गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

नवग्रह के प्रभाव

नवग्रह के प्रभाव
अगर आपकी जन्म तारीख पता नही है, तो लक्षण से पता करें।कि कौन सा ग्रह के कारण बीमारी या परेशानी है।
【1】सूर्य-
सूर्य की अशुभता से नेत्र रोग, उदर विकार, हृदय रोग ये रोग के लक्षण है।
मान सम्मान मे कमी आती है।धन का नाश होता है।
कर्ज यानि ऋण लेने को मजबूर या कर्ज में डूब जाना।
झूठे अभियोग लगते है।
【2】चंद्र-
चन्द्रमा के अशुभता में मानसिक दुर्बलता, मानसिक तनाव, चिंता माता की बीमारी, फेफड़ों के रोग,
और धन की कमी होती है।
【3】मंगल-
मंगल की अशुभता से होंठ और जिगर के रोग होता है।
कर्ज से परेशान और अपना घर बनाने का सपना अधूरा ही रह जाता है।
【4】बुध-
बुध की अशुभता से दांत एवं स्नायु रोग होता है।
वाणी का दोष और माता से अनबन भी मिलता है।
【5】गुरु-
गुरु की अशुभता से गले के रोग होते है।
पुत्र से कष्ट मिलता है, अधूरी शिक्षा, दाम्पत्य में कष्ट, और विवाह में बाधा मिलता है।
【6】शुक्र-
शुक्र की अशुभता से वैवाहिक सुख में कमी और सुखों का अभाव होता है।
【7】शनि-
शनि की अशुभता से दुर्घटना, अग्नि कांड, आरोग्य संतान, आंखों के रोग तथा पिता से वैमनस्या प्राप्त होती है।
【8】राहु-
राहु की अशुभता से सिर पर चोट लगती है, मानसिक रोग होता है।
राजकोप का शिकार होता हैं।और हर कार्य मे अड़चन पैदा होता है।
【9】केतु-
केतु की अशुभता से घुटनों मे दर्द, मूत्र विकार, होता है।
पुत्र संकट, विश्वासघात का शिकार होता है।पुत्र के द्वारा दुर्व्यवहार होता है।
उपाय:-
दस मुखी रुद्राक्ष धारण करे, दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से, नवग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
कहते है, इस रुद्राक्ष के धारण करता पर श्री हरि के दशावतार की पूर्ण कृपा रहती है।और साथ जी माँ लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती हैं।
यह उपाय सर्वग्रह बाधा शांतहोती है।
दशो दिशाओ में उसका प्रभाव रहता है, इसके प्रभाव से धारक को चहुँ ओर सफलता मिलती है।
यहाँ तक कि भूत प्रेत और किसी भी तरह की ऊपरी हवा का भय नही रहता तथा शत्रु से भी रक्षा होती है।
जिन लोगों की किसी प्रकार से वैवाहिक जीवन में समस्या आ रही है तो यह दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ठीक हो जाता है।
रुद्राक्ष धारण मंत्र-” ॐ ह्रीं नमः “
धारण दिन- शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को।
मंत्र रुद्राक्ष की माला से 10 माला जप करना है।
दश मुखी रुद्राक्ष पिला और लाल धागा में धारण करने से पहले किसी भी शिव मंदिर में पहले शिव लिङ्ग में पहना कर तब धारण करे।
अत्यंत जरूरी बात,
की प्रति दिन श्री शिवरामाष्टक स्त्रोत्रं का पाठ करना बहुत ही लाभ दायक रहेगा।
हर हर महादेव, जय श्री हरि।

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