जै माता दी 🚩🚩🚩
हर महीने में दो रातें ऐसी होती हैं जो संपूर्ण जीवन की दिशा बदल सकती हैं।
जो है अमावस्या और पूर्णिमा
इन दो रातों में किया गया दान , ओर पूजा,
आपके जीवन में बहुत कुछ बदल सकती है
आइए इसे विस्तार से जाने।
आपके कर्मों के अनुसार जैसी आपके मन,आत्मा और शरीर में यादें बसी हुई है और जिसके साथ आप ज्यादा है। वह आप और ज्यादा हो जाते हैं इन दो रातों में।
अगर आप भावुक है तो और ज्यादा हो जाएंगे। अगर कोई मानसिक रोगी है तो और परेशान हो जाएगा। अगर आप हंस रहे हैं या रो रहे हैं तो और ज्यादा बढ़ जाएगा।
प्ररनतु इसे जीवन के लिए उपयोगी कैसे बनाया जाए।
बस आपको इन 2 दिन और दो रातों में किसी विशेष स्थिति में रहना होता है।
जैसे कोई भी तामासिक भोजन ओर मदिरा का सेवन न करें
तथा अपनी मानसिक स्थिति को भी ठीक अपनी मुख्य इच्छा पर केंद्रित करना होता है।
इसके लिए अगर आप अपने किसी ज्योतिष आचार्य की मदद लेते हैं तो वह आपकी कुंडली के अनुसार बताएगा।
यह फार्मूला काम नहीं करेगा,
क्योंकि जैसे केलकुलेटर से हम फोन काल नहीं कर सकते, केलकुलेटर का अपना काम है और फोन का अपना।
इसके लिए किसी अच्छे साधक या इसके जानकार की जरूरत पड़ेगी।
अगर आपको कोई ना भी मिले तो बस आप अपने मुख्य कार्य, अपनी अभीष्ट इच्छा पर केंद्रित हो जाइए। इन दो रातों में और 2 दिनों में। इसी पर केंद्रित रहिए।
अपने जीवन की किसी विशेष प्लानिंग को इस दिन मूर्त रूप दीजिए।
आप इसको ऐसे समझें की पूर्णिमा रोशनी के दिनों में आपको 15 दिन किसी एक विषय पर प्लानिंग करनी होती है।
अगर आप इतना भी कर लें तो आप की सफलता का प्रतिशत बहुत बढ़ जाएगा।
पर अगर किसी विशेष साधक या जानकर की मदद से अपने आप को विशेष स्तिथि में रखें तो जीवन स्तर बहुत ऊंचा हो जाएगा।
समाज में, अर्थ में, पर्सनालिटी में, भौतिक सुखों में एकदम से वृद्धि होगी। बस आपको यह करना आ जाए।
चांद धरती को एक दूरी पर स्थिर रखता है, घूमने के बाद भी धरती अगर इधर उधर डोलती नहीं तो वह चंद्रमा की वजह से है।
इसका असर धरती के हर जीव पर सीधा पड़ता है। आप इसका सीधा असर समुद्र पर देख सकते हैं। पूर्णिमा की रात वह उफान पर होता है। जो चंद्रमा इतने विशाल समुद्र को आकर्षित कर सकता है वह आपको भी करता है।
धरती पर 75% जल है हमारे शरीर में भी 75% ही जल है।
हम एक तरह से मिनरल वाटर की 75% भरी हुई बोतल है तो चंद्रमा का हमारे ऊपर बहुत असर होता है।
अमावस की रात को तो पूर्णिमा की रात से भी ज्यादा।
अपने अंदर सही तरह के गुण पैदा करें।ताकि आप जागरूक होकर कुछ विशेष बन सकें।
आप अपने अंदर अचेतन रूप से होने वाले विस्फोटों के शिकार ना हो जाए।
चांद खुद आपको पागल नहीं बनाता है। बस मौजूद गुणों को बढ़ा देता है।
सागर भी पागल हो जाता है।
आप समुद्र तट पर तैर रहे हैं तो यह पागलपन है। अगर आप एक बड़े जहाज के पायलट हैं तो यह आपके लिए वरदान है।
पूरा समुद्र ऊपर उठने की कोशिश करता है। जब सागर ऊपर उठ रहा हो तो यह स्थिति आपको भी ऊंचा उठने में सहायक हो सकती हैं। अगर आपने इसका इस्तेमाल करने की कला आ जाये।
इंसानी जीवन पर चांद का प्रभाव इससे कहीं ज्यादा है।
यह सिस्टम में अलग-अलग तरह के गुण और ऊर्जा पैदा करता है।
अगर कोई जागरूक है तो उसका इस्तेमाल कर सकता है।
अगर व्यापार करना चाहते हैं। आप घर बनाना चाहते हैं। आप दुनिया में सभी चीजें करना चाहते हैं तो आपको किसके साथ तालमेल बिठाना होगा और इसे समझना होगा यह ज्यादा से ज्यादा कैसे काम करता है।
भूलकर भी इन दो रातों में तार्किक अंग्रेजी में कहें तो लॉजिकल ना रहे। यह स्थिति खतरनाक है मन के लिए। आपकी प्लानिंग के लिए।
बस अपने कार्य के साथ प्रैक्टिकल रहे अपनी प्लानिंग के साथ प्रैक्टिकल रहे।
हठ योग में हम इसे दो पहलुओं के रूप में देखते हैं।
हठ योग का मतलब सूर्य और चाँद।
ह-यानी सूर्य,
ठ-यानी चाँद,
इसके कई प्रतीक हैं। आपने देखा होगा कि शिव को आधे पुरुष और आधी नारी के रूप में दर्शाया जाता है।
हमारे अंदर भी यह दोनों स्वरूप मौजूद है।
यह जीवन के 2 आयाम हैं।
इन दोनों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। जो इन दोनों आयामों पर ध्यान देता है, वही सुखी,संपन्न वैभवशाली, स्वस्थ और समाज में स्थिर एवं ताकतवर बनकर उभरता है।
आपको अपने जीवन के दोनों आयामों को समझना होगा और इन पर ध्यान देना होगा ।
हर महीने में दो रातें ऐसी होती हैं जो संपूर्ण जीवन की दिशा बदल सकती हैं।
जो है अमावस्या और पूर्णिमा
इन दो रातों में किया गया दान , ओर पूजा,
आपके जीवन में बहुत कुछ बदल सकती है
आइए इसे विस्तार से जाने।
आपके कर्मों के अनुसार जैसी आपके मन,आत्मा और शरीर में यादें बसी हुई है और जिसके साथ आप ज्यादा है। वह आप और ज्यादा हो जाते हैं इन दो रातों में।
अगर आप भावुक है तो और ज्यादा हो जाएंगे। अगर कोई मानसिक रोगी है तो और परेशान हो जाएगा। अगर आप हंस रहे हैं या रो रहे हैं तो और ज्यादा बढ़ जाएगा।
प्ररनतु इसे जीवन के लिए उपयोगी कैसे बनाया जाए।
बस आपको इन 2 दिन और दो रातों में किसी विशेष स्थिति में रहना होता है।
जैसे कोई भी तामासिक भोजन ओर मदिरा का सेवन न करें
तथा अपनी मानसिक स्थिति को भी ठीक अपनी मुख्य इच्छा पर केंद्रित करना होता है।
इसके लिए अगर आप अपने किसी ज्योतिष आचार्य की मदद लेते हैं तो वह आपकी कुंडली के अनुसार बताएगा।
यह फार्मूला काम नहीं करेगा,
क्योंकि जैसे केलकुलेटर से हम फोन काल नहीं कर सकते, केलकुलेटर का अपना काम है और फोन का अपना।
इसके लिए किसी अच्छे साधक या इसके जानकार की जरूरत पड़ेगी।
अगर आपको कोई ना भी मिले तो बस आप अपने मुख्य कार्य, अपनी अभीष्ट इच्छा पर केंद्रित हो जाइए। इन दो रातों में और 2 दिनों में। इसी पर केंद्रित रहिए।
अपने जीवन की किसी विशेष प्लानिंग को इस दिन मूर्त रूप दीजिए।
आप इसको ऐसे समझें की पूर्णिमा रोशनी के दिनों में आपको 15 दिन किसी एक विषय पर प्लानिंग करनी होती है।
अगर आप इतना भी कर लें तो आप की सफलता का प्रतिशत बहुत बढ़ जाएगा।
पर अगर किसी विशेष साधक या जानकर की मदद से अपने आप को विशेष स्तिथि में रखें तो जीवन स्तर बहुत ऊंचा हो जाएगा।
समाज में, अर्थ में, पर्सनालिटी में, भौतिक सुखों में एकदम से वृद्धि होगी। बस आपको यह करना आ जाए।
चांद धरती को एक दूरी पर स्थिर रखता है, घूमने के बाद भी धरती अगर इधर उधर डोलती नहीं तो वह चंद्रमा की वजह से है।
इसका असर धरती के हर जीव पर सीधा पड़ता है। आप इसका सीधा असर समुद्र पर देख सकते हैं। पूर्णिमा की रात वह उफान पर होता है। जो चंद्रमा इतने विशाल समुद्र को आकर्षित कर सकता है वह आपको भी करता है।
धरती पर 75% जल है हमारे शरीर में भी 75% ही जल है।
हम एक तरह से मिनरल वाटर की 75% भरी हुई बोतल है तो चंद्रमा का हमारे ऊपर बहुत असर होता है।
अमावस की रात को तो पूर्णिमा की रात से भी ज्यादा।
अपने अंदर सही तरह के गुण पैदा करें।ताकि आप जागरूक होकर कुछ विशेष बन सकें।
आप अपने अंदर अचेतन रूप से होने वाले विस्फोटों के शिकार ना हो जाए।
चांद खुद आपको पागल नहीं बनाता है। बस मौजूद गुणों को बढ़ा देता है।
सागर भी पागल हो जाता है।
आप समुद्र तट पर तैर रहे हैं तो यह पागलपन है। अगर आप एक बड़े जहाज के पायलट हैं तो यह आपके लिए वरदान है।
पूरा समुद्र ऊपर उठने की कोशिश करता है। जब सागर ऊपर उठ रहा हो तो यह स्थिति आपको भी ऊंचा उठने में सहायक हो सकती हैं। अगर आपने इसका इस्तेमाल करने की कला आ जाये।
इंसानी जीवन पर चांद का प्रभाव इससे कहीं ज्यादा है।
यह सिस्टम में अलग-अलग तरह के गुण और ऊर्जा पैदा करता है।
अगर कोई जागरूक है तो उसका इस्तेमाल कर सकता है।
अगर व्यापार करना चाहते हैं। आप घर बनाना चाहते हैं। आप दुनिया में सभी चीजें करना चाहते हैं तो आपको किसके साथ तालमेल बिठाना होगा और इसे समझना होगा यह ज्यादा से ज्यादा कैसे काम करता है।
भूलकर भी इन दो रातों में तार्किक अंग्रेजी में कहें तो लॉजिकल ना रहे। यह स्थिति खतरनाक है मन के लिए। आपकी प्लानिंग के लिए।
बस अपने कार्य के साथ प्रैक्टिकल रहे अपनी प्लानिंग के साथ प्रैक्टिकल रहे।
हठ योग में हम इसे दो पहलुओं के रूप में देखते हैं।
हठ योग का मतलब सूर्य और चाँद।
ह-यानी सूर्य,
ठ-यानी चाँद,
इसके कई प्रतीक हैं। आपने देखा होगा कि शिव को आधे पुरुष और आधी नारी के रूप में दर्शाया जाता है।
हमारे अंदर भी यह दोनों स्वरूप मौजूद है।
यह जीवन के 2 आयाम हैं।
इन दोनों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। जो इन दोनों आयामों पर ध्यान देता है, वही सुखी,संपन्न वैभवशाली, स्वस्थ और समाज में स्थिर एवं ताकतवर बनकर उभरता है।
आपको अपने जीवन के दोनों आयामों को समझना होगा और इन पर ध्यान देना होगा ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें