मै अगर बौद्ध धर्म को अपनाना चांहू तो आप मुझे किस जाति का बौद्ध बनाओगे ॽॽॽ
● ऊँची जाति वाले सवर्ण बौद्ध ॽॽॽ
● सामान्य जाति के बौद्ध ॽॽॽ
या
● फिर नीच कुजात अछूत जाति के बौद्ध ॽॽॽ
बौद्ध में जाति-भेद नहीं होता ?
तो फिर ये
















क्या होते हैं ???
या फिर आप मुझे नीच, कुजात, अछूत, जाती का बौद्ध बनाओगे
--जैसे कि










यह तो बौद्ध धर्म की ऐसी अछूत जातियाँ हैं जिनका किसी भी बौद्ध मंदिर में प्रवेश तक वर्जित है तो बौद्ध भिक्षु बनना तो बहुत दूर की बात है। ? भगवान बुद्ध के जन्मदिन को
हम सब बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जानते हैं
भगवान बुद्ध को मानने वाले लोग बुद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार प्रारंभ करते ही हिन्दू धर्म के विरोध स्वरूप बौद्ध धर्म को खड़ा करने लगे
भगवान बुद्ध ने अपनी किसी भी उपदेशना में हिंदू धर्म के विरुद्ध ना तो कोई बात कही है और न ही उन्होंने हिंदू धर्म की किसी रीति या संस्कार की कोई बुराई की है
भगवान् बुद्ध ने तो सिर्फ यह कहा की दुनिया
में क़स्ट है और कष्टों का निराकरण होना है
उन्होंने कष्टों के निराकरण के लिए 4 आर्यसत्य बताए
पहला दुख---उनका कहना था संसार में दुख है दूसरा समुदय-- उनका कहना था की दुख का कारण है
तीसरा निरोध-- उनका कहना था की दुख के निवारण है
चौथा है मार्ग-- जो दुखों के निवारण के लिए अव्यंगिक मार्ग है
भगवान बुद्ध ने आर्य सत्य के निराकरण
के लिए अष्टांग मार्ग की बात की और उन्होंने
कहा कि
सम्यक दृष्टि
सम्यक संकल्प
सम्यक वाक
सम्यक कर्म
सम्यक जीविका
सम्यक प्रयास
सम्यक स्मृति
सम्यक समाधि
जिनके माध्यम से इन दुखों का निराकरण कर सकते हैं
भगवान बुद्ध ने स्वयंमोक्ष प्राप्त करने के लिए साधना के मार्ग को अपनाया और साधना के मार्ग में उन्होंने सनातन धर्म की कुछ संकल्पनाओं का प्रचार किया
जिसमें अग्निहोत्र,गायत्री मंत्र,ध्यान,अंतर्दृष्टि
मध्य मार्ग का अनुसरण करना प्रमुख हैं
लेकिन दुर्भाग्य रहा कि भगवान बुद्ध के बताए
हुए मार्ग पर चलने का दावा करने वाले उनके अनुयायी ने भगवान बुद्ध के मार्ग को हिन्दुओं के विरोध के स्वरूप समाज में स्थापित करने का प्रयास किया और जो लंबे समय तक चला तथा भगवा के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार किया गया जबकि स्वान बौद्धभिक्षु भगवा से मिलता जुलता ही वस्त्र पहनते हैं और खुद दलाईलामा जी जो बौद्ध धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु हैं और वह भगवान शिव की पूजा करते हुए दिखाई देते हैं लेकिन लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले बौद्ध धर्म के राजाओं ने बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म के विरुद्ध स्थापित किए जाने के लगातार प्रयास किए और सनातन संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया
आज़ादी के बाद जब बाबा साहेब अंबेडकर
ने बौद्ध धर्म को अपनाया तो उसके बाद एक नए प्रकार का बौद्ध धर्म को कुछ लोगों के द्वारा प्रचारित किया गया जिसमें जय भीम का नारा दिया गया जिसमें नीले वस्त्रों का और नीले झंडे का प्रयोग किया जाने लगा और दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि वो सारे के सारे लोग समाज के निचले तबके को बाबा साहब के नाम पर हिंदू धर्म के विरुद्ध भड़काने का काम करते रहे
मैं बौद्ध धर्म
के अपनाने वालों से एक बात पूछना चाहता हूँ कि भगवान बुद्ध ने अपनी किसी भी उपदेशना में हिंदू धर्म के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई बात कही हो तो उसे लोगों के सामने लाना चाहिए और मैं विश्वास के साथ ही यह कहता हूँ भगवान बुद्ध ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही
इसीलिए भगवान बुद्ध का उल्लेख
8 पुराणों में वर्णित है जिसमें उन्हें भगवान
विष्णु का नौंवा अवतार माना गया
वो पुराण है
हरिवंश पर्व
विष्णु पुराण
भागवत पुराण
गरुड़ पुराण
अग्नि पुराण
नारदीय पुराण
लिंग पुराण और पद्मपुराण
भगवान बुद्ध
जो अग्निहोत्र को मानते है
जो गायत्री मंत्र को मानते है
जो साधना के मार्ग से मोक्ष प्राप्त करने की बात
करते है वह हमारे हैं
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