अब बात करते है केतू देव की लाल किताब टेवे मे केतू देव की भूमिका हम बहुत माइने रखती है यानी किसी भी जातक को मान समांन यश केतू देव ही देते है इनको मोक्ष का भी दाता बोला जाता है । इन्सान कोई भी काम करे उसमे केतू देव की भूमिका का होना बहुत जरूरी है । एक बात है यदि केतू देव जनम से ही अछे फल मे हो तो जातक 19-24 उम्र तक काफी नाम कमा लेता है और धन भी । इसपे आगे बात करेगें अब इनके खराबी के लक्षण कैसे जाने
कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर चर्म रोग, मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, जोड़ों का रोग या मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है। संतान को पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।
अब उपाय
तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे।
कान छिदवाएँ। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में डाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे। इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ कें केतवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है। अपने खाने में से कुत्ते,कौव्वे को हिस्सा दें। तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिओं को बाजरा दे। चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व्यपूर्ण है।
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