ॐ नमः शिवाय .... मित्रों !!
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ हो ....
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मूंगा रत्न -
भौम रत्न को यदि हिन्दी में मूंगा, संस्कृत में प्रवाल, अंगार मणि , अंग्रेजी में कोरल कहा जाता है ! मूंगा मुख्य रूप से लाल, सिन्दूरी, गेरूआ वर्ण का होता है।
मूंगा एक जैविक लकडी़ है, जिसे साफ-सफाई व पॉलिश कर तराशा जाता है,
फिर दो प्रकार से आकार दिया जाता है ... एक ओवल यानी केप्सूल तथा दूसरा तिकोना , मूंगा दो ही आकार मे मिलता है।
फिर दो प्रकार से आकार दिया जाता है ... एक ओवल यानी केप्सूल तथा दूसरा तिकोना , मूंगा दो ही आकार मे मिलता है।
यदि जन्म कुण्डली या वर्ष में मंगल अषुभ चल रहा हो तो भौम के बीज मंत्र का 10 हजार की संख्या में जप शुक्ल पक्ष के मंगलवार से प्रारंभ करना चाहिए।
मंगल का बीज मंत्र -
" ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः "
" ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः "
भौम शांति हेतु उपाय -
जब कुण्डली में मंगल अशुभ हो -
- तांबे की अंगूठी में मूंगा धारण करना या तांबे का कड़ा पहनना चाहिए।
- मंगलवार को घर में गुलाब का पौधा लगाना चाहिए व 108 बार रात से प्रातः काल तक - - तांबे के बर्तन में पानी सिरहाने रखकर घर में लगाये हुए गुलाब के पौधे में देना चाहिए।
- मंगलवार का व्रत रखकर 27 मंगल किसी अपाहिज को गुड़ से बने भोजन खिलावें।
- नारियल का तिलक करके लाल कपड़े में बाँध जल में बहाना चाहिए।
- लाल वर्ण की गाय या कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।
- श्री हनुमान जी की पूजा करना चाहिए।
- मंगलवार को घर में गुलाब का पौधा लगाना चाहिए व 108 बार रात से प्रातः काल तक - - तांबे के बर्तन में पानी सिरहाने रखकर घर में लगाये हुए गुलाब के पौधे में देना चाहिए।
- मंगलवार का व्रत रखकर 27 मंगल किसी अपाहिज को गुड़ से बने भोजन खिलावें।
- नारियल का तिलक करके लाल कपड़े में बाँध जल में बहाना चाहिए।
- लाल वर्ण की गाय या कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।
- श्री हनुमान जी की पूजा करना चाहिए।
मूंगा परीक्षण विधि -
- मूंगे की सही परख करने के लिए- मूंगे पर एक बूंद पानी की टपकाएं, फिर देखें पानी रूकेगा नहीं। अगर पानी उस पर रूक जाए तो वह असली मूंगा नहीं होता।
- मैग्निफाइंग ग्लास से देखने पर मूंगा के ऊपर सफेद बॉल बराबर खडी़ रेखाएं दिखती है, जबकि नकली मूंगे में नहीं दिखाई देती।
- मूंगा चिकना व फिसलनयुक्त होता है, नकली रत्न गहरे रंग का व फिसलन वाला नहीं होता। इसी तरह मूंगा देखकर, परख कर ही खरीदें।
- असली मूंगा को यदि खून में डाल दिया जाए तो उसके चारों ओर गाढ़ा रक्त जमा होने लगता है असली मूंगा को यदि गाय के दूध में डाल दिया जाए तो उसके लाल झाईं दिखाई देने लगती है।
- तेज धुप मे मूँगे को कागज या रूई पर रखें तो वह कागज या रूई जलने लगता है।
- मैग्निफाइंग ग्लास से देखने पर मूंगा के ऊपर सफेद बॉल बराबर खडी़ रेखाएं दिखती है, जबकि नकली मूंगे में नहीं दिखाई देती।
- मूंगा चिकना व फिसलनयुक्त होता है, नकली रत्न गहरे रंग का व फिसलन वाला नहीं होता। इसी तरह मूंगा देखकर, परख कर ही खरीदें।
- असली मूंगा को यदि खून में डाल दिया जाए तो उसके चारों ओर गाढ़ा रक्त जमा होने लगता है असली मूंगा को यदि गाय के दूध में डाल दिया जाए तो उसके लाल झाईं दिखाई देने लगती है।
- तेज धुप मे मूँगे को कागज या रूई पर रखें तो वह कागज या रूई जलने लगता है।
मूंगा धारण विधि -
शुक्ल पक्ष के मंगलवार को मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा नक्षत्र मेष, मकर, वृश्चिक लग्न में 6, 8, 10 या 12 रत्ती के वजन का मूंगा सोने या तांबे की अंगुठी में जड़वाकर अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए।
धारण करने के पश्चात् भौम के निमित्त दान करना चाहिए।
धारण करने के पश्चात् भौम के निमित्त दान करना चाहिए।
भौम के निमित्त दान योग्य वस्तुएं -
गेंहूँ, मसूर, लाल बैल, गुड़, घी, मूंगा, लाल चंदन, व लाल वस्त्र, केशर, नारियल, गुड़, से बने पूए या रोटी रेवडियाँ इत्यादि । भौम का दान युवा ब्राहृमण को ही देना चाहिए।
मूंगा धारण करने के लाभ -
श्रेष्ठ मूंगा धारण करने से भूमि, भ्रात व निरोगता का लाभ प्राप्त होता है इसके अतिरिक्त रक्त विकार भूत-विकार भूत-प्रेत, बाधा, दुर्बलता, मंदाग्नि, वायु, कफ, हृदय रोग व पेट विकार में मूंगे की भस्म का प्रयोग किया जाता है।
द्वादश भावों मे भौम फल -
- यदि मंगल लग्न या प्रथम भाव में हो तो जातक क्रूर, साहसी, चपल, महत्वाकांक्षी, लौहधातु व चोट आदि से कष्ट पाने वाला व्यवसाय में हानि उठाने वाला होता है।
- द्वितीय भाव में हो तो कटुभाषी, धनहीन, निर्बुद्धि, पशुपालक, कुटुम्ब क्लेषी, धर्मप्रेमी, नेत्र कान रोगी होता है।
- तृतीय भाव में हो तो प्रसिद्ध शूरवीर, धैर्यवान, साहसी, बंधुहीन, प्रदीप्त, जठराग्नि युक्त झाइयों के लिए कष्टकारक व कटुभाषी होता है।
- चतुर्थ भाव में हो तो वाहन सुखी, संततिवान, मातृ सुखविहीन, प्रवासी, अग्नि भय युक्त, अल्पमृत्यु, कृषक, बंधु विरोधी होता है।
- पंचम भाव में हो तो अग्रबुद्धि, कपटी, व्यसनी, रोगी उदर रोगी, गुप्तांग रोगी, चंचल, बुद्धिमान, क्लेष प्रिय होता है।
- छटवें भाव में हो तो प्रबल अफसर, दाद रोगी, क्रोधी होता है।
- सातवें भाव मे हो तो शीघ्र क्रोधी, स्त्री सुख हीन, राजभीरू, कटुभाषी, धूर्त, मूर्ख, निर्धन, घातकी, धननाशक होता है।
- आठवें भाव में भाव हो तो व्याधिग्रस्त, व्यसनी, मद्य प्रिय, कठोर भाषी, नेत्र रोग, शस्त्र चोर, संकोच, रक्त विकार धन की चिंता से युक्त होता है।
- नवें भाव में हो तो द्वेषी, अभिमानी, कोधी, नेता, अधिकारी, ईष्यालु, अल्पलाभी, यशस्वी, असंतुष्टि, भ्रातृविरोधी होता है।
- दसवें भाव में हो तो धनवान कुलदीपक, उत्तम वाहनों से युक्त, स्वाभिमानी संतान से कष्ट पाने वाला होता है।
- ग्यारहवें भाव में हो तो दंभी, कटुभाषी, झगड़ालू, क्रोधी, अल्पभाषी, प्रवासी, न्यायवान, धैर्यवान होता है।
- बारहवें भाव में हो तो नेत्र रोगी स्त्री से कष्ट पाने वाला झगड़ालू, मूर्ख व व्ययाशील प्रवृत्ति का होता है।
- द्वितीय भाव में हो तो कटुभाषी, धनहीन, निर्बुद्धि, पशुपालक, कुटुम्ब क्लेषी, धर्मप्रेमी, नेत्र कान रोगी होता है।
- तृतीय भाव में हो तो प्रसिद्ध शूरवीर, धैर्यवान, साहसी, बंधुहीन, प्रदीप्त, जठराग्नि युक्त झाइयों के लिए कष्टकारक व कटुभाषी होता है।
- चतुर्थ भाव में हो तो वाहन सुखी, संततिवान, मातृ सुखविहीन, प्रवासी, अग्नि भय युक्त, अल्पमृत्यु, कृषक, बंधु विरोधी होता है।
- पंचम भाव में हो तो अग्रबुद्धि, कपटी, व्यसनी, रोगी उदर रोगी, गुप्तांग रोगी, चंचल, बुद्धिमान, क्लेष प्रिय होता है।
- छटवें भाव में हो तो प्रबल अफसर, दाद रोगी, क्रोधी होता है।
- सातवें भाव मे हो तो शीघ्र क्रोधी, स्त्री सुख हीन, राजभीरू, कटुभाषी, धूर्त, मूर्ख, निर्धन, घातकी, धननाशक होता है।
- आठवें भाव में भाव हो तो व्याधिग्रस्त, व्यसनी, मद्य प्रिय, कठोर भाषी, नेत्र रोग, शस्त्र चोर, संकोच, रक्त विकार धन की चिंता से युक्त होता है।
- नवें भाव में हो तो द्वेषी, अभिमानी, कोधी, नेता, अधिकारी, ईष्यालु, अल्पलाभी, यशस्वी, असंतुष्टि, भ्रातृविरोधी होता है।
- दसवें भाव में हो तो धनवान कुलदीपक, उत्तम वाहनों से युक्त, स्वाभिमानी संतान से कष्ट पाने वाला होता है।
- ग्यारहवें भाव में हो तो दंभी, कटुभाषी, झगड़ालू, क्रोधी, अल्पभाषी, प्रवासी, न्यायवान, धैर्यवान होता है।
- बारहवें भाव में हो तो नेत्र रोगी स्त्री से कष्ट पाने वाला झगड़ालू, मूर्ख व व्ययाशील प्रवृत्ति का होता है।
विशेष-
* कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन, राशि व लग्न वालों को मूंगा धारण करना लाभप्रद होता है।
शरीर कष्ट व कुण्डली में यदि मंगल नीचस्थ हो तो श्वेत मूंगा भी धारण किया जा सकता है।
* मूंगा मंगल का रत्न है , मंगल साहस, बल, ऊर्जा का कारक है अतः
विस्फोटक सामग्री के व्यवसाय, पेट्रोल पंप, गैस एजन्सी, पहलवानी, सुरक्षा से संबंधित कार्य करने वाले, सेना, पुलिस, राजनीति, ईंट-भट्टे के कार्य, जमीन-प्रापर्टी से संबंधित कार्य, बिर्ल्डर व बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर, अस्थी रोग विशेषज्ञ, खून की जांच, ब्लड से संबंधित लेबोरेटरी आदि कार्य करने वालों को पहनना उत्तम है।
* नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनिया के साथ कभी नहीं पहनना चाहिए।
* अण्डाकार मूंगा जीवन में उन्नति एवं गतिशीलता के लिए धारण करना चाहिए ।
* लॉकेट के रूप में मूंगा लग्न कुण्डली के केन्द्र में मंगल होने पर अथवा ज्यादा खराब स्थिति होने पर एवं स्त्रीयो को धारण करना चाहिए।
* त्रिभूजाकार मूंगा शत्रुओ एवं रोग से ग्रसित व्यक्तियों को , साथ ही जिनके विवाह में रूकावट बाधॉंऐं अथवा मंगल के कारण विलम्ब हो रहा हो तो धारण करना चाहिए।
* यदि मूंगा धारण करने पर अत्यधिक क्रोध आना, बेचेनी होना, पूर्व से चलरही समस्याओं का अचानक बढ जाना,
भूमि भवन से अप्रत्याशित हानि हो जाना इत्यादि हो तो शीध्र ही इसे उतार दे व यह माना जाए की आपके अनुकुल नही है, आपको अन्य किसी अन्य उपाय की आवश्यकता है।
* मंगल के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का जापानी या इटालियन मुंगा ही धारण करे, मुंगा धारण करने के 9 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 3 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है,
निष्क्रिय होने के बाद पुन: नया मूंगा धारण करें।
* किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें। कभी-कभी रत्न का प्रभाव बहुत जल्दी हो जाता है,
कुछ परिस्थितियों में रत्न विपरित प्रभाव भी दे सकते हैं अत: बिना ज्योतिषी के परामर्श के रत्न धारण न करें।
शरीर कष्ट व कुण्डली में यदि मंगल नीचस्थ हो तो श्वेत मूंगा भी धारण किया जा सकता है।
* मूंगा मंगल का रत्न है , मंगल साहस, बल, ऊर्जा का कारक है अतः
विस्फोटक सामग्री के व्यवसाय, पेट्रोल पंप, गैस एजन्सी, पहलवानी, सुरक्षा से संबंधित कार्य करने वाले, सेना, पुलिस, राजनीति, ईंट-भट्टे के कार्य, जमीन-प्रापर्टी से संबंधित कार्य, बिर्ल्डर व बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर, अस्थी रोग विशेषज्ञ, खून की जांच, ब्लड से संबंधित लेबोरेटरी आदि कार्य करने वालों को पहनना उत्तम है।
* नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनिया के साथ कभी नहीं पहनना चाहिए।
* अण्डाकार मूंगा जीवन में उन्नति एवं गतिशीलता के लिए धारण करना चाहिए ।
* लॉकेट के रूप में मूंगा लग्न कुण्डली के केन्द्र में मंगल होने पर अथवा ज्यादा खराब स्थिति होने पर एवं स्त्रीयो को धारण करना चाहिए।
* त्रिभूजाकार मूंगा शत्रुओ एवं रोग से ग्रसित व्यक्तियों को , साथ ही जिनके विवाह में रूकावट बाधॉंऐं अथवा मंगल के कारण विलम्ब हो रहा हो तो धारण करना चाहिए।
* यदि मूंगा धारण करने पर अत्यधिक क्रोध आना, बेचेनी होना, पूर्व से चलरही समस्याओं का अचानक बढ जाना,
भूमि भवन से अप्रत्याशित हानि हो जाना इत्यादि हो तो शीध्र ही इसे उतार दे व यह माना जाए की आपके अनुकुल नही है, आपको अन्य किसी अन्य उपाय की आवश्यकता है।
* मंगल के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का जापानी या इटालियन मुंगा ही धारण करे, मुंगा धारण करने के 9 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 3 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है,
निष्क्रिय होने के बाद पुन: नया मूंगा धारण करें।
* किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें। कभी-कभी रत्न का प्रभाव बहुत जल्दी हो जाता है,
कुछ परिस्थितियों में रत्न विपरित प्रभाव भी दे सकते हैं अत: बिना ज्योतिषी के परामर्श के रत्न धारण न करें।
!! ॐ नमः शिवाय !!
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