गुरुवार, 30 जुलाई 2015

न चले बिजनेस तो अपनाएं ये वास्तु टिप्स,

न चले बिजनेस तो अपनाएं ये वास्तु टिप्स, होने लगेगी तरक्की
जब भी आप कोई नया बिजनेस शुरू करते हैं तो आशा करते हैं आपका बिजनेस दिनोंदिन तरक्की करता रहे, लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। बिजनेस न चलने के कई कारण हो सकते हैं। दुकान या ऑफिस का वास्तु दोष भी आपके बिजनेस की तरक्की में रुकावट डाल सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसे वास्तु टिप्स बता रहे हैं, जिन्हें ध्यान में रख आप अपना बिजनेस चमका सकते हैं, ये टिप्स इस प्रकार हैं-
1. दुकान में ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को बिल्कुल खाली रखें। पानी की व्यवस्था इसी स्थान पर करें। पूजा स्थान भी ईशान कोण में रखें तो और भी बेहतर रहेगा। 
2. ईशान कोण की स्वच्छता ग्राहकों को आकर्षित करती है इसलिए इस स्थान को साफ-सुथरा बनाए रखें। 
3. दुकान में भारी सामान या जूते-चप्पल ईशान कोण में रखें हुए हों तो तुरंत हटा दें, क्योंकि इससे व्यापार में नुकसान हो सकता है। 
4. दुकान में सामान रखने की सही दिशा उत्तर है। लंबे समय तक रखे जाने वाले माल को दक्षिण में, स्टॉक खत्म करने वाले माल को वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम)में रखें।
5. विद्युत उपकरण जैसे बिजली का मीटर, स्विच बोर्ड और इनवर्टर आदि की व्यवस्था आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में करें, तो बेहतर रहेगा। 
6. सीढ़ियां ईशान कोण के अतिरिक्त किसी भी दिशा में रख सकते हैं। 
7. दुकान के मालिक का बैठने का स्थान नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम)में या दक्षिण दिशा में इस प्रकार हो कि मुख पूर्व या उत्तर में रहें।
8. संभव हो तो तुलसी का एक छोटा पौधा भी आग्नेय कोण में स्थापित करें, जिसमें रोज पानी दें।
वास्तु शास्त्र जितना विस्तृत है उतना ही फायदेमंद है। वास्तु में ऐसे अनेक उपाय बताए गए हैं जिनके माध्यम से आपके व्यवसाय में तरक्की हो सकती है, जैसे कि किस व्यवसाय के लिए कौन से रंग की दुकान उपयुक्त रहेगी? रंग यदि व्यवसाय के अनुकूल हो तो बहुत ही जल्दी उन्नति होती है और सफलता की गाड़ी सरपट दौड़ने लगती है। वास्तु के अनुसार, किस व्यवसाय के लिए दुकान में कौन सा रंग करवाना चाहिए। इसकी जानकारी इस प्रकार है-
1. यदि आपकी ज्वैलरी की दुकान है, तो आपको अपनी दुकान में गुलाबी, सफेद या आसमानी कलर करवाना चाहिए। इससे आपको लाभ होगा।
2. अगर आपका किराना व्यवसाय है तो आपके लिए अपनी दुकान में हल्का गुलाबी, आसमानी तथा सफेद रंग करवाना शुभ रहेगा।
3. लाइब्रेरी या स्टेशनरी शॉप में पीला, आसमानी अथवा गुलाबी कलर करवाना अच्छा रहेगा। इससे आपका व्यवसाय चल निकलेगा।
4. रेडिमेड गारमेंट या अन्य किसी प्रकार के वस्त्रों की दुकान में हरा, हल्का पीला या आसमानी रंग करवाना चाहिए। 
5. मेडिकल, क्लिनिक या अन्य कोई चिकित्सा से संबंधित संस्थान हो तो उसके लिए गुलाबी, आसमानी अथवा सफेद रंग शुभ रहता है।
6. अगर आपकी गिफ्ट शॉप या जनरल स्टोर है तो उसके लिए हल्का गुलाबी, सफेद, पीला या नीला रंग लकी रहेगा।
7. अगर आपकी इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रॉनिक्स की शॉप है तो आपको अपनी शॉप में सफेद, गुलाबी, आसमानी या हल्का हरा रंग करवाना चाहिए। 
8. ब्यूटी पार्लर में सफेद अथवा आसमानी रंग करवाना शुभ रहता है।

बिजली की खेती कर किसान कैसे कमाएंगे एक करोड़ रुपए



बिजली की खेती कर किसान कैसे कमाएंगे एक करोड़ रुपए
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पटियाला। खेतों में बिजली पैदा करने के लिए पंजाब एनर्जी डिवेलपमेंट एजेंसी (पेडा) ने सोलर पावर प्रोजेक्ट की ड्राफ्ट पाॅलिसी बना ली है। जिसमें एक मेगावाट के प्लांट से हर साल लगभग 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी और हर एक यूनिट पावरकॉम को 7 रुपए 4 पैसे की दर से बेची जाएगी। इससे किसान को हर साल करीब 1 करोड़ 5 लाख 60 हजार रुपए की कमाई होगी। किसानों को जागरूक करके उनसे राय-विचार लेना शुरू कर दिया गया है। 18 जून तक यह प्रोसेस चलेगा और बाद में अगले एक महीने के भीतर पॉलिसी का फाइनल ड्राफ्ट बनाया जाएगा। इसके बाद आवेदन मांगें जाएंगे और अगले 6 महीने तक इस तरह के प्रोजेक्ट सूबे में शुरू होने की संभावना है।
हालांकि, योजना का खर्च देखकर कहा जा सकता है कि छोटे किसानों को इसका लाभ लेने में अड़चनें आ सकती हैं और बड़े किसान ही इसमें इन्वेस्ट कर पाएंगे, लेकिन पंजाब में पावर सेक्टर को इसका फायदा मिलेगा। क्योंकि पैडी सीजन में पंजाब में बिजली की डिमांड बढ़कर 12 हजार मेगावाट से अधिक हो जाती है और शेष आठ महीनों के दौरान 3 से 6 हजार मेगावाट ही रहती है। पैडी सीजन में पावरकॉम बाहर से बिजली परचेज करता है।
योजना के अमल में आने पर 500 मेगावाट सप्लाई उसे पंजाब से ही मिल जाएगी। सूबे में पहले चरण के तहत सोलर पावर से 500 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। बिजली 25 साल के एग्रीमेंट के तहत पावरकॉम को बेची जाएगी और पेडा किसानों-पावरकॉम के बीच पावर परचेज एग्रीमेंट साइन करवाएगा। प्रोजेक्ट लगने से पहले एग्रीकल्चर लैंड का चेंज आफ लैंड यूज भी करवाया जाएगा। अगर 25 साल बाद किसान प्लांट बंद करना चाहे तो दोबारा जमीन पर खेती कर सकेगा।
25 साल में 9 करोड़ इन्वेस्टमेंट : एक मेगावाट के प्रोजेक्ट के लिए 5 एकड़ जमीन और करीब सवा 6 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। जिसमें प्लांट को ग्रिड के साथ जोड़ने का खर्च भी शामिल है। ढाई मेगावाट के प्रोजेक्ट पर यह खर्चा और जमीन की जरुरत ढाई गुना तक बढ़ जाएगी। वहीं, सालाना मेनटेनेंस और इंप्लाई रखने पर किसान को करीब 10 लाख रुपए सालाना खर्च करने होंगे। कुल मिलाकर 25 साल में करीब 8 से 9 करोड़ का खर्च करना पड़ेगा। पेडा चंडीगढ़ के सीनियर मैनेजर बलकार सिंह के मुताबिक पेडा के साथ किसान का इंप्लीमेनटेशन एग्रीमेंट साइन करवाकर अलॉटमेंट के बाद तीन-चार महीने में प्लांट लगाने का काम पूरा होगा। किसानों का रूझान ठीक है और प्रोजेक्ट के सफल होने की उम्मीद की जा सकती है।
प्रोजेक्ट पर एक नजर
एक किसान या किसान ग्रुप मिनिमम 1 मेगावाट और ज्यादा से ज्यादा ढाई मेगावाट का प्रोजेक्ट शुरू कर सकेगा। पेडा ने 500 मेगावाट सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने का खाका खींचा है। इसमें से 100 मेगावाट एससी/एसटी और महिलाओं के लिए रिजर्व है। अप्लाइ फीस 50 हजार रुपए। योजना का लाभ फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर।
7 रुपए 4 पैसे यूनिट की दर से बिजली बिकेगी
एक मेगावाट के प्लांट से हर साल लगभग 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी और हर एक यूनिट पावरकॉम को 7 रुपए 4 पैसे की दर से बेची जाएगी। इससे किसान को हर साल करीब 1 करोड़ 5 लाख 60 हजार रुपए की कमाई होगी। हालांकि, सोलर प्लेट्स की एफीसिएंसी में करीब तीन साल के बाद कुछ कमी आएगी, लेकिन पेडा अधिकारियों की मानें तो लगातार 25 साल तक चलने वाली इन प्लेट्स की एफीसिएंसी में ज्यादा से ज्यादा 15 फीसदी तक कमी आएगी। एेसे में यदि एवरेज 13 लाख यूनिट प्रति साल की दर से भी बिजली पैदा होती है तो भी करीब 91 लाख 50 हजार रुपए की बिजली हर साल पैदा होगी और करीब 22 करोड़ 87 लाख रुपए की बिजली एक मेगावाट का प्लांट 25 साल में पैदा कर सकेगा।
सब्सिडी नहीं, लोन दिलवाने में मदद
पेडा के अफसरों के अनुसार, योजना के तहत कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी, लेकिन किसानों को नाबार्ड या अन्य नेशनलाइज़ बैंकों से सस्ती ब्याज दर पर कर्जा दिलवाने के लिए काम किया जाए। बैंकों के साथ टाई-अप किया जा रहा है। ब्याज दर 10 से 12 फीसदी सालाना हो सकती है।

तिलक क्या होता है तिलक के लाभ और मंत्र !!


ज्योतिष के अनुसार यदि तिलक धारण किया जाता है तो सभी पाप नष्ट हो जाते है सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं। चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं।तिलक कई प्रकार के होते हैं - मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर, गोपी आदि। यदि वार अनुसार तिलक धारण किया जाए तो उक्त वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।
तिलक किस दिन किसका लगाये !! 
सोमवार := सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं।चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इस दिन विभूति या भस्म भी लगा सकते हैं।
मंगलवार := मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है।मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है। इससे मन की उदासी और निराशा हट जाती है और दिन शुभ बनता है।
बुधवार := बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है।इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह। इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए। इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है और दिन शुभ रहता है।
गुरुवार := गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं। इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा। इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह।गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। इस दिन सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए। हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं। इससे मन में पवित्र और सकारात्मक विचार तथा अच्छे भावों का उद्भव होगा जिससे दिन भी शुभ रहेगा और आर्थिक परेशानी का हल भी निकलेगा। 
शुक्रवार : = शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है। इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है।हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे। इस दिन लाल चंदन लगाने से जहां तनाव दूर रहता है वहीं इससे भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होती है। इस दिन सिंदूर भी लगा सकते हैं।
शनिवार := शनिवार को भैरव, शनि और यमराज का दिन माना जाता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है शनि ग्रह।शनिवार के दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए जिससे भैरव महाराज प्रसन्न रहते हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने देते। दिन शुभ रहता है।
रविवार := रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्य का दिन रहता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है सूर्य ग्रह जो ग्रहों के राजा हैं।इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं। भगवान विष्णु की कृपा रहने से जहां मान-सम्मान बढ़ता है वहीं निर्भयता आती है।

तिलक लगाने का मंत्र !!
केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।

॥ धार्मिक कार्यों में मौली (कलावा) बंधन का महत्व ॥
मौली बांधना वैदिक परंपरा का अटूट अंग है। यज्ञ के मध्य मौली बंधन की परंपरा तो प्राचीन काल से है, परन्तु इसको संकल्प सूत्र के साथ ही, रक्षा सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जब से असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता हेतु, भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, ‍जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा हेतु यह बंधन बांधा था। मौली को प्रत्येक हिन्दू बांधता है।
मौली का अर्थ~
"मौली" का शाब्दिक अर्थ है, सर्वोपरि अर्थात सबसे ऊपर। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे "कलावा" भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम "उप मणिबंध" भी है। मौली के भी प्रकार हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है, अतः उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है।
मौली बांधने का मंत्र~
येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबल: ।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल ॥
कैसी होती है, मौली~
मौली कच्चे धागे (सूत) से निर्मित होती है, जिसमें मूलत: ३ वर्ण के धागे होते हैं, लाल, पीला व हरा, परन्तु यदा कदा यह ५ धागों की भी निर्मित होती है, जिसमें नीला एवं श्वेत वर्ण भी होता है। ३ व ५ का अर्थ, कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।
कहां-कहां बांधते हैं मौली~
मौली को हाथ की कलाई, गले एवं कमर में बांधा जाता है। इसके अतिरिक्त, किसी मन्नत हेतु देवी देवता के स्थान पर भी बांधा जाता है तथा जब मन्नत पूर्ण हो जाती है, तो मौली का बंधन मुक्त कर दिया जाता है। इसे घर में आई नवीन वस्तु पर भी बांधा जाता है एवं पशुओं को भी बांधा जाता है।
मौली बांधने के नियम~
शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को अपने दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों हेतु बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है। कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए व दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। मौली कहीं पर भी बांधें, एक बात का सदैव ध्यान रहे, कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए व इसके बांधने में वैदिक विधि का प्रयोग करना चाहिए।
कब बांधी जाती है मौली~
पर्व-त्योहार के अतिरिक्त किसी अन्य दिवस मौली बांधने हेतु मंगलवार व शनिवार का दिवस शुभ माना जाता है। प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को पुरातन मौली को उतारकर, नवीन मौली बांधना उचित माना गया है। उतारी हुई पुरातन मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें अथवा किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। प्रतिवर्ष की संक्रांति के दिवस, यज्ञ की प्रारंभ में, किसी इच्छित कार्य के प्रारंभ में, मांगलिक कार्य, विवाह आदि हिन्दू संस्कारों के मध्य मौली बांधी जाती है।
क्यों बांधते हैं मौली~
* मौली को धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है।
* किसी पुनीत कार्य के आरम्भ में संकल्प हेतु भी बांधते हैं।
* किसी देवी देवता के मंदिर में मन्नत हेतु भी बांधते हैं।
* मौली बांधने के ३ कारण हैं, प्रथम आध्यात्मिक, द्वितीय चिकित्सीय एवं तृतीय मनोवैज्ञानिक।
* किसी भी शुभ कार्य की आरम्भ करते समय अथवा नवीन वस्तु का क्रय करने पर मौली बांधते हैं, जिससे वह हमारे जीवन में शुभता प्रदान करे।
* हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म अर्थात पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है।
* इसके अतिरिक्त पालतू पशुओं में हमारे गाय, बैल व भैंस को भी पड़वा, गोवर्धन एवं होली के दिन मौली बांधी जाती है।
मौली करती है रक्षा~
मौली को कलाई में बांधने पर कलावा अथवा उप मणिबंध कहते हैं। हाथ के मूल में ३ रेखाएं होती हैं, जिनको मणिबंध कहते हैं। भाग्य व जीवनरेखा का उद्गम स्थल भी मणिबंध ही है। इन तीनों रेखाओं में दैहिक, दैविक व भौतिक जैसे त्रिविध तापों को देने व मुक्त करने की शक्ति रहती है।इन मणिबंधों के नाम शिव, विष्णु व ब्रह्मा हैं। इसी प्रकार शक्ति, लक्ष्मी व सरस्वती का भी यहां साक्षात वास रहता है। जब कलावा का मंत्र रक्षा हेतु पढ़कर कलाई में बांधते हैं, तो यह तीन धागों का सूत्र त्रिदेवों व त्रिशक्तियों को समर्पित हो जाता है, जिससे रक्षा-सूत्र धारण करने वाले प्राणी की समस्त प्रकार से रक्षा होती है। इस रक्षा सूत्र को संकल्पपूर्वक बांधने से व्यक्ति पर मारण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन, भूत-प्रेत व जादू-टोने का असर नहीं होता।
आध्यात्मिक पक्ष~
* शास्त्रों का ऐसा मत है, कि मौली बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों, लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा तथा शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है।
* यह मौली किसी देवी या देवता के नाम पर भी बांधी जाती है जिससे संकटों और विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। यह मंदिरों में मन्नत के लिए भी बांधी जाती है।
* इसमें संकल्प निहित होता है। मौली बांधकर किए गए संकल्प का उल्लंघन करना अनुचित एवं संकट में डालने वाला सिद्ध हो सकता है। यदि आपने किसी देवी अथवा देवता के नाम की यह मौली बांधी है, तो उसकी पवित्रता का ध्यान रखना भी अत्यावश्यक हो जाता है।
* कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान जन का कथन है, कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है व कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
चिकित्सीय पक्ष~
प्राचीनकाल से ही कलाई, पैर, कमर व गले में भी मौली बांधे जाने की परंपरा के ‍चिकित्सीय लाभ भी हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार, इससे त्रिदोष अर्थात वात, पित्त व कफ का संतुलन बना रहता है। प्राचीन वैद्य व घर परिवार के बुजुर्ग लोग हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में मौली का उपयोग करते थे, जो शरीर हेतु लाभकारी था। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), ह्रदयाघात (हार्टअटैक), मधुमेह (डायबिटीज) व लकवा (पैरालिसिस) जैसे रोगों से बचाव हेतु मौली बांधना हितकर बताया गया है।
हाथ में बांधे जाने का लाभ~
शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है, अतः यहां मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। उसकी ऊर्जा का अत्यधिक क्षय नहीं होता है। शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के अनेक प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें, कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर कलावा बांधने से, इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है।
कमर पर बांधी गई मौली~
कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वानों का कथन है, कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है एवं कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
मनोवैज्ञानिक लाभ~
मौली बांधने से उसके पवित्र व शक्तिशाली बंधन होने का भान होता रहता है एवं इससे मन में शांति व पवित्रता बनी रहती है। व्यक्ति के मन व मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते तथा वह गलत रास्तों पर नहीं भटकता है। अनेक अवसरों पर, इससे व्यक्ति गलत कार्य करने से बच जाता है।
शुभ प्रभात मित्रों, आपका दिवस मंगलमय हो...

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ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो5पि वा ।
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।।  


केतु के प्रभाव:

केतु के प्रभाव:
Astromancy reading books
केतु के प्रभाव:
1. सूर्य जब केतु के साथ होता है तो जातक के व्यवसाय, पिता की सेहत, मान-प्रतिष्ठा, आयु, सुख आदि पर बुरा प्रभाव डालता है।
2. चंद्र यदि केतु के साथ हो और उस पर किसी अन्य शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो व्यक्ति मानसिक रोग, वातरोग, पागलपन आदि का शिकार होता है।वृश्चिक लग्न में यह योग जातक को अत्यधिक धार्मिक बना देता है।
3. मंगल केतु के साथ हो तो जातक को हिंसक बना देता है। इस योग से प्रभावित जातक अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाते और कभी-कभी तो कातिल भी बन जाते हैं।
4. बुध केतु के साथ हो तो व्यक्ति लाइलाज बीमारी ग्रस्त होता है। यह योग उसे पागल, सनकी, चालाक, कपटी या चोर बना देता है। वह धर्म विरुद्ध आचरण करता है।
5. केतु गुरु के साथ हो तो गुरु के सात्विक गुणों को समाप्त कर देता है और जातक को परंपरा विरोधी बनाता है। यह योग यदि किसी शुभ भाव में हो तो जातक ज्योतिष शास्त्र में रुचि रखता है।
6. शुक्र केतु के साथ हो तो जातक दूसरों की स्त्रियों या पर पुरुष के प्रति आकर्षित होता है।
7. शनि केतु के साथ हो तो आत्महत्या तक कराता है। ऐसा जातक आतंकवादी प्रवृति का होता है। अगर बृहस्पति की दृष्टि हो तो अच्छा योगी होता है।
किसी स्त्री के जन्म लग्न या नवांश लग्न में केतु हो तो उसके बच्चे का जन्म आपरेशन से होता है। इस योग में अगर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो कष्ट कम होता है।
भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनका हक छीनने पर केतु अशुभ फल देता है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोडऩे अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी केतु अशुभ फल देते हैं।
अत: मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्थित जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहों के अशुभ कष्ट सहना पड़े।
सकारात्मक केतु और नकारात्मक केतु का प्रभाव:
गुरु के साथ नकारात्मक केतु अपंगता का इशारा करता है, उसी तरह से सकारात्मक केतु साधन सहित और जिम्मेदारी वाली जगह पर स्थापित होना कहता है, धनु का केतु उच्च का माना जाता है और मिथुन का केतु नकारात्मक कहा जाता है, धनु राशि गुरु की राशि है और मिथुन राशि बुध की राशि है। गुरु ज्ञान से सम्बन्ध रखता है और बुध जुबान से, ज्ञान और जुबान में बहुत अन्तर है। इसी के साथ अगर शनि के साथ केतु है तो काला कुत्ता कहा जाता है, शनि ठंडा भी है और अन्धकार युक्त भी है, गुरु अगर गर्मी का एहसास करवा दे तो ठंडक भी गर्मी में बदल जाती है, चन्द्र केतु के साथ गुरु की मेहरबानी प्राप्त करने के लिये जातक को धर्म कर्म पर विश्वास करना जरूरी होता है, सबसे पहले वह अपने परिवार के गुरु यानी पिता की महरबानी प्राप्त करे, फिर वह अपने कुल के पुरोहित की मेहरबानी प्राप्त करे, या फिर वह अपने शरीर में विद्यमान दिमाग नामक गुरु की मेहरबानी प्राप्त करे।
मंगल को नवग्रहों में तीसरा स्थान प्राप्त है और केतु को नवम स्थान, फिर भी ज्योतिष की पुस्तकों में कई स्थान पर लिखा मिलता है कि मंगल एवं केतु समान फल देने वाले ग्रह हैं। ज्योतिषशास्त्र में मंगल एवं केतु को राहु एवं शनि के समान ही पाप ग्रह कहा जाता है। मंगल एवं केतु दोनों ही उग्र एवं क्रोधी स्वभाव के माने जाते हैं। इनकी प्रकृति अग्नि प्रधान होती है, मंगल एवं केतु एक प्रकृति होने के बावजूद इनमें काफी कुछ अंतर हैं एवं कई विषयों में मंगल केतु एक समान प्रतीत होते हैं।
मंगल एवं केतु में समानता:
मंगल व केतु दोनों ही जोशीले ग्रह हैं, लेकिन इनका जोश अधिक समय तक नहीं रहता है। दूध की उबाल की तरह इनका जोश जितनी चल्दी आसमान छूने लगता है उतनी ही जल्दी वह ठंडा भी हो जाता है। इसलिए, इनसे प्रभावित व्यक्ति अधिक समय तक किसी मुद्दे पर डटे नहीं रहते हैं, जल्दी ही उनके अंदर का उत्साह कम हो जाता है और मुद्दे से हट जाते हैं। मंगल एवं केतु का यह गुण है कि इन्हें सत्ता सुख काफी पसंद होता है। ये राजनीति में एवं सरकारी मामलों में काफी उन्नति करते हैं। शासित होने की बजाय शासन करना इन्हें रूचिकर लगता है। मंगल एवं केतु दोनों को कष्टकारी, हिंसक, एवं कठोर हृदय वाला ग्रह कहा जाता है। परंतु, ये दोनों ही ग्रह जब देने पर आते हैं तो उदारता की पराकष्ठा दिखाने लगते हैं यानी मान-सम्मान, धन-दौलत से घर भर देते हैं।
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मंगलवार, 28 जुलाई 2015

महँगे रत्नोँ के स्थान पर आप कुछ वनस्पतियोँ की जड़ धारण कर वैसा ही लाभ उठा सकते हैँ।

अत्यधिक महँगे रत्नोँ के स्थान पर आप कुछ वनस्पतियोँ की जड़ धारण कर वैसा ही लाभ उठा सकते हैँ।
ये वनस्पतियाँ हजारोँ रूपयोँ के रत्नोँ की जगह मात्र 5 से 10 रूपये मेँ आप किसी पँसारी से खरीद सकते हैँ या यदि आप स्वयँ इन्हेँ पहचानते हैँ तो विधिपूर्वक इन्हे पेड़ से ले आयेँ।
रत्न वनस्पति जड़ी को धारण करने से पूर्व उसे पहले गंगाजल अथवा कच्चे दूध से स्नान करायें.उसके बाद एक लकड़ी के बाजोट पर जिस रंग का रत्न हो,
उसी रंग के कपडे का टुकडा एक प्लेट में बिछाकर रत्न को उस पर स्थापित करें.
शुद्ध घी का दीपक व धूप जलाकर रत्न के स्वामी ग्रह के मन्त्र का अधिकाधिक यथासंभव संख्या में या कम से कम 108 जप करने के बाद उस रत्न को उसी वस्त्र मेँ सिलकर तथा उसी रँग के धागे मेँ पिरोकर ताबीज़ के रूप मेँ गले या भुजा पर धारण करें।
सम्बन्धित रत्न का अधिष्ठाता ग्रह, रत्न वनस्पती जड़ी, रँग, उसका मन्त्र तथा उसे धारण करने के दिन तथा समय -
1. ग्रह- सूर्य
रत्न- माणिक्य,
वनस्पति- बिल्व/ बेल की जड़ ,
वस्त्र का रँग लाल,
रविवार,
पूजन व धारण समय - प्रातःकाल,
बीजमँत्र- ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रौँ सः सूर्याय नम:।
2. ग्रह चँद्र
रत्न - मोती,
वनस्पति - सफ़ेद खिरनी जी जड़,
सोमवार या पूर्णिमा ( रात्रि ) ,
प्रातःकाल,
सफ़ेद वस्त्र ,
मंत्र - ॐ श्राँ श्रीँ श्रौँ सः चँद्रमसे नम:।
3. ग्रह मंगल
रत्न - मूँगा,
वनस्पति - अनँतमूल या नागफनी की जड़ ,
लाल या केसरिया वस्त्र ,
मँगलवार,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ क्राँ क्रीँ क्रौँ सः भौमाय नम:।
4. ग्रह बुध
रत्न - पन्ना,
वनस्पति - विधारा की जड़ ,
हरा वस्त्र ,
बुधवार,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ ब्राँ ब्रीँ ब्रौँ सः बुधाय नम:।
5. ग्रह बृहस्पति
रत्न - पुखराज,
वनस्पति - केले की जड़ ,
गुरूवार,
पीलावस्त्र ,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ ग्राँ ग्रीँ ग्रौँ सः गुरुवे नम:।
6. ग्रह शुक्र
रत्न - हीरा,
वनस्पति - मजीठ या ऐरँड की जड़ ,
शुक्रवार,
चाँदी जैसा या सफेद वस्त्र ,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ द्राँ द्रीँ द्रौँ सः शुक्राय नम:।
7. ग्रह शनि
रत्न - नीलम,
वनस्पति - धतूराकी जड़ या बिच्छूघास,
शनिवार,
नीला वस्त्र ,
सायँकाल,
मंत्र - ॐ प्राँ प्रीँ प्रौँ सः शनैश्चराय नमः।
8. ग्रह राहु
रत्न - गोमेद,
वनस्पति - सफेद चँदन या अश्वगँधा,
भूरा वस्त्र ,
गुरूवार,
सायँकाल,
मंत्र - ॐ भ्राँ भ्रीँ भ्रौँ सः राहुवे नम:।
9. ग्रह केतु
रत्न - लहसुनिया,
वनस्पति - कुश या बरगद की जड़ ,
सलेटी वस्त्र ,
गुरुवार,
सायँकाल,
मंत्र - ॐ स्त्राँ स्त्रीँ स्त्रौँ सः केतवे नम:।
वनस्पति के अलावा उपरत्न भी धारण किए जा सकते हैं -
भारतीय मान्यताओं के अनुसार 84 उपरत्न माने गए हैं , जिनके बारे मे अलग से पोस्ट करूंगा।
* सूर्य रत्न माणिक्य के स्थान पर लालड़ी, तामड़ा (गार्नेट) सूर्य कांतमणि ,लाल हकीक पहनने से आश्चर्यजनक प्रभाव होता है।
* चन्द्र रत्न मोती के स्थान पर मून स्टोन (चन्द्रकांतमणि) उपरत्न उपयोगी रहता है।
* मंगल रत्न मोती के स्थान पर लाल हकीक, लाल तमड़ा, कहस्आ या मूँगे की जड़ धारण कर सकते है।
* बुध रत्न पन्ना के स्थान पर पर ओनेक्स , ऐक्वामेरीन, हरे रंग का जर्कन पहनकर लाभ उठाया जा सकता है।
एक्वामरीन , पन्ना से भी अधिक लाभप्रद है ... मेरा अनुभव है।
* बुहस्पति रत्न पुखराज के स्थान पर गोल्डन टोपाज, पीले रंग की तुरमली , पीले रंग का जरकन पहना जा सकता है।
* शुक्र रत्न हीरा के स्थान पर सफेद तुरमली, सफेद जिरकन या स्फाटिक रत्न पहनना चाहिये।
रॉक स्फटिक की माला तथा नग धारण करना उत्तम है।
* नीलम के स्थन पर काला हकीक, कटैला, लाजवर्त रत्न पहने जा सकते है।
* प्रायः परिवार मे कन्याओ के विवाह मे विलम्ब मे चिंता बनी रहती है।
ऐसा होने पर विवाह योग्य कन्या को सवा पांच रत्ती का शुद्ध पुखराज रत्न सोने की अंगुठी मे पहनाना चाहिये,
तथा बुधवार को हरा चारा, हरी सब्जी साग, धनियां आदि गाय को खिलायें तथा गुरूवार को केले का पुजन तथा व्रत कराना चाहिये।
* जिन युवको के विवाह मे अकारण ही देरी हो रही हो उन्हें आधी रत्ती का हीरा पहनाना चाहिये तथा दुर्गा सप्तशती के ‘‘ पत्नी मनोरमाम देहि .... " मंत्र का 108 बार जप नित्य करना चाहिये इससे विवाह मे रूकावट दूर हो जायेगी।
* जो बच्चे पढ़ाई मे कमजोर है उन्हे हरे रंग की तुरमली चांदी की अंगुठी या नैकलेस मे पहनाने से बच्चे बहुत अच्छे नम्बरो से पास होगें।
* हद्वय रोग, रक्तचाप के रोगियो को मूनस्टोन (चंद्रकांतमणि) चांदी की अंगुठी मे पहनाने मे लाभन्वित करेगा।
* रुद्राक्ष माला पहनने से अकाल मृत्यु नही होती दुर्घटनाओं से रक्षा होती है।
भूत-प्रेत बाधा दूर होती है।
* हरा हकीक पहनने से पत्नी और पति में प्रेमभाव बढ़ता है।
दमा रोग के रोगियो के लिए बहुत लाभकारी है।
* गोल्डन टोपाज (सुनेहला) दिल की धड़कन गले की बीमारी बुखार, हैजा, हिस्टीरिया, मासिक धर्म सम्बधी कश्ट के लिये उपयोगी है।
* सफेद तुरमली पहनने से नपुंसकता का रोग समाप्त होता है।
* तुरमली अन्य प्रमुख रत्नो की तरह उतना लोकप्रिय नही है किन्तु इसके धारण करने से मानसिक शांति के अतिरिक्त जीवन मे आने वाली कठिनाइयो का समाधन तो होता ही है इसके साथ ही यह भौतिक तथ अन्य सभी सुखो को देने वाला है।
यह कभी बुरा फल नही देता।
व्यापारियो के लिये यह रत्न बहुत ही लाभदायक है।
* दाना फिरंग पहनने से गुर्दे का दर्द तथा गुर्दे की अन्य बीमारी की रोकथाम मे सहायता करता है।
* आकस्मिक आय जैसे शेयर , लॉटरी , जुआ, आदि खेलने वालो के लिये लहसुनिया रत्न धारण करना लाभकारी है।
* राजनीतिक क्षेत्र मे मान-सम्मान, प्रतिश्ठा, चुनाव मे विजय चाहने वालो को चांदी की अगुठी मे गोमेद अवश्य ही धारण करना चाहिये।
* फिरोजा रत्न चाँदी की अंगुठी मे पहनाना चाहिये।
स्वास्थ्य के लिये बहुत ही उत्तम है।
अनिष्ट की आशंका होने पर चटक जाता है या रंग बदलकर धारण करने वाले को इसकी पूर्व सुचना दे देता है।
* लाजवर्त रत्न पहनने से चर्म रोग, खून की खराबी, मिर्गी, मूर्छा, प्लीहा आदि रोग दुर होते है।
!! ॐ नमः शिवाय !!

सात जन्मों की दरिद्रता दूर

ें पकायें फिर दूध डालकर एक-दो उबाल दे दें । उस खीर का सूर्यनारायण को भोग लगायें । सूर्यनारायण का स्मरण करें और खीर को देखत-देखते एक हजार बार ॐ कार का जप करें । फिर स्वयं भोग लगायें ।
जप के प्रारम्भ में यह विनियोग बोलें – ॐकार मंत्र, गायत्री छंदः, परमात्मा ऋषिः, अतर्यामी देवता, अंतर्यामी प्रीति अर्थे , परमात्मप्राप्ति अर्थे जपे विनियोगः । इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी, तेजस्विता बढ़ेगी तथा सात जन्मों की दरिद्रता दूर होकर सुख-सम्पदा की प्राप्ति होगी ।
- बोधायन ऋषि द्वारा प्रणीत

सोमवार, 27 जुलाई 2015

बारिश का पानी सभी मनोकामना पूर्ण करता हैं ।

बारिश का पानी सभी मनोकामना पूर्ण करता हैं ।
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अगर आप बारिश का पानी इकट्टा करके सभाल कर रखते हे और इसको अगर आप ईशान कोण में रखते हे तो अचानक धन लाभ होता हैं ।
बारिश के पानी से अगर आप विष्णु और लक्ष्मी का अभिषेक एकादशी को करते हे तो व्यापार में फायदा तो होता ही हे और परिवार में प्रेम बढ़ता हैं ।
अगर बारिश के पानी से गणपति का अभिषेक करते हे तो बुद्धि तेज होती हे।विवाह योग शीघ् बनता हे।
 अगर कोई जातक ज्यादा बीमार हे तो उसको रोज महामृत्युंजय मन्त्र का जप करते हुए बारिश का जल औषधि के रूप में पीना चाहिए।
 अगर कर्ज ज्यादा हो रहा हे तो बारिश के पानी में दूध डाल कर स्नान करना चाहिए।
 सावन के महीने में बारिश के जल से जो शिवजी का जलाभिषेक करते हे तो उनकी सारी परेशानियां दूर होती हैं ।

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

क्या गलतियाँ करने पर गृह देते हैं अशुभ फल :-

क्या गलतियाँ करने पर गृह देते हैं अशुभ फल :-
क्या गलतियाँ करने पर गृह देते हैं अशुभ फल :-
सूर्य- जब जातक किसी भी प्रकार का टैक्स चुराता है एवं किसी भी जीव की आत्मा को कष्ट देता है। तब सूर्य अशुभ फल देता है।
चंद्र- जब जातक सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देता हैं। जैसे- माता, नानी, दादी, सास एवं इनके समान वाली स्त्रियों को कष्ट देता है तब चंद्र अशुभ फल देता है। धोखे से किसी से कोई वस्तु लेने पर भी चंद्रमा अशुभ फल देता है।
मंगल- जब जातक अपने भाई से झगड़ा करें, भाई के साथ धोखा करें। अपनी पत्नी के भाई का अपमान करें, तो भी मंगल अशुभ फल देता है।
बुध- जब जातक अपनी बहन, बेटी अथवा बुआ को कष्ट देता है, साली एवं मौसी को कष्ट देता है। जब जातक हिजड़े को कष्ट देता है, तो भी बुध अशुभ फल देता है।
गुरु- जब जातक पिता, दादा, नाना को कष्ट देता है अथवा इनके समान पद वाले व्यक्ति को कष्ट देता है। साधु-संतों को कष्ट देने से भी गुरु अशुभ फल देता है।
शुक्र- जब जातक जीवनसाथी को कष्ट देता है। घर में गंदे एवं फटे वस्त्र रखने एवं पहनने पर भी शुक्र अशुभ फल देता है।
शनि- जब जातक ताऊ, चाचा को कष्ट देता है, मजदूर की पूरी मजदूरी नहीं देता है। घर या दुकान के नौकरों को गाली देता है। शराब, मांस खाने पर भी शनि अशुभ फल देता है। कुछ लोग मकान या दुकान किराए से लेते फिर बाद में खाली नहीं करते या खाली करने के लिए पैसे मंगाते है, तो शनि अशुभ फल देता है।
राहु- जब जातक बड़े भाई को कष्ट देता है या अपमान करता है। ननिहाल पक्ष का अपमान करने पर एवं सपेरे का दिल दुखाने पर भी राहु कष्ट देता है।
केतु- जब जातक भतीजे, भांजे को कष्ट देता है या उनका हक छीनता है। कुत्ते को मारने या किसी के द्वारा मरवाने पर, मंदिर की ध्वजा तोड़ने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी की झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।
अत: नवग्रहों का अनुकूल फल पाने के लिए मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्थित जीना चाहिए, किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए। न ही किसी के साथ छल-कपट करना चाहिए।
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सोमवार, 20 जुलाई 2015

मूंगा रत्न -

ॐ नमः शिवाय .... मित्रों !!
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ हो ....
मूंगा रत्न -
भौम रत्न को यदि हिन्दी में मूंगा, संस्कृत में प्रवाल, अंगार मणि , अंग्रेजी में कोरल कहा जाता है ! मूंगा मुख्य रूप से लाल, सिन्दूरी, गेरूआ वर्ण का होता है।
मूंगा एक जैविक लकडी़ है, जिसे साफ-सफाई व पॉलिश कर तराशा जाता है,
फिर दो प्रकार से आकार दिया जाता है ... एक ओवल यानी केप्सूल तथा दूसरा तिकोना , मूंगा दो ही आकार मे मिलता है।
यदि जन्म कुण्डली या वर्ष में मंगल अषुभ चल रहा हो तो भौम के बीज मंत्र का 10 हजार की संख्या में जप शुक्ल पक्ष के मंगलवार से प्रारंभ करना चाहिए।
मंगल का बीज मंत्र -
" ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः "
भौम शांति हेतु उपाय -
जब कुण्डली में मंगल अशुभ हो -
- तांबे की अंगूठी में मूंगा धारण करना या तांबे का कड़ा पहनना चाहिए।
- मंगलवार को घर में गुलाब का पौधा लगाना चाहिए व 108 बार रात से प्रातः काल तक - - तांबे के बर्तन में पानी सिरहाने रखकर घर में लगाये हुए गुलाब के पौधे में देना चाहिए।
- मंगलवार का व्रत रखकर 27 मंगल किसी अपाहिज को गुड़ से बने भोजन खिलावें।
- नारियल का तिलक करके लाल कपड़े में बाँध जल में बहाना चाहिए।
- लाल वर्ण की गाय या कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।
- श्री हनुमान जी की पूजा करना चाहिए।
मूंगा परीक्षण विधि -
- मूंगे की सही परख करने के लिए- मूंगे पर एक बूंद पानी की टपकाएं, फिर देखें पानी रूकेगा नहीं। अगर पानी उस पर रूक जाए तो वह असली मूंगा नहीं होता।
- मैग्निफाइंग ग्लास से देखने पर मूंगा के ऊपर सफेद बॉल बराबर खडी़ रेखाएं दिखती है, जबकि नकली मूंगे में नहीं दिखाई देती।
- मूंगा चिकना व फिसलनयुक्त होता है, नकली रत्न गहरे रंग का व फिसलन वाला नहीं होता। इसी तरह मूंगा देखकर, परख कर ही खरीदें।
- असली मूंगा को यदि खून में डाल दिया जाए तो उसके चारों ओर गाढ़ा रक्त जमा होने लगता है असली मूंगा को यदि गाय के दूध में डाल दिया जाए तो उसके लाल झाईं दिखाई देने लगती है।
- तेज धुप मे मूँगे को कागज या रूई पर रखें तो वह कागज या रूई जलने लगता है।
मूंगा धारण विधि -
शुक्ल पक्ष के मंगलवार को मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा नक्षत्र मेष, मकर, वृश्चिक लग्न में 6, 8, 10 या 12 रत्ती के वजन का मूंगा सोने या तांबे की अंगुठी में जड़वाकर अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए।
धारण करने के पश्चात् भौम के निमित्त दान करना चाहिए।
भौम के निमित्त दान योग्य वस्तुएं -
गेंहूँ, मसूर, लाल बैल, गुड़, घी, मूंगा, लाल चंदन, व लाल वस्त्र, केशर, नारियल, गुड़, से बने पूए या रोटी रेवडियाँ इत्यादि । भौम का दान युवा ब्राहृमण को ही देना चाहिए।
मूंगा धारण करने के लाभ -
श्रेष्ठ मूंगा धारण करने से भूमि, भ्रात व निरोगता का लाभ प्राप्त होता है इसके अतिरिक्त रक्त विकार भूत-विकार भूत-प्रेत, बाधा, दुर्बलता, मंदाग्नि, वायु, कफ, हृदय रोग व पेट विकार में मूंगे की भस्म का प्रयोग किया जाता है।
द्वादश भावों मे भौम फल -
- यदि मंगल लग्न या प्रथम भाव में हो तो जातक क्रूर, साहसी, चपल, महत्वाकांक्षी, लौहधातु व चोट आदि से कष्ट पाने वाला व्यवसाय में हानि उठाने वाला होता है।
- द्वितीय भाव में हो तो कटुभाषी, धनहीन, निर्बुद्धि, पशुपालक, कुटुम्ब क्लेषी, धर्मप्रेमी, नेत्र कान रोगी होता है।
- तृतीय भाव में हो तो प्रसिद्ध शूरवीर, धैर्यवान, साहसी, बंधुहीन, प्रदीप्त, जठराग्नि युक्त झाइयों के लिए कष्टकारक व कटुभाषी होता है।
- चतुर्थ भाव में हो तो वाहन सुखी, संततिवान, मातृ सुखविहीन, प्रवासी, अग्नि भय युक्त, अल्पमृत्यु, कृषक, बंधु विरोधी होता है।
- पंचम भाव में हो तो अग्रबुद्धि, कपटी, व्यसनी, रोगी उदर रोगी, गुप्तांग रोगी, चंचल, बुद्धिमान, क्लेष प्रिय होता है।
- छटवें भाव में हो तो प्रबल अफसर, दाद रोगी, क्रोधी होता है।
- सातवें भाव मे हो तो शीघ्र क्रोधी, स्त्री सुख हीन, राजभीरू, कटुभाषी, धूर्त, मूर्ख, निर्धन, घातकी, धननाशक होता है।
- आठवें भाव में भाव हो तो व्याधिग्रस्त, व्यसनी, मद्य प्रिय, कठोर भाषी, नेत्र रोग, शस्त्र चोर, संकोच, रक्त विकार धन की चिंता से युक्त होता है।
- नवें भाव में हो तो द्वेषी, अभिमानी, कोधी, नेता, अधिकारी, ईष्यालु, अल्पलाभी, यशस्वी, असंतुष्टि, भ्रातृविरोधी होता है।
- दसवें भाव में हो तो धनवान कुलदीपक, उत्तम वाहनों से युक्त, स्वाभिमानी संतान से कष्ट पाने वाला होता है।
- ग्यारहवें भाव में हो तो दंभी, कटुभाषी, झगड़ालू, क्रोधी, अल्पभाषी, प्रवासी, न्यायवान, धैर्यवान होता है।
- बारहवें भाव में हो तो नेत्र रोगी स्त्री से कष्ट पाने वाला झगड़ालू, मूर्ख व व्ययाशील प्रवृत्ति का होता है।
विशेष-
* कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन, राशि व लग्न वालों को मूंगा धारण करना लाभप्रद होता है।
शरीर कष्ट व कुण्डली में यदि मंगल नीचस्थ हो तो श्वेत मूंगा भी धारण किया जा सकता है।
* मूंगा मंगल का रत्न है , मंगल साहस, बल, ऊर्जा का कारक है अतः
विस्फोटक सामग्री के व्यवसाय, पेट्रोल पंप, गैस एजन्सी, पहलवानी, सुरक्षा से संबंधित कार्य करने वाले, सेना, पुलिस, राजनीति, ईंट-भट्टे के कार्य, जमीन-प्रापर्टी से संबंधित कार्य, बिर्ल्डर व बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर, अस्थी रोग विशेषज्ञ, खून की जांच, ब्लड से संबंधित लेबोरेटरी आदि कार्य करने वालों को पहनना उत्तम है।
* नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनिया के साथ कभी नहीं पहनना चाहिए।
* अण्डाकार मूंगा जीवन में उन्नति एवं गतिशीलता के लिए धारण करना चाहिए ।
* लॉकेट के रूप में मूंगा लग्न कुण्डली के केन्द्र में मंगल होने पर अथवा ज्यादा खराब स्थिति होने पर एवं स्त्रीयो को धारण करना चाहिए।
* त्रिभूजाकार मूंगा शत्रुओ एवं रोग से ग्रसित व्यक्तियों को , साथ ही जिनके विवाह में रूकावट बाधॉंऐं अथवा मंगल के कारण विलम्ब हो रहा हो तो धारण करना चाहिए।
* यदि मूंगा धारण करने पर अत्यधिक क्रोध आना, बेचेनी होना, पूर्व से चलरही समस्याओं का अचानक बढ जाना,
भूमि भवन से अप्रत्याशित हानि हो जाना इत्यादि हो तो शीध्र ही इसे उतार दे व यह माना जाए की आपके अनुकुल नही है, आपको अन्य किसी अन्य उपाय की आवश्यकता है।
* मंगल के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का जापानी या इटालियन मुंगा ही धारण करे, मुंगा धारण करने के 9 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 3 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है,
निष्क्रिय होने के बाद पुन: नया मूंगा धारण करें।
* किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें। कभी-कभी रत्न का प्रभाव बहुत जल्दी हो जाता है,
कुछ परिस्थितियों में रत्न विपरित प्रभाव भी दे सकते हैं अत: बिना ज्योतिषी के परामर्श के रत्न धारण न करें।
!! ॐ नमः शिवाय !!


रविवार, 19 जुलाई 2015

टोटके

टोटके
1- घर की प्रमुख महिला जो सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाती है, वह यदि प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल भरकर मुख्य द्वार पर छिड़के तो लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती।
2- बुधवार लक्ष्मी के आगमन का दिन है। इस दिन धन का भुगतान अथवा माल या नगद राशि उधार में किसी को नहीं देना चाहिए। इससे धन आगमन में रुकावट होती है।
3- हर अमावस को लाभ की चौघडिय़ा के समय लक्ष्मी पूजन करें तो लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और धन लाभ होता है।
4- गुरुवार के दिन यदि आपको आपको अचानक अधिक धन की प्राप्ति हो जाए तो उसमें से 15, 30, 45 या 60 के अनुपात में धन राशि का एक लिफाफा बनाकर मंदिर में रख दें।
5- दुकान या घर से निकलते समय खाली जेब न चलें। कुछ रुपए साथ लेकर चलें।
6- यदि किसी का कर्ज चुकाना है तो मंगलवार के दिन से उसे पैसा देना शुरु करें। इससे कर्ज जल्दी उतरेगा।

शनिवार, 18 जुलाई 2015

वास्तु दोष का निवारण.

वास्तु दोष का निवारण.......


1   अपने घर के उत्तरकोण में तुलसी का पौधा लगाएं
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2    हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव करें. इससे घर में लक्ष्मी का वास तथा शांति भी बनी रहती है.

3   अपने घर के मन्दिर में घी का एक दीपक नियमित जलाएं तथा शंख की ध्वनि तीन बार सुबह और शाम के समय करने से नकारात्मक ऊर्जा घर से बहार निकलती है.

4   घर में सफाई हेतु रखी झाडू को रस्ते के पास नहीं रखें. यदि झाडू के बार-बार पैर का स्पर्थ होता है, तो यह धन-नाश का कारण होता है. झाडू के ऊपर कोई वजनदार वास्तु भी नहीं रखें.
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5   अपने घर में दीवारों पर सुन्दर, हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले चित्र लगाएं. इससे घर के मुखिया को होने वाली मानसिक परेशानियों से निजात मिलती है.

6   वास्तुदोष के कारण यदि घर में किसी सदस्य को रात में नींद नहीं आती या स्वभाव चिडचिडा रहता हो, तो उसे दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके शयन कराएं. इससे उसके स्वभाव में बदलाव होगा और अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा.

7   अपने घर के ईशान कोण को साफ़ सुथरा और खुला रखें. इससे घर में शुभत्व की वृद्धि होती है.

8   अपने घर के मन्दिर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए पुष्प-हार दूसरे दिन हटा देने चाहिए और भगवान को नए पुष्प-हार अर्पित करने चाहिए.

9   घर के उत्तर-पूर्व में कभी भी कचरा इकट्ठा न होने दें और न ही इधर भारी मशीनरी रखें.

10  अपने वंश की उन्नति के लिये घर के मुख्यद्वार पर अशोक के वृक्ष दोनों तरफ लगाएं.

11   यदि आपके मकान में उत्तर दिशा में स्टोररूम है, तो उसे यहाँ से हटा दें. इस स्टोररूम को अपने घर के पश्चिम भाग या नैऋत्य कोण में स्थापित करें.

12   घर में उत्पन्न वास्तुदोष घर के मुखिया को कष्टदायक होते हैं. इसके निवारण के लिये घर के मुखिया को सातमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए.

13   यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिणमुखी है, तो यह भी मुखिया के के लिये हानिकारक होता है. इसके लिये मुख्यद्वार पर श्वेतार्क गणपति की स्थापना करनी चाहिए.

14   अपने घर के पूजा घर में देवताओं के चित्र भूलकर भी आमने-सामने नहीं रखने चाहिए इससे बड़ा दोष उत्पन्न होता है.

15   अपने घर के ईशान कोण में स्थित पूजा-घर में अपने बहुमूल्य वस्तुएँ नहीं छिपानी चाहिए.

16  पूजाकक्ष की दीवारों का रंग सफ़ेद हल्का पीला अथवा हल्का नीला होना चाहिए.

17  यदि आपके रसोई घर में रेफ्रिजरेटर नैऋत्य कोण में रखा है, तो इसे वहां से हटाकर उत्तर या पश्चिम में रखें.

18   दीपावली अथवा अन्य किसी शुभ मुहूर्त में अपने घर में पूजास्थल में वास्तुदोशनाशक कवच की स्थापना करें और नित्य इसकी पूजा करें. इस कवच को दोषयुक्त स्थान पर भी स्थापित करके आप वास्तुदोषों से सरलता से मुक्ति पा सकते हैं.
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19   अपने घर में ईशान कोण अथवा ब्रह्मस्थल में स्फटिक श्रीयंत्र की शुभ मुहूर्त में स्थापना करें. यह यन्त्र लक्ष्मीप्रदायक भी होता ही है, साथ ही साथ घर में स्थित वास्तुदोषों का भी निवारण करता है.

20   प्रातःकाल के समय एक कंडे पर थोड़ी अग्नि जलाकर उस पर थोड़ी गुग्गल रखें और 'ॐ नारायणाय नमन' मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार घी की कुछ बूँदें डालें. अब गुग्गल से जो धूम्र उत्पन्न हो, उसे अपने घर के प्रत्येक कमरे में जाने दें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म होगी और वातुदोशों का नाश होगा.

21  घर में किसी भी कमरे में सूखे हुए पुष्प नहीं रखने दें. यदि छोटे गुलदस्ते में रखे हुए फूल सूख जाएं, तो उस्मने नए पुश्व लगा दें और सूखे पुष्पों को निकालकर बाहर फेंक दें.

22  सुबह के समय थोड़ी देर तक निरंतर बजने वाली  गायत्री मंत्र की धुन चलने दें. इसके अतिरिक्त कोई अन्य धुन भी आप बजा सकते हैं.

23  सायंकाल के समय घर के सदस्य सामूहिक आरती करें. इससे भी वास्तुदोष दूर होते हैं.

कौन-कौन से रत्न एक साथ नहीं पहनने चाहिए

कौन-कौन से रत्न एक साथ नहीं पहनने चाहिए
एक साथ वर्जित रत्न :
कोई जन्म तिथि के अनुसार रत्न पहन रहा है, तो कोई शौक से . कोई नीलम और माणिक एक साथ पहन रहा है- तो कोई ऐसे ही शत्रु ग्रहों के !
ज्योतिषियों की राय है कि :-
माणिक्य के साथ- नीलम, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है।-
मोती के साथ- हीरा, पन्ना, नीलम, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है।-
मूंगा के साथ- पन्ना, हीरा, गोमेद, लहसुनियावर्जित है।-
पन्ना के साथ- मूंगा, मोती वर्जित है।-
पुखराज के साथ- हीरा, नीलम, गोमेद वर्जित है।-
हीरे के साथ- माणिक्य, मोती, मूंगा, पुखराज वर्जित है।-
नीलम के साथ- माणिक्य, मोती, पुखराज वर्जित है।-
गोमेद के साथ- माणिक्य, मूंगा, पुखराज वर्जित है।-
लहसुनिया के साथ- माणिक्य, मूंगा, पुखराज, मोती वर्जित है।

सोमवार, 6 जुलाई 2015

श्री गणेश को इन मंत्रों से चढ़ाएं 21 दूर्वा, हर काम होगा सफल

श्री गणेश को इन मंत्रों से चढ़ाएं 21 दूर्वा, हर काम होगा सफल
अगर यह हताशा में बदलने लगे तो संभवत: जीवन में असफलता का बड़ा कारण बन सकती है।
जबकि ऐसे वक्त कमियों पर गौर करना जरूरी होता है। हिन्दू धर्म में ऐसे वक्त, नाकामियों और विघ्रों से बचने के लिए आस्था और श्रद्धा के साथ हर कार्य की शुरूआत विघ्रहर्ता श्री गणेश की उपासना से की जाती है।
श्रीगणेश विनायक नाम से भी पूजनीय है।
विनायक पूजा और उपासना कार्य बाधा और जीवन में आने वाली शत्रु बाधा को दूर कर शुभ व मंगल करती है। यही कारण है हर माह के शुक्ल पक्ष को विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की उपासना कार्य की सफलता के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है। यहां जानते हैं विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश उपासना का एक सरल उपाय, जो कोई भी अपनाकर हर कार्य को सफल बना सकता है -
- चतुर्थी के दिन, बुधवार को सुबह और शाम दोनों ही वक्त यह उपाय किया जा सकता है।
- स्नान कर भगवान श्री गणेश को कुमकुम, लाल चंदन, सिंदूर, अक्षत, अबीर, गुलाल, फूल, फल, वस्त्र, जनेऊ आदि पूजा सामग्रियों के अलावा खास तौर पर 21 दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा श्री गणेश को विशेष रूप से प्रिय मानी गई है।
- विनायक को 21 दूर्वा चढ़ाते वक्त नीचे लिखे 10 मंत्रों को बोलें यानी हर मंत्र के साथ दो दूर्वा चढ़ाएं और आखिरी बची दूर्वा चढ़ाते वक्त सभी मंत्र बोलें। जानते हैं ये मंत्र
- ॐ गणाधिपाय नम:। ॐ विनायकाय नम:। ॐ विघ्रनाशाय नम:। ॐ एकदंताय नम:। ॐ उमापुत्राय नम:। ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:।ॐ ईशपुत्राय नम:। ॐ मूषकवाहनाय नम:। ॐ इभवक्त्राय नम:। ॐ कुमारगुरवे नम:।
- मंत्रों के साथ पूजा के बाद यथाशक्ति मोदक का भोग लगाएं। 21 मोदक का चढ़ावा श्रेष्ठ माना जाता है।
- अंत में श्री गणेश आरती कर क्षमा प्रार्थना करें। कार्य में विघ्र बाधाओं से रक्षा की कामना करें।

अलग अलग भावों में केतु के दुष्प्रभाव को कम करने के कुछ उपाए :

अलग अलग भावों में केतु के दुष्प्रभाव को कम करने के कुछ उपाए :
लग्न -
काला या सफ़ेद कुत्ता पाले या ऎसे कुत्ते की देखभाल करें।
गली के आखिरी मकान में न रहें।
चन्द्रमा के निर्दिष्ट उपचार करें।
लाल रंग का रुमाल /कपडा जेब में रखें।
द्वितीय भाव -
सदाचार का निरंतर पालन करते रहें।
नौ वर्ष की आयु से कम की कन्याओं की सेवा करें।
तृतीय भाव -
यात्रा में दुर्घटना और नुकसान से बचे रहने के लिए सूर्य और चन्द्रमा से सम्बंधित चीज़ें बहते पानी में डालें।
सोना पहनें।
गुरु की वस्तुएँ बहते पानी में डालें।
चतुर्थ भाव -
पुजालयो में गुरु की वस्तुओं का दान करें।
कुल -पुरोहित की सेवा करें।
पंचम भाव -
पूजा पाठादि द्वारा गुरु की शांति करें।
शनि की वस्तुए बंद करके न रखें। लोहे के संदूक खुले रखें । दरवाजों में लोहे के ताले न लगाये।
षष्ठ भाव -
दहेज़ में मिली हुई अंगूठी बायें हाथ में पहनें।
पंचम भाव में दिए गए उपचार इस भाव में भी करें।
सप्तम भाव -
इंधन के चार चार टुकड़े चार दिन तक बहते पानी में डालें।
चार दिन तक प्रतिदिन चार चार निम्बू बहते पानी में डालने।
अष्टम भाव -
पुजलायो में काले सफ़ेद रंग के कपडे पहनें।
एक ही भाव में स्थित ग्रहों के साथ साथ काले धोले रंग के कम्बलों के टुकड़े शमशान भूमि में दबाएं।
नवम भाव -
टॉप्स या बालियों के रूप में कानों में सोना पहने।
48 वर्ष की आयु के बाद घर में कुत्ता पाले।
चांदी के बर्तन में शहद रखें।
अच्छा व्यव्हार और अच्छा चाल - चलन रखें।
एकादश भाव -
काला कुत्ता पालकर रखें।
द्वादश भाव -
अंगूठे को दूध में डुबोकर चूसें/(यदि कोई पुत्र न हो तो ये न करें )
काला धोला कुत्ता पालें।
सामान्य उपचार सब भावों के लिए -
गणेश चतुर्थी और गणेश पूजा के दिन उपवास रखें ।
तिल ,नीम्बू और केले दान करें ।
घर में काला धोला पालें या ऐसे कुत्ते की सेवा करें ।
अच्छा व्यव्हार और चाल चलन बनाये रखें ।
नौ वर्ष से कम की आयु की कन्याओं को खट्टी चीज़ें दें ।
काले धोले तिल बहते पानी में डालें ।

कैसा हो पति-पत्नी का स्वीट रूम?

कैसा हो पति-पत्नी का स्वीट रूम?
कई लोगों के वैवाहिक जीवन में छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद चलते रहते हैं। कई बार इन विवादों का कारण घर में फेंगशुई के दोष भी होते हैं। फेंगशुई के कुछ टिप्स जिनसे पति-पत्नी के बीच परस्पर प्रेम बढ़ता है- फेंगशुई के अनुसार घर के दक्षिण-पश्चिम भाग को आपसी रिश्तों के लिए एक्टिव माना जाता है। इसलिए इस भाग में सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय और नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय करने के लिए आप जो भी प्रयास करेंगे, वह बहुत फलदाई साबित होगा जैसे:
- अपना बिस्तर खिड़की के पास कभी भी न लगाएं। इससे पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव और आपसी असहयोग की प्रवृत्ति बढ़ती है। फिर यदि खिड़की के पास बिस्तर लगाना पड़े तो अपने सिरहाने और खिड़की के बीच पर्दा जरूर डालें। इससे नकारात्मक ऊर्जा रिश्तों पर असर नहीं कर पाएगी।
- ऐसी चीज का प्रयोग करने से बचें जो अलगाव दर्शाती हो। छत पर बीम का होना या दो अलग-अलग मैट्रेस का प्रयोग भी अलगाव दर्शाता है।
- नवदंपतियों के लिए बिस्तर (गद्दा, चादर वगैरह) भी नया होना चाहिए। ये संभव न हो तो कोशिश करें कि ऐसी चादर या बिस्तर बिलकुल ही प्रयोग में न लाएं जिसमें छेद हो या कहीं से कटे-फटे हो।
- जिस पलंग पर दंपत्ति सोते हों उस पर किसी और को न सोने दें।
– दंपत्ति के पलंग के नीचे कुछ भी सामान न रखा जाए। जगह को खाली रहने दें। इससे आपके बेड के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बिना किसी बाधा के प्रवाहित हो सकेगी।
- प्रवेश द्वार वाली दीवार के साथ अगर आपने अपना बेड लगा रखा है तो इससे बचें। इससे रिश्तों में कटुता आती है।
- उस दीवार से सटाकर अपना बेड न लगाएं जिसकी दूसरी ओर बाथरूम या टॉयलेट हो और न ही ऐसी जगह, जहां से बाथरूम या टॉयलेट का दरवाजा ठीक सामने दिखता हो। यदि ऐसा हो तो इसका दरवाजा हमेशा बंद कर के ही रखना चाहिए। इसकी नकारात्मक ऊर्जा रिश्तों पर विपरीत असर डालती है।
- बेड के सामने या कहीं भी ऐसी जगह शीशा नहीं लगाना चाहिए, जहां से आपके बेड का प्रतिबिंब दिखता हो। इससे संबंधों में दरार आती है और आप अनिद्रा के भी शिकार हो सकते हैं। यदि इसे टाला न जा सके तो आप शीशे पर एक पर्दा डालकर रखें।
-बेडरूम में वैसे तो कोई यंत्र टीवी, फ्रिज या कंप्यूटर आदि नहीं रखना चाहिए क्योंकि इनसे निकलने वाली हानिकारक तरंगे शरीर पर दुष्प्रभाव डालती हैं। पर यदि टीवी रखना ही पड़े तो उसे कैबिनेट के अंदर या ढंककर रखें। जब टीवी न चल रहा हो तो कैबिनेट का शटर बंद रखें।


माँ लक्ष्मी की स्थायी कृपा, धन प्राप्ति के लिए कुछ खास उपाय

भी किसी व्यक्ति को धोखा देकर धन का संचय न करें , इस तरह से कमाया हुआ धन टिकता नहीं है , वह उस व्यक्ति और उसके परिवार के ऊपर कर्ज के रूप में चढ जाता है और ऐसा करने से व्यक्ति के स्वयं के भाग्य और उसके कर्म से आसानी से मिलने वाली सम्रद्धि और सफलता में भी हमेशा बाधाएँ ही आती है ।
2. हर एक व्यक्ति को चाहे वह अमीर हो या गरीब , उसका जो भी व्यवसाय / नौकरी हो अपनी आय का कुछ भाग प्रति माह धार्मिक कार्यों में अथवा दान पुण्य में अवश्य ही खर्च करें , ऐसा करने से उस व्यक्ति पर माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है , उसके परिवार में हर्ष - उल्लास और सहयोग का वातावरण बना रहता है तथा सामान्यता वह अपने दायित्वों के पूर्ति के लिए पर्याप्त धन अवश्य ही आसानी से कमा लेता है ।
3. स्त्रियों को स्वयं लक्ष्मी का स्वरुप माना गया है । प्रत्येक स्त्री को पूर्ण सम्मान दें । घर की व्यवस्था अपनी पत्नी को सौपें , वही घर को चलाये उसके काम में कभी भी मीन मेख न निकालें । अपने माता पिता को अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा अवश्य ही दें । घर में कोई भी बड़ा काम हो तो उस घर के बड़े बुजुर्गों विशेषकर स्त्रियों को अवश्य ही आगे करें । अपने घर एवं रिश्तेदारी में अपनी पत्नी को अवश्य ही आगे रखें । अपनी माँ, पत्नी, बहन एवं बेटी को हर त्यौहार , जन्मदिवस , एवं शादी की सालगिरह आदि पर कोई न कोई उपहार अवश्य ही दे ।
4. घर के मुखिया जो अपने घर व्यापार में माँ लक्ष्मी की कृपा चाहते है वह रात के समय कभी भी चावल, सत्तू , दही , दूध ,मूली आदि खाने की सफेद चीजों का सेवन न करें इस नियम का जीवन भर यथासंभव पालन करने से आर्थिक पक्ष हमेशा ही मजबूत बना रहता है ।
5. शुक्रवार को सवा सौ ग्राम साबुत बासमती चावल और सवा सौ ग्राम ही मिश्री को एक सफेद रुमाल में बांध कर माँ लक्ष्मी से अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हुए उनसे अपने घर में स्थायी रूप से रहने की प्रार्थना करते हुए उसे नदी की बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें , धीरे धीरे आर्थिक पक्ष मजबूत होता जायेगा ।
6. प्रथम नवरात्री से नवमी तिथि तक प्रतिदिन एक बार श्रीसूक्त का अवश्य ही पाठ करें इससे निश्चय ही आप पर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि बनी रहेगी ।
7. घर के पूजा स्थल और तिजोरी में सदैव लाल कपडा बिछा कर रखें और संध्या में आपकी पत्नी या घर की कोई भी स्त्री नियम पूर्वक वहां पर ३ अगरबत्ती जला कर अवश्य ही पूजा करें ।
8. प्रत्येक पूर्णिमा में नियमपूर्वक साबूदाने की खीर मिश्री और केसर डाल कर बनाये फिर उसे माँ लक्ष्मी को अर्पित करते हुए अपने जीवन में चिर स्थाई सुख , सौभाग्य और सम्रद्धि की प्रार्थना करें , तत्पश्चात घर के सभी सदस्य उस खीर के प्रशाद का सेवन करें ।
9. हर 6 माह में कम से कम एक बार अपने माता पिता को कोई उपहार अवश्य ही दें इससे आपकी आय में सदैव बरकत रहेगी ।
10. घर में तुलसी का पौधा लगाकर वहां पर संध्या के समय रोजाना घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी उस घर से कभी भी नहीं जाती है  

जीवन में सुख और सफलता के उपायस्नान और पूजन सुबह 7 से 8 बजे के बीच अवश्य कर ले।
- घर में तुलसी और आक का पौधा लगाए और उनकी नियमित सेवा करे।
- पक्षियों को दाना डाले।
- शनिवार और अमावस्या को सारे घर की सफाई करें, कबाड़ बाहर निकले और जूते-चप्पलों का दान कर दे।
- स्नान करने के बाद स्नानघर को कभी गंदा न छोड़े।
- जितना हो सके भांजी और भतीजी को कोई न कोई उपहार देते रहे।
किसी बुधवार को बुआ को भी चाट या चटपटी वस्तु खिलाएँ।
- घर में भोजन बनते समय गाय और कुत्ते का हिस्सा अवश्य निकाले।
- बुधवार को किसी को भी उधार न दे, वापस नहीं आएगा।
- राहू काल में कोई कार्य शुरू न करें।
- श्री सूक्त का पाठ करने से धन आता रहेगा।
- वर्ष में एक या दो बार घर में किसी पाठ या मंत्रोक्त पूजन को ब्राह्मण द्वारा जरूर कराए।