मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

ज्योतिष शास्त्र के अचूक उपाय :-कर्ज खत्म करने के लिए क्या करें

ज्योतिष शास्त्र के अचूक उपाय :-
संसार में बहुत से लोग हैं जिन्हे अपने जन्म समय, जन्म तिथि और जन्म स्थान के बारे में न तो पता है न ही उन्होंने कभी अपनी जन्मपत्रिका ही बनवाई है। ऐसी स्थिति में ज्योतिष विद्या मानव जीवन की अनेक समस्याओं का हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस के उपायों के द्वारा बेहद अचूक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
धन प्राप्ति के उपाय :-
नमक को कभी भी खुले बर्तन में न रखे।
प्रतिदिन पीपल की जड़ में जल डालें।
अपने घर के प्रत्येक दरवाज़े के कब्ज़े में तेल लगाये ताकि उनमें से 'चू चू' की आवाज़ ना आये।
भोजन तैयार करते समय पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए निकले।
जब भी अपनी बहन या बुआ को घर पर आमंत्रित करें तो उसे खाली हाथ न भेजें ।
जब भी घर का फ़र्श साफ़ करें तो उसमे थोड़ा सा नमक मिला लें।
धन के ठहराव के लिए उपाय :-
नोटों की गिनती कभी भी उँगलियों पर थूक लगा कर न करें।
कभी भी सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू न लगाये।
बुधवार के दिन किसी भी किन्नर को हैसियत दान दे कर उससे कुछ पैसे वापिस ले लें।
बुधवार को किसी को भी पैसे उधार न दें।
शीघ्र विवाह हेतु उपाय :-
हमेशा अपने से बड़े व्यक्तियों और बुज़ुर्गों का सम्मान करें।
जब भी आप स्नान करें तो उसमें थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिला लें।
अगर हो सके तो अपने घर पर एक खरगोश पाले और हर बुधवार को उसे हरी घास खाने को दें।
नव-विवाहित व्यक्ति के पुराने वस्त्रों का उपयोग करें।
देवगुरु बृहस्पति का पूजन करें।
जब कभी भी आप के माता-पिता आपके लिए वर देखने जाएं उस दिन लाल वस्त्र धारण करें और उनके वापिस लौटने तक अपने बाल खुले रखें।
रात को सोने से पूर्व अपने सिर के पास आठ खजूर और प्रातःकाल उसे चलते पानी में बहा दें।
शनिवार की रात्रि चौराहे पर नया बंद ताला चाभी के साथ रख आयें।
सुखी विवाहित जीवन के लिए उपाय :-
अपने जीवन साथी को कम आय के लिए कभी भी ताने न मारें।
प्रतिदिन प्रातः केले और पीपल के पेड़ का पूजन करें।
हमेशा अपना मासिक वेतन अपनी पत्नी को दें और उससे कह दें कि इसका उपयोग करने से पहले एक बार इसे तिजोरी में रख ले।
अपनी पत्नी का सम्मान सदैव 'लक्ष्मी' की भाँति ही करें।
पति के भोजन करने के उपरान्त पत्नी को पति की जूठी थाली में से कुछ भोजन ग्रहण करना चाहिए।
बच्चों की शिक्षा सम्बन्धी कुछ उपाय :-
बच्चों को ११ तुलसी-पत्र के रस में मिश्री मिलाकर दें इससे उनकी एकाग्रता में वृद्धि होगी।
प्रतिदिन सूर्य भगवान को जल अर्पित करें।
प्रतिदिन २१ बार गायत्री मंत्र का उच्चारण करें।
विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष में विद्या की देवी माँ सरस्वती का चित्र लगायें।
इमली की २२ पत्तियाँ लें उनमें से ११ पत्तियाँ सूर्य देवता को अर्पित कर दें और शेष अपनी पुस्तक में रख लें।
रात्रि सोने से पूर्व ११ बार "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का उच्चारण करें।
अपने अध्ययन कक्ष में हरे रंग के परदे लगायें।
स्वयं में विश्वास उत्पन्न करने के लिए उपाय :-
रविवार को लाल रंग के बैल को गुड़ खिलायें।
अपने घर के मंदिर में लाल रंग के बैल का खिलौना रखें।
प्रतिदिन अपने दांत फिटकरी पाउडर से साफ़ करें।
शक्कर मिश्रित जल सूर्य भगवान को अर्पित करें।
रोगों से छुटकारा पाने हेतु उपाय :-
दवाइयाँ शुरु करने से पहले उन्हें कुछ समय के लिए शिव मंदिर में रख दें।
अपनी शयन करने की चारपाई के चारों पाँवों में चांदी की कील लगायें।
जब भी जल पिएं उसमे थोड़ा सा गंगा जल दाल लें।
प्रतिदिन प्रातः हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें।
अपने बुरे कर्मों के पिता परमेश्वर से क्षमा याचना करें।
व्यवसाय में वृद्धि हेतु उपचार :-
एक लाल रंग के कपड़े में थोड़ा सा लाल चन्दन पाउडर बांधे और उसे अपनी तिजोरी में रखें।
अपने व्यवसाय में अपनी पत्नी को हिस्सेदार बनाये।
आप अपने पहले ग्राहक से जो भी धनराशि कमाते हैं उसमें से कुछ धनराशि किसी जरूरतमंद को अवश्य दान करें।
प्रातः अपने घर से आप जब व्यवसाय वाले स्थान पर जाने के लिए निकले तो रास्ते में कही और न रुक कर सीधा अपने व्यवसाय वाले स्थान पर ही जाएं ।
नौकरी प्राप्त करने हेतु उपाय :-
"ॐ श्रीं श्रीं क्री ग्लो गं गणपतये वर वरदाय मम नमः" इस मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करें।
रोजगार हेतु साक्षात्कार के लिए जाते समय एक चम्मच दही-शक्कर खा कर जाएँ।
साक्षात्कार के लिए घर से निकलते समय पहले दाहिना पैर बाहर निकालें और अपने परिवार के सदस्य से आपके ऊपर से साबुत मूंग घुमा कर बाहर फैंकने के लिए कहें।
जब भी साक्षात्कार के लिये जायें तो जो भी मंदिर पहले आप के रास्ते में आये वहां पर नारियल चढ़ाये।
शीघ्र नौकरी प्राप्त करने के लिए शनि सम्बन्धी कुछ उपाय करें।
कर्ज़ से छुटकारा पाने हेतु उपाय :-
अपने घर और व्यवसाय के स्थान का मध्य स्थान खाली और साफ़ रखें।
अपने घर में ख़राब हुई वस्तुएँ जैसे बिजली का ख़राब सामान, ख़राब घड़ियाँ और अन्य ख़राब सामान न रखें।
अपने ऋण के बारें में बार-बार बात न करें।
अपने घर के गंदे जल का निकास उत्तर पूर्व की ओर रखें।
अपने कर्मचारियों का ध्यान रखे और सम्मान करें।
रविवार को प्रातः नदी में नारियल विसर्जित करें।
विशेष :- अगर आपको दी गई जानकारी अच्छी लगे तो कृपया शेयर करें और अपने मित्रों को भी लाइक करने के लिए प्रेरित करें.
धन्यवाद।


कर्ज खत्म करने के लिए क्या करें
एक बहुत ही आजमाया हुआ कारगर उपाय है जिससे हर किसी को इस मुसीबत से छुटकारा मिल सकता है | जिन लोगों ने इस उपाय को किया है न केवल कर्ज से मुक्त हुए हैं बल्कि धनी भी बन गए हैं | आवश्यकता है तो बस विशवास की, श्रद्धा की और समर्पण की |
गणेश जी को ऋणहर्ता माना गया है | उन्ही की कृपा से आपको कर्ज से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सकती है | पूरे विशवास के साथ किसी भी मंगलवार की सुबह गणेश जी के आगे आसान बिछाकर बैठ जाएँ | धूप दीप से पूजन करने के बाद हाथ में जल लेकर संकल्प लें | ४० दिन, ६ महीने या कर्ज की आयु के अनुसार ९ महीने नीचे लिखे गणेश मन्त्र का प्रतिदिन ३ माला जप करें |
ओम गणेश ऋणं छिन्दि छिन्दि वरेण्यम हूं नमः फट
जप के दोरान धूप दीप जलता रहना चाहिए और इस साधना के समाप्त होने तक इस मन्त्र का जिक्र किसी से मत करें | पहले १५ दिन के भीतर ही आपको आशा की किरण दिखाई देने लगेगी |

रविवार, 26 अप्रैल 2015

समृद्धि में वृद्धि ,वास्तु दोष निवारक यंत्र

समृद्धि में वृद्धि
बरगद के वृक्ष की छांव में यदि कोई पौधा उग आया हो तो उसे मिट्टी सहित खोद कर निकालें और अपने घर में लगाएं। जिस गति से वह पौधा बढ़ेगा उतनी ही गति से आपकी समृद्धि में वृद्धि होगी।
धन रखने के स्थान पर पान के पत्ते में शमी की लकड़ी को लपेटकर रखने से धन का अभाव कभी नहीं रहता।
सप्ताह के प्रति मंगलवार और शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर किसी पीपल के पेड़ से 11 पत्ते तोड़ लें। ध्यान रखें पत्ते पूरे होने चाहिए, कहीं से टूटे या खंडित नहीं होने चाहिए। इन 11 पत्तों पर स्वच्छ जल में कुमकुम या अष्टगंध या चंदन मिलाकर इससे श्रीराम का नाम लिखें। नाम लिखते से हनुमान चालिसा का पाठ करें। इसके बाद श्रीराम नाम लिखे हुए इन पत्तों की एक माला बनाएं। इस माला को किसी भी हनुमानजी के मंदिर जाकर वहां बजरंगबली को अर्पित करें। इस प्रकार यह उपाय करते रहें। कुछ समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।ध्यान रखें उपाय करने वाला भक्त किसी भी प्रकार के अधार्मिक कार्य न करें। अन्यथा इस उपाय का प्रभाव निष्क्रीय हो जाएगा। उचित लाभ प्राप्त नहीं हो सकेगा। साथ ही अपने कार्य और कर्तव्य के प्रति ईमानदार रहें।
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:
धन की कमी को दूर करने के लिए किसी पीपल के वृक्ष एक पत्ता तोड़ें। उस पत्ते पर कुमकुम या चंदन से श्रीराम का लिखें। इसके बाद पत्ते पर मिठाई रखें और यह हनुमानजी को अर्पित करें

ॐ नमः शिवाय ... मित्रों !!
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ हो ....
प्रकृति को नदी मान लिया जाये ...
यदि हम नदी के बहाव के साथ तैरते हैं , तो कम समय और कम ऊर्जा खर्च किए अधिक दूरी तय कर लेंगे , 
और यदि , नदी के बहाव की विपरीत दिशा मे तैरेंगे तो समय अधिक लगेगा , ऊर्जा अधिक खर्च होगी और दूरी भी कम तय होगी ।
" वास्तु " भी एक प्रकार से प्रकृति रूपी नदी ही है ,
वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है।
वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है।
इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि जब हमारे मित्र ग्रह बलवान होते हैं , तब दोषपूर्ण घर भी अनर्थ नहीं कर पाता ,
किन्तु जब शत्रु ग्रह बलवान होते हैं तब सबसे बड़ा शत्रु हमारा दोषयुक्त घर होता है , क्यूंकि हम कम से कम 12 घंटे उसी दोषयुक्त घर मे बिताते हैं।
इसलिए कभी भी भवन का निर्माण वास्तु अनुरूप ही करवाना श्रेयस्कर है ,
यदि भवन निर्माण हो चुका है , और उसमे वास्तु दोष है तो आप इस यंत्र - विधान द्वारा अपने भवन को दोषमुक्त कर सकते हैं -
वास्तु दोष निवारक यंत्र -
यदि आप पूजा पाठ या मंत्र जप करने मे स्वयं को असक्षम समझते हैं तो बिना तोड़ फोड़ किए इस वास्तु महायन्त्र से अपने घर / दुकान / कार्यालय को दोष मुक्त कर सकते हैं।
किसी साफ सफ़ेद कागज पर ,
भोजपत्र पर ,
तांबे , चांदी या अष्टधातु से बनी प्लेट पर , बनवा लीजिये।
किसी योग्य पंडित से शुभ मुहूर्त मे इस यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवायें ,
पंचामृत से यंत्र को स्नान करायें ,
पंचोचार पूजन कर गंगाजल के छीटें मारते हुये 21 बार इस मंत्र का पाठ करें –
“ ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाये नमः ! “
इसके बाद यंत्र को पीले या भगवे रंग के कपड़े मे लपेटकर अपने घर / दुकान / कार्यालय के पूजाघर मे स्थापित करें।
ध्यान रहे ... यंत्र की नित्य पूजा अर्चना होती रहनी चाहिये ,
इस विधान से भवन का वास्तुदोष , एक बार मे ही समाप्त हो जाता है।
!! ॐ नमः शिवाय !!

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

आपकी राशि जिस तत्व की है उसका असर आपके खान पान पर नजर आता है

आपकी राशि जिस तत्व की है उसका असर आपके खान पान पर नजर आता है
मेष राशि इस राशि वाले लोगां को गरमा गर्म और मसालेदार भोजन अधिक पसंद है। अचार, चटनी, पापड़ इत्यादि भी इनकी पहली पसंद है। ठंडा और फीका भोजन आपका मिजाज बिगाड़ सकता है इसलिए आपको स्वस्थ तन व मन के लिए ताजा व गर्म भोजन ही करना पसंद है। अग्नि तत्व की राशि होने के कारण तीखे मसाले, लाल मिर्च व एकदम गर्म रोटी, गर्म सब्जी आपकी रुचियों के अनुकूल है।
वृष राशि
आपकी राशि पृथ्वी तत्व की राशि है अतः इसी कारण इस राशि के लोगों को अच्छे सुगंधित मसालों वाला भोजन अध्क अच्छा लगता है जिसमें धनिया, जीरा, अज्मोंदा जैसे सुगंधित पदार्थ हों। कुछ भी मीठा खाना आपको अच्छा लगता है।
मिथुन राशि
आपकी राशि वायु तत्व की राशि है। आप चंचल, चलायमान व गतिशील प्रवृत्ति वाले हैं। आपसे अधिक इंतजार नहीं होता। यदि भोजन की बात की जाए तो आप ऐसा भोजन पसंद करते हैं जो शीघ्रता से पक जाए व तुरंत खाने को भी मिल जाए इसलिए fast food आपकी पहली पसंद है। आप अपने भोजन में भिन्नताएं भी पसंद करते हैं। आपको भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजनों व भोजन की ललक रहती है क्यांेकि विविधतायं आपकी पहली पसंद हैं।
कर्क राशि
आपकी राशि जल तत्त्व की राशि है। जिस प्रकार जल में अनेक प्रकार की लहरें हिलोरं लेती हैं उसी प्रकार आपके मन में भी कभी-कभी भोजन के प्रति ऐसा ही विचार आता है कि क्यों ना कुछ खास बनाया जाए व उसका लुत्फ उठाया जाए। जिस समय चंद्रमा अपनी कलाओं से पूर्ण होना प्रारंभ करता है आपकी भोजन की रुचियों में भी उसी अनुसार वृद्धि होती है, जब चंद्रमा की कलाएं कम होने लगती हैं तो आपकी भोजन में रूचि भी घट जाती है, आप भोजन के मामले में संतोषी हैं। जहां जैसा भी मिल जाए ठीक है, पर कभी कभी इतने मुखर हो जाते हं कि बड़े मन से भोजन बनाना और खाना आपको बहुत भाता है। पतली दाल, तरी वाली सब्जी, सूप, जूस, पेय पदार्थ आपका मिजाज दुरुस्त कर सकते हैं। बासी भोजन से आपका मूड खराब हो सकता है।
सिंह राशि
आपकी राशि अग्नि तत्त्व की राशि है। अग्नि का अर्थ है गर्म, उत्तेजित प्रवृत्ति वाली। इसलिए सिंह राशि वाले लोग पुरुष हों या स्त्री अत्यन्त पराक्रमी, उत्तेजित, गर्म मिजाज भी होते हं। यही बात आपके भोजन को भी समान रूप से प्रभावित करती है जिसके फलस्वरूप इस राशि वाले लोगां को गरमा गर्म और मसालेदार भोजन चाहिए। मिठाई और नमकीन दोनों यदि इनके सामने परोसे जाएँ तो ये नमकीन को प्राथमिकता देंगे। बाजार की चीजें खाने का भी इन्हें बेहद शौक होता है। गरमा गर्म चाय व गरमा गर्म पकौडे़ इनकी पहली पसंद हो सकते हैं।
कन्या राशि
आपकी राशि पृथ्वी तत्व की राशि है। आप खाना खाने के ही शौकीन नहीं हैं अपितु आपको भोजन बनाने की कला भी अत्यन्त भाती है। आपकी कोशिश हमेशा यही रहती है कि आप जब भी कुछ बनायं कुछ ना कुछ नया अवश्य करं। मसालों की जानकारी का भरपूर भण्डार छिपा है आपके दिमाग में। आपको सब्जियां, फल आदि तो पसंद हं साथ ही आपको भोजन सामग्री की भी पहचान है। आप तरल पेय पदार्थ भी खूब पसंद करते हैं। अपने हाथ से बनाया गया भोजन ही आपकी पहली पसंद है।
तुला राशि
आपकी राशि वायु तत्त्व की राशि है। आपको अपने जीवन में जो भी चाहिए वह उत्तम होना चाहिए। यही कामना सदैव आपके मन में रहती है। आपको भोजन की सुगंध से बहुत लगाव है। विविध्ता में ही आपकी रूचि रहती है। किसी खास प्रकार के भोजन के प्रति आप अधिक समय तक आकर्षित नहीं रह पाते। समयानुसार व स्थिति अनुसार आप स्वयं से समझौता करने में भी सक्षम हैं। आपके भोजन की रुचियों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । महँगे से महँगा भी खाना अथवा खिलाना पड़े तो आप हटने वाले नही हैं। आपको घर की अपेक्षा बाहर का खाना अधिक पसंद है। आपकी जुबान पर यह जुमला सदैव रहता है जो सबसे बढ़िया क्वालिटी है वही ले आओ ।
वृश्चिक राशि
आपकी राशि जल तत्त्व की राशि है। इसलिए आपको तरल पदार्थ से बेहद लगाव है परन्तु आपको अपने पसंदीदा भोजन का चयन करने में असमंजसता महसूस होती है। आपने अपने भोजन की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है इसलिए आप जैसा, जहां मिलता है वही खा लेते हैं। आपको बंधनों में बंधना नहीं भाता इसलिए आप समझौता नहीं करते। जल में उत्पन्न होने वाले अनाज, दालें ,सब्जियां फल आपकी पसंद हैं। समय पड़ने पर बासी भोजन खाने से भी आप परहेज नहीं करते। आप जल में उत्पन होने वाले भोज्य पदार्थ पसंद करते हैं । फास्ट फूड आपकी पहली पसंद है।
धनु राशि
आपकी राशि अग्नि तत्त्व की राशि है। आपकी राशि का अग्नि तत्त्व परोपकारी प्रवृत्ति वाला है। आप संतोषी प्रवृत्ति वाले हैं और यही बात आपके पसंदीदा भोजन पर भी लागू होती है। जो भी खाने को मिल जाए आप चुपचाप ग्रहण कर लेते हैं। महंगा खाना आपको फिजूल खर्च लगता है, आप स्वच्छ भोजन अधिक पसंद करते हैं। तीखा भोजन, अचार, चटनी, आपकी पसंद है। भोजन की उपलब्धता आपके लिए आप की पसंद से अधिक महत्त्व रखती है। पसंद अनुसार मिल जाए तो ठीक नहीं तो कुछ भी चलेगा। आप घरेलू भोजन और फास्ट फूड में समान रुप से रूचि रखते हैं,
मकर राशि
आपकी राशि पृथ्वी तत्व की राशि है,आप खाने के लिए जीना नहीं चाहते अपितु मात्र जीने के लिए खाना चाहते हैं। आपको जो भी खाने को मिल जाए उसी से संतुष्ट होकर प्रभु का धन्यवाद करते हैं। आप सच्चे मन से भोजन की प्रशंसा भी करते हंै। आपका सिद्धांत है कि ब्राह्मण भूखा नहीं जाना चाहिए । कभी-कभी आप स्वयं पर नियन्त्रण नहीं रख पाते और आवश्यकता से अधिक भोजन खा लेते हैं व बाद में खुद पछताते हं। समय अनुसार आपके भोजन की रुचियों में परिवर्तन होता रहता है। आप गरमा गर्म व ताजा भोजन अधिक पसंद करते हैं। कुल मिलाकर आप संतोषी प्रवृत्ति वाले हैं अतः जो मिल जाए उसी से संतुष्ट हो जाते हैं ।
कुंभ राशि
आपकी राशि वायु तत्त्व की राशि है व शनि आपकी राशि का स्वामी है। जीवन के 25 वें और 36 वें वर्ष के पश्चात आपके पसंदीदा भोजन की रुचियों में परिवर्तन होता है। आप तीव्रता से खाते हैं व आवश्यकता से अधिक खाते हंै। आपको घर का खाना उतना रुचिकर नहीं लगता जितना बाहर का खाना। आप वह सब कुछ खाना पसंद करते हं जिसमं भरपूर स्वाद हो चाहे वह सब्जी हो अथवा दाल। आप बाजार की चीजों को अधिक प्राथमिकता देते हैं अतः चटपटी व मसालेदार चीजें आपकी पहली पसंद हैं।
मीन राशि
आपकी राशि जल तत्त्व की राशि है । आप में सात्त्विक गुण भी विद्यमान है अतः आप सात्त्विक भोजन को ही अपने जीवन में प्राथमिकता देते हैं। सात्त्विक, साफ, ताजा, तरल भोजन ही आपका पसंदीदा भोजन है। तरल पेय पदार्थ भी आपकी पहली पसंद है। दूध, दही, घी, लस्सी, तरी वाली दाल एवम् सब्जियाँ, सूप आप प्रसन्नचित्त होकर ग्रहण करते हैं। कभी-कभी आप भोजन के प्रति जिद्दी व अड़ियल रुख भी अपना लेते हैं। तरी वाली सब्जियां, रसदार भोजन आपको अत्यन्त भाता है। ताजा, स्वच्छ भोजन आपके मन को स्फूर्ति प्रदान करता है।

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

~~~कौन सा ग्रह किस रोग का कारक ~~~

अगर आपका नया घर बनने में दिक्कत आ रही है तो . . . 

1 . . मंगलवार को मिटटी के बर्तन में हनुमान जी को बूंदी का भोग लगाये , फिर गरीबो को दान कर दे मकान जल्दी बन जायेगा . .बूंदी में २ तुलसी का पत्ता भी जरूर डाले . . .9 मंगलवार अवश्य करे . . 

2 . .लाल रंग की ध्वजा जिसमे राम लिखा हो मंगलवार को हनुमान जी को चढ़ाए .
.
3 . . सुबह शाम हनुमान चालीसा कअअ पाठ जरूर करे.
.
= यदि किसी कारणवश आप अपना मकान नहीं बनवा पा रहे हैं या नया मकान नहीं खरीद पा रहे है, तो नीम की लकड़ी का एक छोटा सा घर बनवाकर किसी गरीब बच्चे को दान कर दें या किसी मंदिर में रख आएं . . ऐसा करने पर शीघ्र ही आपको घर मिलने के योग बनेंगे


~~~कौन सा ग्रह किस रोग का कारक ~~~

1. सूर्य : पित्त, वर्ण, जलन, उदर, सम्बन्धी रोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, न्यूरोलॉजी से सम्बन्धी रोग, नेत्र रोग, ह्रदय रोग, अस्थियों से सम्बन्धी रोग, कुष्ठ रोग, सिर के रोग, ज्वर, मूर्च्छा, रक्तस्त्राव, मिर्गी इत्यादि.
2. चन्द्रमा : ह्रदय एवं फेफड़े सम्बन्धी रोग, बायें नेत्र में विकार, अनिद्रा, अस्थमा, डायरिया, रक्ताल्पता, रक्तविकार, जल की अधिकता या कमी से संबंधित रोग, उल्टी किडनी संबंधित रोग, मधुमेह, ड्रॉप्सी, अपेन्डिक्स, कफ रोग,मूत्रविकार, मुख सम्बन्धी रोग, नासिका संबंधी रोग, पीलिया, मानसिक रोग इत्यादि.
3. मंगल : गर्मी के रोग, विषजनित रोग, व्रण, कुष्ठ, खुजली, रक्त सम्बन्धी रोग, गर्दन एवं कण्ठ से सम्बन्धित रोग, रक्तचाप, मूत्र सम्बन्धी रोग, ट्यूमर, कैंसर, पाइल्स, अल्सर, दस्त, दुर्घटना में रक्तस्त्राव, कटना, फोड़े-फुन्सी, ज्वर, अग्निदाह, चोट इत्यादि.
4. बुध : छाती से सम्बन्धित रोग, नसों से सम्बन्धित रोग, नाक से सम्बन्धित रोग, ज्वर, विषमय, खुजली, अस्थिभंग, टायफाइड, पागलपन, लकवा, मिर्गी, अल्सर, अजीर्ण, मुख के रोग, चर्मरोग, हिस्टीरिया, चक्कर आना, निमोनिया, विषम ज्वर, पीलिया, वाणी दोष, कण्ठ रोग, स्नायु रोग, इत्यादि.
5. गुरु : लीवर, किडनी, तिल्ली आदि से सम्बन्धित रोग, कर्ण सम्बन्धी रोग, मधुमेह, पीलिया, याददाश्त में कमी, जीभ एवं पिण्डलियों से सम्बन्धित रोग, मज्जा दोष, यकृत पीलिया, स्थूलता, दंत रोग, मस्तिष्क विकार इत्यादि.
6. शुक्र : दृष्टि सम्बन्धित रोग, जननेन्द्रिय सम्बन्धित रोग, मूत्र सम्बन्धित एवं गुप्त रोग, मिर्गी, अपच, गले के रोग, नपुंसकता, अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियों से संबंधित रोग, मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न रोग, पीलिया रोग इत्यादि.
जय शंकर mkj
7. शनि : शारीरिक कमजोरी, दर्द, पेट दर्द, घुटनों या पैरों में होने वाला दर्द, दांतों अथवा त्वचा सम्बन्धित रोग, अस्थिभ्रंश, मांसपेशियों से सम्बन्धित रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा, अपच, स्नायुविकार इत्यादि.
8. राहु : मस्तिष्क सम्बन्धी विकार, यकृत सम्बन्धी विकार, निर्बलता, चेचक, पेट में कीड़े, ऊंचाई से गिरना, पागलपन, तेज दर्द, विषजनित परेशानियां, किसी प्रकार का रियेक्शन, पशुओं या जानवरों से शारीरिक कष्ट, कुष्ठ रोग, कैंसर इत्यादि.
9. केतु : वातजनित बीमारियां, रक्तदोष, चर्म रोग, श्रमशक्ति की कमी, सुस्ती, अर्कमण्यता, शरीर में चोट, घाव, एलर्जी, आकस्मिक रोग या परेशानी, कुत्ते का काटना इत्यादि.
~~~ कब होगी रोग मुक्ति ~~~
किसी भी रोग से मुक्ति रोगकारक ग्रह की दशा अर्न्तदशा की समाप्ति के पश्चात ही प्राप्त होती है. इसके अतिरिक्त यदि कुंडली में लग्नेश की दशा अर्न्तदशा प्रारम्भ हो जाए, योगकारक ग्रह की दशा अर्न्तदशा-प्रत्यर्न्तदशा प्रारम्भ हो जाए, तो रोग से छुटकारा प्राप्त होने की स्थिति बनती हैं. शनि यदि रोग का कारक बनता हो, तो इतनी आसानी से मुक्ति नही मिलती है,क्योंकि शनि किसी भी रोग से जातक को लम्बे समय तक पीड़ित रखता है और राहु जब किसी रोग का जनक होता है, तो बहुत समय तक उस रोग की जांच नही हो पाती है. डॉक्टर यह समझ ही नहीं पाता है कि जातक को बीमारी क्या है और ऐसे में रोग अपेक्षाकृत अधिक अवधि तक चलेगा

टोने टोटको उपाय -

गुरु सिमरन।जय माता दी। क्या आप टोने टोटको से या तांत्रिको से डर डर के जी रहे हो ? क्या आपको लगता है आप के घर जो छोटी मोटी बाते हो रही है उसका कारन किसी दुश्मन ने आप के घर पे कोई जादू टोना कर दिया है ? दोस्तों आप को चिंता करने की कोई बात नहीं है। हमारे बचपन से ही ऐसे मामलों में हम ने रूचि ली है। चाहे आपका कितना भी बड़ा दुश्मन क्यों ना हो उसे हम अपनी विद्या से धूल चटा सकते है। बहोत से भाई बहन यह बोल के चुप रहते है की अगर वो कुछ उपाय कर ले तो शायद और ज्यादा नुक्सान होगा। ऐसे बहोत से तांत्रिक होते है जो ब्लैकमेलिंग भी करते है, धमकिया देते है की आप ने ये नहीं किया तो आप का बुरा हाल होगा ऐसा होगा वैसा होगा। पर दोस्तों मेरे होते हुए आपको किसीसे डरने की कोई जरुरत नहीं है। अभी हम आपको कुछ बाते बताने जा रहे है जिसके उपयोग से आप खुद की रक्षा कर सकते है वो भी किसी तांत्रिक के पास ना जाते। और अगर इसे करने के बाद भी आपको निराशा मिलती है ।
उपाय -
१) पीली सरसों, गुग्गल, लोबान व गौघृत इन सबको मिलाकर इनकी धूप बना लें व सूर्यास्त के 1 घंटे भीतर उपले जलाकर उसमें डाल दें। ऐसा २१ दिन तक करें व इसका धुआं पूरे घर में करें। इससे नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं।कपुर भी मिला ले
२) जावित्री, गायत्री व केसर लाकर उनको कूटकर गुग्गल मिलाकर धूप बनाकर सुबह शाम २१ दिन तक घर में जलाएं। धीरे-धीरे तांत्रिक अभिकर्म समाप्त होगा।
३) शुक्ल पक्ष के बुधवार को ४ गोमती चक्र अपने सिर से घुमाकर चारों दिशाओं में फेंक दें तो व्यक्ति पर किए गए तांत्रिक अभिकर्म का प्रभाव खत्म हो जाता है।
४) शत्रु अनावश्यक परेशान कर रहा हो तो नींबू को ४ भागों में काटकर चौराहे पर खड़े होकर अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए चारों दिशाओं में एक-एक भाग को फेंक दें व घर आकर अपने हाथ-पांव धो लें। तांत्रिक अभिकर्म से छुटकारा मिलेगा।
५) कई बार ऐसा होता है कि शत्रु आपकी सफलता व तरक्की से चिढ़कर तांत्रिकों द्वारा अभिचार कर्म करा देता है। इससे व्यवसाय बाधा एवं गृह क्लेश होता है अतः इसके दुष्प्रभाव से बचने हेतु सवा 1 किलो काले उड़द, सवा 1 किलो कोयला को सवा 1 मीटर काले कपड़े में बांधकर अपने ऊपर से २१ बार घुमाकर शनिवार के दिन बहते जल में विसर्जित करें व मन में हनुमान जी का ध्यान करें। ऐसा लगातार ७ शनिवार करें। तांत्रिक अभिकर्म पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा।
६) गऊ, लोचन व तगर थोड़ी सी मात्रा में लाकर लाल कपड़े में बांधकर अपने घर में पूजा स्थान में रख दें। शिव कृपा से तमाम टोने-टोटके का असर समाप्त हो जाएगा।
सूचना - ऊपर बताये गए सभी टोटके अजमाए है। सभी सामान आपको पंसारी की दूकान में, जहा पूजा का सामान मिलेगा वह उपलब्ध होगा। जिस किसी व्यक्ति को ये चीजे समज नहीं आयी हो वो किसी पंडित की मदद ले सकते है।

गोमती चक्र : कुछ विशेष उपाए : -
१. दुश्मन तंग कर रहे हों तो तीन गोमती चक्रों पर दुश्मन के नाम लिख कर जमीन में गाड दें . दुश्मन परास्त हो जाएंगे.
२. व्योपार बदने के लिए दो गोमती चक्र लाल कपडे में बाँध कर चौखट पे इस तरह से लटका दें कि ग्राहक उसके नीचे से गुजरें , इस से ग्राहक ज्यादा आयेंगे.
३. सरकार की तरफ से सम्मान हासिल करने के लिए और अटके काम पूरे करने के लिए दो गोमती चक्र किसी ब्राह्मण को दान कर दें.
४. बार बार गर्भपात हो रह हो तो दो गोमती चक्र लाल कपडे में बाँध कर कमर से बाँध दें.
५. यदि प्रमोशन नही हो रही तो एक गोमती चक्र शिव मन्दिर में चढ़ा दें.
६. दुर्भाग्य दूर करने के लिए तीन गोमती चक्रों का चूर्ण बनाकर घर के आगे बिखेर दें .
७.पुत्र प्राप्ति के लिए पांच गोमती चक्र लेकर किसी तालाब या नदी में प्रवाह करें, मन्त्र पढ़ते हुए - हिली हिली मिलि मिलि चिली चिली हुक
८. पति पत्नी का झगडा ख़तम करने के लिए तीन गोमती चक्र हलूं बलजाद कह्कर घर के दक्षिण में फेंकें .

चाहे कोई प्रयोग कितना भी छोटा या बड़ा हो पर यदि वह आपके जीवन को आरामदायक बनाने में सहयोगी सा होता हैं तो उसे निश्चय ही जीवन में स्थान देना चाहिए . इसी तरह के कुछ प्रयोग आपके लिए ...
1. यदि हर बुधवार , एक पीला केला गाय को खिलाया जाये तो यह धन दायक होता हैं , आवश्यक यह हैं की इस कार्य का प्रारंभ , शुक्ल पक्ष से ही किया जाना चाहिए.
2. यदि धतूरे की जड़ को अपने कमर में बाँध लिया जाये तो यह जो व्यक्ति विशेष स्वपन दोष से पीड़ित हैं उनके लिए लाभदायक होगा.
3. सूर्योदय के पहले किसी भी चोराहे पर जाकर थोडा सा गुड चवा कर थूक दे फिर बिना किसी से बात करे बिना , नहीं पीछे देखे ओरअपने घर आ जाये , आपकी सिरदर्द की बीमारी में यह लाभदायक होगा .
4. अपने व्यापारिक स्थल को यदि वह उन्नति नहीं दे रहा हैं तो एक नीबू लेकर उसे अपने प्रतिष्ठान के चारों ओर घुमाएँ तथा बहार लाकर चार भाग में काट दे ओर फ़ेंक दे. आपकी उन्नति के लिए यही भी लाभदायक होगा.
5. किसी भी शुक्रवार को यदि तेल में थोडा सा गाय का गोबर मिला कर मालिश अपने शरीर की जाये फिर स्नान कर लिया जाये , तो यह व्यक्ति के विभिन्न दोषों को दूर करने में सहयोगी होता हैं .
6. सुबह उठ कर यदि थोडा सा आटा यदि चीटीयों के सामने डाल दे तो यह भी एक पूरे दिन का रक्षाकारक प्रयोग होता हैं .
7. यदि रवि पुष्प के दिन अपामार्ग के पौधे को विधि विधान से उखाड़ लाये ओर फिर तीन माला नवार्ण मंत्र जप करें, इसे पूजा स्थान या अपने व्यापारिक स्थान पर रखे आपके यहाँ धनागम में वृद्धि होगी .
8. परिवार में दोषों को समाप्त करने के लिए कुछ मीठा या मिठाई ओर उसके ऊपर थोडा सा मीठा पानी भी पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पित करे .
9. रविवार के दिन पीपल का वृक्ष नाछुये .
10. यदि व्यक्ति दोपहर के बाद यही पीपल के वृक्ष को स्पर्श करे तो व्यक्ति की अनेको बीमारी स्वतः ही नष्ट होती जाती हैं .

रावण सहिंता के ये उपाय चमका देंगे आपकी किस्मत को .........
यहां जानिए रावण संहिता के अनुसार कुछ ऐसे तांत्रिक उपाय जिनसे किसी भी व्यक्ति की किस्मत चमक सकती है...
1. धन प्राप्ति का उपाय: किसी भी शुभ मुहूर्त में या किसी शुभ दिन में सुबह जल्दी उठें। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी पवित्र नदी या जलाशय के किनारे जाएं। किसी शांत एवं एकांत स्थान पर वट वृक्ष के नीचे चमड़े का आसन बिछाएं। आसन पर बैठकर धन प्राप्ति मंत्र का जप करें।
धन प्राप्ति का मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा।
इस मंत्र का जप आपको 21 दिनों तक करना चाहिए। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। 21 दिनों में अधिक से अधिक संख्या में मंत्र जप करें।
जैसे ही यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा आपको अचानक धन प्राप्ति अवश्य कराएगा।
2.यदि किसी व्यक्ति को धन प्राप्त करने में बार-बार रुकावटें आ रही हों तो उसे यह उपाय करना चाहिए।
यह उपाय 40 दिनों तक किया जाना चाहिए। इसे अपने घर पर ही किया जा सकता है। उपाय के अनुसार धन प्राप्ति मंत्र का जप करना है। प्रतिदिन 108 बार।
मंत्र: ऊँ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा।
इस मंत्र का जप नियमित रूप से करने पर कुछ ही दिनों महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो जाएगी और आपके धन में आ रही रुकावटें दूर होने लगेंगी।
3. यदि आप दसों दिशाओं से यानी चारों तरफ से पैसा प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें। यह उपाय दीपावली के दिन किया जाना चाहिए।
दीपावली की रात में विधि-विधान से महालक्ष्मी का पूजन करें। पूजन के सो जाएं और सुबह जल्दी उठें। नींद से जागने के बाद पलंग से उतरे नहीं बल्कि यहां दिए गए मंत्र का जप 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ नमो भगवती पद्म पदमावी ऊँ ह्रीं ऊँ ऊँ पूर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा।
शय्या पर मंत्र जप करने के बाद दसों दिशाओं में दस-दस बार फूंक मारें। इस उपाय से साधक को चारों तरफ से पैसा प्राप्त होता है
4.सफेद आंकड़े को छाया में सुखा लें। इसके बाद कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध में मिलाकर इसे पीस लें और इसका तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का समाज में वर्चस्व हो जाता है।
5.यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी स्थान पर धन गढ़ा हुआ है और आप वह धन प्राप्त करना चाहते हैं तो यह उपाय करें।
गड़ा धन प्राप्त करने के लिए यहां दिए गए मंत्र का जप दस हजार बार करना होगा।
मंत्र: ऊँ नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।
गड़े हुए धन के दर्शन करने के लिए विधि इस प्रकार है। किसी शुभ दिवस में यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या करें। मंत्र सिद्धि हो जाने के बाद जिस स्थान पर धन गड़ा हुआ है वहां धतुरे के बीज, हलाहल, सफेद घुघुंची, गंधक, मैनसिल, उल्लू की विष्ठा, शिरीष वृक्ष का पंचांग बराबर मात्रा में लें और सरसों के तेल में पका लें। इसके बाद इस सामग्री से गड़े धन की शंका वाले स्थान पर धूप-दीप ध्यान करें। यहां दिए गए मंत्र का जप हजारों की संख्या में करें।
ऐसा करने पर उस स्थान से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का साया हट जाएगा। भूत-प्रेत का भय समाप्त हो जाएगा। साधक को भूमि में गड़ा हुआ धन दिखाई देने लगेगा।
ध्यान रखें तांत्रिक उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी का परामर्श अवश्य लें।
6.शास्त्रों के अनुसार दूर्वा घास चमत्कारी होती है। इसका प्रयोग कई प्रकार के उपायों में भी किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति सफेद दूर्वा को कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध के साथ पीस लें और इसका तिलक लगाएं तो वह किसी भी काम में असफल नहीं होता है।
7.महालक्ष्मी की कृपा तुरंत प्राप्त करने के लिए यह तांत्रिक उपाय करें।
किसी शुभ मुहूर्त जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया, होली आदि की रात यह उपाय किया जाना चाहिए। दीपावली की रात में यह उपाय श्रेष्ठ फल देता है। इस उपाय के अनुसार आपको दीपावली की रात कुमकुम या अष्टगंध से थाली पर यहां दिया गया मंत्र लिखें।
मंत्र: ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम:।
इस मंत्र का जप भी करना चाहिए। किसी साफ एवं स्वच्छ आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला या कमल गट्टे की माला के साथ मंत्र जप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। अधिक से अधिक इस मंत्र की आपकी श्रद्धानुसार बढ़ा सकते हैं।
इस उपाय से आपके घर में महालक्ष्मी की कृपा बरसने लगेगी।
8.अपामार्ग के बीज को बकरी के दूध में मिलाकर पीस लें, लेप बना लें। इस लेप को लगाने से व्यक्ति का समाज में आकर्षण काफी बढ़ जाता है। सभी लोग इनके कहे को मानते हैं।
9.यदि आप देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की कृपा से अकूत धन संपत्ति चाहते हैं तो यह उपाय करें।
उपाय के अनुसार आपको यहां दिए जा रहे मंत्र का जप तीन माह तक करना है। प्रतिदिन मंत्र का जप केवल 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
मंत्र जप करते समय अपने पास धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। जब तीन माह हो जाएं तो यह कौड़ी अपनी तिजोरी में या जहां आप पैसा रखते हैं वहां रखें। इस उपाय से जीवनभर आपको पैसों की कमी नहीं होगी।
10.यदि आप घर या समाज या ऑफिस में लोगों को आकर्षित करना चाहते हैं तो बिल्वपत्र तथा बिजौरा नींबू लेकर उसे बकरी के दूध में मिलाकर पीस लें। इसके बाद इससे तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है।
ध्यान रखें तांत्रिक उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी का परामर्श अवश्य लें।

गुरु सिमरन।जय माता दी । भविष्य में होने वाली किसी भी अच्छी या बुरी घटना के
बारे में हमें कोई न कोई संकेत अवश्य मिलता हैं जिस पर
हम कभी कभार ध्यान नहीं देते है लेकिन हम आपको बता
रहे हैं 10 ऎसे शुभ संकेत जिन्हें पहचान कर आप समझ
सकते हैं कि पैसा आने वाला हैं
(1) अगर आपके शरीर के दाहिने भाग या सीधे हाथ में
खुजली चले, तो आप समझ लो कि पैसा आने वाला हैं।
(2) लेन-देन करते समय अगर आपके हाथ से पैसा छूट
जाए, तो समझ लो कि धन लाभ होने वाला है।
(3) सोकर उठते ही सुबह-सुबह कोई भिखारी मांगने आ
जाए, तो समझ लो कि आपके द्वारा दिया गया उधार पैसा
बिना मांगे ही मिलने वाला है। इसलिए भिखारी को अपने
द्वार से कभी खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए।
(4) अगर गुरूवार के दिन सुबह-सुबह कुंवारी कन्या पीले
वस्त्रों में दिख जाए, तो समझ लें पैसा आने वाला है। यह
पैसे आने का शुभ संकेत है।
(5) शुक्रवार के दिन केसरियां रंग की गाय के दर्शन होना
बहुत शुभ माना जाता है। अगर ऎसा होता हैं तो समझ लो
कहीं से अचानक से धन प्राप्ति के योग बन रहे हैं।
(6) दिपावली के दिन यदि कोई किन्नर सज-संवर कर
दिखाई दे, तो समझ लो अवश्य ही पैसा प्राप्त होगा। ये
धन लाभ अप्रत्याशित रूप से होता है।
(7) दीपावली पूजन के दिन अगर बिल्ली दिख जाए, तो
समझ लो साक्षात माता लक्ष्मी के दर्शन हो गए। अब
धन की कोई कमी नहीं रहने वाली।
(8) यदि आप धन संबंधित काम से बाहर जाने के लिए
कपड़े पहन रहे हैं और उसी समय आपकी जेब से पैसे गिर
जाएं, तो यह धन प्राप्ति का शुभ संकेत है।
(9) कहीं जाते समय नेवले का दिखना या रास्ता काटना
शुभ संकेत माना जाता है। नेवला दिखना धन लाभ का
संकेत होता है। अगर आप सोकर उठे हों और उसी समय
नेवला आपको दिख जाए तो गुप्त धन मिलने की संभावना
रहती है।
(10) घर से निकलते समय यदि कोई सुहागन स्त्री हाथ
में पूजा की थाली लिए मिल जाए तो समझ लो अचानक ही
कहीं से धन आने वाला है। ज्योतिषों के अनुसार उपरोक्त
बताए गए संकेतों का संयोग से होना आवश्क होता है।
जानबुझकर बनाएं गए संयोग से ऎसा होने की संभावना
नगण्य है।


महामृत्युंजय मंत्र

~ लघु महामृत्युंजय मंत्र का सरल लाभकारी प्रयोग ~
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मंत्र- ॐ हौं जूं सः
विधी -अपने या जिसके लिए भी ये प्रयोग करना है उसके नाम या खुद के लिये है तो अपना नाम लेकर संकल्प लेवे ! जल शिवलिंग के निकट छोड दे और उक्त मन्त्र का १०८ बार जाप करे फिर दूध की मिठाई और बेलपत्त लेकर २७ बार यही मंत्र पढ कर शिवलिंग पर से घुमाये ७ बार मंत्र पढते हुये शिव से प्रार्थना करे कि भगवान महामृत्युंजय शिव जी सब रोग नष्ट कर दे !
फिर २७ - २७ बार दोनो को इस मंत्र से अभिमंत्रित करके स्वयम खा ले या रोगी को खिला दे साथ ही जल से भरे के गिलास मे गंगाजल की २ - ५ बूंद डालकर उसे भी अभिमंत्रित कर पिलाये !
सोमवार से ७ दिन करे ! शिव जी सब बीमारी आशातीत लाभ होगा !
~ महामृत्युंजय मंत्र ~
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ||
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इस मंत्र को संपुट-युक्त बनाने के लिए इसका उच्चारण इस प्रकार किया जाता है :-
!
ॐ हौं जूं स:
ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ
त्र्यम्बकम् यजामहे
सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनात्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ||
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ
सः जूं हौं ॐ
!
इस मंत्र का अर्थ है :
हम भगवान शंकर की पूजा करते
हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं | जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहेहैं | उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्युके बंधनों से मुक्त कर दें | जिससे मोक्षकी प्राप्ति हो जाए | जिस प्रकार एकककड़ी अपनी बेल में पक जाने केउपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्तहो जाती है | उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं, तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पानकरते हुए शरीर को त्यागकर आपही में लीन हो जाएं |
!
महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। काम्य उपासना के रूप में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। जप के लिए अलग-अलग मंत्रों का प्रयोग होता है। मंत्र में दिए अक्षरों की संख्या से इनमें विविधता आती है। यह मंत्र निम्न प्रकार से है-
एकाक्षरी (1) मंत्र- 'हौं'। त्र्यक्षरी (3) मंत्र- 'ॐ जूं सः'। चतुराक्षरी (4) मंत्र- 'ॐ वं जूं सः'। नवाक्षरी (9) मंत्र- 'ॐ जूं सः पालय पालय'। दशाक्षरी (10) मंत्र- 'ॐ जूं सः मां पालय पालय'।
(स्वयं के लिए इस मंत्र का जप इसी तरह होगा जबकि किसी अन्य व्यक्ति के लिए यह जप किया जा रहा हो तो 'मां' के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लेना होगा)
वेदोक्त मंत्र- महामृत्युंजय का वेदोक्त मंत्र निम्नलिखित है-
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌ ॥
इस मंत्र में 32 शब्दों का प्रयोग हुआ है और इसी मंत्र में ॐ' लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं। इसे 'त्रयस्त्रिशाक्षरी या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहते हैं। श्री वशिष्ठजी ने इन 33 शब्दों के 33 देवता अर्थात्‌ शक्तियाँ निश्चित की हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
इस मंत्र में 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य 1 प्रजापति तथा 1 वषट को माना है। मंत्र विचार : इस मंत्र में आए प्रत्येक शब्द को स्पष्ट करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि शब्द ही मंत्र है और मंत्र ही शक्ति है। इस मंत्र में आया प्रत्येक शब्द अपने आप में एक संपूर्ण अर्थ लिए हुए होता है और देवादि का बोध कराता है।
शब्द बोधक शब्द बोधक 'त्र' ध्रुव वसु 'यम' अध्वर वसु 'ब' सोम वसु 'कम्‌' वरुण 'य' वायु 'ज' अग्नि 'म' शक्ति 'हे' प्रभास 'सु' वीरभद्र 'ग' शम्भु 'न्धिम' गिरीश 'पु' अजैक 'ष्टि' अहिर्बुध्न्य 'व' पिनाक 'र्ध' भवानी पति 'नम्‌' कापाली 'उ' दिकपति 'र्वा' स्थाणु 'रु' भर्ग 'क' धाता 'मि' अर्यमा 'व' मित्रादित्य 'ब' वरुणादित्य 'न्ध' अंशु 'नात' भगादित्य 'मृ' विवस्वान 'त्यो' इंद्रादित्य 'मु' पूषादिव्य 'क्षी' पर्जन्यादिव्य 'य' त्वष्टा 'मा' विष्णु 'ऽ' दिव्य 'मृ' प्रजापति 'तात' वषट
इसमें जो अनेक बोधक बताए गए हैं। ये बोधक देवताओं के नाम हैं।
शब्द की शक्ति- शब्द वही हैं और उनकी शक्ति निम्न प्रकार से है-
शब्द शक्ति शब्द शक्ति 'त्र' त्र्यम्बक, त्रि-शक्ति तथा त्रिनेत्र 'य' यम तथा यज्ञ 'म' मंगल 'ब' बालार्क तेज 'कं' काली का कल्याणकारी बीज 'य' यम तथा यज्ञ 'जा' जालंधरेश 'म' महाशक्ति 'हे' हाकिनो 'सु' सुगन्धि तथा सुर 'गं' गणपति का बीज 'ध' धूमावती का बीज 'म' महेश 'पु' पुण्डरीकाक्ष 'ष्टि' देह में स्थित षटकोण 'व' वाकिनी 'र्ध' धर्म 'नं' नंदी 'उ' उमा 'र्वा' शिव की बाईं शक्ति 'रु' रूप तथा आँसू 'क' कल्याणी 'व' वरुण 'बं' बंदी देवी 'ध' धंदा देवी 'मृ' मृत्युंजय 'त्यो' नित्येश 'क्षी' क्षेमंकरी 'य' यम तथा यज्ञ 'मा' माँग तथा मन्त्रेश 'मृ' मृत्युंजय 'तात' चरणों में स्पर्श
यह पूर्ण विवरण 'देवो भूत्वा देवं यजेत' के अनुसार पूर्णतः सत्य प्रमाणित हुआ है।
महामृत्युंजय के अलग-अलग मंत्र हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार जो भी मंत्र चाहें चुन लें और नित्य पाठ में या आवश्यकता के समय प्रयोग में लाएँ। मंत्र निम्नलिखित हैं-
तांत्रिक बीजोक्त मंत्र-ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ ॥
संजीवनी मंत्र अर्थात्‌ संजीवनी विद्या- ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूर्भवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ।
महामृत्युंजय का प्रभावशाली मंत्र-ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥
महामृत्युंजय मंत्र जाप में सावधानियाँ
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है। लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियाँ रखना चाहिए जिससे कि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे।
अतः जप से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. जो भी मंत्र जपना हो उसका जप उच्चारण की शुद्धता से करें। 2. एक निश्चित संख्या में जप करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम मंत्रों का जप न करें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं। 3. मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें। 4. जप काल में धूप-दीप जलते रहना चाहिए। 5. रुद्राक्ष की माला पर ही जप करें। 6. माला को गोमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गोमुखी से बाहर न निकालें। 7. जप काल में शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखना अनिवार्य है। 8. महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करें। 9. जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें या शिवलिंग पर चढ़ाते रहें। 10. महामृत्युंजय मंत्र के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें। 11. जिस स्थान पर जपादि का शुभारंभ हो, वहीं पर आगामी दिनों में भी जप करना चाहिए। 12. जपकाल में ध्यान पूरी तरह मंत्र में ही रहना चाहिए, मन को इधर-उधरन भटकाएँ। 13. जपकाल में आलस्य व उबासी को न आने दें। 14. मिथ्या बातें न करें। 15. जपकाल में स्त्री सेवन न करें। 16. जपकाल में मांसाहार त्याग दें।
कब करें महामृत्युंजय मंत्र जाप?
महामृत्युंजय मंत्र जपने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है, आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है। स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है।
दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जप किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है। साथ ही इस मंत्र का जप करने से बहुत सी बाधाएँ दूर होती हैं, अतः इस मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। निम्नलिखित स्थितियों में इस मंत्र का जाप कराया जाता है-
(1) ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म, मास, गोचर और दशा, अंतर्दशा, स्थूलदशा आदि में ग्रहपीड़ा होने का योग है। (2) किसी महारोग से कोई पीड़ित होने पर। (3) जमीन-जायदाद के बँटबारे की संभावना हो। (4) हैजा-प्लेग आदि महामारी से लोग मर रहे हों। (5) राज्य या संपदा के जाने का अंदेशा हो। (6) धन-हानि हो रही हो। (7) मेलापक में नाड़ीदोष, षडाष्टक आदि आता हो। (8) राजभय हो। (9) मन धार्मिक कार्यों से विमुख हो गया हो। (10) राष्ट्र का विभाजन हो गया हो। (11) मनुष्यों में परस्पर घोर क्लेश हो रहा हो। (12) त्रिदोषवश रोग हो रहे हों।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है। महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। काम्य उपासना के रूप में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। जप के लिए अलग-अलग मंत्रों का प्रयोग होता है।
~ जय मकरध्वज हनुमान जी की ~
अलौकिक चमत्कारों का प्रतीक " मकरध्वज बालाजी धाम , बलाड़ रोड़ , ब्यावर "
सम्पर्क सूत्र ~ MO. 09251901365 ..


केतू देव

अब बात करते है केतू देव की लाल किताब टेवे मे केतू देव की भूमिका हम बहुत माइने रखती है यानी किसी भी जातक को मान समांन यश केतू देव ही देते है इनको मोक्ष का भी दाता बोला जाता है । इन्सान कोई भी काम करे उसमे केतू देव की भूमिका का होना बहुत जरूरी है । एक बात है यदि केतू देव जनम से ही अछे फल मे हो तो जातक 19-24 उम्र तक काफी नाम कमा लेता है और धन भी । इसपे आगे बात करेगें अब इनके खराबी के लक्षण कैसे जाने
कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर चर्म रोग, मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, जोड़ों का रोग या मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है। संतान को पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।
अब उपाय
तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे।
कान छिदवाएँ। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में डाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे। इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ कें केतवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है। अपने खाने में से कुत्ते,कौव्वे को हिस्सा दें। तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिओं को बाजरा दे। चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व्यपूर्ण है।

कब्ज का आयुर्वेद उपचार

कब्ज का आयुर्वेद उपचार
(Constipation Treatment by Ayurveda)
कब्ज का उपचार करने के लिए त्रिफला को 3 Grams से 5 Grams की मात्रा रात को सोते Time गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
कब्ज के कारण शरीर कई प्रकार के रोग हो जाता है वैसे कहा जाए तो यह ही किसी रोग के उत्पन्न होने का मूल कारण होता है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि कब्ज क्या होता हैं ? कब्ज (Constipation) का संबंध Digestive Work से है। जब शरीर की Digestive Work खराब जाता है, अर्थात् जो भोजन (Food) हम खाते हैं, वह सही ढंग से जब नहीं पचता और आंतों में रूक जाता तो इस कारण से गैस बनना, मिचली आना, पेट में दर्द रहना, शौच जाने में Time लगना और सुबह पेट साफ न होना, दिन में तीन चार Time शौच जाना, बदबूदार गैस निकलना, पेट गुडगुडा़ना और खट्टी डकारें आना आदि अनेकों समस्यां पैदा हो जाता हैं, जिससे नये-नये रोगों उत्पन्न हो जाते है। कब्ज यानि Constipation से बचने के लिए हम आपको कुछ नुस्खे बताने जा रहे हैं-
कब्ज रोग का उपचार:
1- कब्ज का उपचार करने के लिए त्रिफला को 3 Grams से 5 Grams की मात्रा रात को सोते Time गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इसे कुछ कुछ दिनों तक लगातार लें। इस उपचार के साथा ही रात के समय में तांबे के बर्तन में पानी रख लें और सुबह इसे पी लें। फिर इसके 15 मिनट बाद शौच करने जायें। ऐसा करने से पेट साफ हो जायेगा। यदि इस प्रकार से रोज जब आप अपना उपचार करते हैं तो आपको इस रोग से छुटकार हो जायेगा।
2- कब्ज के उपचार के लिए Daily कम से कम 2 या 3 हरड़ अवश्य चूसें। लगातार जब आप कुछ दिनों तक अपना उपचार इस प्रकार से करते हैं तो कब्ज (Constipation) की समस्यां दूर हो जाती है।
3- त्रिफला 25 Grams, सौंफ25 Grams, सोंठ 5 Grams, बादाम 50 Grams, मिश्री 20 Grams लें और गुलाब के फूल 50 Grams भी लें। सभी को कूट तथा पीसकर एक शीशी में भर लें। रात में सोते Time 5 से 7 Grams तक दूध या शहद के साथ लें। इस प्रकार से रोजाना उपचार करने से कब्ज ठीक हो जाता है।
कब्ज रोग में परहेज:
जिन्हें कब्ज अथार्त Constipation की Problem हो, वे लोग ध्यान दें कि कभी भी गरिष्ठ भोजन, तली चीजें तथा उरद आदि का सेवन न करें। गेहूं को ज्यादा बरीक न पिसायें और चोकर न निकालें। भोजन पकाने के लिए ऐसे ही आटे का उपयोग करें। Daily थोड़ा मेहनत और योग करें। पानी ज्यादा पियें। इस प्रकार रोज उपचार करें

सफेद बालों को काला करने के घरेलू नुस्खे

धन और उन्नति के लिए श्मशान में करें यह काम
श्मशान का नाम सुनते ही मन में एक भय उभरने लगता है। लेकिन लाल किताब में एक ऐसा उपाय है जो श्मशान भूमि में जाकर करना होता है। हलांकि यह उपाय ऐसा है जिसके लिए आपको किसी तंत्र मंत्र की जरूरत नहीं है। बस करना यह है कि आप एक छोटा सा मिट्टी का बर्तन लेकर श्मशान जाइये।
इस बर्तन में श्मशान में स्थित जल के स्रोत जैसे नल, हैंडपंप आदि से पानी भरकर अपने घर ले आएं। इसमें चांदी का एक चौरस टुकड़ा रखकर घर के पूर्व दिशा में इस प्रकार स्थापित कर दें ताकि कोई इसके साथ छेड़-छाड़ नहीं करे।
इस उपाय से आर्थिक मामलों में आने वाली बाधाएं एवं कार्य में बार-बार आने वाली रुकावटें दूर होती हैं। चन्द्रमा के अष्टम भाव में होने पर यह उपाय बहुत ही लाभकारी होता है।


  सफेद बालों को काला करने के घरेलू नुस्खे
वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारणहमारे बाल असमय ही सफेद हो जाते है।हालांकि बाल तनाव, प्रदूषण कोई बीमारी या‍ फिर अनुवांशिकता के कारण से भी सफेद हो सकते हैं।बालों को कलर करना इस समस्या का कोई उपचार नहीं हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपचार आजमा अपने बालों को सफेद होने से अवश्य ही रोक सकते हैं। आइए हम कुछ ऐसे ही आसान घरेलू उपचार बता रहे है जिन्हे आजमा कर आप अपने सफेद बालों को पुन: काला बना पाएंगे। *कुछ दिनों तक, नहाने से 1/2 घंटा पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। इससे बाल काले होने लगेंगे। *सप्ताह में कम से कम 3 दिन दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। इससे बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ भी नहीं होगी और बाल काले भी होने लगेंगे । *भृंगराज और अश्वगंधा की जड़ें बालों के लिए वरदान मानी जाती हैं। इनका पेस्ट नारियल के तेल के साथ बालों की जड़ों में लगाएं और 1 घंटे बाद गुनगुने पानी से अच्छीं तरह से बाल धो लें। इससे भी बाल काले होते है। *नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर उसे सिर पर लगाने से भी सफेद बाल काले हो जाते हैं। *प्रतिदिन शुद्ध घी से सिर की मालिश करके भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है । *अदरक को कद्दूकस कर शहद के रस में मिला लें। इसे बालों पर कम से कम सप्ताह में दो बार नियमित रूप से लगाएं। बालों का सफ़ेद होना कम हो जाएगा। *दही के साथ टमाटर को पीस लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू रस और नीलगिरी का तेल मिलाएं। इससे सिर की मालिश सप्ताह में दो बार करें। बाल लंबी उम्र तक काले और घने बने रहेंगे। *1/2 कप नारियल तेल या जैतून के तेल को हल्का गर्म करें। इसमें 4 ग्राम कर्पूर मिला कर इस तेल से मालिश करें। इसकी मालिश सप्ताह में एक बार जरूर करनी चाहिए। कुछ ही समय में रूसी खत्म हो जाएगी, बाल भी काले रहेंगे। *आंवले के पाउडर में नींबू का रस मिलाकर उसे नियमित रूप से लगाएं । शैंपू के बाद आंवला पाउडर पानी में घोलकर लगाने से भी बालों की कंडीशनिंग होती है, और बाल भी काले होते है । आंवला किसी ना किसी रुप मे सेवन भी अवश्य करते रहे । *जाड़े में तिल अधिक से अधिक खाएं। तिल का तेल भी बालों को काला करने में मदद करता है। *आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से फिर से काले होने लगेंगे। *एक कटोरी मेहंदी पाउडर लें, इसमें दो बड़े चम्मच चाय का पानी, दो चम्मच आंवला पावडर, एक चम्मच नीबू का रस, दो चम्मच दही, शिकाकाई व रीठा पावडर, एक अंडा (अगर आप लेना चाहे तो ), आधा चम्मच नारियल तेल व थोड़ा-सा कत्था। यह सब चीजें लोहे की कड़ाही में डालकर पेस्ट बनाकर रात को भिगो दें। इसे सुबह बालों में लगाए।फिर दो घंटे बाद धो लें। इससे बाल बिना किसी नुकसान के काले हों जाएँगे। ऐसा माह में कम से कम एक बार अवश्य ही करें Show less
वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारणहमारे बाल असमय ही सफेद हो जाते है।हालांकि बाल तनाव, प्रदूषण कोई बीमारी या‍ फिर अनुवांशिकता के कारण से भी सफेद हो सकते हैं।बालों को कलर करना इस समस्या का कोई उपचार नहीं हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपचार आजमा अपने बालों को सफेद होने से अवश्य ही रोक सकते हैं। आइए हम कुछ ऐसे ही आसान घरेलू उपचार बता रहे है जिन्हे आजमा कर आप अपने सफेद बालों को पुन: काला बना पाएंगे। *कुछ दिनों तक, नहाने से 1/2 घंटा पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। इससे बाल काले होने लगेंगे। *सप्ताह में कम से कम 3 दिन दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। इससे बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ भी नहीं होगी और बाल काले भी होने लगेंगे । *भृंगराज और अश्वगंधा की जड़ें बालों के लिए वरदान मानी जाती हैं। इनका पेस्ट नारियल के तेल के साथ बालों की जड़ों में लगाएं और 1 घंटे बाद गुनगुने पानी से अच्छीं तरह से बाल धो लें। इससे भी बाल काले होते है। *नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर उसे सिर पर लगाने से भी सफेद बाल काले हो जाते हैं। *प्रतिदिन शुद्ध घी से सिर की मालिश करके भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है । *अदरक को कद्दूकस कर शहद के रस में मिला लें। इसे बालों पर कम से कम सप्ताह में दो बार नियमित रूप से लगाएं। बालों का सफ़ेद होना कम हो जाएगा। *दही के साथ टमाटर को पीस लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू रस और नीलगिरी का तेल मिलाएं। इससे सिर की मालिश सप्ताह में दो बार करें। बाल लंबी उम्र तक काले और घने बने रहेंगे। *1/2 कप नारियल तेल या जैतून के तेल को हल्का गर्म करें। इसमें 4 ग्राम कर्पूर मिला कर इस तेल से मालिश करें। इसकी मालिश सप्ताह में एक बार जरूर करनी चाहिए। कुछ ही समय में रूसी खत्म हो जाएगी, बाल भी काले रहेंगे। *आंवले के पाउडर में नींबू का रस मिलाकर उसे नियमित रूप से लगाएं । शैंपू के बाद आंवला पाउडर पानी में घोलकर लगाने से भी बालों की कंडीशनिंग होती है, और बाल भी काले होते है । आंवला किसी ना किसी रुप मे सेवन भी अवश्य करते रहे । *जाड़े में तिल अधिक से अधिक खाएं। तिल का तेल भी बालों को काला करने में मदद करता है। *आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से फिर से काले होने लगेंगे। *एक कटोरी मेहंदी पाउडर लें, इसमें दो बड़े चम्मच चाय का पानी, दो चम्मच आंवला पावडर, एक चम्मच नीबू का रस, दो चम्मच दही, शिकाकाई व रीठा पावडर, एक अंडा (अगर आप लेना चाहे तो ), आधा चम्मच नारियल तेल व थोड़ा-सा कत्था। यह सब चीजें लोहे की कड़ाही में डालकर पेस्ट बनाकर रात को भिगो दें। इसे सुबह बालों में लगाए।फिर दो घंटे बाद धो लें। इससे बाल बिना किसी नुकसान के काले हों जाएँगे। ऐसा माह में कम से कम एक बार अवश्य ही करें Show less


AMZING ....NUSKHA

लाल किताब के टोटके लाल किताब के टोटके

लाल किताब के टोटके
सुबह उठ कर सबसे पहले घर की मालकिन अगर एक लोटा पानी घर के मुख्य द्वार पर डालती है तो घर में लक्ष्मी देवी के आने का रास्ता खुल जाता हैं।
अगर आप चाहते हैं की घर में सुख शान्ति बनी रहे तो हर एक अमावास के दिन घर की अच्छी तरह सफाई करके (बेकार सामान घर में न रखें) कच्ची लस्सी का छिट्टा देकर ५ अगरबत्ती जलाइए।
महीने में २ बार किसी भी दिन घर में उपला जलाकर लोबान व गूगल की धुनी देने से घर में उपरी हवा का बचाव रहता हैं तथा बीमारी दूर होती है।
आपके घर में अगर अग्नि कोण में पानी की टंकी रखी हो तो घर में कर्जा व बीमारी कभी समाप्त नही होती है इससे बचने के लिए इस कोने में एक लाल बल्ब लगा दें जो हर वक्त जलता रहे।
नमक को कभी भी खुला न रखें।
घर में सुख-शान्ति न हो तो पीपल पर सरसों के तेल का दीया जलाना और जला कर काले माह (उड़द ) के तीन दाने दीये में डालना चाहिए, ऐसा तीन शनिवार शाम को करें।
दुर्घटना या सर्जरी का भय हो तो तांबें के बर्तन में गुड़ हनुमान जी के मन्दिर में देने से बचाव होता है और अगर सरसों के तेल का दीया वहीं जलाये और वहीं बैठ कर हनुमान चालीसा पढ़े और हलवा चढाये तो काफ़ी बचाव होता है, ऐसा चार मंगलवार रात्रि करें।
बहन भाईओं से कोई समस्या हो तो सवा किलो गुड़ जमीन में दबाने से समझौता होता है, ऐसा मंगलवार को करें।
बच्चों की पढ़ाई के लिए सवा मीटर पीले कपडें में २ किलो चने की दाल बांधकर लक्ष्मी-नारायण जी के मन्दिर में चढाये, ऐसा पाँच शाम वीरवार को करें।
कमर, गर्दन में तकलीफ रहती हो तो दोनों पैरों के अंगूठे में काला सफ़ेद धागा बांधें।
घर में पैसा रखने वाली अलमारी का मुंह उत्तर की तरफ़ रखे, ऐसा करने से घर में लक्ष्मी बदती है।
किसी भी रोज़ संध्याकाल में गाय को कच्चा ढूढ़ मिटटी के किसी बर्तन में भरकर बाएँ हाथ से नज़र लगे बच्चे के सर से सात बार उतारकर चौराहे पर रख आयें या किसी कुत्ते को पिला दे, नज़र दोष दूर हो जायेगा।
घर के किसी भी कार्य के लिए निकलते समय पहले विपरीत दिशा में ४ पग जावें, इसके बाद कार्य पर चले जाएँ, कार्य जरूर बनेगा।
परिवार में सुख-शान्ति और सम्रद्धि के लिए प्रतिदिन प्रथम रोटी के चार बराबर भाग करें, एक गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौए को और चौथा चौराहे पर रख दें।
हल्दी की ७ साबुत गाठें ७ गुड़ की डलियाँ, एक रूपये का सिक्का किसी पीले कपड़े में वीरवार को बांधकर रेलवे लाईन के पार फेंक दें, फेंकते समय अपनी कामना बोलें, इच्छा पूर्ण होने की सम्भावना हो जायेगी।
घर में सुख-शान्ति के लिए मिट्टी का लाल रंग का बन्दर, जिसके हाथ खुले हो, घर में सूर्य की तरफ़ पीठ करके रखें, ऐसा रविवार को करें।
चांदी के बर्तन में केसर घोल कर माथे पर टीका लगाना, सुख-शान्ति सम्रद्धि और प्रसद्धि देता है, यह प्रयोग वीरवार को करें।
शादी न हो रही हो या पढ़ाई में दिक्कत हो तो पीले फूलों के दो हार लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में चढाये, आपका काम जरूर होगा, यह प्रयोग वीरवार शाम को करें।
कंजकों को बुधवार के दिन साबुत बादाम, जो मन्दिर के बाहर बैठीं हों, देना चाहिए इससे घर की बीमारी दूर होती है।
अगर किसी को अपनी नौकरी में तबादले या स्थानांतर को लेकर कोई समस्या है तो ताम्बे की गडवी/ लोटे में लाल मिर्ची के बीज डालकर सूर्य को चढाने से समस्या दूर होती है। सूर्य को यह जल लगातार २१ दिनों तक चढाये।

गेहूँ के ज्वारे

इसे ग्रीन ब्लड कहने का एक कारणयह भी है कि रासायनिक संरचना पर ध्यानाकर्षण किया जाए तो गेहूँ के ज्वारे के रस और मानव मानव रुधिर दोनों का ही पी.एच. फैक्टर 7.4 ही है जिसके कारण इसके रस का सेवन करने से इसका रक्त में अभिशोषण शीघ्र हो जाता है, जिससे रक्ताल्पता(एनीमिया) और पीलिया(जांडिस)रोगी के लिए यह ईश्वर प्रदत्त अमृत हो जाता है. गेहूँ के ज्वारे के रस का नियमित सेवन और नाड़ी शोधन प्रणायाम से मानव शारीर के समस्त नाड़ियों का शोधन होकर मनुष्य समस्त प्रकार के रक्तविकारों से मुक्त हो जाता है. गेहूँ के ज्वारे में पर्याप्त मात्रा में क्लोरोफिल पाया जाता है जो तेजी से रक्त बनता है इसीलिए तो इसे प्राकृतिक परमाणु की संज्ञा भी दी गयी है. गेहूँ के पत्तियों के रस में विटामिन बी.सी. और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
गेहूँ घास के सेवन से कोष्ठबद्धता, एसिडिटी , गठिया, भगंदर, मधुमेह, बवासीर, खासी, दमा, नेत्ररोग,म्यूकस, उच्चरक्तचाप, वायु विकार इत्यादि में भी अप्रत्याशित लाभ होता है. इसके रस के सेवन से अपार शारीरिक शक्ति कि वृद्धि होती है तथा मूत्राशय कि पथरी के लिए तो यह रामबाण है. गेहूँ के ज्वारे से रस निकालते समय यह ध्यान रहे कि पत्तियों में से जड़ वाला सफेद हिस्सा काट कर फेंक दे. केवल हरे हिस्से का ही रस सेवन कर लेना ही विशेष लाभकारी होता है. रस निकालने के पहले ज्वारे को धो भी लेना चाहिए. यह ध्यान रहे कि जिस ज्वारे से रस निकाला जाय उसकी ऊंचाई अधिकतम पांच से छः इंच ही हो.
आप १५ छोटे छोटे गमले लेकर प्रतिदिन एक-एक गमलो में भरी गयी मिटटी में ५० ग्राम गेहू क्रमशः गेहू चिटक दे, जिस दिन आप १५ गमले में गेहू डालें उस दिन पहले दिन वाला गेहू का ज्वारा रस निकलने लायक हो जायेगा. यह ध्यान रहे की जवारे की जड़ वाला हिस्सा काटकर फेक देंगे पहले दिन वाले गमले से जो गेहू उखाड़ा उसी दिन उसमे दूसरा पुनः गेहू बो देंगे.यह क्रिया हर गमले के साथ होगी ताकि आपको नियमित ज्वारा मिलता रहे.

अंक ज्योतिष में मूलांक जन्म तारीख के अनुसार 1 से 9 माने जाते हैं।



जय शंकर
अंक ज्योतिष में मूलांक जन्म तारीख के अनुसार 1 से 9 माने जाते हैं।
प्रत्येक अंक व्यक्ति का मूल स्वभाव दिखाता है। बच्चे का मूल स्वभाव जानकर ही माता-पिता उसे सही तालीम दे सकते हैं। आइए, जानें कैसा है आपके बच्चे का स्वभाव।
मूलांक 1 (1, 10 19, 28) : ये बच्चे क्रोधी, जिद्‍दी व अहंकारी होते हैं। अच्छे प्रशासनिक अधिकारी बनते हैं। ये तर्क के बच्चे हैं अत: डाँट-डपट नहीं सहेंगे। इन्हें तर्क से नहीं, प्यार से समझाएँ।
* मूलांक 2 (2, 11, 20, 29) : ये शांत, समझदार, भावुक व होशियार होते हैं। माता-पिता की सेवा करते हैं। जरा सा तेज बोलना इन्हें ठेस पहुँचाता है। इनसे शांति व समझदारी से बात करें।
* मूलांक 3 (3, 12, 21,30 ) : ये समझदार, ज्ञानी व घमंडी होते हैं। अच्‍छे सलाहकार बनते हैं। इन्हें समझाने के लिए पर्याप्त कारण व ज्ञान होना जरूरी है।
* मूलांक 4 (4, 13, 22) : बेपरवाह, खिलंदड़े व कारस्तानी होते हैं। रिस्क लेना इनका स्वभाव होता है। इन्हें अनुशासन में रखना जरूरी है। ये व्यसनाधीन हो सकते हैं।
* मूलांक 5 (5, 14, 23) : बुद्धिमान, शांत, आशावादी होते हैं। रिसर्च के कामों में रूचि लेते हैं। इनके साथ धैर्य से व शांति से बातचीत करें।
* मूलांक 6 (6, 15, 24) : हँसमुख, शौकीन मिजाज व कलाप्रेमी होते हैं। ‘खाओ पियो ‍मस्त रहो’ पर जीते हैं। इन्हें सही संस्कार व सही दिशा-निर्देश जरूरी है।
* मूलांक 7 (7, 16, 25) : भावुक, निराशावादी, तनिक स्वार्थी मगर तीव्र बुद्धि के होते हैं। व्यसनाधीन जल्दी होते हैं। कलाकार हो सकते हैं। इन्हें कड़े अनुशासन व सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है।
* मूलांक 8 (8, 17, 26) : तनिक स्वार्थी, भावुक, अति व्यावहारिक, मेहनती व व्यापार बुद्धि वाले होते हैं। जीवन में देर से गति आती है। इन्हें सतत सहयोग व अच्छे साथियों की जरूरत होती है।
* मूलांक 9 (9, 18, 27) : ऊर्जावान, शैतान व तीव्र बुद्धि के विद्रोही होते हैं। माता-पिता से अधिक बनती नहीं है। प्रशासन में कुशल होते हैं। इनकी ऊर्जा को सही दिशा देना व इन्हें समझना जरूरी होता है।

ग्रहो मे सबसे प्रभावशाली ग्रह शनी देव ही है

ग्रहो मे सबसे प्रभावशाली ग्रह शनी देव ही है इनसे लोग डरते भी है और लोगो को डराया भी जाता है ऐ सच है कि शनी देव अशुभ फल मे हो तो एक रात मे आसमान से जमीन मे पटक देते है गलत तरीके से कमाया धन इनके ही असुभ फल मे साथ छोड देता है जिदंगी भर कमाया लेकिन काम नि आता या डूब जाएगा या कोई और भोग कर जाएगा । जातक को कर्म की शिक्षा शनि देव ही देते है पीतल से सोना बनाते है इनकी दशा और साढे साती मे जातक को हर उस चीज से वाकिफ कराते है जो आगे जाकर गलतिया नही करता । फिलहाल कैसे छोटी बातो से जाने की वो खराब हालाद मे है
शनि की गति धीमी है। इसके दूषित होने पर अच्छे से अच्छे काम में गतिहीनता आ जाती है। कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है। अंगों के बाल झड़ जाते हैं। शनिदेव की भी दो राशिया है, मकर और कुम्भ। शारीर में विशेषकर निचले हिस्से में ( कमर से नीचे ) हड्डी या स्नायुतंत्र से सम्बंधित रोग लग जाते है। वाहन से हानि या क्षति होती है। काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है। अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।
नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी।
उपाय है----;-;-हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ हन हनुमते नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है। नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करे। यदि कुंडली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को ताँबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा। यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवाएँ।कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ। तेल में अपना मुख देख वह तेल दान कर दें (छाया दान करे ) । लोहा, काली उड़द, कोयला, तिल, जौ, काले वस्त्र, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें|
११ दिन तक बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। शनि के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाये ,या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है, या हनुमान जी की पूजा करे और बजरंग बाण का पथ करे, शनि के लिए काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें

वास्तु दोष निवारक यंत्र -

ॐ नमः शिवाय ... मित्रों !!
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ हो ....
प्रकृति को नदी मान लिया जाये ...
यदि हम नदी के बहाव के साथ तैरते हैं , तो कम समय और कम ऊर्जा खर्च किए अधिक दूरी तय कर लेंगे , 
और यदि , नदी के बहाव की विपरीत दिशा मे तैरेंगे तो समय अधिक लगेगा , ऊर्जा अधिक खर्च होगी और दूरी भी कम तय होगी ।
" वास्तु " भी एक प्रकार से प्रकृति रूपी नदी ही है ,
वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है।
वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है।
इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि जब हमारे मित्र ग्रह बलवान होते हैं , तब दोषपूर्ण घर भी अनर्थ नहीं कर पाता ,
किन्तु जब शत्रु ग्रह बलवान होते हैं तब सबसे बड़ा शत्रु हमारा दोषयुक्त घर होता है , क्यूंकि हम कम से कम 12 घंटे उसी दोषयुक्त घर मे बिताते हैं।
इसलिए कभी भी भवन का निर्माण वास्तु अनुरूप ही करवाना श्रेयस्कर है ,
यदि भवन निर्माण हो चुका है , और उसमे वास्तु दोष है तो आप इस यंत्र - विधान द्वारा अपने भवन को दोषमुक्त कर सकते हैं -
वास्तु दोष निवारक यंत्र -
यदि आप पूजा पाठ या मंत्र जप करने मे स्वयं को असक्षम समझते हैं तो बिना तोड़ फोड़ किए इस वास्तु महायन्त्र से अपने घर / दुकान / कार्यालय को दोष मुक्त कर सकते हैं।
किसी साफ सफ़ेद कागज पर ,
भोजपत्र पर ,
तांबे , चांदी या अष्टधातु से बनी प्लेट पर , बनवा लीजिये।
किसी योग्य पंडित से शुभ मुहूर्त मे इस यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवायें ,
पंचामृत से यंत्र को स्नान करायें ,
पंचोचार पूजन कर गंगाजल के छीटें मारते हुये 21 बार इस मंत्र का पाठ करें –
“ ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाये नमः ! “
इसके बाद यंत्र को पीले या भगवे रंग के कपड़े मे लपेटकर अपने घर / दुकान / कार्यालय के पूजाघर मे स्थापित करें।
ध्यान रहे ... यंत्र की नित्य पूजा अर्चना होती रहनी चाहिये ,
इस विधान से भवन का वास्तुदोष , एक बार मे ही समाप्त हो जाता है।
!! ॐ नमः शिवाय !!