बिजली की खेती कर किसान कैसे कमाएंगे एक करोड़ रुपए
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पटियाला। खेतों में बिजली पैदा करने के लिए पंजाब एनर्जी डिवेलपमेंट एजेंसी (पेडा) ने सोलर पावर प्रोजेक्ट की ड्राफ्ट पाॅलिसी बना ली है। जिसमें एक मेगावाट के प्लांट से हर साल लगभग 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी और हर एक यूनिट पावरकॉम को 7 रुपए 4 पैसे की दर से बेची जाएगी। इससे किसान को हर साल करीब 1 करोड़ 5 लाख 60 हजार रुपए की कमाई होगी। किसानों को जागरूक करके उनसे राय-विचार लेना शुरू कर दिया गया है। 18 जून तक यह प्रोसेस चलेगा और बाद में अगले एक महीने के भीतर पॉलिसी का फाइनल ड्राफ्ट बनाया जाएगा। इसके बाद आवेदन मांगें जाएंगे और अगले 6 महीने तक इस तरह के प्रोजेक्ट सूबे में शुरू होने की संभावना है।
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पटियाला। खेतों में बिजली पैदा करने के लिए पंजाब एनर्जी डिवेलपमेंट एजेंसी (पेडा) ने सोलर पावर प्रोजेक्ट की ड्राफ्ट पाॅलिसी बना ली है। जिसमें एक मेगावाट के प्लांट से हर साल लगभग 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी और हर एक यूनिट पावरकॉम को 7 रुपए 4 पैसे की दर से बेची जाएगी। इससे किसान को हर साल करीब 1 करोड़ 5 लाख 60 हजार रुपए की कमाई होगी। किसानों को जागरूक करके उनसे राय-विचार लेना शुरू कर दिया गया है। 18 जून तक यह प्रोसेस चलेगा और बाद में अगले एक महीने के भीतर पॉलिसी का फाइनल ड्राफ्ट बनाया जाएगा। इसके बाद आवेदन मांगें जाएंगे और अगले 6 महीने तक इस तरह के प्रोजेक्ट सूबे में शुरू होने की संभावना है।
हालांकि, योजना का खर्च देखकर कहा जा सकता है कि छोटे किसानों को इसका लाभ लेने में अड़चनें आ सकती हैं और बड़े किसान ही इसमें इन्वेस्ट कर पाएंगे, लेकिन पंजाब में पावर सेक्टर को इसका फायदा मिलेगा। क्योंकि पैडी सीजन में पंजाब में बिजली की डिमांड बढ़कर 12 हजार मेगावाट से अधिक हो जाती है और शेष आठ महीनों के दौरान 3 से 6 हजार मेगावाट ही रहती है। पैडी सीजन में पावरकॉम बाहर से बिजली परचेज करता है।
योजना के अमल में आने पर 500 मेगावाट सप्लाई उसे पंजाब से ही मिल जाएगी। सूबे में पहले चरण के तहत सोलर पावर से 500 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। बिजली 25 साल के एग्रीमेंट के तहत पावरकॉम को बेची जाएगी और पेडा किसानों-पावरकॉम के बीच पावर परचेज एग्रीमेंट साइन करवाएगा। प्रोजेक्ट लगने से पहले एग्रीकल्चर लैंड का चेंज आफ लैंड यूज भी करवाया जाएगा। अगर 25 साल बाद किसान प्लांट बंद करना चाहे तो दोबारा जमीन पर खेती कर सकेगा।
25 साल में 9 करोड़ इन्वेस्टमेंट : एक मेगावाट के प्रोजेक्ट के लिए 5 एकड़ जमीन और करीब सवा 6 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। जिसमें प्लांट को ग्रिड के साथ जोड़ने का खर्च भी शामिल है। ढाई मेगावाट के प्रोजेक्ट पर यह खर्चा और जमीन की जरुरत ढाई गुना तक बढ़ जाएगी। वहीं, सालाना मेनटेनेंस और इंप्लाई रखने पर किसान को करीब 10 लाख रुपए सालाना खर्च करने होंगे। कुल मिलाकर 25 साल में करीब 8 से 9 करोड़ का खर्च करना पड़ेगा। पेडा चंडीगढ़ के सीनियर मैनेजर बलकार सिंह के मुताबिक पेडा के साथ किसान का इंप्लीमेनटेशन एग्रीमेंट साइन करवाकर अलॉटमेंट के बाद तीन-चार महीने में प्लांट लगाने का काम पूरा होगा। किसानों का रूझान ठीक है और प्रोजेक्ट के सफल होने की उम्मीद की जा सकती है।
प्रोजेक्ट पर एक नजर
एक किसान या किसान ग्रुप मिनिमम 1 मेगावाट और ज्यादा से ज्यादा ढाई मेगावाट का प्रोजेक्ट शुरू कर सकेगा। पेडा ने 500 मेगावाट सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने का खाका खींचा है। इसमें से 100 मेगावाट एससी/एसटी और महिलाओं के लिए रिजर्व है। अप्लाइ फीस 50 हजार रुपए। योजना का लाभ फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर।
एक किसान या किसान ग्रुप मिनिमम 1 मेगावाट और ज्यादा से ज्यादा ढाई मेगावाट का प्रोजेक्ट शुरू कर सकेगा। पेडा ने 500 मेगावाट सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने का खाका खींचा है। इसमें से 100 मेगावाट एससी/एसटी और महिलाओं के लिए रिजर्व है। अप्लाइ फीस 50 हजार रुपए। योजना का लाभ फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर।
7 रुपए 4 पैसे यूनिट की दर से बिजली बिकेगी
एक मेगावाट के प्लांट से हर साल लगभग 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी और हर एक यूनिट पावरकॉम को 7 रुपए 4 पैसे की दर से बेची जाएगी। इससे किसान को हर साल करीब 1 करोड़ 5 लाख 60 हजार रुपए की कमाई होगी। हालांकि, सोलर प्लेट्स की एफीसिएंसी में करीब तीन साल के बाद कुछ कमी आएगी, लेकिन पेडा अधिकारियों की मानें तो लगातार 25 साल तक चलने वाली इन प्लेट्स की एफीसिएंसी में ज्यादा से ज्यादा 15 फीसदी तक कमी आएगी। एेसे में यदि एवरेज 13 लाख यूनिट प्रति साल की दर से भी बिजली पैदा होती है तो भी करीब 91 लाख 50 हजार रुपए की बिजली हर साल पैदा होगी और करीब 22 करोड़ 87 लाख रुपए की बिजली एक मेगावाट का प्लांट 25 साल में पैदा कर सकेगा।
एक मेगावाट के प्लांट से हर साल लगभग 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी और हर एक यूनिट पावरकॉम को 7 रुपए 4 पैसे की दर से बेची जाएगी। इससे किसान को हर साल करीब 1 करोड़ 5 लाख 60 हजार रुपए की कमाई होगी। हालांकि, सोलर प्लेट्स की एफीसिएंसी में करीब तीन साल के बाद कुछ कमी आएगी, लेकिन पेडा अधिकारियों की मानें तो लगातार 25 साल तक चलने वाली इन प्लेट्स की एफीसिएंसी में ज्यादा से ज्यादा 15 फीसदी तक कमी आएगी। एेसे में यदि एवरेज 13 लाख यूनिट प्रति साल की दर से भी बिजली पैदा होती है तो भी करीब 91 लाख 50 हजार रुपए की बिजली हर साल पैदा होगी और करीब 22 करोड़ 87 लाख रुपए की बिजली एक मेगावाट का प्लांट 25 साल में पैदा कर सकेगा।
सब्सिडी नहीं, लोन दिलवाने में मदद
पेडा के अफसरों के अनुसार, योजना के तहत कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी, लेकिन किसानों को नाबार्ड या अन्य नेशनलाइज़ बैंकों से सस्ती ब्याज दर पर कर्जा दिलवाने के लिए काम किया जाए। बैंकों के साथ टाई-अप किया जा रहा है। ब्याज दर 10 से 12 फीसदी सालाना हो सकती है।
पेडा के अफसरों के अनुसार, योजना के तहत कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी, लेकिन किसानों को नाबार्ड या अन्य नेशनलाइज़ बैंकों से सस्ती ब्याज दर पर कर्जा दिलवाने के लिए काम किया जाए। बैंकों के साथ टाई-अप किया जा रहा है। ब्याज दर 10 से 12 फीसदी सालाना हो सकती है।
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