मंगलवार, 30 जून 2015

”राहु जिसे तारे उसे कौन मारे

चलिए बात करते है राहू की कुछ और जानते है की राहु का स्वामित्व जहाँ जिस भाव मे हो वहाँ क्या परिणाम देता है राहू सूर्य से अधिक मंगल क्रूर है और मंगल से अधिक शनि क्रूर हैपरन्तु राहू शनि से भी अधिक क्रूर है !राहू के बारे में कहावत है –
”राहु जिसे तारे उसे कौन मारे, राहु जिसे मारे उसे कौन तारे“
राहू का फल तीसरे, छठे और ग्यारवे भाव में शुभ माना जाता है क्योंकि क्रूर ग्रह जब भी इन भावो में आ जाते है तो शुभ फल देते है पर भाइयों के सुख का नाश कर देते है ! यदि दवादश भाव मे राहुआ जाये तो अकसर यह देखा गया है कि जातक कीया तो जेल यात्रा होती है और यदि द्वादश भाव का स्वामी और बृहस्पति बलवान हो तो यही जेल यात्रा विदेश यात्रा में बदल जाती है और यदि द्वादश भाव का स्वामी कमजोर हो और क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो , इसके साथ यदि लग्नेश भी कमजोर हो तो व्यक्ति को हस्पताल की यात्रा करनी पड़ती है !प्रत्येक भाव में राहु अलग अलग फल देता है और जिस ग्रह के साथ बैठ जाए तो उसके बुरे फल को कई गुना बढ़ा देता है ! राहु यदि शनि के साथ बैठ जाये तो पितृ दोष का निर्माण करता है और मंगल के साथबैठ जाएँ तो अंगारक योग का निर्माण करता है ! यदि राहु सूर्य और चन्द्र के साथ बैठ जाएँ तो ग्रहण योग का निर्माण करता है ! शुक्र के साथ बैठ जाएँ तो स्त्री श्राप का निर्माण करता है और यदि गुरु के साथ बैठ जाएँ तो चंडाल योगका निर्माण करता है !ऐसा देखा गया है कि राहु यदि अकेला बैठा हो तो उसका अशुभ फल कम ही मिलता है ! यदि राहु लग्न में आ जाएँ तो जन्म कुंडली में चाहे हजारों राज योग हो उनका नाश हो जाता है ! लग्न में बैठ कर राहु सूर्य का बल कम कर देता है , ऐसे जातको के पिता या तो स्वयं दुखी रहते है या उनकी अपने पिता से अनबन रहती है !ऐसे जातकों पर अक्सर झूठा इल्जाम लग जाता है ! यदि राहु लग्न में आ जाएँ तो जन्म कुंडली में अर्ध – सूर्य ग्रहण योग बन जाता है !लग्न में बैठ कर राहु पंचम, सप्तम और नवम भाव को देखता है और उनके शुभ फल को कम कर देता है !लाल किताब में लग्न में बैठे राहु के विषय में इस प्रकार लिखा गया है –
” राहु पहले तख़्त पर तो तख़्त थराने लगा,सूर्य बैठा हो जिस घर में ग्रहण वहां आने लगा !गिगाड़ ख्याल इसका धन कर्जा कर दिया ,राहु चढ़ा दिमाग पर चरखा उलट गया !!
“यह बात बिलकुल सही है क्योंकि भारत जिस समय आजाद हुआ तो भारत के लग्न में राहु था और इस कारण भारत के लोग अमरीकाऔर कनाडा जैसे देशों में जाकर तरक्की करते है परन्तु भारत में उन्हें तरक्की नहीं मिल पाती ! सन 1947 में जबभारत आजाद हुआ तो लग्न में राहु था, देश में उस समय हिन्दू मुस्लिम दंगे हुए और हजारों लोग बेघर हो गये ! राहु एक राशि में लगभग डेढ़ साल रहता है और 12 राशिओं का सफर 18 साल में तय कर लेता है !यदि सन 1947 में 18 जोड़ दिए जाएँ तो सन1965 आता है , मतलब सन 1965 में दोबारा राहु भारत के लग्न में आ गया औरसन 1965 में भारत का पाकिस्तान से एक भीषण युद्ध हुआ !

--शनि का आचुक उपाय

-----शनि का आचुक उपाय ।।।। तेल लगाओ
तेल मालिश और अभ्यंग स्नान तेल लगाना
शरीर पर कैसे और कब तेल को लगाया जाय
–----तेल का खेल ----------
|| नित्यमभ्यन्गके चैव वासितं वा न दूषितं |
जो प्राणी प्रतिदिन तेल लगाता हो
उसे किसी भी दिन तेल लगाना दूषित नही होता है ||
जो तेल सुगन्धित इत्र आदि से वासित हो ; ऐसे तेल को लगना भी किसी भी दिन दूषित नही होता है ||
परन्तु
श्राद्घे च ग्रहणे चैवोपवासे प्रतिपद्दिने |
अथवा सार्षपं तैलं न दुष्येद ग्रहण विना ||
सरसो का तेल ग्रहण काल को छोड कर अन्य किसी भी दिन दूषित नही होता है ||
पद्य और वामनपुराण के अनुसार
रविवार मंगलवार गुरुवार और शुक्रवार को तेल नही लगाना चाहिए ||
हिंदी तिथि के अनुसार
प्रतिपदा षष्ठी अष्टमी एकादशी चतुर्दशी पूर्णिमा और अमावस्या क्व दिन तेल नही लगाना चाहिये ||
जबकि धर्मसिन्धु के अनुसार
रविवार को पुष्प
मंगलवार को मिटटी
गुरूवार को दुर्वा
शुक्रवार को गोमय डाल कर तेल लगाने से दोष नही लगता ||
कुर्म-पद्य-नारद पुराणो के अनुसार
|| शिरोSभ्यन्गावशिष्टेन तैलेनांग न लेपयेत ||
सिर पर तेल लगाने से हथेली पर बचे हुए तेल को शरीर के किसी अन्य अंगो पर नही लगाना चाहिये |
शास्त्रों के अनुसार
रविवार को लगाने से क्लेश
सोमवार को कान्ति
मंगलवार को व्याधि
बुधवार को सौभाग्य
गुरूवार को निर्धनता
शुक्रवार को हानि
शनिवार को सर्वसमृद्घी की प्राप्ति होती है ||

सोमवार, 29 जून 2015

कर्जा मुक्ति के उपाय/ टोटके_____

कर्जा मुक्ति के उपाय/ टोटके________________^💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫
मित्रों हमारे शास्त्रों में कहा गया है की व्यक्ति को यथासंभव कर्जा लेने से बचना चाहिए। कर्ज लेना किसी को भी अच्छा नहीं लगता लेकिन कई बार मज़बूरी वश या अपनी आवश्यकताओं के कारण लोगो को कर्जा लेना ही पड़ता है। कर्ज लेने वाले व्यक्ति को सामने वाले की बहुत सी सही / गलत मनमानी शर्तों को भी मानना पड़ता है।आजकल तो हर छोटा बड़ा आदमी कहीं न कहीं से मकान, गाड़ी,गृह उपोयोगी वस्तुओं,शिक्षा, व्यापार आदि के लिए कर्ज लेता है ।कई बार गलत समय पर कर्ज लेने के कारण या किसी भी अन्य कारण से कर्ज लेने के बाद उसे लौटाना व्यक्ति को भारी हो जाता है वह लाख चाहकर भी कर्ज समय पर नहीं चुका पाता है उस पर कर्ज लगातार बहुत अधिक बड़ता ही जाता है और कई बार तो उसकी पूरी जिंदगी कर्ज चुकाते-चुकाते समाप्त हो जाती है। यहाँ पर हम शास्त्रों और प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कर्ज लेने व देने संबंधी कुछ आसान से उपाय बता रहे है इन पर अमल करने पर निश्चित ही आपका कर्ज, बिलकुल समय से सुविधानुसार आपके सिर से उतर जाएगा।
कर्जा मुक्ति मन्त्र
1 - “ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः”
2 - “ॐ मंगलमूर्तये नमः।”
3 - “ॐ गं ऋणहर्तायै नमः।”
इनमे से किसी भी मन्त्र के नित्य कम से कम एक माला के जप से व्यक्ति को अति शीघ्र कर्जे से मुक्ति मिलती है ।
1. पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।
2. कभी भूलकर भी मंगलवार को कर्ज न लें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है।
3.कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें |
4. कर्जे से मुक्ति पाने के लिए लाल मसूर की दाल का दान दें।
5. अपने घर के ईशान कोण को सदैव स्वच्छ व साफ रखें।
6. ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का शुक्लपक्ष के बुधवार से नित्य पाठ करें।
7. बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है|
8. सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देने से कर्ज मुक्त हो सकते हैं।
9. घर की चौखट पर अभिमंत्रित काले घोड़े की नाल शनिवार के दिन लगाएं।
10. ५ गुलाब के फूल, १ चाँदी का पत्ता, थोडे से चावल, गुड़ लें। किसी सफेद कपड़े में २१ बार गायत्री मन्त्र का जप करते हुए बांध कर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा ७ सोमवार को करें।
11.सर्व-सिद्धि-बीसा-यंत्र धारण करने से सफलता मिलती है।
12.मंगलवार को शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः”मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं।
13.हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं।हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें|
14..घर अथवा कार्यालय मे गाय के आगे खड़े होकर वंशी बजाते हुए भगवान श्री कृष्ण का चित्र लगाने से कर्जा नहीं चडता और दिए गए धन की डूबने की सम्भावना भी कम रहती है |
15. यदि व्यक्ति अपने घर के मंदिर में माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ 21 हक़ीक पत्थरों की भी पूजा करें फिर उन्हें अपने घर में कहीं पर भी जमीन में गाड़ दे और ईश्वर से कर्जे से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना करें तो उसे शीघ्र ही कर्जे से छुटकारा मिल जायेगा ।
16.कर्जे से मुक्ति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति लाल वस्त्र पहनें या लाल रूमाल साथ रखें। भोजन में गुड़ का उपयोग करें।
17.बुधवार को स्नान पूजा के बाद व्यक्ति सर्वप्रथम गाय को हरा चारा खिलाये उसके बाद ही खुद कुछ ग्रहण करें तो उसे शीघ्र ही कर्जे से छुटकारा मिल जाता है।
18. कर्जा लेने वाला व्यक्ति यदि अपनी तिजोरी में स्फुटिक श्रीयंत्र के साथ साथ मंगल पिरामिड की स्थापना करें और नित्य धूप दीप दिखाएँ तो उसे शीघ्र ही ऋण से मुक्ति मिलती है ।


रविवार, 28 जून 2015

कौन सा ग्रह किस रोग का कारक

कौन सा ग्रह किस रोग का कारक
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1. सूर्य : पित्त, वर्ण, जलन, उदर, सम्बन्धी रोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, न्यूरोलॉजी से सम्बन्धी रोग, नेत्र रोग, ह्रदय रोग, अस्थियों से सम्बन्धी रोग, कुष्ठ रोग, सिर के रोग, ज्वर, मूर्च्छा, रक्तस्त्राव, मिर्गी इत्यादि.
2. चन्द्रमा : ह्रदय एवं फेफड़े सम्बन्धी रोग, बायें नेत्र में विकार, अनिद्रा, अस्थमा, डायरिया, रक्ताल्पता, रक्तविकार, जल की अधिकता या कमी से संबंधित रोग, उल्टी किडनी संबंधित रोग, मधुमेह, ड्रॉप्सी, अपेन्डिक्स, कफ रोग,मूत्रविकार, मुख सम्बन्धी रोग, नासिका संबंधी रोग, पीलिया, मानसिक रोग इत्यादि.
3. मंगल : गर्मी के रोग, विषजनित रोग, व्रण, कुष्ठ, खुजली, रक्त सम्बन्धी रोग, गर्दन एवं कण्ठ से सम्बन्धित रोग, रक्तचाप, मूत्र सम्बन्धी रोग, ट्यूमर, कैंसर, पाइल्स, अल्सर, दस्त, दुर्घटना में रक्तस्त्राव, कटना, फोड़े-फुन्सी, ज्वर, अग्निदाह, चोट इत्यादि.
4. बुध : छाती से सम्बन्धित रोग, नसों से सम्बन्धित रोग, नाक से सम्बन्धित रोग, ज्वर, विषमय, खुजली, अस्थिभंग, टायफाइड, पागलपन, लकवा, मिर्गी, अल्सर, अजीर्ण, मुख के रोग, चर्मरोग, हिस्टीरिया, चक्कर आना, निमोनिया, विषम ज्वर, पीलिया, वाणी दोष, कण्ठ रोग, स्नायु रोग, इत्यादि.
5. गुरु : लीवर, किडनी, तिल्ली आदि से सम्बन्धित रोग, कर्ण सम्बन्धी रोग, मधुमेह, पीलिया, याददाश्त में कमी, जीभ एवं पिण्डलियों से सम्बन्धित रोग, मज्जा दोष, यकृत पीलिया, स्थूलता, दंत रोग, मस्तिष्क विकार इत्यादि.
6. शुक्र : दृष्टि सम्बन्धित रोग, जननेन्द्रिय सम्बन्धित रोग, मूत्र सम्बन्धित एवं गुप्त रोग, मिर्गी, अपच, गले के रोग, नपुंसकता, अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियों से संबंधित रोग, मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न रोग, पीलिया रोग इत्यादि.
7. शनि : शारीरिक कमजोरी, दर्द, पेट दर्द, घुटनों या पैरों में होने वाला दर्द, दांतों अथवा त्वचा सम्बन्धित रोग, अस्थिभ्रंश, मांसपेशियों से सम्बन्धित रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा, अपच, स्नायुविकार इत्यादि.
8. राहु : मस्तिष्क सम्बन्धी विकार, यकृत सम्बन्धी विकार, निर्बलता, चेचक, पेट में कीड़े, ऊंचाई से गिरना, पागलपन, तेज दर्द, विषजनित परेशानियां, किसी प्रकार का रियेक्शन, पशुओं या जानवरों से शारीरिक कष्ट, कुष्ठ रोग, कैंसर इत्यादि.
9. केतु : वातजनित बीमारियां, रक्तदोष, चर्म रोग, श्रमशक्ति की कमी, सुस्ती, अर्कमण्यता, शरीर में चोट, घाव, एलर्जी, आकस्मिक रोग या परेशानी, कुत्ते का काटना इत्यादि.
कब होगी रोग मुक्ति
किसी भी रोग से मुक्ति रोगकारक ग्रह की दशा अर्न्तदशा की समाप्ति के पश्चात ही प्राप्त होती है. इसके अतिरिक्त यदि कुंडली में लग्नेश की दशा अर्न्तदशा प्रारम्भ हो जाए, योगकारक ग्रह की दशा अर्न्तदशा-प्रत्यर्न्तदशा प्रारम्भ हो जाए, तो रोग से छुटकारा प्राप्त होने की स्थिति बनती हैं. शनि यदि रोग का कारक बनता हो, तो इतनी आसानी से मुक्ति नही मिलती है,क्योंकि शनि किसी भी रोग से जातक को लम्बे समय तक पीड़ित रखता है और राहु जब किसी रोग का जनक होता है, तो बहुत समय तक उस रोग की जांच नही हो पाती है. डॉक्टर यह समझ ही नहीं पाता है कि जातक को बीमारी क्या है और ऐसे में रोग अपेक्षाकृत अधिक अवधि तक चलता है.

शुक्रवार, 26 जून 2015

आईए जानें कैसे दो कौड़ी के रोडपति से करोड़पति बना जा सकता है-

आईए जानें कैसे दो कौड़ी के रोडपति से करोड़पति बना जा सकता है-
1. महालक्ष्मी पर चढ़े व अभिमंत्रित कमलगट्टे, कौड़ियां, गोमती चक्र, मोती शंख व काली हल्दी गुलाबी कपड़े में बांधकर घर की उत्तरपश्चिम दिशा में छुपाकर रखें।
2. समृद्धि हेतु शुभ महूर्त में महालक्ष्मी का पूजन कर लाल कपड़े में बंधी 2 अलग अलग पीली कौड़ियां देवी पर चढाएं एक तिजोरी में रखें व दूसरी पर्स में रखें।
3. अटूट धन प्राप्ति हेतु दीपावली की रात्री महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन कर केसर से रंगी कौड़ियां समर्पित कर पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।
4. धन कुबेर की प्रसन्नता हेतु किसी श्रवण माह के सोमवार को 12 पीली कौड़ियां हरे कपड़े में बांधकर घर की उत्तर दिशा में छुपाकर रखें।
5. व्यवसायिक सफलता हेतु शरद पूर्णिमा की रात्री महालक्ष्मी का विधिवत पूजन कर 11 पीली कौडियों को चढ़ाकर ऑफिस में स्थापित करें।
6. गुप्त नवरात्र की अष्टमी के महूर्त में पूजा घर में 27 कौड़ियां स्थापित करें इससे हर दिन (नक्षत्र) में घर में लक्ष्मी का वास होता है।
7. नौकरी में सफलता हेतु शुक्रवार के दिन शुभ महूर्त में महालक्ष्मी पर चढ़ी कौड़ियां गुलाबी धागे में पिरोकर कलाई में पहने। 
8. जादू टोने से बचने हेतु छिन्नमस्ता बीज से अभिमंत्रित 8 कौड़ियां काले धागे में पिरोकर धारण करें।
9. कार्य सिद्धि हेतु अक्षय तृतीया पर अभिमंत्रित 3 कौड़ियां मौली में बांधकर बाजू में धारण करें।

यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं

यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं
१. घर में पूजा करने वाला एक ही मूर्ति की पूजा नहीं करें। अनेक देवी-देवताओं की पूजा करें। घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश नहीं रखें।
२. शालिग्राम की मूर्ति जितनी छोटी हो वह ज्यादा फलदायक है।
३. कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।
४. मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं। पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए।
५. पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं।
६. तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं।
७. आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं। दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है।
८. कुशा के अग्रभाग से दवताओं पर जल नहीं छिड़के।
९. देवताओं को अंगूठे से नहीं मले। चकले पर से चंदन कभी नहीं लगावें। उसे छोटी कटोरी या बांयी हथेली पर रखकर लगावें।
९. पुष्पों को बाल्टी, लोटा, जल में डालकर फिर निकालकर नहीं चढ़ाना चाहिए।
१०. भगवान के चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, मुख की एक बार या तीन बार आरती उतारकर समस्त अंगों की सात बार आरती उतारें।
११. भगवान की आरती समयानुसार जो घंटा, नगारा, झांझर, थाली, घड़ावल, शंख इत्यादि बजते हैं उनकी ध्वनि से आसपास के वायुमण्डल के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नाद ब्रह्मा होता हैं। नाद के समय एक स्वर से जो प्रतिध्वनि होती हैं उसमे असीम शक्ति होती हैं।
१२. लोहे के पात्र से भगवान को नैवेद्य अपर्ण नहीं करें।
१३. हवन में अग्नि प्रज्वलित होने पर ही आहुति दें। समिधा अंगुठे से अधिक मोटी नहीं होनी चाहिए तथा दस अंगुल लम्बी होनी चाहिए। छाल रहित या कीड़े लगी हुई समिधा यज्ञ-कार्य में वर्जित हैं। पंखे आदि से कभी हवन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करें।
१४. मेरूहीन माला या मेरू का लंघन करके माला नहीं जपनी चाहिए। माला, रूद्राक्ष, तुलसी एवं चंदन की उत्तम मानी गई हैं। माला को अनामिका (तीसरी अंगुली) पर रखकर मध्यमा (दूसरी अंगुली) से चलाना चाहिए।
१५. जप करते समय सिर पर हाथ या वस्त्र नहीं रखें। तिलक कराते समय सिर पर हाथ या वस्त्र रखना चाहिए। माला का पूजन करके ही जप करना चाहिए। ब्राह्मण को या द्विजाती को स्नान करके तिलक अवश्य लगाना चाहिए।
१६. जप करते हुए जल में स्थित व्यक्ति, दौड़ते हुए, शमशान से लौटते हुए व्यक्ति को नमस्कार करना वर्जित हैं। बिना नमस्कार किए आशीर्वाद देना वर्जित हैं।
१७. एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए। सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।
१८. जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।
१९. जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।
२०. संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।
२१. दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।
२२. यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।

मंगलवार, 23 जून 2015

मोर पंख से नवग्रह दोष दूर

मोर पंख से नवग्रह दोष दूर
घर का वास्तु ठीक करने का उपाय---:::---
घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें।
‪#‎शनि‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें-
ऊँ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- तीन मिटटी के दीपक तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें।
- गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
‪#‎चंद्र‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
सोमवार को आठ मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पान के पांच पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं।
‪#‎मंगल‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
मंगलवार को सात मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें...
ऊँ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पीपल के दो पत्तों पर चावल रखकर मंगल ग्रह को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।
‪#‎बुध‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
बुधवार को छ: मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- जामुन बुद्ध ग्रह को अर्पित करें। केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।
‪#‎गुरु‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें।
- बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ाएं।
‪#‎शुक्र‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें।
- गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
‪#‎सूर्य‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
रविवार के दिन नौ मोर पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
मंत्र- ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
इसके बाद दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।
‪#‎राहु‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें...
ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करें।
- कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।
‪#‎केतु‬ की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय
शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।
ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
- पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें।
- फलों का प्रसाद चढ़ाएं।
ज्योतिष से सम्बंधित 08529097617


सोमवार, 22 जून 2015

बाल झड़ने की समस्या के लिए नुस्खे

बाल झड़ने की समस्या के लिए नुस्खे
कुछ घरेलू उपचार आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है :-
• कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
• नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
• तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।
• आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
• प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
बाल झड़ने की समस्या
• नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।
• चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं। बाल कम गिरेंगे।
• बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।
• दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।

शुक्रवार, 19 जून 2015

लक्ष्मी प्राप्ति के इन अचूक टोटकों को अपनाकर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं- -

लक्ष्मी प्राप्ति के इन अचूक टोटकों को अपनाकर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं-
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हर पूर्णिमा को सुबह पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
-तुलसी के पौधे पर गुरुवार को पानी में थोड़ा दूध डालकर चढ़ाएं।
- यदि आपको बरगद के पेड़ के नीचे कोई छोटा पौधा उगा हुआ नजर आ जाए तो उसे उखाड़कर अपने घर में लगा दें।
- गूलर की जड़ को कपड़े में बांधकर उसे ताबीज में डालकर बाजू पर बांधे।
- पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े होकर लोहे के पात्र में पानी लेकर उसमें दूध मिलाकर उसे पीपल की जड़ में डालने से घर में सुख-मृद्धि बनी रहती है
और घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है।
ये 5 चीजें बना सकती हैं धनवान
चांदी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति- चांदी से निर्मित लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए। प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।
लघु नारियल- ये नारियल आम नारियल से थोड़ा छोटा होता है। तंत्र-मंत्र में इसका खास महत्व है। नारियल को श्रीफल भी कहते हैं यानी देवी लक्ष्मी का फल। इसकी विधि-विधान से पूजा कर लाल कपड़े में बांधकर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां किसी की नजर इस पर न पड़े। इस उपाय से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं।
कौड़ी- ये समुद्र से निकलती है। दिखने में यह बहुत साधारण होती है लेकिन इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है। लक्ष्मीजी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं और कौडिय़ां भी समुद्र से निकलती हैं इसलिए इसमें धन को अपनी ओर आकर्षित करने का प्राकृतिक गुण होता है। इसे धन स्थान पर रखना शुभ होता है।
लक्ष्मी की चरण पादुकाएं- मां लक्ष्मी की चांदी से निर्मित चरण पादुकाएं धन स्थान पर इस प्रकार रखनी चाहिए कि इसकी दिशा धन स्थान की ओर जाती हुई रहे। इसका अर्थ है लक्ष्मी सदैव आपके धन स्थान में ही निवास करे।

गुरुवार, 18 जून 2015

विभिन्न देवी- देवताओं के लिये गायत्री मन्त्र -

विभिन्न देवी- देवताओं के लिये गायत्री मन्त्र -
" ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् "
1. गणेश :- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।
2. गणेश :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।
3. ब्रह्मा :- ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।
4. ब्रह्मा :- ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।
5. ब्रह्मा:- ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।
6. विष्णु:- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
7. रुद्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।
8. रुद्र :- ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ।।
9. दक्षिणामूर्ती :- ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे, ध्यानस्थाय धीमहि, तन्नो धीश: प्रचोदयात् ।।
10. हयग्रीव :- ॐ वागीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि, तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।।
11. दुर्गा :- ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।
12. दुर्गा :- ॐ महाशूलिन्यै विद्महे, महादुर्गायै धीमहि, तन्नो भगवती प्रचोदयात् ।।
13. दुर्गा :- ॐ गिरिजाय च विद्महे, शिवप्रियाय च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।
14. सरस्वती :- ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
15. लक्ष्मी:- ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।
16. शक्ति :- ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि, तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।
17. अन्नपूर्णा :- ॐ भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि, तन्नोन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।।
18. काली :- ॐ कालिकायै च विद्महे, स्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।
19. नन्दिकेश्वरा :- ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।।
20. गरुड़ :- ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि, तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ।।
21. हनुमान :- ॐ आञ्जनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।
22. हनुमान :- ॐ वायुपुत्राय विद्महे, रामदूताय धीमहि, तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ।।
23. शण्मुख :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महासेनाय धीमहि, तन्नो शण्मुख प्रचोदयात् ।।
24. ऐयप्पन :- ॐ भूतादिपाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो शास्ता प्रचोदयात् ।।
25. धनवन्त्री :- ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि, तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।।
26. कृष्ण :- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।।
27. राधा :- ॐ वृषभानुजाय विद्महे, कृष्णप्रियाय धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात् ।।
28. राम :- ॐ दशरताय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।।
29. सीता :- ॐ जनकनन्दिंयै विद्महे, भूमिजयै धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात् ।।
30. तुलसी:- ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् !
!! ॐ नमः शिवाय !!