ज्ञान की बातें.....
१. घर में कुछ देर भजन अवश्य लगाएं।
२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर न लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरें अन्यथा घर में लाभ में कमी हो जाती है, झाड़ू हमेशा छुपाकर रखें।
३. बिस्तर पर बैठकर भोजन न करें, इससे दुःस्वप्न आते हैं।
४. घर में जूते चप्पल इधर-उधर बिखेरकर या उल्टे करके नहीं रखने चाहिए, इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठकर करनी चाहिए। पूजा का आसन जूट अथवा कुश का हो तो उत्तम है।
६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है।
७. पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें, जो जितना संभव हो, ईशान कोण के हिस्से में हो।
८. आरती, दीप, पूजा, अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवनकुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में।
१०. घर के मुख्यद्वार पर दांयी तरफ स्वास्तिक बनाएं।
११. घर में कभी भी जाले न लगने दें अन्यथा भाग्य व कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है।
१२. सप्ताह में एक बार अवश्य समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोंछा लगाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है।
१३. कोशिश करें कि सुबह के प्रकाश की किरणें सबसे पहले आपके पूजाघर तक जरूर पहुंचे।
१४. पूजाघर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ति है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करें।
90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज
नहीं रहना चाहिए।
अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेंगे ।
- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1
घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
- 80 रोग चाय पीने से होते हैं ।
- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।
- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द
हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल
पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम
हो जाती है और
शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से
आँखें कमजोर हो जाती हैं।
- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़
की हड्डी को हानि होती है।
- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप
(ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय
(टीबी) होने का डर रहता है।
- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है
मलेरिया नहीं होता है।
- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी,
पुदीना, मौसमी,
सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज
औशधियां हैं।
- भोजन के पश्चात् गुड़ या सौंफ खाने से पाचन
अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
- मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर
होती है।
- जल सदैव ताजा(चापाकल, कुएं
आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज)
पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
- नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के
रोग) तथा हैजा से बचाता है।
- फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल
नहीं पीना चाहिए।
- भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए। उसके
पश्चात्
उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं
के खाने लायक भी नहीं रहता है।। - मिट्टी के बर्तन में
भोजन पकाने से पोशकता 100% कांसे के बर्तन में 97%
पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर
कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
- गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा,
मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग
करना चाहिए।
- खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेश्ठ होता है उसके बाद
काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान
होता है।
- सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल
ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए । रिफाइंड
तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
- पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से
आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
- खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
- चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20
मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है।
- मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी(कच्ची)
चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर
होता है।
-बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
- टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर
दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे।
(आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
१. घर में कुछ देर भजन अवश्य लगाएं।
२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर न लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरें अन्यथा घर में लाभ में कमी हो जाती है, झाड़ू हमेशा छुपाकर रखें।
३. बिस्तर पर बैठकर भोजन न करें, इससे दुःस्वप्न आते हैं।
४. घर में जूते चप्पल इधर-उधर बिखेरकर या उल्टे करके नहीं रखने चाहिए, इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठकर करनी चाहिए। पूजा का आसन जूट अथवा कुश का हो तो उत्तम है।
६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है।
७. पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें, जो जितना संभव हो, ईशान कोण के हिस्से में हो।
८. आरती, दीप, पूजा, अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवनकुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में।
१०. घर के मुख्यद्वार पर दांयी तरफ स्वास्तिक बनाएं।
११. घर में कभी भी जाले न लगने दें अन्यथा भाग्य व कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है।
१२. सप्ताह में एक बार अवश्य समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोंछा लगाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है।
१३. कोशिश करें कि सुबह के प्रकाश की किरणें सबसे पहले आपके पूजाघर तक जरूर पहुंचे।
१४. पूजाघर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ति है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करें।
90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज
नहीं रहना चाहिए।
अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेंगे ।
- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1
घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
- 80 रोग चाय पीने से होते हैं ।
- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।
- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द
हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल
पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम
हो जाती है और
शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से
आँखें कमजोर हो जाती हैं।
- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़
की हड्डी को हानि होती है।
- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप
(ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय
(टीबी) होने का डर रहता है।
- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है
मलेरिया नहीं होता है।
- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी,
पुदीना, मौसमी,
सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज
औशधियां हैं।
- भोजन के पश्चात् गुड़ या सौंफ खाने से पाचन
अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
- मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर
होती है।
- जल सदैव ताजा(चापाकल, कुएं
आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज)
पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
- नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के
रोग) तथा हैजा से बचाता है।
- फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल
नहीं पीना चाहिए।
- भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए। उसके
पश्चात्
उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं
के खाने लायक भी नहीं रहता है।। - मिट्टी के बर्तन में
भोजन पकाने से पोशकता 100% कांसे के बर्तन में 97%
पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर
कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
- गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा,
मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग
करना चाहिए।
- खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेश्ठ होता है उसके बाद
काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान
होता है।
- सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल
ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए । रिफाइंड
तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
- पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से
आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
- खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
- चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20
मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है।
- मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी(कच्ची)
चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर
होता है।
-बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
- टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर
दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे।
(आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
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जवाब देंहटाएंअच्छा जानकारी धन्यवाद
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