ें पकायें फिर दूध डालकर एक-दो उबाल दे दें । उस खीर का सूर्यनारायण को भोग लगायें । सूर्यनारायण का स्मरण करें और खीर को देखत-देखते एक हजार बार ॐ कार का जप करें । फिर स्वयं भोग लगायें ।
जप के प्रारम्भ में यह विनियोग बोलें – ॐकार मंत्र, गायत्री छंदः, परमात्मा ऋषिः, अतर्यामी देवता, अंतर्यामी प्रीति अर्थे , परमात्मप्राप्ति अर्थे जपे विनियोगः । इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी, तेजस्विता बढ़ेगी तथा सात जन्मों की दरिद्रता दूर होकर सुख-सम्पदा की प्राप्ति होगी ।
- बोधायन ऋषि द्वारा प्रणीत
जप के प्रारम्भ में यह विनियोग बोलें – ॐकार मंत्र, गायत्री छंदः, परमात्मा ऋषिः, अतर्यामी देवता, अंतर्यामी प्रीति अर्थे , परमात्मप्राप्ति अर्थे जपे विनियोगः । इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी, तेजस्विता बढ़ेगी तथा सात जन्मों की दरिद्रता दूर होकर सुख-सम्पदा की प्राप्ति होगी ।
- बोधायन ऋषि द्वारा प्रणीत
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