ॐ नमः शिवाय ... मित्रों !!
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ हो ....
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ हो ....
प्रकृति को नदी मान लिया जाये ...
यदि हम नदी के बहाव के साथ तैरते हैं , तो कम समय और कम ऊर्जा खर्च किए अधिक दूरी तय कर लेंगे ,
और यदि , नदी के बहाव की विपरीत दिशा मे तैरेंगे तो समय अधिक लगेगा , ऊर्जा अधिक खर्च होगी और दूरी भी कम तय होगी ।
यदि हम नदी के बहाव के साथ तैरते हैं , तो कम समय और कम ऊर्जा खर्च किए अधिक दूरी तय कर लेंगे ,
और यदि , नदी के बहाव की विपरीत दिशा मे तैरेंगे तो समय अधिक लगेगा , ऊर्जा अधिक खर्च होगी और दूरी भी कम तय होगी ।
" वास्तु " भी एक प्रकार से प्रकृति रूपी नदी ही है ,
वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है।
वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है।
इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं।
वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है।
वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है।
इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि जब हमारे मित्र ग्रह बलवान होते हैं , तब दोषपूर्ण घर भी अनर्थ नहीं कर पाता ,
किन्तु जब शत्रु ग्रह बलवान होते हैं तब सबसे बड़ा शत्रु हमारा दोषयुक्त घर होता है , क्यूंकि हम कम से कम 12 घंटे उसी दोषयुक्त घर मे बिताते हैं।
किन्तु जब शत्रु ग्रह बलवान होते हैं तब सबसे बड़ा शत्रु हमारा दोषयुक्त घर होता है , क्यूंकि हम कम से कम 12 घंटे उसी दोषयुक्त घर मे बिताते हैं।
इसलिए कभी भी भवन का निर्माण वास्तु अनुरूप ही करवाना श्रेयस्कर है ,
यदि भवन निर्माण हो चुका है , और उसमे वास्तु दोष है तो आप इस यंत्र - विधान द्वारा अपने भवन को दोषमुक्त कर सकते हैं -
यदि भवन निर्माण हो चुका है , और उसमे वास्तु दोष है तो आप इस यंत्र - विधान द्वारा अपने भवन को दोषमुक्त कर सकते हैं -
वास्तु दोष निवारक यंत्र -
यदि आप पूजा पाठ या मंत्र जप करने मे स्वयं को असक्षम समझते हैं तो बिना तोड़ फोड़ किए इस वास्तु महायन्त्र से अपने घर / दुकान / कार्यालय को दोष मुक्त कर सकते हैं।
यदि आप पूजा पाठ या मंत्र जप करने मे स्वयं को असक्षम समझते हैं तो बिना तोड़ फोड़ किए इस वास्तु महायन्त्र से अपने घर / दुकान / कार्यालय को दोष मुक्त कर सकते हैं।
किसी साफ सफ़ेद कागज पर ,
भोजपत्र पर ,
तांबे , चांदी या अष्टधातु से बनी प्लेट पर , बनवा लीजिये।
किसी योग्य पंडित से शुभ मुहूर्त मे इस यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवायें ,
पंचामृत से यंत्र को स्नान करायें ,
पंचोचार पूजन कर गंगाजल के छीटें मारते हुये 21 बार इस मंत्र का पाठ करें –
“ ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाये नमः ! “
भोजपत्र पर ,
तांबे , चांदी या अष्टधातु से बनी प्लेट पर , बनवा लीजिये।
किसी योग्य पंडित से शुभ मुहूर्त मे इस यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवायें ,
पंचामृत से यंत्र को स्नान करायें ,
पंचोचार पूजन कर गंगाजल के छीटें मारते हुये 21 बार इस मंत्र का पाठ करें –
“ ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाये नमः ! “
इसके बाद यंत्र को पीले या भगवे रंग के कपड़े मे लपेटकर अपने घर / दुकान / कार्यालय के पूजाघर मे स्थापित करें।
ध्यान रहे ... यंत्र की नित्य पूजा अर्चना होती रहनी चाहिये ,
इस विधान से भवन का वास्तुदोष , एक बार मे ही समाप्त हो जाता है।
ध्यान रहे ... यंत्र की नित्य पूजा अर्चना होती रहनी चाहिये ,
इस विधान से भवन का वास्तुदोष , एक बार मे ही समाप्त हो जाता है।
!! ॐ नमः शिवाय !!
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