सोमवार, 23 मार्च 2015

कैसे करें नवरात्री में गृह शांति ?

बात हो रही थी सतांन सुख की सतांन होना ,सतांन का गर्भ मे मर जाना , या होके कुछ दिन बाद मर जाना ,तथा मानसिक और शाररिक रूप विकलांग वो भी बडी औलाद का ऐ सब अलग अलग है इन सारी बातो का अलग अलग गुण है । शनि पहले सूर्य पाचवे और केतू देव सातवे भाव मे हो और राहू दःव बीच की भूमिका निभा रहे हो तो सतांन एक के बाद एक मर जाती है खासतर पुत्र सतांन नि होती ।अब शनि महाराज पाचवें मे राहू मगंल शुक्र 2.7.12 मे हो जाए साथ मे सुर्य केतू छठे मे आ जाए तो सतांन होती तो है लेकिन विकलांग होती है वो औलाद पहली होती है या तीसरे नबंर की ।इसे शनि और केतू का पित्र दोष भी कहते है जो तीसरी पीढी से अपने फल देना शुरू करता है । काफी लोग कहते है कि पित्र बुरा नि करते ऐ सही है लेकिन पूर्वजो के कर्म बुरा करते है ।
याद हो तो राजा भगीरथ के पुर्वजो के कर्मो का भोग पूरी पीढीयो और प्रजा ने भुगते थे कपिल मुनि के श्राप से कई सालो मे गंगा के कारन वो श्राप खतम हुआ था ।

कैसे करें नवरात्री में गृह शांति ?
नवग्रह से शांति:-
आदिशक्ति के नौ रूप नवदुर्गा इन नौ ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव को नियंत्रित करती है।
शैलपुत्री – सूर्य
चंद्रघंटा – केतु
कुष्माण्डा – चंद्रमा
स्कन्दमाता – मंगल
कात्यायनी – बुध
महागौरी – गुरु
सिद्धिदात्री – शुक्र
कालरात्रि – शनि
ब्रह्मचारिणी – राहु
नवरात्री में नो दिनों तक देवी दुर्गा के नो रूपों की आराधना कर न सिर्फ शक्ति संचय किया जाता है वरन नव ग्रहों से जनित दोषों का समन भी किया जाता है|
नवग्रह शांति पूजा विधि :-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रतेक प्राणी किसी न किसी ग्रह बाधाओ से पीड़ित रहता है यदि ये सोम्य गृह है तो तकलीफ का स्तर कुछ कम होता है और कूर ग्रहों द्वारा पीड़ित रहने पर अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है
ग्रहों की शांति हेतु यन्त्र ,तंत्र या मंत्र तीनो में से किसी एक को आधार बनाकर माँ दुर्गा के शक्ति पर्व नवरात्री में आराधना की जाय तो ग्रह जनित बाधाओ से मुक्ति प्राप्त होती है|
आराधना की विधि:-
सर्वप्रथम नवरात्री के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में माँ दुर्गा के सामने एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछकर और उस पर चावल के नौ खंड बनाकर उस पर कलश की स्थापना करे ये नौ खंड नौ ग्रह के प्रतिक होते है
जहा पर माँ दुर्गा की कलश सहित स्थापना की गई है उसी के पास इस यन्त्र की नव ग्रहों के मंत्रो से पूजा करे और माँ दुर्गा से ग्रह जनित बधू से राहत प्रदान करने की प्रार्थना करे
नवरात्री के प्रथम दिन मंगल ग्रह की इसी क्रम में राहु, गुरु ,शनि, बुध, केतु, शुक्र, सूर्य एवेम नवमी को चंद्र ग्रह की पूजा करे ग्रह से सम्बंदित मंत्र की एक माला पंचमुखी रुद्राक्ष से और ग्रह संबंदी अष्टोत्तर शत्नामावली का पाठ करे
और दसवे दिन हवन करे और सभी ग्रहों के मंत्रो से ११ ११ आहूतिया दे इस नवग्रह यन्त्र को संभाल कर पूजा घर में रखे इससे ग्रह जनित समस्त बाधाओ का निदान होगा|
पूजा विधि :-
शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करे घट स्थापना के लिए मिटटी अथवा धातु का कलश ले इसे गंगा जल एवेम सुद्ध जल से भर ले एवेम कुमकुम अक्षत रोली मोली फूल डालकर पूजा करे कलश के मुख पर लाल वस्त्र या चुनरी लपेट कर उस पर श्री फल (नारियल) रखे अशोक के पते नारियल के नीचे दबा दे और इसे पूजा घर में स्थापित कर दे
जव बोना:-जो यक्ति नवरात्री व्रत व् नव दुर्गा सप्तसती का पाठ करते है वे मिटटी के पात्र में जव बो ले अंकुरित जव को बहूत ही शुभ मना जाता है|
मूर्ति स्थापना:-
माँ भगवती के चित्र या प्रतिमा को स्थापित करने के लिए चोकी ले उस पैर लाल वस्त्र बिछाकर प्रतिमा को स्थापित करे इस के पास दुर्गा यन्त्र को स्थापित करना अतिशुभ व् लाभदायक माना जाता है
अतः इसे भी माता की मूर्ति के पास स्थापित करे प्रतिमा को सुद्ध जल स्नान करवाकर चन्दन, रोली अक्षत, पुष्प दूप दीप एवं नैवेद्य से परंपरा अनुसार पूजा प्रारंभ करे|
आसन:-
साधक को सफ़ेद या लाल रंग का गर्म आसन लेना शास्त्र सम्मत बताया गया है पूजा मंत्र जप हवन आदि आसन पर बैठकर करे|
अखंड ज्योति :-
नव साधना से सम्पूर्ण काल में नौ दिनों तक शुद्ध गाय के घी का दीपक अखंड प्रजव्लित रखे|
पाठ :-
माँ दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए अरगला कवच , किलक , दुर्गा सप्तसती का पाठ किया जाता है सिंह कुंगिका स्त्रोत करने पैर ही दुर्गा सप्तसती का फल मिलता है|
नैवेद्य प्रसाद :-
प्रतिदिन माँ दुर्गा को सामर्थ्यानुसार नैवेद्य चढ़ाये, विसेस्त हलवे का भोग लगाये|नवरात्री में हर दिन अलग अलग प्रसाद का विधान है जो इस प्रकार से है|
प्रतिपदा:- गाय का घी अर्पण करने से रोग मुक्ति होती है|
द्वितीय :- चीनी अर्पण करने से दीर्धायु होती है |
तृतीय :- दूध अर्पण से दुखो का अंत होता है |
चतुर्थी :- मालपुआ अर्पण करने से विघ्न दूर होते है |
पंचमी :- केले अर्पण करने से बुद्धि का विकास होता है |
षष्ठी :- मधु अर्पण करने से सुन्दरता बढती है |
सप्तमी : – गुड अर्पण करने से शोक मुक्ति होती है |
अष्टमी : – नारियल का भोग लगाने से संताप दूर होते है |
नवमी : – धान का लावा का भोग लगाने से लोक परलोक में सुखी होता है |
कुमारी पूजन :- अष्टमी नवमी के दिन दो से दस वर्ष की कन्याओ को अपने घर बुलाकर उनकी पूजा करे एवं उन्हें भोजन करवाए |
विसर्जन : – विजयादशमी के दिन समस्त पूजा , हवन सामग्री को पवित्र जलाशय या जल में विसर्जन करे |

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