मंगलवार, 30 जून 2015

”राहु जिसे तारे उसे कौन मारे

चलिए बात करते है राहू की कुछ और जानते है की राहु का स्वामित्व जहाँ जिस भाव मे हो वहाँ क्या परिणाम देता है राहू सूर्य से अधिक मंगल क्रूर है और मंगल से अधिक शनि क्रूर हैपरन्तु राहू शनि से भी अधिक क्रूर है !राहू के बारे में कहावत है –
”राहु जिसे तारे उसे कौन मारे, राहु जिसे मारे उसे कौन तारे“
राहू का फल तीसरे, छठे और ग्यारवे भाव में शुभ माना जाता है क्योंकि क्रूर ग्रह जब भी इन भावो में आ जाते है तो शुभ फल देते है पर भाइयों के सुख का नाश कर देते है ! यदि दवादश भाव मे राहुआ जाये तो अकसर यह देखा गया है कि जातक कीया तो जेल यात्रा होती है और यदि द्वादश भाव का स्वामी और बृहस्पति बलवान हो तो यही जेल यात्रा विदेश यात्रा में बदल जाती है और यदि द्वादश भाव का स्वामी कमजोर हो और क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो , इसके साथ यदि लग्नेश भी कमजोर हो तो व्यक्ति को हस्पताल की यात्रा करनी पड़ती है !प्रत्येक भाव में राहु अलग अलग फल देता है और जिस ग्रह के साथ बैठ जाए तो उसके बुरे फल को कई गुना बढ़ा देता है ! राहु यदि शनि के साथ बैठ जाये तो पितृ दोष का निर्माण करता है और मंगल के साथबैठ जाएँ तो अंगारक योग का निर्माण करता है ! यदि राहु सूर्य और चन्द्र के साथ बैठ जाएँ तो ग्रहण योग का निर्माण करता है ! शुक्र के साथ बैठ जाएँ तो स्त्री श्राप का निर्माण करता है और यदि गुरु के साथ बैठ जाएँ तो चंडाल योगका निर्माण करता है !ऐसा देखा गया है कि राहु यदि अकेला बैठा हो तो उसका अशुभ फल कम ही मिलता है ! यदि राहु लग्न में आ जाएँ तो जन्म कुंडली में चाहे हजारों राज योग हो उनका नाश हो जाता है ! लग्न में बैठ कर राहु सूर्य का बल कम कर देता है , ऐसे जातको के पिता या तो स्वयं दुखी रहते है या उनकी अपने पिता से अनबन रहती है !ऐसे जातकों पर अक्सर झूठा इल्जाम लग जाता है ! यदि राहु लग्न में आ जाएँ तो जन्म कुंडली में अर्ध – सूर्य ग्रहण योग बन जाता है !लग्न में बैठ कर राहु पंचम, सप्तम और नवम भाव को देखता है और उनके शुभ फल को कम कर देता है !लाल किताब में लग्न में बैठे राहु के विषय में इस प्रकार लिखा गया है –
” राहु पहले तख़्त पर तो तख़्त थराने लगा,सूर्य बैठा हो जिस घर में ग्रहण वहां आने लगा !गिगाड़ ख्याल इसका धन कर्जा कर दिया ,राहु चढ़ा दिमाग पर चरखा उलट गया !!
“यह बात बिलकुल सही है क्योंकि भारत जिस समय आजाद हुआ तो भारत के लग्न में राहु था और इस कारण भारत के लोग अमरीकाऔर कनाडा जैसे देशों में जाकर तरक्की करते है परन्तु भारत में उन्हें तरक्की नहीं मिल पाती ! सन 1947 में जबभारत आजाद हुआ तो लग्न में राहु था, देश में उस समय हिन्दू मुस्लिम दंगे हुए और हजारों लोग बेघर हो गये ! राहु एक राशि में लगभग डेढ़ साल रहता है और 12 राशिओं का सफर 18 साल में तय कर लेता है !यदि सन 1947 में 18 जोड़ दिए जाएँ तो सन1965 आता है , मतलब सन 1965 में दोबारा राहु भारत के लग्न में आ गया औरसन 1965 में भारत का पाकिस्तान से एक भीषण युद्ध हुआ !

1 टिप्पणी:

  1. nice article .please tell me, I'm Gemini ascendant and have angarak yoga (mars +rahu) in 6 th house in scorpio..is it good or bad? They are exactly 5degrees apart.see more -https://bit.ly/2I5Kaie

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