कर्ज से मुक्ति के लिए वास्तु के उपाय
कर्ज से मुक्ति के लिए वास्तु के उपाय
कर्ज से मुक्ति के लिए वास्तु के उपाय
— कर्ज या ऋण शब्द के भीतर कष्ट छुपा होता है। अगर किसी व्यक्ति को कर्ज चुकाना हो तो उसकी पूरी जिंदगी तनाव में गुजर जाती है और रातो की नीद और दिन का चैन हराम हो जाता है .हम कुछ वास्तु
के उपाय अपनाकर कर्ज के
के उपाय अपनाकर कर्ज के
1- कर्ज से बचने के लिए उत्तर व दक्षिण की दीवार बिलकुल सीधी बनवाएँ।
2-उत्तर की दीवार हलकी नीची होनी चाहिए। कोई भी कोना कटा हुआ न हो, न ही कम होना चाहिए। गलत दीवार से धन का अभाव हो जाता है।
3-यदि कर्ज अधिक बना हुआ है और परेशान हैं तो ईशान कोण को 90 डिग्री से कम कर दें।
4-इसके अलावा उत्तर-पूर्व भाग में भूमिगत टैंक या टंकी बनवा दें। टंकी की लम्बाई, चौड़ाई व गहराई के अनुरूप आय बढ़ेगी। उत्तर-पूर्व का तल कम से कम 2 से 3 फीट तक गहरा करवा दें।
5-दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण दिशा में भूमिगत टैंक, कुआँ या नल होने पर घर में दरिद्रता का वास होता है।
6- दो भवनों के बीच घिरा हुआ भवन या भारी भवनों के बीच दबा हुआ भूखण्ड खरीदने से बचें क्योंकि दबा हुआ भूखंड गरीबी एवं कर्ज का सूचक है।
7-उत्तर दिशा की ओर ढलान जितनी अधिक होगी संपत्ति में उतनी ही वृद्धि होगी।
8-यदि कर्ज से अत्यधिक परेशान हैं तो ढलान ईशान दिशा की ओर करा दें, कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
9-पूर्व तथा उत्तर दिशा में भूलकर भी भारी वस्तु न रखें अन्यथा कर्ज, हानि व घाटे का सामना करना पड़ेगा।
10-भवन के मध्य भाग में अंडर ग्राउन्ड टैंक या बेसटैंक न बनवाएँ। मकान का मध्य भाग थोड़ा ऊँचा रखें। इसे नीचा रखने से बिखराव पैदा होगा।
11-यदि उत्तर दिशा में ऊँची दीवार बनी है तो उसे छोटा करके दक्षिण में ऊँची दीवार बना दें।
12-इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम के कोने में पीतल या ताँबे का घड़ा लगा दें। उत्तर या पूर्व की दीवार पर उत्तर-पूर्व की ओर लगे दर्पण लाभदायक होते हैं। दर्पण के फ्रेम पर या दर्पण के पीछे लाल, सिंदूरी या
मैरून कलर नहीं होना चाहिए। दर्पण जितना हलका तथा बड़े आकार का होगा, उतना ही लाभदायक होगा, व्यापार तेजी से चल पड़ेगा तथा कर्ज खत्म हो जाएगा।
13- दक्षिण तथा पश्चिम की दीवार के दर्पण हानिकारक होते हैं
14-दक्षिणी-पश्चिमी, पश्चिमी-उत्तरी या मध्य भाग का चमकीला फर्श या दर्पण गहराई दर्शाता है, जो धन के विनाश का सूचक होता है। फर्श पर मोटी दरी, कालीन आदि बिछाकर कर्ज व दिवालिएपन से बचा जा सकता है। दरवाजे उत्तर-पूर्व दिशा में होने चाहिए।
15-पश्चिमी-दक्षिणी भाग में फर्श पर उल्टा दर्पण रखने से फर्श ऊँचा उठ जाता है। फलतः कर्ज से मुक्ति मिलती है। उत्तर या पूर्व की ओर भूलकर भी उल्टा दर्पण न लगाएँ, अन्यथा कर्ज पर कर्ज होते चले जाएँगे। गलत दिशा में लगे दर्पण जबरदस्त वास्तुदोष के कारक होते हैं। सीढ़ियाँ कभी भी पूर्व या उत्तर की दीवार से न बनाएँ। सीढ़ियों का वजन दक्षिणी दीवार पर ही आना चाहिए। ऐसा न होने पर आय के लाभ के साधन खत्म हो जाते हैं। सीढ़ी हमेशा क्लाक वाइज दिशा में ही बढ़ाएँ। कर्ज से बचने के लिए उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर बढ़ें। सीढ़ी की पहली पेड़ी मुख्य द्वार से दिखनी नहीं चाहिए, नहीं तो लक्ष्मी घर से बाहर चली जाती है।
जय राम जी की
3-यदि कर्ज अधिक बना हुआ है और परेशान हैं तो ईशान कोण को 90 डिग्री से कम कर दें।
4-इसके अलावा उत्तर-पूर्व भाग में भूमिगत टैंक या टंकी बनवा दें। टंकी की लम्बाई, चौड़ाई व गहराई के अनुरूप आय बढ़ेगी। उत्तर-पूर्व का तल कम से कम 2 से 3 फीट तक गहरा करवा दें।
5-दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण दिशा में भूमिगत टैंक, कुआँ या नल होने पर घर में दरिद्रता का वास होता है।
6- दो भवनों के बीच घिरा हुआ भवन या भारी भवनों के बीच दबा हुआ भूखण्ड खरीदने से बचें क्योंकि दबा हुआ भूखंड गरीबी एवं कर्ज का सूचक है।
7-उत्तर दिशा की ओर ढलान जितनी अधिक होगी संपत्ति में उतनी ही वृद्धि होगी।
8-यदि कर्ज से अत्यधिक परेशान हैं तो ढलान ईशान दिशा की ओर करा दें, कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
9-पूर्व तथा उत्तर दिशा में भूलकर भी भारी वस्तु न रखें अन्यथा कर्ज, हानि व घाटे का सामना करना पड़ेगा।
10-भवन के मध्य भाग में अंडर ग्राउन्ड टैंक या बेसटैंक न बनवाएँ। मकान का मध्य भाग थोड़ा ऊँचा रखें। इसे नीचा रखने से बिखराव पैदा होगा।
11-यदि उत्तर दिशा में ऊँची दीवार बनी है तो उसे छोटा करके दक्षिण में ऊँची दीवार बना दें।
12-इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम के कोने में पीतल या ताँबे का घड़ा लगा दें। उत्तर या पूर्व की दीवार पर उत्तर-पूर्व की ओर लगे दर्पण लाभदायक होते हैं। दर्पण के फ्रेम पर या दर्पण के पीछे लाल, सिंदूरी या
मैरून कलर नहीं होना चाहिए। दर्पण जितना हलका तथा बड़े आकार का होगा, उतना ही लाभदायक होगा, व्यापार तेजी से चल पड़ेगा तथा कर्ज खत्म हो जाएगा।
13- दक्षिण तथा पश्चिम की दीवार के दर्पण हानिकारक होते हैं
14-दक्षिणी-पश्चिमी, पश्चिमी-उत्तरी या मध्य भाग का चमकीला फर्श या दर्पण गहराई दर्शाता है, जो धन के विनाश का सूचक होता है। फर्श पर मोटी दरी, कालीन आदि बिछाकर कर्ज व दिवालिएपन से बचा जा सकता है। दरवाजे उत्तर-पूर्व दिशा में होने चाहिए।
15-पश्चिमी-दक्षिणी भाग में फर्श पर उल्टा दर्पण रखने से फर्श ऊँचा उठ जाता है। फलतः कर्ज से मुक्ति मिलती है। उत्तर या पूर्व की ओर भूलकर भी उल्टा दर्पण न लगाएँ, अन्यथा कर्ज पर कर्ज होते चले जाएँगे। गलत दिशा में लगे दर्पण जबरदस्त वास्तुदोष के कारक होते हैं। सीढ़ियाँ कभी भी पूर्व या उत्तर की दीवार से न बनाएँ। सीढ़ियों का वजन दक्षिणी दीवार पर ही आना चाहिए। ऐसा न होने पर आय के लाभ के साधन खत्म हो जाते हैं। सीढ़ी हमेशा क्लाक वाइज दिशा में ही बढ़ाएँ। कर्ज से बचने के लिए उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर बढ़ें। सीढ़ी की पहली पेड़ी मुख्य द्वार से दिखनी नहीं चाहिए, नहीं तो लक्ष्मी घर से बाहर चली जाती है।
जय राम जी की
sab upaye kar liye par mujhe karz mukti nh mile. koi mantra batao.
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