शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

विश्व_का_सबसे_बड़ा_हिंदू_मंदिर

 #विश्व_का_सबसे_बड़ा_हिंदू_मंदिर

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सात अजूबे एक तरफ और इस मंदिर की वास्तुकला एक तरफ
दुनिया के जितने भी बड़े बड़े इतिहासकारक हैं आर्कियोलॉजिस्ट है आर्किटेक्चर हैं बड़े-बड़े बड़े शोधकर्ता हैं
डिस्कवरी चैनल से लेकर हिस्ट्री चैनल तक के शोधकर्ता इस मंदिर की वास्तुकला के सामने नतमस्तक है घूम फिर कर सवाल एक ही आता है हजार साल पहले आखिर यह कैसे संभव हुआ ?
जब बाकी दुनिया अपने आप को निर्माण की ओर आगे बढ़ा रही थी या उसके बारे में सोच रही थी, तब इस अद्भुत मंदिर का निर्माण किया जा रहा था, वह भी इतना विशालतम और सटीकता के साथ जो आज भी वास्तुकला का एक नायाब उदाहरण बना हुआ है पूरे विश्व के लिए
जो काम आज अच्छी-अच्छी मशीनरी नहीं कर पा रही है वह काम सनातन संस्कृति की शिल्प कला और वास्तुकला ने हजारों साल पहले कर दिए
आप किसी भी सनातन संस्कृति की धरोहर के निर्माण को जब ध्यान पूर्वक देखेंगे तब आपको सनातन संस्कृति की शिल्पकला और वास्तुकला की महानता समझ में आयेगी
अंकोरवाट कंबोडिया स्थित मंदिर की वास्तु कला और शिल्प कला को देखें
इस मंदिर का नाम #अंकोरवाट है, जो #कंबोडिया में स्थित है।
यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम 'यशोधरपुर' था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (१११२-५३ई.) के शासनकाल में हुआ था।
यह विष्णु मन्दिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिव मंदिरों का निर्माण किया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को १९८३ से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है।

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