रविवार, 15 मार्च 2015

जैविक खेती से सुधारी आर्थिकी

जैविक खेती से सुधारी आर्थिकी
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विकासनगर: एक सब्जी विक्रेता पौन बीघा जमीन छह हजार रुपये सालाना ठेके पर लेकर करीब एक लाख रुपये वार्षिक मुनाफा कमा रहा है। यह सब उसने जैविक खेती के सहारे हासिल किया।
नवाबगढ़ के आलम पुत्र अब्दुल हसन ने फिलहाल पौन बीघा जमीन घर के पास ही छह हजार रुपये सालाना पर ले रखी है। जमीन में नीचे भिंडी की फसल है, तार जाल बनाकर ऊपर तोरी की बेल चढ़ाई है, जमीन के किनारे किनारे मक्का उगाई जा रही है। जैविक सब्जियों के उत्पादन के लिए उसने उद्यान विभाग से अनुदान पर वर्मी कंपोस्ट लिया। इससे पहले उसने इसी जमीन में खीरे, टमाटर व लौकी की फसल उगाई। उसने बताया कि भले ही जमीन कम हो, लेकिन यदि मेहनत और लगन से जैविक सब्जियां उगाई जाएं, तो बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है।
खेत के पास ही डाकपत्थर रोड पर वह खुद ही जैविक सब्जियां बेचता है। साल भर में सारे खर्चे निकालकर वह करीब एक लाख रुपये की पैदावार करता है। उसने बताया नीचे लगी सब्जियों के ऊपर ताल जाल के सहारे चढ़ाई गई तोरी व लौकी की बेल से नीचे का वातावरण पालीहाउस जैसा हो जाता है, जिससे तीनों फसलें बेहतर उत्पादन देती है।


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