शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

आर्य


26 अक्टूबर को 4:58 PM पर 
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8 दिसंबर 2021 
एक आर्य ने कक्षा 6 से 12 NCERT की हिस्ट्री बुक्स के अध्ययन का निश्चय किया और उसने पाया कि लगभग 110 बातें ऐसी हैं जो संदिग्ध हैं। जैसे कक्षा 6, सामाजिक विज्ञान के पृष्ठ 46 पर ऋग्वेद के आधार पर आर्यों के बारे में लिखा है कि "आर्यों द्वारा कुछ लड़ाइयां मवेशी और जलस्रोतों की प्राप्ति के लिए लड़ी जाती थी। कुछ लड़ाइयां मनुष्यों को बंदी बनाकर बेचने खरीदने के लिए भी लड़ी जाती थी।"
स्पष्ट है कि किताब लिखने वाला यह साबित करना चाहता है कि आदिकाल-आर्यकाल में भी गुलाम प्रथा थी और मनुष्यों को खरीदने बेचने की जो बातें पुराण, बाइबल और कुरान में हैं, वे कोई नई नहीं है, बल्कि वैसा ही अमानवीय व्यवहार आर्यकाल में भी होता था।
ऐसे ही NCERT आगे लिखती है "युद्ध में जीते गये धन का एक बड़ा हिस्सा सरदार और पुरोहित रख लेते थे, शेष जनता में बांट दिया जाता था।" यहां भी मुहम्मदी फतवों को जस्टिफाई करने की भूमिका बनाई गई है।
मांसाहार, हिंसा को जायज सिद्ध करने की मंशा से एक जगह लिखा है "पुरोहित यज्ञ करते थे और अग्नि में घी अन्न के साथ कभी कभी जानवरों की भी आहुति दी जाती थी।"
आगे पृष्ठ 60 पर लिखा है "खेती की कमरतोड़ मेहनत के लिए दास और दासी को उपयोग में लाया जाता था।"
तब उस आर्य ने पहले तो स्वयं अध्ययन किया, सत्यार्थ प्रकाश, वेद भाष्य, मेगस्थनीज की इंडिका आदि के आधार पर यह सिद्ध हुआ कि ये सब मनगढ़ंत लिखा जा रहा है, उसने NCERT में आरटीआई डाली कि इन बातों का आधार क्या है? आप हिस्ट्री लिख रहे हैं, रेफरेंस कहाँ हैं? ऋग्वेद की सम्बंधित ऋचाएं, अनुवाद बताया जाए और यदि नहीं है तो खंडन या सुधार किया जाए।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि NCERT ने सभी 110 प्रश्नों का एक ही जवाब दिया कि हमारे पास इसका कोई प्रूफ नहीं है। इसके अलावा जवाब टालने और लटकाने का रवैया रखा। कई वर्ष ऐसे ही बीत गए। हारकर आर्यजी पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में गये कि NCERT हमें इनका जवाब नहीं दे रही। कोर्ट ने पिटीशन स्वीकार कर लिया और NCERT को जवाब देने के लिए कहा। तब NCERT ने कहा कि हमारी सभी पुस्तकों का लेखन जेएनयू के हिस्ट्री के प्रोफेसरज़ ने किया है और हमने उन्हें जवाब के लिए कह दिया है।
लगभग एक वर्ष बाद जेएनयू के बुद्धिजीवियों ने जवाब दिया कि हमने इन बातों के लिए ऋग्वेद के अनुवाद का सहारा लिया है।
ऋग्वेद में #इंद्र को एक यौद्धा बताया गया है और उसमें आये #नरजित शब्द से यह साबित होता है कि वे लूटपाट करते थे और मनुष्यों को गुलाम बनाते थे तथा अश्वमेध से यज्ञ में पशुबलि सिद्ध होती है।
इस पर आर्यजी ने आर्यसमाज के आचार्यों को वे मंत्र बताए कि क्या इनका यही अर्थ होता है जो जेएनयू के बुद्धिजीवी प्रोफेसरज़ ने किया है?
अष्टाध्यायी पाणिनी संस्कृत के विद्वानों ने एक स्वर में कहा कि जेएनयू वालों का अर्थ मनमाना, कहीं कहीं तो मूल तथ्य से बिल्कुल उलटा है।
इस पर कोर्ट ने इन्हें पूछा कि क्या आप संस्कृत जानते हैं? आपने यह अनुवाद कहाँ से उठाया?
तो जेएनयू के कथित इतिहासकारों ने कहा कि वे संस्कृत का #स भी नहीं जानते, उन्होंने एक अंग्रेज लेखक के ऋग्वेद के अनुवाद का इस्तेमाल किया है।
कोर्ट - "फिर भी आपने लिखा है कि लूट के माल को ब्राह्मण आदि आपस में बांट लेते थे, उसका आधार क्या है? और पशुबलि कैसे सिद्ध हुई?"
जेएनयू Students & Teachers -"चूंकि ऋग्वेद में अग्नि का वर्णन है और अग्नि को पुरोहित कहा गया है तो इसका अर्थ यही है कि जो जो अग्नि को समर्पित किया जा रहा है मतलब पुरोहित आपस में बांट रहे हैं। और अश्वमेध शब्द से घोड़े की बलि सिद्ध हुई"
जज ने JNUST से कहा कि #Ladyfinger का मतलब बताओ। रसीद कुमार उतावलेपन में बोला #महिला_की_उंगली! यह सुनकर कोर्ट रूम में ठहाके शुरू हो गये और जज ने माथा पकड़ लिया! सब समझ चुके थे सालभर में 500 करोड़ और पिछले 50 वर्षों में आर्य संस्कृति को डकारने वाले कम्यूनिस्ट बुद्धिजीवी नहीं परजीवी हैं!
पर कम्यूनिस्ट जेएनयू और NCERT के इन तर्कों पर माथा पीटने के सिवाय कोई चारा नहीं है और वे शायद यही चाहते भी हैं कि आर्यसमाजी माथा पीटते रहें!!
NCERT आगे कक्षा 11की हिस्ट्री में लिखती हैं "गुलामी प्रथा यूरोप की एक सच्चाई थी और ईसा की चतुर्थ शताब्दी में जबकि रोमन साम्राज्य का राजधर्म भी ईसाई था, गुलामों के सुधार पर #कुछ_खास_नहीं_कर_सका
यहां ncert के लिखने के तरीके से छात्र यह समझते होंगे कि ईसाई गुलामी के खिलाफ हैं। जबकि सच्चाई यह है कि एक चौथाई बाइबल इन्हीं बातों से भरी हुई है कि गुलाम कैसे बनाने हैं, उनके साथ कैसे यौन व्यवहार करना है, उन्हें कब कब मार सकते हैं, वगैरह वगैरह।
सच्चाई जगजाहिर है कि NCERT के 2006 के पाठ्यक्रम का एक मात्र उद्देश्य था आर्यों, वेद, धर्म को जबरदस्ती बदनाम करना, यानि जो नहीं है उसे भी हिंदुओं से जोड़कर प्रस्तुत करना और ईसाइयों की बुराइयों पर पर्दा डालकर भारत में उसके प्रचार के अनुकूल वातावरण बनाना।
2006 में आर्यावर्त्त की दुश्मन विदेश प्रेमी मंडली ने पूरी साजिश कर उक्त पाठ्यक्रम की रचना की थी और आज विगत 16 वर्ष से वही पुस्तकें चल रही हैं, एक अक्षर तक नहीं बदला गया। वैसे इसकी असल शुरुआत #जवाहरलाल_नेहरू JLN ने #भारत_एक_खोज में आर्यसमाजियों को विदेशी बताकर की थी जबकि आर्य का अर्थ श्रेष्ठ होता है और कोई भी आर्य बनकर और आर्यावर्त्त हेतु #संगठन_संकल्प धारण कर #आर्यसमाजी बन सकता है।
और हां, NCERT से #भिड़ने_वाले_आर्यजी आर्य प्रशिक्षण सत्र की आर्यावर्त्त को महान देन हैं। वे यूट्यूब आदि सोशल मिडिया पर हैं। पर नाम मत पूछना क्योंकि आर्य नाम नहीं धर्मार्थ काम चाहता है। और हाँ! आर्यजी जैसा बनना चाहते हो तो #पण्डित_परमदेव_मीमांसकजी की #आर्यसमाज_को_अनुपम_देन राष्ट्रीय आर्य #निर्मात्री सभा के आर्य प्रशिक्षण सत्र में एक बार अवश्य जाना और वहां पूरे दो दिन रहना, अंधकार से, अविद्या से, गुलामी से, पाखण्ड से, मृत्यु से #भिड़ने_वाला_आर्य बनना। सृष्टि के आदि ग्रन्थ में ईश्वर ने आशीर्वाद दिया है - #तुम्हारी_जीत_निश्चित_है

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