रविवार, 15 मार्च 2015

दुर्गा सप्तशती से कामनापूर्ति-

गुरु सिमरन।जय माता दी । दुर्गा सप्तशती से कामनापूर्ति-
- लक्ष्मी, ऐश्वर्य, धन संबंधी प्रयोगों के लिए पीले रंग
के आसन का प्रयोग करें।
- वशीकरण, उच्चाटन आदि प्रयोगों के लिए काले रंग
के
आसन का प्रयोग करें।
बल, शक्ति आदि प्रयोगों के लिए लाल रंग का आसन
प्रयोग करें।
- सात्विक साधनाओं, प्रयोगों के लिए कुश के बने
आसन
का प्रयोग करें।
वस्त्र- लक्ष्मी संबंधी प्रयोगों में आप पीले
वस्त्रों का ही प्रयोग करें। यदि पीले वस्त्र न
हो तो मात्र धोती पहन लें एवं ऊपर शाल लपेट लें। आप
चाहे तो धोती को केशर के पानी में भिगोंकर
पीला भी रंग सकते हैं।
हवन करने से
जायफल से कीर्ति और किशमिश से कार्य
की सिद्धि होती है।
आंवले से सुख और केले से आभूषण की प्राप्ति होती है।
इस
प्रकार फलों से अर्ध्य देकर यथाविधि हवन करें।
खांड, घी, गेंहू, शहद, जौ, तिल, बिल्वपत्र, नारियल,
किशमिश और कदंब से हवन करें।
गेंहूं से होम करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
खीर से परिवार, वृद्धि, चम्पा के पुष्पों से धन और सुख
की प्राप्ति होती है।
आवंले से कीर्ति और केले से पुत्र प्राप्ति होती है।
कमल से राज सम्मान और किशमिश से सुख और
संपत्ति की प्राप्ति होती है।
खांड, घी, नारियल, शहद, जौं और तिल इनसे
तथा फलों से
होम करने से मनवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है।
व्रत करने वाला मनुष्य इस विधान से होम कर आचार्य
को अत्यंत नम्रता के साथ प्रमाण करें और यज्ञ
की सिद्धि के लिए उसे दक्षिणा दें। इस महाव्रत
को पहले बताई हुई विधि के अनुसार जो कोई करता है
उसके सब मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। नवरात्र व्रत करने
से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
नवार्ण मंत्र को मंत्रराज कहा गया है।
‘ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’
शीघ्र विवाह के लिए।
क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए स्फटिक की माला पर।
ओंम ऐं हृी क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
परेशानियों के अन्त के लिए।
क्लीं हृीं ऐं चामुण्डायै विच्चे।
दुर्गा सप्तशती के अध्याय से कामनापूर्ति-
1- प्रथम अध्याय- हर प्रकार की चिंता मिटाने के
लिए।
2- द्वितीय अध्याय- मुकदमा झगडा आदि में विजय
पाने
के लिए।
3- तृतीय अध्याय- शत्रु से छुटकारा पाने के लिये।
4- चतुर्थ अध्याय- भक्ति शक्ति तथा दर्शन के लिये।
5- पंचम अध्याय- भक्ति शक्ति तथा दर्शन के लिए।
6- षष्ठम अध्याय- डर, शक, बाधा ह टाने के लिये।
7- सप्तम अध्याय- हर कामना पूर्ण करने के लिये।
8- अष्टम अध्याय- मिलाप व वशीकरण के लिये।
9- नवम अध्याय- गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार
की कामना एवं पुत्र आदि के लिये।
10- दशम अध्याय- गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार
की कामना एवं पुत्र आदि के लिये।
11- एकादश अध्याय- व्यापार व सुख-
संपत्ति की प्राप्ति के लिये।
12- द्वादश अध्याय- मान-सम्मान तथा लाभ
प्राप्ति के लिये।
13- त्रयोदश अध्याय- भक्ति प्राप्ति के लिये।


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