें, तो अति - उत्तम. अगर कोई एक सदस्य करे, तो भी लाभ मिलेगा.

कुंडली में होगा ऐसा योग तो होकर रहेगी लव मैरिज

कुंडली में होगा ऐसा योग तो होकर रहेगी लव मैरिज
लव मैरिज ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही प्रेमी युगल के मन में मोहब्बत की घंटियां बजने लगती हैं। ज्योतिष शास्त्र में विवाह से संबंधित अनेक योगों का विस्तृत विवरण है और कुछ खास किस्म के योगों का भी जो लव मैरिज को अंजाम तक पहुंचाते हैं। जानिए कुंडली के ऐसे ही कुछ खास योगों के बारे में जो लव मैरिज को संभव बनाते हैं।
- अगर दोनों की राशियां एक दूसरे से समसप्तक हों या एक से अधिक ग्रह समसप्तक हों। चंद्रमा के एक-दूसरे की कुंडली में समसप्तक होने पर वैचारिक तालमेल उत्तम रहता है।
- दोनों के शुभ ग्रह समान भाव में हों यानी एक की कुंडली में शुभ ग्रह यदि लग्न, पंचम, नवम या केंद्र में हों और दूसरे के भी इन्हीं भावों में हों।
- दोनों के लग्नेश और राशि स्वामी एक ही ग्रह हों। एक की राशि मीन हो और दूसरे की जन्म लग्न मीन होने पर दोनों का राशि स्वामी गुरु होगा।
- दोनों के लग्नेश, राशि स्वामी या सप्तमेश समान भाव में या एक दूसरे के सम-सप्तक होने पर रिश्तों में प्रगाढ़ता प्रदान करेंगे।
एक के सप्तम भाव में जो राशि हो वही दूसरे की नवमांश कुंडली का लग्न हो या वर/वधु के सप्तमेश की नवमांश राशि दूसरे की चंद्र राशि हो।
- सप्तम और नवम भाव में राशि परिवर्तन हो तो शादी के बाद भाग्योदय होता है। सप्तमेश ग्यारहवें या द्वितीय भाव में स्थित हो और नवमांश कुंडली में भी सप्तमेश 2, 5 या 11वें भाव में हो तो ऐसी ग्रह स्थिति वाले साथी से आर्थिक लाभ होता है।
इनमें से जितनी अधिक ग्रह स्थितियां दोनों की कुंडलियों में पाई जाएंगी, उनका गृहस्थ जीवन उतना सुखी रहेगा।

राहुकाल – जानिए किस दिन कौनसे समय रहता है राहुकाल

राहुकाल – जानिए किस दिन कौनसे समय रहता है राहुकाल
राहुकाल का समय – हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले मुहूर्त देखने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य अच्छे फल प्रदान करते हैं। मान्यता के अनुसार, यदि भूलवश कोई शुभ कार्य अशुभ मुहूर्त में हो जाए तो इसका विपरीत परिणाम होता है। हिंदू धर्म में राहुकाल को किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए किसी शुभ कार्य को करने से पहले राहुकाल पर जरूर विचार किया जाता है।
90 मिनिट का होता है राहुकाल
राहुकाल का नाम सुना सभी ने होगा, लेकिन बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि राहुकाल होता क्या है और ये किस प्रकार अशुभ फल प्रदान करता है? ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है। इसलिए इसके आधिपत्य का जो समय रहता है, उस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माने गए हैं।
सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय में से आठवे भाग का स्वामी राहु होता है। इसे ही राहुकाल कहते हैं। यह प्रत्येक दिन 90 मिनट का एक निश्चित समय होता है, जो राहुकाल कहलाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस समय शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य या खरीदी-बिक्री को शुभ नही माना जाता।
राहुकाल में न करें शुभ कार्य
ज्योतिष के अनुसार, राहुकाल में शुरू किए गए किसी भी शुभ कार्य में हमेशा कोई न कोई विघ्न आता है। अगर इस समय में कोई व्यापार प्रारंभ किया गया हो तो वह घाटे में आकर बंद हो जाता है। इस काल में खरीदा गया कोई भी वाहन, मकान, जेवरात अन्य कोई भी वस्तु शुभ फलकारी नही होती। अत: किसी भी शुभ कार्य को करते समय राहुकाल पर अवश्य विचार कर लेना चाहिए।(
प्रत्येक स्थान पर एवं ऋतुओं में अलग अलग समय पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त होता हैं। अत: हर जगह पर राहुकाल का समय अलग-अलग होता हैं किंतु प्रत्येक वार पर इसके स्टैंडर्ड समय के अनुसार राहुकाल मान सकते हैं।
राहुकाल का स्टैंडर्ड समय
सोमवार को राहुकाल का स्टैंडर्ड समय सुबह 07:30 से 09 बजे तक माना गया है।
मंगलवार को दोपहर 03 से 04:30 बजे तक राहुकाल रहता है।
बुधवार को दोपहर 12 से 01:30 बजे तक का समय राहुकाल होता है।
गुरुवार को राहुकाल का स्टैंडर्ड समय दोपहर 01:30 से 03 बजे तक रहता है।
शुक्रवार को सुबह 10:30 से 12 बजे तक के समय का स्वामी राहु होता है।
शनिवार को सुबह 09 से 10:30 बजे तक राहुकाल होता है।
रविवार को राहुकाल का समय शाम 04:30 से 06 बजे तक रहता है।
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कुंडली और अनायास धन‍ प्राप्ति योग

कुंडली और अनायास धन‍ प्राप्ति योग
1.लग्नेश द्वितीय भाव में तथा द्वितीयेश लाभ भाव में हो।
2.चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें, ग्यारहवें स्थानों में शुभ ग्रह हों।
3.पंचम भाव में चंद्र एवं मंगल दोनों हों तथा पंचम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो।
4.चंद्र व मंगल एकसाथ हों, धनेश व लाभेश एकसाथ चतुर्थ भाव में हों तथा चतुर्थेश शुभ स्थान में शुभ दृष्ट हो।
5.द्वितीय भाव में मंगल तथा गुरु की युति हो।
6.धनेश अष्टम भाव में तथा अष्टमेश धन भाव में हो।
7.पंचम भाव में बुध हो तथा लाभ भाव में चंद्र-मंगल की युति हो।
8.गुरु नवमेश होकर अष्टम भाव में हो।
9. वृश्चिक लग्न कुंडली में नवम भाव में चंद्र व बृहस्पति की युति हो।
10.मीन लग्न कुंडली में पंचम भाव में गुरु-चंद्र की युति हो।
11. कुंभ लग्न कुंडली में गुरु व राहु की युति लाभ भाव में हो।
12.चंद्र, मंगल, शुक्र तीनों मिथुन राशि में दूसरे भाव में हों।
13.कन्या लग्न कुंडली में दूसरे भाव में शुक्र व केतु हो।
14.तुला लग्न कुंडली में लग्न में सूर्य-चंद्र तथा नवम में राहु हो।
15.मीन लग्न कुंडली में ग्यारहवें भाव में मंगल हो।

*शनि दोष निवारण के उपाय (भाव/लग्न अनुसार)*

*शनि दोष निवारण के उपाय (भाव/लग्न अनुसार)*
*कुंडली के प्रत्येक भाव/लग्न में उपस्थित शनि के कष्ट निवारण के उपाय*
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*प्रथम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय*
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1- अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाए।
2- शनिवार केदिन न तो तेल लगाए और न ही तेल खाए।
3- तांबे के बने हुए चार साँप शनिवार के दिन नदी में प्रवाहित करे।
4- भगवान शनिदेव या हनुमान जी के मंदिर में जाकर यह प्रथना करे की प्रभु ! हमसे जो पाप हुए हैं, उनके लिए हमे क्षमा करो, हमारा कल्याण करो।
5- जब भी आपको समय मिले शनि दोष निवारण मंत्र का जाप करे।
*दूसरे भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय*
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1- शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे।
2- साँपो को दूध पिलाए कभी भी साँपो को परेशान न करे , न ही मारे।
3- दो रंग वाली गाय / भैस कभी भी न पालें।
4- अपने ललाट पर दूध / दही का तिलक करे।
5- रोज शनिवार को कडवे तेल का दान करें।
6- शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डाले।
7- सोते समय दूध का सेवन न करें।
8- शनिवार के दिन सिर पर तेल न लगाएं।
*तीसरे भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
1- आपके घर का मुख्य दरवाजा यदि दक्षिण दिशा की ओर हो तो उसे बंद करवा दे।
2- रोज शनि चालीसा पढ़ें तथा दूसरों को भी शनि चालीसा भेंट करें।
3- शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे।
4- गले में शनि यंत्र धारण करें।
5- मकान के आखिर में एक अंधेरा कमरा बनवाएँ।
6- अपने घर पर एक काला कुत्ता पाले तथा उस का ध्यान रखें।
7- घर के अंदर कभी हैंडपम्प न लगवाएँ।
*चतुर्थ भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
1- रात में दूध न पिये।
2- पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएँ।
3- कौवों को दना खिलाएँ।
4- सर्प को दूध पिलाएँ।
5- काली भैस पालें।
6- कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें।
7- एक बोतल शराब शनिवार के दिन बहती नदी में प्रवाहित करें
*पंचम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय*
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1- पुत्र के जन्मदिन पर नमकीन वस्तुएं बांटनी चाहिए, मिठाई आदि नहीं।
2- माँस और शराब का सेवन न करें।
3- काला कुत्ता पालें और उसका पूरा ध्यान रखें।
4- शनि यंत्र धारण करें।
5- शनिदेव की पुजा करें।
6- शनिवार के दिन अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर वजन करके, बादाम नदी में प्रवाहित करने का कार्य करें।
*छठवे भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
1- चमड़े के जूते , बैग , अटैची आदि काप्रयोग न करें।
2- शनिवार का व्रत करें।
3- चार नारियल बहते पानी में प्रवाहित करें। ध्यान रहे, गंदे नाले मे नहीं करें, परिणाम बिल्कुल उल्टा होगा।
4- हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएँ।
5- शनि यंत्र धारण करें।
*सप्तम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
1- पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएँ।
2- हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमितरूप से खिलाएँ।
3- शनि यंत्र धारण करें।
4- मिट्टी के पात्र में शहद भरकर खेत में मिट्टी के नीचे दबाएँ।
खेत की जगह बगीचे में भी दबा सकते हैं।
5- अपने हाथ में घोड़े की नाल का शनि छल्ला धारण करें।
*अष्टम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
1- गले में चाँदी की चेन धारण करें।
2- शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे।
3- शनिवार के दिन आठ किलो उड़द बहती नदी में प्रवाहित करें। उड़द काले कपड़े में बांध कर ले जाएँ और बंधन खोल कर ही प्रबहित करें।
4- सोमवार के दिन चावल का दान करना आपके लिए उत्तम हैं।
5- काला कुत्ता पालें और उसका पूरा ध्यान रखें।
*नवम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
1- पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें।
2 - साबुत मूंग मिट्टी के बर्तन में भरकर नदी में प्रवाहित करें।
3- सवा 6 रत्ती का पुखराज ज्योतिषी से पूछ कर गुरुवार को धारण करें।
4- कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें।
5- हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमितरूप से खिलाएँ।
6- शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डाले।
*दशम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय*
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1- पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें।
2- आप अपने कमरे के पर्दे , बिस्तर का कवर , दीवारों का रंग आदि पीला रंग की करवाए यह आप के लिए उत्तम रहेगा।
3- पीले लड्डू गुरुवार के दिन बाँटे।
4- आपने नाम से मकान न बनवाएँ।
5- अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाए।
6- शनि यंत्र धारण करें।
7- जब भी आपको समय मिले शनि दोष निवारण मंत्र का जाप करे।
*एकादश भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय*
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1- शराब और माँस से दूर रहें।
2- मित्र के वेश मे छुपे शत्रुओ से सावधान रहें।
3- सूर्योदय से पूर्व शराब और कड़वा तेल मुख्य दरवाजे के पास भूमि पर गिराएँ।
4- परस्त्री गमन न करें।
5- शनि यंत्र धारण करें।
6- कच्चा दूध शनिवार के दिन कुएं में डालें।
7- कौवों को दाना खिलाएँ।
*द्वादश भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
1- जातक झूठ न बोले।
2- शराब और माँस से दूर रहें।
3- चार सूखे नारियल बहते पानी में प्रवाहित करें।
4- शनि यंत्र धारण करें।
5- शनिवार के दिन काले कुत्ते ओर गाय को रोटी खिलाएँ।
6- शनिवार को कडवे तेल , काले उड़द का दान करे।
7- सर्प को दूध पिलाएँ।