राजनैतिक- सफलता के विशेष योग - आज- कुंडली के विशेष लक्षण...कल की पोस्ट में विस्तार से बताऊंगी
1. यदि सूर्य स्व या उच्च राशि (सिंह, मेष) में होकर केंद्र, त्रिकोण आदि शुभ भावो में बैठा हो तो राजनीति में सफलता मिलती है।
2. सूर्य दशम भाव में हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता मिलती है।
3. सूर्य यदि मित्र राशि में शुभ भाव में हो और अन्य किसी प्रकार पीड़ित ना हो तो भी राजनैतिक सफलता मिलती है।
4. शनि यदि स्व, उच्च राशि (मकर , कुम्भ, तुला) में होकर केंद्र त्रिकोण आदि शुभ स्थानों में बैठा हो तो राजनीती में अच्छी सफलता मिलती है।
5.यदि चतुर्थेश चौथे भाव में बैठा हो या चतुर्थेश की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को विशेष जनसमर्थन मिलता है।
6. चतुर्थेश का स्व या उच्च राशि में होकर शुभ स्थानं में होना भी राजनैतिक सफलता में सहायक होता है।
7. बृहस्पति यदि बलि होकर लग्न में बैठा हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।
8. दशमेश और चतुर्थेश का योग हो या दशमेश चतुर्थ भाव में और चतुर्थेश दशम भाव में हो तो ये भी राजनीती में सफलता दिलाता है
9. सूर्य और बृहस्पति का योग केंद्र ,त्रिकोण में बना हो तो ये भी राजनैतिक सफलता दिलाता है।
10. बुध-आदित्य योग (सूर्य + बुध) यदि दशम भाव में बने और पाप प्रभाव से मुक्त हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।
विशेष - कुंडली में सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव बलि होने के बाद व्यक्ति को राजनीति में किस स्तर तक सफलता मिलेगी यह उसकी पूरी कुंडली की शक्ति और अन्य ग्रह स्थितियों पर निर्भर करता है।
जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो राहु से पीड़ित हो अष्टम भाव में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो राजनीति में सफलता नहीं मिल पाती या बहुत संघर्ष बना रहता है। शनि पीड़ित या कमजोर होने से ऐसा व्यक्ति चुनावी राजनीति में सफल नहीं हो पाता, कमजोर शनि वाले व्यक्ति की कुंडली में अगर सूर्य बलि हो तो संगठन में रहकर सफलता मिलती है।
उपाय - राजनीती से जुड़े या राजनीती में जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को सूर्य उपासना अवश्य करनी चाहिये -
1. आदित्य हृदय स्तोत्र का रोज पाठ करें।
2. सूर्य को रोज जल अर्पित करें।
3. ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। ..............
1. यदि सूर्य स्व या उच्च राशि (सिंह, मेष) में होकर केंद्र, त्रिकोण आदि शुभ भावो में बैठा हो तो राजनीति में सफलता मिलती है।
2. सूर्य दशम भाव में हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता मिलती है।
3. सूर्य यदि मित्र राशि में शुभ भाव में हो और अन्य किसी प्रकार पीड़ित ना हो तो भी राजनैतिक सफलता मिलती है।
4. शनि यदि स्व, उच्च राशि (मकर , कुम्भ, तुला) में होकर केंद्र त्रिकोण आदि शुभ स्थानों में बैठा हो तो राजनीती में अच्छी सफलता मिलती है।
5.यदि चतुर्थेश चौथे भाव में बैठा हो या चतुर्थेश की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को विशेष जनसमर्थन मिलता है।
6. चतुर्थेश का स्व या उच्च राशि में होकर शुभ स्थानं में होना भी राजनैतिक सफलता में सहायक होता है।
7. बृहस्पति यदि बलि होकर लग्न में बैठा हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।
8. दशमेश और चतुर्थेश का योग हो या दशमेश चतुर्थ भाव में और चतुर्थेश दशम भाव में हो तो ये भी राजनीती में सफलता दिलाता है
9. सूर्य और बृहस्पति का योग केंद्र ,त्रिकोण में बना हो तो ये भी राजनैतिक सफलता दिलाता है।
10. बुध-आदित्य योग (सूर्य + बुध) यदि दशम भाव में बने और पाप प्रभाव से मुक्त हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।
विशेष - कुंडली में सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव बलि होने के बाद व्यक्ति को राजनीति में किस स्तर तक सफलता मिलेगी यह उसकी पूरी कुंडली की शक्ति और अन्य ग्रह स्थितियों पर निर्भर करता है।
जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो राहु से पीड़ित हो अष्टम भाव में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो राजनीति में सफलता नहीं मिल पाती या बहुत संघर्ष बना रहता है। शनि पीड़ित या कमजोर होने से ऐसा व्यक्ति चुनावी राजनीति में सफल नहीं हो पाता, कमजोर शनि वाले व्यक्ति की कुंडली में अगर सूर्य बलि हो तो संगठन में रहकर सफलता मिलती है।
उपाय - राजनीती से जुड़े या राजनीती में जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को सूर्य उपासना अवश्य करनी चाहिये -
1. आदित्य हृदय स्तोत्र का रोज पाठ करें।
2. सूर्य को रोज जल अर्पित करें।
3. ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। ..............
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