गोमती चक्र के प्रयोग
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१॰ यदि इस गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में घर में रखे, तो घर में सुख-शान्ति बनी रहती है ।
२॰ यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो, तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर से घुमाकर आग में डाल दे, तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है ।
३॰ यदि घर में बिमारी हो या किसी का रोग शान्त नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चाँदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बाँध दें, तो उसी दिन से रोगी का रोग समाप्त होने लगता है ।
४॰ व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बाँधकर ऊपर चौखट पर लटका दें, और ग्राहक उसके नीचे से निकले, तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है ।
५॰ प्रमोशन नहीं हो रहा हो, तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मन्दिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें, और सच्चे मन से प्रार्थना करें । निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जायेंगे ।
६॰ पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में “हलूं बलजाद” कहकर फेंक दें, मतभेद समाप्त हो जायेगा ।
७॰ पुत्र प्राप्ति के लिए पाँच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में “हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुं ” पाँच बार बोलकर विसर्जित करें ।
८॰ यदि बार-बार गर्भ नष्ट हो रहा हो, तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बाँधकर कमर में बाँध दें ।
९॰ यदि शत्रु अधिक हो तथा परेशान कर रहे हो, तो तीन गोमती चक्र लेकर उन पर शत्रु का नाम लिखकर जमीन में गाड़ दें ।
१०॰ कोर्ट-कचहरी में सफलता पाने के लिये, कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर जावें ।
११॰ भाग्योदय के लिए तीन गोमती चक्र का चूर्ण बनाकर घर के बाहर छिड़क दें ।
१२॰ राज्य-सम्मान-प्राप्ति के लिये दो गोमती चक्र किसी ब्राह्मण को दान में दें ।
१३॰ तांत्रिक प्रभाव की निवृत्ति के लिये बुधवार को चार गोमती चक्र अपने सिर के ऊपर से उबार कर चारों दिशाओं में फेंक दें ।
१४॰ चाँदी में जड़वाकर बच्चे के गले में पहना देने से बच्चे को नजर नहीं लगती तथा बच्चा स्वस्थ बना रहता है ।
१५॰ दीपावली के दिन पाँच गोमती चक्र पूजा-घर में स्थापित कर नित्य उनका पूजन करने से निरन्तर उन्नति होती रहती है ।
१६॰ रोग-शमन तथा स्वास्थ्य-प्राप्ति हेतु सात गोमती चक्र अपने ऊपर से उतार कर किसी ब्राह्मण या फकीर को दें ।
१७॰ 11 गोमती चक्रों को लाल पोटली में बाँधकर तिजोरी में अथवा किसी सुरक्षित स्थान पर सख दें, तो व्यापार उन्नति करता जायेगा .......
परेशानी जीवन का दूसरा नाम है। मनुष्य के जीवन में आए दिन परेशानियां आती रहती है। कुछ समस्याएं तुरंत हल हो जाती हैं तो कुछ लंबे समय तक कष्ट देती हैं। कुछ साधारण तांत्रिक उपाय कर इन परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। गोमती चक्र के कुछ साधारण तांत्रिक उपाय नीचे लिखे हैं इन्हें करने से अनेक परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। गोमती चक्र एक ऐसा पत्थर है तो गोमती नदी में मिलता है। इसका उपयोग तंत्र क्रियाओं में विशेष तौर पर किया जाता है।
उपाय
1- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उन्हें एक कपड़े में बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।
२- पुत्र प्राप्ति के लिए पांच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुक पांच बोलकर विसर्जित करें, पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
3- पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दूर हो जाते हैं।
4- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।
5- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।
6- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे।
मनोकामना पूर्ति में सहायक हें–गोमती चक्र
लक्ष्मी-साधक गोमती चक्र से भली-भाँति परिचित हैं। गोमती चक्र समुद्र प्रदत्त दुर्लभ एंव चामत्कारिक तंत्रोक्त वस्तु है गोमती चक्र के प्रयोग अन्य तंत्रोक्त साधनाओं एंव प्रयोगों की भाँति कठिन अथवा दुष्कर नहीं हैं। बड़े ही सरल, किन्तु प्रभावकारी प्रयोग गोमतीचक्र के होते है। पाठको के हित के लिए दीपावली एंव अन्य शुभ मुहूर्तो में किए जा सकने वाले लाभकारी गोमतीचक्र-प्रयोगों में संे कुछ प्रयोगों का वर्णन प्रस्तुत लेख में किया गया है। 1. दीपवाली के दिन ग्यारह गोमतीचक्रों को लक्ष्मीपूजन में प्रयुक्त जल से सिक्त करें और यमद्वितीया के दिन दोपहर 11ः48 से 12ः12 के मध्य उन पर सिन्दूर लगाएँ। उसके बाद उन्हें लाल
कपडे में बाँधकर अपनी दुकान, शोरूम, आॅफिस, फैक्टी अथवा व्यवसाय स्थल के मुख्य द्वार की चैखट अथवा मुख्यद्वार के निकट अन्य गुप्त स्थान पर बाँध दें। ऐसा करने से व्यापार में अपूर्व वृद्धि
होती है। 2. दीपवाली के दिन महालक्ष्मी पूजन के समय आठ गोमतीचक्र, आठ कौड़ी एंव आठ लाल गुंजा साथ लेकर उनका पुजन करें। उन्हें दक्षिणावर्ती शंख में थोड़े से चावल डालकर स्थापित कर दें।
रात्रि में ही उन्हें लाल कपडे में बाँधकर धर अथवा व्यवसाय स्थल की तिजौरी में स्थापित कर दें। यह प्रयोग आपकी आय में वृद्धि के लिए है। 3. शत्रुओं से परेशानी का अनुभव कर रहें हों, तो दीपावली की रात्रि में बारह बजे के पश्चात् छह गोमती चक्र लेकर शत्रु का नाम लेते हुए उस पर लाल सिन्दूर लगाएँ और किसी एकांत स्थान पर जाकर गाड़ दें। गाडना ऐसे चाहिए कि वे पुनः निकालें नहीं। ऐसा करने से शत्रु बाधा में शीघ्र ही कमी होगी।
4. महानिशा में माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए एक गोमती चक्र एंव दो कौडी एक लाल कपड़े में बाँधकर गर्भवती महिला की कमर में बाँध दें। ऐसा करने से गर्भ गिरने की आशंका नहीं रहती है। 5. यदि आप गृह क्लेश से पीडित है और आपकी सुख शांति दूर हो गई है, तो आपको दीपावली के दिन महालक्ष्मी पूजन के
पश्चात दो गोमती चक्र लेकर एक डिब्बी में पहले सिन्दूर रखकर उसके ऊपर रख देना चाहिए और उस डिब्बी को किसी एकांत स्थान पर रख दें। यह प्रयोग घर में किसी अन्य सदस्य को भी नहीं बताएँ, ऐसा करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी। 6. यदि बीमार ठीक नहीं हो पा रहा हो अथवा दवाइयाँ नही
लग रही हों, तो उसके सिरहाने पाँच गोमती चक्र मंत्र से अभिमंत्रित करके रखें। ऐसा करने से रोगी को शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ होगा। गोमती चक्र को लाल वस्त्र में बाँधकर यदि दूकान की चैखट पर बाँध दिया जाए, तो इससे व्यवसाय में वृद्धि होती हैं। साथ ही व्यवसाय में बाधा के लिए किए गए अभिचार कर्म भी सफल
नहीं हो पाते। 8. यदि गोमती चक्र को लकड़ी की डिब्बी में पीले सिंदूर के साथ रख दिया जाए, तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलने लगती है। यदि धनागम के सभी मार्ग अवरूद्ध हो रहे हों तों वह
प्रयोग करने से शीघ्र ही धन लाभ प्रराम्भ हो जाता है। 9. यदि किसी व्यक्ति से कोई कार्य सिद्ध करवाना हो, तो उस व्यक्ति के ऊपर से गोमती चक्र पाँच बार बहते हुए जल में डाल दें। 10. यदि किसी व्यक्ति का मन उखडा-उखडा रहता हो, किसी काम में मन नही लगता हो, विधार्थियों को शिक्षा में एकाग्रता न मिल रही हो, तो गोमती चक्र को सात बार अपने सिर पर फिराकर खुद ही अपने पीछें फेंक देना चाहिए। यह प्रयोग एकांत स्थान पर करना चाहिए तथा प्रयोग के बाद किसी से इनका जिक्र नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को दिया हुआ धन वापस नही मिल रहा हो, तो उस व्यक्ति का नाम लेकर मन ही मन धनप्राप्ति की कामना करते हुए गोमतीचक्र को एक हाथ गहरी भूमि खोदकर एकांत स्थान में गाड़ दें। इस प्रयोग से धन वापस मिल जाता है
आकार प्रकार
आकार का रूप शुरु से होता है और प्रकार का रूप आकार को विभिन्न पहलुओं में देखा जाता है। आकार का परिवर्तन ही प्रकार के रूप में माना जाता है। यही बात साकार और निराकार में भी होती है। जो सामने दिखई देता है वह साकार होता है लेकिन पीछे रह कर काम करता है और जिसके बिना साकार भी नही चल सकता है वही निराकार होता है। लेकिन बिना साकार के निराकार को सत्य मानना प्रकृति के परे की बात है इसलिये साकार और निराकार का रूप एक साथ मानकर चलना ही मनुष्य शरीर रूप में मान्य है।
गोमती चक्र नजर दोष और वास्तु
समुद्री किनारों पर लोग सीप से मिलते जुलते सामान को खोजते रहते है,गोदावरी नदी के किनारे पर अक्सर गोमती चक्र पडे मिल जाते है,इनकी पहिचान को करने के लिये अगर पलट कर देखा जाये तो हिन्दी संख्या ७ लिखी मिलती है। इस अंक का प्रकृति के द्वारा सफ़ेद वस्तु पर लिखा पाया जाना और इस अंक का राहु से सम्बन्ध रखना दोनो के मेल से राहु चन्द्र शनि की उपस्थिति को मानना ही गोमती चक्र की महानता को पूरा करता है। शनि चन्द्र की युति वैसे तो प्लास्टर आप पेरिस में भी मिलती है और राहु के कारण उसके अन्दर जल्दी से जमाव का कारण भी मिलता है,इसके साथ चूने के अन्दर भी शनि चन्द्र राहु की उपस्थिति मिलती है लेकिन राहु का साक्षात प्रभाव मिलना केवल प्लास्टर आफ़ पेरिस में और चूने में मिलाये जाने वाली पानी के मिलने तक ही माना जा सकता है। जैसे ही पानी को मिलाया जाता है राहु अपने प्रभाव को समाप्त कर देता है और केव्ल शनि चन्द्र का मरा हुआ रूप ही सामने रहता है इसलिये ही प्लास्टर आप पेरिस और चूने को पानी रहने तक ही कार्य में लिया जा सकता है जैसे ही पानी सूखा और इनकी शक्ति को खत्म मान लिया जाता है। गोमती चक्र के अन्दर बिगुल के आकार की बनावट और राहु का हमेशा के लिये प्रभाव को बनाये रखने के लिये लोग कई तरह से इसे प्रयोग में लाते है।
कुन्डली के अनुसार लगन का राहु अगर शनि से युति करता है और शनि का प्रभाव अगर अष्टम के फ़ल को देने वाला होता है तो व्यक्ति के अन्दर शैतानी आंख की शक्ति को देता है अगर ऐसा व्यक्ति किसी के अच्छे कारण को देख ले तो उसके द्वारा देखे जाने या जलन रखने के कारण ही उस वस्तु व्यक्ति या स्थान पर दिक्कते पैदा हो जाती है। अक्सर इस प्रकार के राहु के प्रभाव को दूर करने के लिये लोग मोर पंख से झाडा लगाने का कार्य करते है और मोर पंख में इतनी ताकत होती है कि वह राहु के इस प्रकार के प्रभाव को दूर करने के लिये काफ़ी माना जाता है। दूध पीने वाले बच्चे या नया बना हुआ मकान राहु शनि की इस प्रकार की द्रिष्टि को रखने वाले व्यक्ति की नजर में आते ही अपनी ताकत को समाप्त करने लगते है बच्चे को तो मोर पंख से झाडा देकर ठीक किया जा सकता है लेकिन मकान के अन्दर मोर पंख की बिसात नही चल पाती है। इसके लिये केवल गोमती चक्र को ही प्रयोग में लिया जाता है और यही बात चलते हुये व्यवसाय के लिये भी माना जा सकता है। जो व्यवसाय कल तक बहुत अच्छा चल रहा था और अचानक आज से क्या हुआ कि कोई ग्राहक मुड कर भी नही देख रहा है,इस बात को समझने के लिये आप ने कभी महसूस किया होगा कि जब आप बाजार जाते है और कोई सामान आपको लेना होता है एक दुकान पर काफ़ी भीड जमा होती है और एक दुकान वाला मक्खियां मार रहा होता है जबकि उसके पास भीड वाली दुकान से अधिक अच्छा और सस्ता सामान रखा दिखाई देता है लेकिन उस स्थान की तरफ़ जाने में पता नही क्यों आपके कदम नही मुडते है। यह प्रभाव ही राहु शनि के प्रभाव से युक्त माना जाता है। अगर इस प्रकार के व्यवसाय स्थान से कोई सामान ले भी लिया जाये तो उसके अन्दर कोई न कोई कमी जरूर मिलती है,भोजन वाला सामान है तो वह खाने पीने के बाद दिक्कत कर देता है और पहिनने वाला सामान है तो या तो वह जल जाता है फ़ट जाता है अथवा चोरी होजाता है या किसी कारण से पहिना ही नही जा सकता है। यही बात वाहन के लिये भी मानी जाती है उसी रास्ते से सभी वाहन जा रहे है लेकिन अचानक झपकी लगी और खरीदे गये वाहन की ऐसी की तैसी होने में देर नही लगती है,उसका भी कारण माना जाता है कि वाहन को किसी की नजर लगी है या वाहन को चलाने वाले पर किसी की नजर लगी है। वाहन के लिये भी गोमती चक्र अपने प्रकार की शक्ति से बचाकर रखता है,और द्रिष्टि दोष से दूर रखने में मदद करता है। इसे बच्चे को पहिना कर रखा जाये या धन स्थान में रखा जाये अथवा कार्य स्थान में अपने दाहिने हाथ की तरफ़ रखा जाये यह किसी भी प्रकार से अपने असर को खराब नही करता है।
मकान के वास्तु दोष के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है, चार गोमती चक्र को निश्चित मुहूर्त में सिन्दूर के साथ लाल कपडे में बांध कर मकान के मुख्य दरवाजे के ऊपर अन्दर की तरफ़ लटका देने से किसी भी प्रकार का वास्तु दोष होने पर उसके अन्दर सहायता मिलती है। अगर हर कमरे के बाहर की तरफ़ इसी प्रकार से लटका दिया जाये तो भोजन शयन शिक्षा और मेहमान आदि के प्रति अच्छे प्रभाव देखने को मिलते है।
व्यवसाय स्थान पर पीतल के लोटे में जल रखा जाये और साथ गोमती चक्र उसके अन्दर डालकर खुला रखा जाये तथा जिस स्थान पर व्यापारी की बैठक है उसके दक्षिण-पश्चिम दिशा में इसे ऊपर की तरफ़ स्थापित करने के बाद रखा जाये सुबह को उस लोटे से सभी गोमती चक्र को निकाल कर उस पानी को व्यसाय स्थान के बाहर छिडक दिया जाये और नया पानी भरकर फ़िर से गोमती चक्र डालकर रख दिया जाये तो व्यवसाय में बारह दिन के अन्दर ही फ़र्क मिलना शुरु हो जाता है।
जिस बच्चे को नजर लगती हो उसके गले में गोमती चक्र को मोर पंख के ऊपरी हिस्से के साथ लाल रंग के कपडे में ताबीज की तरह से बांध कर और लाल ऊन के धागे में गले में पहिना दिया जाये तो नजर दोष दूर होता देखा गया है इसके साथ बच्चे के अन्दर बुद्धि का तेज प्रभाव भी देखा गया है।
लाल चन्दन के साथ गोमती चक्र को घिस कर माथे पर तिलक जैसा लगाने के बाद किसी भी कोर्ट केश विवाद या किसी प्रतियोगिता में जाने से भी फ़र्क मिलता देखा गया है।
पति पत्नी सम्बन्धो में विवाद के चलते गोमती चक्र को चांदी की अंगूठी में उल्टा लगवा कर एक साथ पहिनने पर भी सम्बन्धो में सुधार देखा गया है।
सन्तान हीनता में गोमती चक्र को एक चम्मच शहद में सात फ़ेरा किसी पत्थर पर घिस कर एक गिलास दूध के साथ बासी पेट लेने से सन्तान के आने का कारण देखा गया है।
मति भ्रम वाले रोगों में चार तुलसी के पत्तों के साथ गोमती चक्र को हरे कपडे में ताबीज की तरह बांध कर हरी ऊन के धागे में बांध कर गले में पहिनने से भी मति भ्रम वाले रोगों में फ़ायदा होता देखा गया है।
वाहन के लगातार एक्सीडेंट होने पर गोमती चक्र को वाहन के आगे एरल्डाइट से चिपका कर ऊपर से स्वास्तिक का निशान बनाने से वाहन के साथ होने वाली दुर्घटना को भी कम होता देखा गया है।
धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। असाध्य रोगों को दुर करने तथा मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिये लगभग 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल देना चाहिऐ। सुबह उस पानी को पी जाना चाहिऐ । इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दुर होते है।
धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र अपने पुजा स्थान मे रखना चाहिऐ उनके सामने ॐ श्री नमः का जाप करना चाहिऐ। इससे आप जो भी कार्य करेंगे उसमे आपका मन लगेगा और सफलता प्राप्त होगी । किसी भी कार्य को उत्साह के साथ करने की प्रेरणा मिलेगी।
गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदुर तथा अक्षत डालकर रखें तो ये शीघ्र फलदायक होते है। होली, दीवाली, तथा नवरात्रों आदि पर गोमती चक्रों की विशेष पुजा की जाति है। अन्य विभिन्न मुहुर्तों के अवसर पर भी इनकी पुजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रावेपुष्य योग आदि के समय पुजा करने पर ये बहुत फलदायक है।
गोमती चक्र की पूजा
होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर गोमती चक्र की विशेष पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र की पूजा बहुत फलदायक होती है। धन लाभ के लिए ११ गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें तथा उनके सामने ॐ श्रींनमः का जाप करें।
ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाए गोमती चक्र----
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यों तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसका तांत्रिक उपयोग बहुत ही सरल होता है। किसी भी प्रकार की समस्या के निदान के लिए यह बहुत ही कारगर उपाय है।
1- यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।
2- यदि घर में बीमारी हो या किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने लगता है।
3- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।
4- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।
5- यदि इस गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।
कैसे भरा रहे पर्स नोटों से
सभी चाहते हैं कि उनका पर्स हमेशा पैसों से भरा रहे और फिजूल खर्च न हो।
ज्यादा पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ अच्छी किस्मत भी महत्व रखती है।
कुछ परिस्थितियों में मेहनत के बाद भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं हो पाता या
खर्चों की अधिकता की वजह से बचत नहीं हो पाती।आय बढ़ाने फिजूल
खर्चों में कमी करने के लिए पर्स का वास्तु भी ठीक करने की आवश्यकता होती है।
कुछ लोग पर्स में ही चाबियां भी रखते हैं, चाबियां रखना भी अशुभ ही माना जाता
है इसके लिए पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें। जो वस्तुएं
फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुएं तुरंत ही पर्स से बाहर कर दें।
पर्स में सिक्के और नोट दोनों को ही अलग-अलग स्थानों पर रखना चाहिए। इसके
अलावा पर्स में मृत व्यक्तियों के चित्र रखना भी शुभ नहीं माना जाता है। अत:
इस प्रकार के चित्रों को भी पर्स में नोटों के साथ नहीं रखें।
पर्स में संत-महात्मा के चित्र रखे जा सकते हैं। यदि कोई संत या महात्मा देह
त्याग चुके हैं तब भी उनके चित्र या फोटो पर्स रखे जा सकते हैं क्योंकि
शास्त्रों के अनुसार देह त्यागने के बाद भी संत-महात्माओं को मृत नहीं माना
जाता है। पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा
बढ़ती है और जिन्हें देखकर मन प्रसन्न होता है ।
इन्हें भी रुपए-पैसों से अलग ही रखना शुभ रहता है। पर्स में नोट या सिक्कों के
साथ खाने की चीजें भी नहीं रखना चाहिए।
आपके पर्स काआकार, रंग आपके पर्स में रखे हुए सामान आपके जीवन में होने वाली छोटी से छोटी
घटना के सूचक होते है.
—–वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसे वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा
को संचारित करती हैं।
—–पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने
चाहिए।
—– अपने पर्स में एक लाल रंग का लिफाफा रखें। इसमें आप अपनी कोई भी
मनोकामना एक कागज में लिख कर रखें। वह शीघ्र पूरी होगी।
—–बैग में लाल रेशमी धागे से एक गांठ बांध कर रखें।
——बैग में शीशा और छोटा चाकु अवश्य रखें।
——- बैग में रुपये पैसे जहां रखते हों वहां पर कौड़ी या गोमती चक्र अवश्य
रखें।
—— चाबी को छल्ले में डाल कर रखें। यदि इस छल्ले में लाफिंग बुद्धा या
अन्य कोई फेंगशुई का प्रतीक अच्छा रहता है।
—— पर्स में किसी भी प्रकार का पिरामिड रखें। यह आपके लिए लाभदायक होगा।
—–.रात्री में सोते समय पर्स कभी भी सिरहाने ना रख कर उसे हमेशा अलमारी में
रखें.
—–.पर्स में रूपये कभी भी मोड या फोल्ड कर ना रखे.
——.पर्स में कभी भी रुपयों के साथ कोई बिल-रसीद या टिकट ना रखे इससे विवाद
बड़ता है .
——-पर्स में सिक्कों की व्यवस्था अलग हो तथा बंद कर के रखें पर्स खोलते
समय सिक्का नीचे नहीं गिरना चाहिये.इससे अपव्यय बढता है.
——.अपने पर्स में किसी पूर्णिमा को लाल रेशमी कपडे में चुटकी भर या २१
दाने अखंडित चावल बाँध कर छुपा कर रखने से बेवजह खर्च नहीं होता है.
===== अपनी राशी के अनुसार रखे पर्स का रंग…लाभ होगा जेसे..—–
—-मेष,सिंह, और धनु राशि वाले अपना पर्स लाल या नारंगी रंग का रखे. तो लाभ
होगा
—-.वृष,कन्या, और मकर राशि वालों को भूरे रंग का पर्स तथा मटमैले रंग का
पर्स बहुत फायदा पंहुचायगा
—-मिथुन,तुला, और कुम्भ राशि वाले यदि नीले रंग व सफ़ेद रंग का प्रयोग करते
है तो मानसिक स्थति के साथ साथ धन के के आगमन के रास्ते भी खुलेंगे.
—— कर्क,वृश्चिक, और मीन राशि को तो हमेशा हरा रंग और सफ़ेद रंग का प्रयोग
अपने पर्स में करना लाभदायक रहेगा.
चमत्कारी होता है गोमती चक्र
गो का रूप गाय के लिये माना जाता है और उसे गो भी कहा जाता है,गाय को लक्ष्मी के रूप मे भी देखा जाता है और शुक्र ग्रह का कारक भी माना जाता है। नदियों के किनारे पर जहां गाय पानी पीती है और उनके जुगाली करने वाले फ़ैन का कुछ भाग पानी मे बह जाता है और वह फ़ैन नदी मे पडने वाले छोटे छोटे भंवर मे जाने के बाद गोल गोल घूमता रहता है कालान्तर मे उस घूमने वाली क्रिया मे नदी के पानी के अन्दर के पत्थरो रेत आदि के कण भी उस फ़ेन मे मिल जाते है और वह फ़ैन एक चक्र का रूप धारण कर लेता है वही चक्र पानी के अन्दर बैठ जाते है और पानी की बहाव और तल आदि आदि से धीरे धीरे खिसक कर तथा नदी का पानी सूखने के बाद यह नदी की रेत मे मिल जाते है यही गोमती चक्र के रूप मे जाने जाते है।
गोमती चक्र को दक्षिण मे गोमथी चक्र के नाम से भी जाना जाता है और संस्कृत मे धेनुपदी के नाम से भी जाना जाता है प्राचीन काल मे गोमती चक्र का प्रयोग यज्ञ की वेदी के चारो तरफ़ लगाया जाता था,तथा राज्याभिषेख के समय इसे राजसिंहासन पर भी छत्र के ऊपरी भाग मे लगा दिया जाता था। गोमती चक्र के प्रति कहा जाता है कि किसी के पास अगर चार गोमती चक्र है तो वह किसी भी प्रकार की ऊपरी हवा से बचा रह सकता है और वास्तु वेध के लिये भी इसे चार की संख्या मे मुख्य दरवाजे के ऊपर लाल कपडे मे बांध कर रखा जाता है। इस क्रिया से आसुरी शक्तियों का घर मे रहना नही हो पाता है।
गोमती चक्र की बनावट को देखा जाये तो उसके ऊपर चिकने भाग पर हिन्दी के ७ का अंक बना मिलता है,वर्तमान के ज्योतिषियों के अनुसार यह अंक राहु का अंक कहा जाता है और पानी की वस्तु जिसे चन्द्रमा का रूप दिया जाता है उसके अन्दर इस अंक के होने से यह राहु कृत प्रभावो को दूर रखने के लिये अपनी युति को प्रदान करता है साथ ही बेकार की शंका को दूर रखने मे सहायक होता है,जिनकी कुंडली मे राहु चन्द्र की युति होती है वह इसे चांदी की अंगूठी या पेंडल मे बनवाकर धारण कर सकते है।
जो स्त्रियां नपुंसकता की श्रेणी मे आती है और सन्तान पैदा करने मे असमर्थ होती है वे कमर मे कनकती मे सात गोमती चक्र लगवा कर धारण करने के बाद सन्तानहीनता से दूर होती देखी गयी है। ग्रामीण लोग गोमती चक्र को दूध वाले जानवरो के गले मे लाल कपडे मे बांध कर रखते है जिससे दूध देने वाले जानवर बुरी नजर से बचे रहते है। कृषक इसे अपने खेत के चारो कोनो मे दबाकर रखते है जिससे मान्यता है कि खेत की फ़सल मे कीडा आदि नही लगता है और बीमारी आदि से बचने के बाद फ़सल अच्छी पैदा होती है.
गोमती चक्र की भस्म शहद मे मिलाकर पैरो के नाखून मे लगाने के बाद वात का
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१॰ यदि इस गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में घर में रखे, तो घर में सुख-शान्ति बनी रहती है ।
२॰ यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो, तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर से घुमाकर आग में डाल दे, तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है ।
३॰ यदि घर में बिमारी हो या किसी का रोग शान्त नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चाँदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बाँध दें, तो उसी दिन से रोगी का रोग समाप्त होने लगता है ।
४॰ व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बाँधकर ऊपर चौखट पर लटका दें, और ग्राहक उसके नीचे से निकले, तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है ।
५॰ प्रमोशन नहीं हो रहा हो, तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मन्दिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें, और सच्चे मन से प्रार्थना करें । निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जायेंगे ।
६॰ पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में “हलूं बलजाद” कहकर फेंक दें, मतभेद समाप्त हो जायेगा ।
७॰ पुत्र प्राप्ति के लिए पाँच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में “हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुं ” पाँच बार बोलकर विसर्जित करें ।
८॰ यदि बार-बार गर्भ नष्ट हो रहा हो, तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बाँधकर कमर में बाँध दें ।
९॰ यदि शत्रु अधिक हो तथा परेशान कर रहे हो, तो तीन गोमती चक्र लेकर उन पर शत्रु का नाम लिखकर जमीन में गाड़ दें ।
१०॰ कोर्ट-कचहरी में सफलता पाने के लिये, कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर जावें ।
११॰ भाग्योदय के लिए तीन गोमती चक्र का चूर्ण बनाकर घर के बाहर छिड़क दें ।
१२॰ राज्य-सम्मान-प्राप्ति के लिये दो गोमती चक्र किसी ब्राह्मण को दान में दें ।
१३॰ तांत्रिक प्रभाव की निवृत्ति के लिये बुधवार को चार गोमती चक्र अपने सिर के ऊपर से उबार कर चारों दिशाओं में फेंक दें ।
१४॰ चाँदी में जड़वाकर बच्चे के गले में पहना देने से बच्चे को नजर नहीं लगती तथा बच्चा स्वस्थ बना रहता है ।
१५॰ दीपावली के दिन पाँच गोमती चक्र पूजा-घर में स्थापित कर नित्य उनका पूजन करने से निरन्तर उन्नति होती रहती है ।
१६॰ रोग-शमन तथा स्वास्थ्य-प्राप्ति हेतु सात गोमती चक्र अपने ऊपर से उतार कर किसी ब्राह्मण या फकीर को दें ।
१७॰ 11 गोमती चक्रों को लाल पोटली में बाँधकर तिजोरी में अथवा किसी सुरक्षित स्थान पर सख दें, तो व्यापार उन्नति करता जायेगा .......
परेशानी जीवन का दूसरा नाम है। मनुष्य के जीवन में आए दिन परेशानियां आती रहती है। कुछ समस्याएं तुरंत हल हो जाती हैं तो कुछ लंबे समय तक कष्ट देती हैं। कुछ साधारण तांत्रिक उपाय कर इन परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। गोमती चक्र के कुछ साधारण तांत्रिक उपाय नीचे लिखे हैं इन्हें करने से अनेक परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। गोमती चक्र एक ऐसा पत्थर है तो गोमती नदी में मिलता है। इसका उपयोग तंत्र क्रियाओं में विशेष तौर पर किया जाता है।
उपाय
1- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उन्हें एक कपड़े में बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।
२- पुत्र प्राप्ति के लिए पांच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुक पांच बोलकर विसर्जित करें, पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
3- पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दूर हो जाते हैं।
4- यदि बार-बार गर्भ गिर रहा हो तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बांधकर कमर में बांध दें तो गर्भ गिरना बंद हो जाता है।
5- यदि कोई कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता प्राप्त होती है।
6- यदि शत्रु बढ़ गए हों तो जितने अक्षर का शत्रु का नाम है उतने गोमती चक्र लेकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर उन्हें जमीन में गाड़ दें तो शत्रु परास्त हो जाएंगे।
मनोकामना पूर्ति में सहायक हें–गोमती चक्र
लक्ष्मी-साधक गोमती चक्र से भली-भाँति परिचित हैं। गोमती चक्र समुद्र प्रदत्त दुर्लभ एंव चामत्कारिक तंत्रोक्त वस्तु है गोमती चक्र के प्रयोग अन्य तंत्रोक्त साधनाओं एंव प्रयोगों की भाँति कठिन अथवा दुष्कर नहीं हैं। बड़े ही सरल, किन्तु प्रभावकारी प्रयोग गोमतीचक्र के होते है। पाठको के हित के लिए दीपावली एंव अन्य शुभ मुहूर्तो में किए जा सकने वाले लाभकारी गोमतीचक्र-प्रयोगों में संे कुछ प्रयोगों का वर्णन प्रस्तुत लेख में किया गया है। 1. दीपवाली के दिन ग्यारह गोमतीचक्रों को लक्ष्मीपूजन में प्रयुक्त जल से सिक्त करें और यमद्वितीया के दिन दोपहर 11ः48 से 12ः12 के मध्य उन पर सिन्दूर लगाएँ। उसके बाद उन्हें लाल
कपडे में बाँधकर अपनी दुकान, शोरूम, आॅफिस, फैक्टी अथवा व्यवसाय स्थल के मुख्य द्वार की चैखट अथवा मुख्यद्वार के निकट अन्य गुप्त स्थान पर बाँध दें। ऐसा करने से व्यापार में अपूर्व वृद्धि
होती है। 2. दीपवाली के दिन महालक्ष्मी पूजन के समय आठ गोमतीचक्र, आठ कौड़ी एंव आठ लाल गुंजा साथ लेकर उनका पुजन करें। उन्हें दक्षिणावर्ती शंख में थोड़े से चावल डालकर स्थापित कर दें।
रात्रि में ही उन्हें लाल कपडे में बाँधकर धर अथवा व्यवसाय स्थल की तिजौरी में स्थापित कर दें। यह प्रयोग आपकी आय में वृद्धि के लिए है। 3. शत्रुओं से परेशानी का अनुभव कर रहें हों, तो दीपावली की रात्रि में बारह बजे के पश्चात् छह गोमती चक्र लेकर शत्रु का नाम लेते हुए उस पर लाल सिन्दूर लगाएँ और किसी एकांत स्थान पर जाकर गाड़ दें। गाडना ऐसे चाहिए कि वे पुनः निकालें नहीं। ऐसा करने से शत्रु बाधा में शीघ्र ही कमी होगी।
4. महानिशा में माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए एक गोमती चक्र एंव दो कौडी एक लाल कपड़े में बाँधकर गर्भवती महिला की कमर में बाँध दें। ऐसा करने से गर्भ गिरने की आशंका नहीं रहती है। 5. यदि आप गृह क्लेश से पीडित है और आपकी सुख शांति दूर हो गई है, तो आपको दीपावली के दिन महालक्ष्मी पूजन के
पश्चात दो गोमती चक्र लेकर एक डिब्बी में पहले सिन्दूर रखकर उसके ऊपर रख देना चाहिए और उस डिब्बी को किसी एकांत स्थान पर रख दें। यह प्रयोग घर में किसी अन्य सदस्य को भी नहीं बताएँ, ऐसा करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी। 6. यदि बीमार ठीक नहीं हो पा रहा हो अथवा दवाइयाँ नही
लग रही हों, तो उसके सिरहाने पाँच गोमती चक्र मंत्र से अभिमंत्रित करके रखें। ऐसा करने से रोगी को शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ होगा। गोमती चक्र को लाल वस्त्र में बाँधकर यदि दूकान की चैखट पर बाँध दिया जाए, तो इससे व्यवसाय में वृद्धि होती हैं। साथ ही व्यवसाय में बाधा के लिए किए गए अभिचार कर्म भी सफल
नहीं हो पाते। 8. यदि गोमती चक्र को लकड़ी की डिब्बी में पीले सिंदूर के साथ रख दिया जाए, तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलने लगती है। यदि धनागम के सभी मार्ग अवरूद्ध हो रहे हों तों वह
प्रयोग करने से शीघ्र ही धन लाभ प्रराम्भ हो जाता है। 9. यदि किसी व्यक्ति से कोई कार्य सिद्ध करवाना हो, तो उस व्यक्ति के ऊपर से गोमती चक्र पाँच बार बहते हुए जल में डाल दें। 10. यदि किसी व्यक्ति का मन उखडा-उखडा रहता हो, किसी काम में मन नही लगता हो, विधार्थियों को शिक्षा में एकाग्रता न मिल रही हो, तो गोमती चक्र को सात बार अपने सिर पर फिराकर खुद ही अपने पीछें फेंक देना चाहिए। यह प्रयोग एकांत स्थान पर करना चाहिए तथा प्रयोग के बाद किसी से इनका जिक्र नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को दिया हुआ धन वापस नही मिल रहा हो, तो उस व्यक्ति का नाम लेकर मन ही मन धनप्राप्ति की कामना करते हुए गोमतीचक्र को एक हाथ गहरी भूमि खोदकर एकांत स्थान में गाड़ दें। इस प्रयोग से धन वापस मिल जाता है
आकार प्रकार
आकार का रूप शुरु से होता है और प्रकार का रूप आकार को विभिन्न पहलुओं में देखा जाता है। आकार का परिवर्तन ही प्रकार के रूप में माना जाता है। यही बात साकार और निराकार में भी होती है। जो सामने दिखई देता है वह साकार होता है लेकिन पीछे रह कर काम करता है और जिसके बिना साकार भी नही चल सकता है वही निराकार होता है। लेकिन बिना साकार के निराकार को सत्य मानना प्रकृति के परे की बात है इसलिये साकार और निराकार का रूप एक साथ मानकर चलना ही मनुष्य शरीर रूप में मान्य है।
गोमती चक्र नजर दोष और वास्तु
समुद्री किनारों पर लोग सीप से मिलते जुलते सामान को खोजते रहते है,गोदावरी नदी के किनारे पर अक्सर गोमती चक्र पडे मिल जाते है,इनकी पहिचान को करने के लिये अगर पलट कर देखा जाये तो हिन्दी संख्या ७ लिखी मिलती है। इस अंक का प्रकृति के द्वारा सफ़ेद वस्तु पर लिखा पाया जाना और इस अंक का राहु से सम्बन्ध रखना दोनो के मेल से राहु चन्द्र शनि की उपस्थिति को मानना ही गोमती चक्र की महानता को पूरा करता है। शनि चन्द्र की युति वैसे तो प्लास्टर आप पेरिस में भी मिलती है और राहु के कारण उसके अन्दर जल्दी से जमाव का कारण भी मिलता है,इसके साथ चूने के अन्दर भी शनि चन्द्र राहु की उपस्थिति मिलती है लेकिन राहु का साक्षात प्रभाव मिलना केवल प्लास्टर आफ़ पेरिस में और चूने में मिलाये जाने वाली पानी के मिलने तक ही माना जा सकता है। जैसे ही पानी को मिलाया जाता है राहु अपने प्रभाव को समाप्त कर देता है और केव्ल शनि चन्द्र का मरा हुआ रूप ही सामने रहता है इसलिये ही प्लास्टर आप पेरिस और चूने को पानी रहने तक ही कार्य में लिया जा सकता है जैसे ही पानी सूखा और इनकी शक्ति को खत्म मान लिया जाता है। गोमती चक्र के अन्दर बिगुल के आकार की बनावट और राहु का हमेशा के लिये प्रभाव को बनाये रखने के लिये लोग कई तरह से इसे प्रयोग में लाते है।
कुन्डली के अनुसार लगन का राहु अगर शनि से युति करता है और शनि का प्रभाव अगर अष्टम के फ़ल को देने वाला होता है तो व्यक्ति के अन्दर शैतानी आंख की शक्ति को देता है अगर ऐसा व्यक्ति किसी के अच्छे कारण को देख ले तो उसके द्वारा देखे जाने या जलन रखने के कारण ही उस वस्तु व्यक्ति या स्थान पर दिक्कते पैदा हो जाती है। अक्सर इस प्रकार के राहु के प्रभाव को दूर करने के लिये लोग मोर पंख से झाडा लगाने का कार्य करते है और मोर पंख में इतनी ताकत होती है कि वह राहु के इस प्रकार के प्रभाव को दूर करने के लिये काफ़ी माना जाता है। दूध पीने वाले बच्चे या नया बना हुआ मकान राहु शनि की इस प्रकार की द्रिष्टि को रखने वाले व्यक्ति की नजर में आते ही अपनी ताकत को समाप्त करने लगते है बच्चे को तो मोर पंख से झाडा देकर ठीक किया जा सकता है लेकिन मकान के अन्दर मोर पंख की बिसात नही चल पाती है। इसके लिये केवल गोमती चक्र को ही प्रयोग में लिया जाता है और यही बात चलते हुये व्यवसाय के लिये भी माना जा सकता है। जो व्यवसाय कल तक बहुत अच्छा चल रहा था और अचानक आज से क्या हुआ कि कोई ग्राहक मुड कर भी नही देख रहा है,इस बात को समझने के लिये आप ने कभी महसूस किया होगा कि जब आप बाजार जाते है और कोई सामान आपको लेना होता है एक दुकान पर काफ़ी भीड जमा होती है और एक दुकान वाला मक्खियां मार रहा होता है जबकि उसके पास भीड वाली दुकान से अधिक अच्छा और सस्ता सामान रखा दिखाई देता है लेकिन उस स्थान की तरफ़ जाने में पता नही क्यों आपके कदम नही मुडते है। यह प्रभाव ही राहु शनि के प्रभाव से युक्त माना जाता है। अगर इस प्रकार के व्यवसाय स्थान से कोई सामान ले भी लिया जाये तो उसके अन्दर कोई न कोई कमी जरूर मिलती है,भोजन वाला सामान है तो वह खाने पीने के बाद दिक्कत कर देता है और पहिनने वाला सामान है तो या तो वह जल जाता है फ़ट जाता है अथवा चोरी होजाता है या किसी कारण से पहिना ही नही जा सकता है। यही बात वाहन के लिये भी मानी जाती है उसी रास्ते से सभी वाहन जा रहे है लेकिन अचानक झपकी लगी और खरीदे गये वाहन की ऐसी की तैसी होने में देर नही लगती है,उसका भी कारण माना जाता है कि वाहन को किसी की नजर लगी है या वाहन को चलाने वाले पर किसी की नजर लगी है। वाहन के लिये भी गोमती चक्र अपने प्रकार की शक्ति से बचाकर रखता है,और द्रिष्टि दोष से दूर रखने में मदद करता है। इसे बच्चे को पहिना कर रखा जाये या धन स्थान में रखा जाये अथवा कार्य स्थान में अपने दाहिने हाथ की तरफ़ रखा जाये यह किसी भी प्रकार से अपने असर को खराब नही करता है।
मकान के वास्तु दोष के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है, चार गोमती चक्र को निश्चित मुहूर्त में सिन्दूर के साथ लाल कपडे में बांध कर मकान के मुख्य दरवाजे के ऊपर अन्दर की तरफ़ लटका देने से किसी भी प्रकार का वास्तु दोष होने पर उसके अन्दर सहायता मिलती है। अगर हर कमरे के बाहर की तरफ़ इसी प्रकार से लटका दिया जाये तो भोजन शयन शिक्षा और मेहमान आदि के प्रति अच्छे प्रभाव देखने को मिलते है।
व्यवसाय स्थान पर पीतल के लोटे में जल रखा जाये और साथ गोमती चक्र उसके अन्दर डालकर खुला रखा जाये तथा जिस स्थान पर व्यापारी की बैठक है उसके दक्षिण-पश्चिम दिशा में इसे ऊपर की तरफ़ स्थापित करने के बाद रखा जाये सुबह को उस लोटे से सभी गोमती चक्र को निकाल कर उस पानी को व्यसाय स्थान के बाहर छिडक दिया जाये और नया पानी भरकर फ़िर से गोमती चक्र डालकर रख दिया जाये तो व्यवसाय में बारह दिन के अन्दर ही फ़र्क मिलना शुरु हो जाता है।
जिस बच्चे को नजर लगती हो उसके गले में गोमती चक्र को मोर पंख के ऊपरी हिस्से के साथ लाल रंग के कपडे में ताबीज की तरह से बांध कर और लाल ऊन के धागे में गले में पहिना दिया जाये तो नजर दोष दूर होता देखा गया है इसके साथ बच्चे के अन्दर बुद्धि का तेज प्रभाव भी देखा गया है।
लाल चन्दन के साथ गोमती चक्र को घिस कर माथे पर तिलक जैसा लगाने के बाद किसी भी कोर्ट केश विवाद या किसी प्रतियोगिता में जाने से भी फ़र्क मिलता देखा गया है।
पति पत्नी सम्बन्धो में विवाद के चलते गोमती चक्र को चांदी की अंगूठी में उल्टा लगवा कर एक साथ पहिनने पर भी सम्बन्धो में सुधार देखा गया है।
सन्तान हीनता में गोमती चक्र को एक चम्मच शहद में सात फ़ेरा किसी पत्थर पर घिस कर एक गिलास दूध के साथ बासी पेट लेने से सन्तान के आने का कारण देखा गया है।
मति भ्रम वाले रोगों में चार तुलसी के पत्तों के साथ गोमती चक्र को हरे कपडे में ताबीज की तरह बांध कर हरी ऊन के धागे में बांध कर गले में पहिनने से भी मति भ्रम वाले रोगों में फ़ायदा होता देखा गया है।
वाहन के लगातार एक्सीडेंट होने पर गोमती चक्र को वाहन के आगे एरल्डाइट से चिपका कर ऊपर से स्वास्तिक का निशान बनाने से वाहन के साथ होने वाली दुर्घटना को भी कम होता देखा गया है।
धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। असाध्य रोगों को दुर करने तथा मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिये लगभग 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल देना चाहिऐ। सुबह उस पानी को पी जाना चाहिऐ । इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दुर होते है।
धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र अपने पुजा स्थान मे रखना चाहिऐ उनके सामने ॐ श्री नमः का जाप करना चाहिऐ। इससे आप जो भी कार्य करेंगे उसमे आपका मन लगेगा और सफलता प्राप्त होगी । किसी भी कार्य को उत्साह के साथ करने की प्रेरणा मिलेगी।
गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदुर तथा अक्षत डालकर रखें तो ये शीघ्र फलदायक होते है। होली, दीवाली, तथा नवरात्रों आदि पर गोमती चक्रों की विशेष पुजा की जाति है। अन्य विभिन्न मुहुर्तों के अवसर पर भी इनकी पुजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रावेपुष्य योग आदि के समय पुजा करने पर ये बहुत फलदायक है।
गोमती चक्र की पूजा
होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर गोमती चक्र की विशेष पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र की पूजा बहुत फलदायक होती है। धन लाभ के लिए ११ गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें तथा उनके सामने ॐ श्रींनमः का जाप करें।
ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाए गोमती चक्र----
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यों तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसका तांत्रिक उपयोग बहुत ही सरल होता है। किसी भी प्रकार की समस्या के निदान के लिए यह बहुत ही कारगर उपाय है।
1- यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।
2- यदि घर में बीमारी हो या किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने लगता है।
3- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।
4- व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।
5- यदि इस गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।
कैसे भरा रहे पर्स नोटों से
सभी चाहते हैं कि उनका पर्स हमेशा पैसों से भरा रहे और फिजूल खर्च न हो।
ज्यादा पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ अच्छी किस्मत भी महत्व रखती है।
कुछ परिस्थितियों में मेहनत के बाद भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं हो पाता या
खर्चों की अधिकता की वजह से बचत नहीं हो पाती।आय बढ़ाने फिजूल
खर्चों में कमी करने के लिए पर्स का वास्तु भी ठीक करने की आवश्यकता होती है।
कुछ लोग पर्स में ही चाबियां भी रखते हैं, चाबियां रखना भी अशुभ ही माना जाता
है इसके लिए पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें। जो वस्तुएं
फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुएं तुरंत ही पर्स से बाहर कर दें।
पर्स में सिक्के और नोट दोनों को ही अलग-अलग स्थानों पर रखना चाहिए। इसके
अलावा पर्स में मृत व्यक्तियों के चित्र रखना भी शुभ नहीं माना जाता है। अत:
इस प्रकार के चित्रों को भी पर्स में नोटों के साथ नहीं रखें।
पर्स में संत-महात्मा के चित्र रखे जा सकते हैं। यदि कोई संत या महात्मा देह
त्याग चुके हैं तब भी उनके चित्र या फोटो पर्स रखे जा सकते हैं क्योंकि
शास्त्रों के अनुसार देह त्यागने के बाद भी संत-महात्माओं को मृत नहीं माना
जाता है। पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा
बढ़ती है और जिन्हें देखकर मन प्रसन्न होता है ।
इन्हें भी रुपए-पैसों से अलग ही रखना शुभ रहता है। पर्स में नोट या सिक्कों के
साथ खाने की चीजें भी नहीं रखना चाहिए।
आपके पर्स काआकार, रंग आपके पर्स में रखे हुए सामान आपके जीवन में होने वाली छोटी से छोटी
घटना के सूचक होते है.
—–वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसे वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा
को संचारित करती हैं।
—–पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने
चाहिए।
—– अपने पर्स में एक लाल रंग का लिफाफा रखें। इसमें आप अपनी कोई भी
मनोकामना एक कागज में लिख कर रखें। वह शीघ्र पूरी होगी।
—–बैग में लाल रेशमी धागे से एक गांठ बांध कर रखें।
——बैग में शीशा और छोटा चाकु अवश्य रखें।
——- बैग में रुपये पैसे जहां रखते हों वहां पर कौड़ी या गोमती चक्र अवश्य
रखें।
—— चाबी को छल्ले में डाल कर रखें। यदि इस छल्ले में लाफिंग बुद्धा या
अन्य कोई फेंगशुई का प्रतीक अच्छा रहता है।
—— पर्स में किसी भी प्रकार का पिरामिड रखें। यह आपके लिए लाभदायक होगा।
—–.रात्री में सोते समय पर्स कभी भी सिरहाने ना रख कर उसे हमेशा अलमारी में
रखें.
—–.पर्स में रूपये कभी भी मोड या फोल्ड कर ना रखे.
——.पर्स में कभी भी रुपयों के साथ कोई बिल-रसीद या टिकट ना रखे इससे विवाद
बड़ता है .
——-पर्स में सिक्कों की व्यवस्था अलग हो तथा बंद कर के रखें पर्स खोलते
समय सिक्का नीचे नहीं गिरना चाहिये.इससे अपव्यय बढता है.
——.अपने पर्स में किसी पूर्णिमा को लाल रेशमी कपडे में चुटकी भर या २१
दाने अखंडित चावल बाँध कर छुपा कर रखने से बेवजह खर्च नहीं होता है.
===== अपनी राशी के अनुसार रखे पर्स का रंग…लाभ होगा जेसे..—–
—-मेष,सिंह, और धनु राशि वाले अपना पर्स लाल या नारंगी रंग का रखे. तो लाभ
होगा
—-.वृष,कन्या, और मकर राशि वालों को भूरे रंग का पर्स तथा मटमैले रंग का
पर्स बहुत फायदा पंहुचायगा
—-मिथुन,तुला, और कुम्भ राशि वाले यदि नीले रंग व सफ़ेद रंग का प्रयोग करते
है तो मानसिक स्थति के साथ साथ धन के के आगमन के रास्ते भी खुलेंगे.
—— कर्क,वृश्चिक, और मीन राशि को तो हमेशा हरा रंग और सफ़ेद रंग का प्रयोग
अपने पर्स में करना लाभदायक रहेगा.
चमत्कारी होता है गोमती चक्र
गो का रूप गाय के लिये माना जाता है और उसे गो भी कहा जाता है,गाय को लक्ष्मी के रूप मे भी देखा जाता है और शुक्र ग्रह का कारक भी माना जाता है। नदियों के किनारे पर जहां गाय पानी पीती है और उनके जुगाली करने वाले फ़ैन का कुछ भाग पानी मे बह जाता है और वह फ़ैन नदी मे पडने वाले छोटे छोटे भंवर मे जाने के बाद गोल गोल घूमता रहता है कालान्तर मे उस घूमने वाली क्रिया मे नदी के पानी के अन्दर के पत्थरो रेत आदि के कण भी उस फ़ेन मे मिल जाते है और वह फ़ैन एक चक्र का रूप धारण कर लेता है वही चक्र पानी के अन्दर बैठ जाते है और पानी की बहाव और तल आदि आदि से धीरे धीरे खिसक कर तथा नदी का पानी सूखने के बाद यह नदी की रेत मे मिल जाते है यही गोमती चक्र के रूप मे जाने जाते है।
गोमती चक्र को दक्षिण मे गोमथी चक्र के नाम से भी जाना जाता है और संस्कृत मे धेनुपदी के नाम से भी जाना जाता है प्राचीन काल मे गोमती चक्र का प्रयोग यज्ञ की वेदी के चारो तरफ़ लगाया जाता था,तथा राज्याभिषेख के समय इसे राजसिंहासन पर भी छत्र के ऊपरी भाग मे लगा दिया जाता था। गोमती चक्र के प्रति कहा जाता है कि किसी के पास अगर चार गोमती चक्र है तो वह किसी भी प्रकार की ऊपरी हवा से बचा रह सकता है और वास्तु वेध के लिये भी इसे चार की संख्या मे मुख्य दरवाजे के ऊपर लाल कपडे मे बांध कर रखा जाता है। इस क्रिया से आसुरी शक्तियों का घर मे रहना नही हो पाता है।
गोमती चक्र की बनावट को देखा जाये तो उसके ऊपर चिकने भाग पर हिन्दी के ७ का अंक बना मिलता है,वर्तमान के ज्योतिषियों के अनुसार यह अंक राहु का अंक कहा जाता है और पानी की वस्तु जिसे चन्द्रमा का रूप दिया जाता है उसके अन्दर इस अंक के होने से यह राहु कृत प्रभावो को दूर रखने के लिये अपनी युति को प्रदान करता है साथ ही बेकार की शंका को दूर रखने मे सहायक होता है,जिनकी कुंडली मे राहु चन्द्र की युति होती है वह इसे चांदी की अंगूठी या पेंडल मे बनवाकर धारण कर सकते है।
जो स्त्रियां नपुंसकता की श्रेणी मे आती है और सन्तान पैदा करने मे असमर्थ होती है वे कमर मे कनकती मे सात गोमती चक्र लगवा कर धारण करने के बाद सन्तानहीनता से दूर होती देखी गयी है। ग्रामीण लोग गोमती चक्र को दूध वाले जानवरो के गले मे लाल कपडे मे बांध कर रखते है जिससे दूध देने वाले जानवर बुरी नजर से बचे रहते है। कृषक इसे अपने खेत के चारो कोनो मे दबाकर रखते है जिससे मान्यता है कि खेत की फ़सल मे कीडा आदि नही लगता है और बीमारी आदि से बचने के बाद फ़सल अच्छी पैदा होती है.
गोमती चक्र की भस्म शहद मे मिलाकर पैरो के नाखून मे लगाने के बाद वात का
thanks for sharing infomation in gomti chakra
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