हमारे हिंदू धर्म मे सुहागन स्त्रियों के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व माना गया है।
हर तीज त्योहार पर स्त्रियाँ श्रृंगार कर पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं।
कल " करवा चौथ है " ...
मान्यता के अनुसार इस दिन 16 श्रृंगार करने वाली पत्नियों के पति की उम्र लंबी होती है और आपस मे प्रेम बढ़ता है।
16 श्रृंगार मे -
1 बिंदी,
2 कंगन-चूडिय़ां,
3 सिंदूर,
4 काजल,
5 मेहंदी,
6 लाल कपड़े,
7 गजरा,
8 मांग टीका,
9 नथ या कांटा,
10 झुमके,
11 हार,
12 बाजूबंद,
13 अंगूठी,
14 कमरबंद,
15 बिछुआ,
16 आलता और पायल सम्मिलित हैं ।
हर तीज त्योहार पर स्त्रियाँ श्रृंगार कर पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं।
कल " करवा चौथ है " ...
मान्यता के अनुसार इस दिन 16 श्रृंगार करने वाली पत्नियों के पति की उम्र लंबी होती है और आपस मे प्रेम बढ़ता है।
16 श्रृंगार मे -
1 बिंदी,
2 कंगन-चूडिय़ां,
3 सिंदूर,
4 काजल,
5 मेहंदी,
6 लाल कपड़े,
7 गजरा,
8 मांग टीका,
9 नथ या कांटा,
10 झुमके,
11 हार,
12 बाजूबंद,
13 अंगूठी,
14 कमरबंद,
15 बिछुआ,
16 आलता और पायल सम्मिलित हैं ।
* बिंदी -
सुहागिन स्त्रियों को कुमकुम या सिंदूर से अपने माथे पर लाल बिंदी जरूर लगाना चाहिए। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
सुहागिन स्त्रियों को कुमकुम या सिंदूर से अपने माथे पर लाल बिंदी जरूर लगाना चाहिए। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
* कंगन और चूडिय़ां-
हिन्दू परिवारों में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि सास अपनी बडी़ बहू को मुंह दिखाई रस्म मे सुखी और सौभाग्यवती बने रहने के आशीर्वाद के साथ वही कंगन देती है, जो पहली बार ससुराल आने पर उसकी सास ने उसे दिए थे। पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां चूडिय़ों से भरी रहनी चाहिए।
हिन्दू परिवारों में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि सास अपनी बडी़ बहू को मुंह दिखाई रस्म मे सुखी और सौभाग्यवती बने रहने के आशीर्वाद के साथ वही कंगन देती है, जो पहली बार ससुराल आने पर उसकी सास ने उसे दिए थे। पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां चूडिय़ों से भरी रहनी चाहिए।
* सिंदूर -
सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
सात फेरों के बाद जब दूल्हा , दुल्हन की मांग भरता है तो इसका अर्थ होता है कि वह उसका साथ जीवन भर निभाएगा।
इसलिए विवाह के बाद स्त्री को अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ प्रतिदिन मांग भरना चाहिए।
सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
सात फेरों के बाद जब दूल्हा , दुल्हन की मांग भरता है तो इसका अर्थ होता है कि वह उसका साथ जीवन भर निभाएगा।
इसलिए विवाह के बाद स्त्री को अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ प्रतिदिन मांग भरना चाहिए।
* काजल -
काजल आंखों का श्रृंगार है।
इससे आंखों की सुंदरता तो बढ़ती ही है।
साथ ही,काजल की बुरी नजर से भी बचाता है।
इसे भी धर्म ग्रंथों मे सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।
काजल आंखों का श्रृंगार है।
इससे आंखों की सुंदरता तो बढ़ती ही है।
साथ ही,काजल की बुरी नजर से भी बचाता है।
इसे भी धर्म ग्रंथों मे सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।
* मेहंदी-
मेहंदी के बिना सिंगार अधूरा माना जाता है।
इसलिए त्योहार पर परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने हाथों और पैरों मे मेहंदी रचाती है।
इसे सौभाग्य का शुभ प्रतीक तो माना ही जाता है ,साथ ही, मेहंदी लगाना त्वचा के लिए भी अच्छा होता है।
मेहंदी के बिना सिंगार अधूरा माना जाता है।
इसलिए त्योहार पर परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने हाथों और पैरों मे मेहंदी रचाती है।
इसे सौभाग्य का शुभ प्रतीक तो माना ही जाता है ,साथ ही, मेहंदी लगाना त्वचा के लिए भी अच्छा होता है।
* लाल कपड़े-
विवाह के समय दुल्हन को सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा पहनाना शुभ माना जाता है।
विवाह के बाद भी कोई त्योहार हो या कोई भी शुभ काम हो और घर की स्त्रियां लाल रंग के कपड़े पहने तो बहुत शुभ माना जाता है।
विवाह के समय दुल्हन को सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा पहनाना शुभ माना जाता है।
विवाह के बाद भी कोई त्योहार हो या कोई भी शुभ काम हो और घर की स्त्रियां लाल रंग के कपड़े पहने तो बहुत शुभ माना जाता है।
* गजरा-
यदि कोई सुहागन स्त्री रोज सुबह नहाकर सुगंधित फूलों का गजरा लगाकर भगवान की पूजा करती है तो बहुत शुभ माना जाता है।
कहा जाता है कि ऐसा करने से घर मे स्थिर लक्ष्मी का निवास होता है।
यदि कोई सुहागन स्त्री रोज सुबह नहाकर सुगंधित फूलों का गजरा लगाकर भगवान की पूजा करती है तो बहुत शुभ माना जाता है।
कहा जाता है कि ऐसा करने से घर मे स्थिर लक्ष्मी का निवास होता है।
* मांग टीका-
मांग के बीचों बीच पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण सिंदूर के साथ मिलकर स्त्री की सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
इसे भी सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
मांग के बीचों बीच पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण सिंदूर के साथ मिलकर स्त्री की सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
इसे भी सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
* नथ या कांटा-
विवाह के बाद यदि कोई स्त्री नाक मे नथ या कांटा नहीं पहनती तो उसे अच्छा नहीं माना जाता है, क्योंकि इसे भी सौभाग्य से जोड़ कर देखा जाता है।
विवाह के बाद यदि कोई स्त्री नाक मे नथ या कांटा नहीं पहनती तो उसे अच्छा नहीं माना जाता है, क्योंकि इसे भी सौभाग्य से जोड़ कर देखा जाता है।
* कान के गहने -
कान मे पहने जाने वाले आभूषण कई तरह की सुंदर आकृतियों मे आते हैं। विवाहित स्त्री के लिए इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है , साथ ही, कर्ण छेदन से कई बीमारियां भी दूर रहती हैं।
कान मे पहने जाने वाले आभूषण कई तरह की सुंदर आकृतियों मे आते हैं। विवाहित स्त्री के लिए इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है , साथ ही, कर्ण छेदन से कई बीमारियां भी दूर रहती हैं।
* मंगलसूत्र -
गले मे पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार , पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है।
विवाह के समय वधू के गले मे , वर मंगलसूत्र (काले रंग की बारीक मोतियों का हार जो सोने की चेन में गुंथा होता है) पहनाने की रस्म निभाता है।
इसी से उसके विवाहित होने का संकेत मिलता है।
इसलिए गले मे हार या मंगलसूत्र पहनना शुभ माना जाता है।
गले मे पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार , पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है।
विवाह के समय वधू के गले मे , वर मंगलसूत्र (काले रंग की बारीक मोतियों का हार जो सोने की चेन में गुंथा होता है) पहनाने की रस्म निभाता है।
इसी से उसके विवाहित होने का संकेत मिलता है।
इसलिए गले मे हार या मंगलसूत्र पहनना शुभ माना जाता है।
* बाजूबंद -
कड़े के समान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है।
यह बांहों में पूरी तरह कसा रहता है, इसी कारण इसे बाजूबंद कहा जाता है। किसी भी त्योहार या धार्मिक आयोजन पर सुहागन स्त्रियों का इसे पहनना शुभ माना जाता है।
कड़े के समान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है।
यह बांहों में पूरी तरह कसा रहता है, इसी कारण इसे बाजूबंद कहा जाता है। किसी भी त्योहार या धार्मिक आयोजन पर सुहागन स्त्रियों का इसे पहनना शुभ माना जाता है।
* अंगूठी -
सगाई की रस्म में वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।
यह बहुत प्राचीन परंपरा है।
अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है।
विवाह के बाद भी स्त्री का इसे पहने रहना शुभता का प्रतीक माना जाता है।
सगाई की रस्म में वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।
यह बहुत प्राचीन परंपरा है।
अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है।
विवाह के बाद भी स्त्री का इसे पहने रहना शुभता का प्रतीक माना जाता है।
* कमरबंद -
कमरबंद कमर मे पहना जाने वाला आभूषण है, जिसे स्त्रियां विवाह के बाद पहनती है।
इससे उनकी छरहरी काया और भी आकर्षक दिखाई देती है।
कमरबंद इस बात का प्रतीक कि स्त्री अपने घर की स्वामिनी है।
किसी भी शुभ अवसर पर यदि घर की स्त्री कमरबंद पहने तो उसे लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
कमरबंद कमर मे पहना जाने वाला आभूषण है, जिसे स्त्रियां विवाह के बाद पहनती है।
इससे उनकी छरहरी काया और भी आकर्षक दिखाई देती है।
कमरबंद इस बात का प्रतीक कि स्त्री अपने घर की स्वामिनी है।
किसी भी शुभ अवसर पर यदि घर की स्त्री कमरबंद पहने तो उसे लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
* बिछुआ -
पैरों के अंगूठे मे रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है।
इस आभूषण के अलावा स्त्रियां छोटी उंगली को छोड़कर तीनों उंगलियों मे बिछुआ पहनती है।
बिछुआ स्त्री के सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
पैरों के अंगूठे मे रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है।
इस आभूषण के अलावा स्त्रियां छोटी उंगली को छोड़कर तीनों उंगलियों मे बिछुआ पहनती है।
बिछुआ स्त्री के सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
* पायल-
पैरों मे पहने जाने वाले इस आभूषण के घुंघरुओं की सुमधुर ध्वनि को बहुत शुभ माना जाता है।
हर सौभाग्यवती स्त्री को पैरों मे पायल जरूर पहनना चाहिए।
पैरों मे पहने जाने वाले इस आभूषण के घुंघरुओं की सुमधुर ध्वनि को बहुत शुभ माना जाता है।
हर सौभाग्यवती स्त्री को पैरों मे पायल जरूर पहनना चाहिए।
* आलता-
सुहागन औरतें पैरों मे मेहंदी एवं आलता भी लगाती हैं।
सुहागन औरतें पैरों मे मेहंदी एवं आलता भी लगाती हैं।
!! ॐ नमः शिवाय !!
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