रविवार, 15 मार्च 2015

इंजीनियरिंग और एमबीए कर खेती को बनाया प्रोफेशन, हासि‍ल कि‍ए नए मुकाम (भाग - 2)

यूपी में अभिषेक और शशांक ने खेती पर रिसर्च किया तो पता चला कि यूपी में शिमला मिर्च की खेती करना काफी मुश्किल था। शिमला मिर्च की पैदावार यूपी में कम होती है। हालांकि दोनों भाइयों ने ठान लिया था, इसलिए शिमला खेती को हाइटेक तरीके से उपजाने की सोची।
सबसे पहले ड्रि‍प सिंचाई के बोर में सीखा
अभिषेक भट्ट बताते हैं कि‍ उन्‍होंने शिमला मिर्च की हाईटेक खेती के लिए सबसे पहले ड्रिप से सिंचाई (टपका सिंचाई) और मल्चिंग तकनीक (घास को ढक कर सड़ाना) के बारे में सीखा। उन्‍होंने बताया कि‍ शिमला मिर्च की खेती में दोहरी कतारें होती हैं, इसलिए खेतों में हर क्यारी में दोहरी ड्रिप से सिंचाई के लिए पाइप बिछाए गए। ड्रिप सिंचाई से कम पानी में उत्पादन दोगुना हो जाता है।
क्या है ड्रिप सिंचाई
शशांक कहते हैं कि पानी बचाने के लिए उन्‍होंने ड्रिप सिचाई का सिस्टम बनाया। दरअसल, इससे पानी की खपत भी कम होती है और ड्रिप सिंचाई से पौधे को सीधे उसकी जड़ों में पानी दिया जाता है। साथ ही कम समय में सीधे पौधे की जड़ों में खाद को भी पहुंचा सकते हैं। वहीं, सामान्य किसान घंटों इंजन से डीजल फूंक कर पानी से सिंचाई करते हैं तब भी उनका खेत पूरा नहीं सींच पाता है।
अभिषेक ने बताया कि सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करने के बाद उन्‍होंने खेती की तैयारी की। शिमला मिर्च की खेती के लिए सबसे पहले मल्चिंग बेड तैयार किया। इस प्रक्रि‍या में मल्चिंग के लिए पौधे लगाने की जगह को पॉलीथीन से ढक दिया। इससे पौधे के आस-पास खर-पतवार नहीं पनपते और जड़ों को अंधेरा मिलता है, जो उनकी वृद्धि‍ के लिए अच्छा रहता है। मल्चिंग में करीब 12 से 20 हजार रुपए का खर्च आता है, जो हर फसल के हिसाब से अलग-अलग होता है। एक बार मल्चिंग करके किसान खेत में दो साल तक खेती कर सकता है।


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