केतू देव को साइलेंट किलर बोला जाता है ठीक बुध भी वैसे ही है अधिकतर इनपर कोई विशेस रूचि नी लेते कोई शनी कोई राहू या मगंल को अधिक दोष दे बैठते है । केतू तब चोट मारता है जब उसे अपने फल देने की बारी आती है यानी जबतक सब ठीक है तो वो चुप रहता है जैसे ही अधिक मुसीबत आयी वो साथ छोड देगा या ऐसी चोट मारेगा की जातक उभर नी पाता। यदि केतू 11 वे भाव मे और 12 भाव मे हो तो यहा केतू अछा माना जाता है सब ऐ सोच के चुप हो जाते है कि उच का है लेकिन यहाँ ऐ भारी चोट मारता है जातक को धीरे धीरे उसके मान समांन से दूर ले जाता है वो बिना कुछ किऐ बदनमी दे जाता है वो कितना भी अछा कर ले कोई फाइदा नि होता बहुत से केस मे सुसाइड दे जाता है या एकसीडेंट देगा तो चोट सर पर लगती है बाकी शरीर पे खरोच भी नी और 5वे या 6 मे होगा तो कमर मे चोट या पीडा का शिकार बना देता है। और यदि यहाँ अछा है तो जातक को अकेले ही सबकुछ दे जाता है ।
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