मंगलवार, 28 जुलाई 2015

महँगे रत्नोँ के स्थान पर आप कुछ वनस्पतियोँ की जड़ धारण कर वैसा ही लाभ उठा सकते हैँ।

अत्यधिक महँगे रत्नोँ के स्थान पर आप कुछ वनस्पतियोँ की जड़ धारण कर वैसा ही लाभ उठा सकते हैँ।
ये वनस्पतियाँ हजारोँ रूपयोँ के रत्नोँ की जगह मात्र 5 से 10 रूपये मेँ आप किसी पँसारी से खरीद सकते हैँ या यदि आप स्वयँ इन्हेँ पहचानते हैँ तो विधिपूर्वक इन्हे पेड़ से ले आयेँ।
रत्न वनस्पति जड़ी को धारण करने से पूर्व उसे पहले गंगाजल अथवा कच्चे दूध से स्नान करायें.उसके बाद एक लकड़ी के बाजोट पर जिस रंग का रत्न हो,
उसी रंग के कपडे का टुकडा एक प्लेट में बिछाकर रत्न को उस पर स्थापित करें.
शुद्ध घी का दीपक व धूप जलाकर रत्न के स्वामी ग्रह के मन्त्र का अधिकाधिक यथासंभव संख्या में या कम से कम 108 जप करने के बाद उस रत्न को उसी वस्त्र मेँ सिलकर तथा उसी रँग के धागे मेँ पिरोकर ताबीज़ के रूप मेँ गले या भुजा पर धारण करें।
सम्बन्धित रत्न का अधिष्ठाता ग्रह, रत्न वनस्पती जड़ी, रँग, उसका मन्त्र तथा उसे धारण करने के दिन तथा समय -
1. ग्रह- सूर्य
रत्न- माणिक्य,
वनस्पति- बिल्व/ बेल की जड़ ,
वस्त्र का रँग लाल,
रविवार,
पूजन व धारण समय - प्रातःकाल,
बीजमँत्र- ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रौँ सः सूर्याय नम:।
2. ग्रह चँद्र
रत्न - मोती,
वनस्पति - सफ़ेद खिरनी जी जड़,
सोमवार या पूर्णिमा ( रात्रि ) ,
प्रातःकाल,
सफ़ेद वस्त्र ,
मंत्र - ॐ श्राँ श्रीँ श्रौँ सः चँद्रमसे नम:।
3. ग्रह मंगल
रत्न - मूँगा,
वनस्पति - अनँतमूल या नागफनी की जड़ ,
लाल या केसरिया वस्त्र ,
मँगलवार,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ क्राँ क्रीँ क्रौँ सः भौमाय नम:।
4. ग्रह बुध
रत्न - पन्ना,
वनस्पति - विधारा की जड़ ,
हरा वस्त्र ,
बुधवार,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ ब्राँ ब्रीँ ब्रौँ सः बुधाय नम:।
5. ग्रह बृहस्पति
रत्न - पुखराज,
वनस्पति - केले की जड़ ,
गुरूवार,
पीलावस्त्र ,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ ग्राँ ग्रीँ ग्रौँ सः गुरुवे नम:।
6. ग्रह शुक्र
रत्न - हीरा,
वनस्पति - मजीठ या ऐरँड की जड़ ,
शुक्रवार,
चाँदी जैसा या सफेद वस्त्र ,
प्रातःकाल,
मंत्र - ॐ द्राँ द्रीँ द्रौँ सः शुक्राय नम:।
7. ग्रह शनि
रत्न - नीलम,
वनस्पति - धतूराकी जड़ या बिच्छूघास,
शनिवार,
नीला वस्त्र ,
सायँकाल,
मंत्र - ॐ प्राँ प्रीँ प्रौँ सः शनैश्चराय नमः।
8. ग्रह राहु
रत्न - गोमेद,
वनस्पति - सफेद चँदन या अश्वगँधा,
भूरा वस्त्र ,
गुरूवार,
सायँकाल,
मंत्र - ॐ भ्राँ भ्रीँ भ्रौँ सः राहुवे नम:।
9. ग्रह केतु
रत्न - लहसुनिया,
वनस्पति - कुश या बरगद की जड़ ,
सलेटी वस्त्र ,
गुरुवार,
सायँकाल,
मंत्र - ॐ स्त्राँ स्त्रीँ स्त्रौँ सः केतवे नम:।
वनस्पति के अलावा उपरत्न भी धारण किए जा सकते हैं -
भारतीय मान्यताओं के अनुसार 84 उपरत्न माने गए हैं , जिनके बारे मे अलग से पोस्ट करूंगा।
* सूर्य रत्न माणिक्य के स्थान पर लालड़ी, तामड़ा (गार्नेट) सूर्य कांतमणि ,लाल हकीक पहनने से आश्चर्यजनक प्रभाव होता है।
* चन्द्र रत्न मोती के स्थान पर मून स्टोन (चन्द्रकांतमणि) उपरत्न उपयोगी रहता है।
* मंगल रत्न मोती के स्थान पर लाल हकीक, लाल तमड़ा, कहस्आ या मूँगे की जड़ धारण कर सकते है।
* बुध रत्न पन्ना के स्थान पर पर ओनेक्स , ऐक्वामेरीन, हरे रंग का जर्कन पहनकर लाभ उठाया जा सकता है।
एक्वामरीन , पन्ना से भी अधिक लाभप्रद है ... मेरा अनुभव है।
* बुहस्पति रत्न पुखराज के स्थान पर गोल्डन टोपाज, पीले रंग की तुरमली , पीले रंग का जरकन पहना जा सकता है।
* शुक्र रत्न हीरा के स्थान पर सफेद तुरमली, सफेद जिरकन या स्फाटिक रत्न पहनना चाहिये।
रॉक स्फटिक की माला तथा नग धारण करना उत्तम है।
* नीलम के स्थन पर काला हकीक, कटैला, लाजवर्त रत्न पहने जा सकते है।
* प्रायः परिवार मे कन्याओ के विवाह मे विलम्ब मे चिंता बनी रहती है।
ऐसा होने पर विवाह योग्य कन्या को सवा पांच रत्ती का शुद्ध पुखराज रत्न सोने की अंगुठी मे पहनाना चाहिये,
तथा बुधवार को हरा चारा, हरी सब्जी साग, धनियां आदि गाय को खिलायें तथा गुरूवार को केले का पुजन तथा व्रत कराना चाहिये।
* जिन युवको के विवाह मे अकारण ही देरी हो रही हो उन्हें आधी रत्ती का हीरा पहनाना चाहिये तथा दुर्गा सप्तशती के ‘‘ पत्नी मनोरमाम देहि .... " मंत्र का 108 बार जप नित्य करना चाहिये इससे विवाह मे रूकावट दूर हो जायेगी।
* जो बच्चे पढ़ाई मे कमजोर है उन्हे हरे रंग की तुरमली चांदी की अंगुठी या नैकलेस मे पहनाने से बच्चे बहुत अच्छे नम्बरो से पास होगें।
* हद्वय रोग, रक्तचाप के रोगियो को मूनस्टोन (चंद्रकांतमणि) चांदी की अंगुठी मे पहनाने मे लाभन्वित करेगा।
* रुद्राक्ष माला पहनने से अकाल मृत्यु नही होती दुर्घटनाओं से रक्षा होती है।
भूत-प्रेत बाधा दूर होती है।
* हरा हकीक पहनने से पत्नी और पति में प्रेमभाव बढ़ता है।
दमा रोग के रोगियो के लिए बहुत लाभकारी है।
* गोल्डन टोपाज (सुनेहला) दिल की धड़कन गले की बीमारी बुखार, हैजा, हिस्टीरिया, मासिक धर्म सम्बधी कश्ट के लिये उपयोगी है।
* सफेद तुरमली पहनने से नपुंसकता का रोग समाप्त होता है।
* तुरमली अन्य प्रमुख रत्नो की तरह उतना लोकप्रिय नही है किन्तु इसके धारण करने से मानसिक शांति के अतिरिक्त जीवन मे आने वाली कठिनाइयो का समाधन तो होता ही है इसके साथ ही यह भौतिक तथ अन्य सभी सुखो को देने वाला है।
यह कभी बुरा फल नही देता।
व्यापारियो के लिये यह रत्न बहुत ही लाभदायक है।
* दाना फिरंग पहनने से गुर्दे का दर्द तथा गुर्दे की अन्य बीमारी की रोकथाम मे सहायता करता है।
* आकस्मिक आय जैसे शेयर , लॉटरी , जुआ, आदि खेलने वालो के लिये लहसुनिया रत्न धारण करना लाभकारी है।
* राजनीतिक क्षेत्र मे मान-सम्मान, प्रतिश्ठा, चुनाव मे विजय चाहने वालो को चांदी की अगुठी मे गोमेद अवश्य ही धारण करना चाहिये।
* फिरोजा रत्न चाँदी की अंगुठी मे पहनाना चाहिये।
स्वास्थ्य के लिये बहुत ही उत्तम है।
अनिष्ट की आशंका होने पर चटक जाता है या रंग बदलकर धारण करने वाले को इसकी पूर्व सुचना दे देता है।
* लाजवर्त रत्न पहनने से चर्म रोग, खून की खराबी, मिर्गी, मूर्छा, प्लीहा आदि रोग दुर होते है।
!! ॐ नमः शिवाय !!

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