गुरुवार, 10 नवंबर 2022

बाबा नानक से जुड़ी कहानी

 तो एक दिन बालक मूलशंकर ने देखा कि भगवान की मूर्ति के सामने रखे प्रसाद को एक चूहा खा रहा है। तो उन्होंने प्रसाद खाते चूहे को देखकर ये निष्कर्ष निकाला कि जो भगवान अपने प्रसाद की रक्षा नहीं कर सकता वो हमारी क्या करेगा फिर उन्होंने बड़े होकर मूर्ति पूजा को पाखंड बताते हुए एक किताब लिखी सत्यार्थ प्रकाश और Guess What एक दिन चूहा उनकी किताब भी कुतर गया। तो क्या हमें इससे ये निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि किताब बकवास है क्योंकि चूहा खा गए। चूहा तो प्रसाद भी खा सकता है और किताब भी। उसे आपका अध्यात्म और तर्क दोनों ही समझ नहीं आते। अब मैं सोचता हूं ये कितनी बकवास कहानी थी जो बचपन में हमें पढ़ाई जाती थी।

बिल्कुल ऐसी ही बात बीबीसी ने लिखी है कि गुरु नानक देव जी ने बचपन में जनेऊ को पाखंड बताते हुए जनेऊ पहनने से मना कर दिया। जिस पर इन भाई साहब का कहना है कि गुरू नानक जी पंडित से कहा वो मुझे वो जनेऊ पहनाओं जो "जो दया रूपी कपास, संतोष रूपी सूत, जत रूपी गांठ और सत्य रूपी लपेटे का बना हो।"
इसपर जब मैंने इनसे पूछा कि क्या ऐसे किसी कपड़े का पग मिल सकता है अगर मैं पहनना चाहूं तो उन्होंने मना कर दिया। अब तीन धागों का जनेऊ पहनना पाखंड है लेकिन तीन मीटर का पग पहनना पाखंड नहीं है।
आप जैसे मूर्ति का अंधविश्वास कह सकते हैं, जनेऊ को पाखंड बता सकते हैं। ऐसे पग को नहीं कह सकते और आपको कहना भी नहीं चाहिए। क्या बीबीसी किसी और धर्म के धार्मिक प्रतीक को ऐसे अंधविश्वास बताते हुए स्टोरी कर सकता है या उसे करनी चाहिए।
खैर, सोचिए जब 11 साल के नानक जी ने जनेऊ पहनने से मना किया तो पुजारी ने क्या किया वो उनके बालमन में उपजे सवालों से प्रभावित हुआ और उनका बिना जनेऊ संस्कार किए वहां से चला गया। ये ही भारत है हम सवाल उठाते नानक भी हैं और उस हम उस सवाल का सम्मान करते पुजारी भी।
वरना हमने पढ़ा है अनलहक कहने पर मंसूर का क्या हाल किया गया था। अहमदियां क्यों जान बचाए - बचाए फिरते हैं और कैसे मंदिर नाम रखे गुरुद्वारों में भगवान की मूर्तियां उतार दी गईं।
राम जी की चीड़िया, राम जी का खेत
खा लो चीड़िया भर भर पेट
बाबा नानक से जुड़ी वो कहानी जो मां बचपन में सुनाती थी।

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