रविवार, 15 मार्च 2015

इंजीनियरिंग और एमबीए कर खेती को बनाया प्रोफेशन, हासि‍ल कि‍ए नए मुकाम (भाग - 1)

इंजीनियरिंग और एमबीए कर खेती को बनाया प्रोफेशन, हासि‍ल कि‍ए नए मुकाम (भाग - 1)
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लखनऊ. ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो’ यह शेर पूरी तरह से लखनऊ के अभिषेक भट्ट और शशांक भट्ट पर सटीक बैठता है। इन दोनों भाइयों ने प्रोफेशनल कोर्स कर रखा है। एक ने इंजीनि‍यरिंग तो दूसरे ने एमबीए कि‍या है। इसके बावजूद इन्‍होंने कि‍सी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में लाखों के पैकेज पर काम न करके हाइटेक खेती को अपना प्रोफेशन बनाया। इसके बाद खेती करके एक नया मुकाम भी हासि‍ल कि‍या। दोनों भाइयों ने यह साबि‍त कर दि‍या कि‍ यदि‍ दिल से कोई काम किया जाए तो सफलता जरूर मि‍लेगी।
अभि‍षेक और शशांक बताते हैं कि‍ उन्‍हें शुरू से ही कुछ अलग करने की चाहत थी। यही वजह रही कि एमबीए और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद भी उन्होंने खेती को अपना प्रोफेशन बनाया। इसके लिए पहले दोनों भाइयों ने रिसर्च किया। इस दौरान पाया कि यूपी में पारंपरिक खेती की वजह से किसानों को फायदा नहीं होता है। ऐसे में उन्होंने महाराष्ट्र का रुख किया। वहां जाकर दोनों ने हाइटेक खेती के बारे में देखा और समझा। शशांक ने बताया कि उन्‍होंने देखा कि यूपी में जिस तरह से खेती करना छोटा काम माना जाता है, वहीं महाराष्ट्र में यही खेती कर लोग लाखों कमा रहे हैं।
लीज पर जमीन लेकर शुरू की खेती
महाराष्ट्र से लौटने के बाद शशांक और अभिषेक उत्साहित थे, लेकिन मुश्किल यह थी कि उनके पास खेती के लिए जमीन नहीं थी। बहरहाल, हिम्मत-ए-मर्दा, मदद-ए-खुदा दोनों भाइयों ने काफी खोजबीन के बाद आईआईएम रोड पर बौरेमऊ गांव में खेती के लिए जमीन ढूंढ ली। वहां उन्होंने एक लाख रुपए प्रति‍ साल के हि‍साब से पौने चार एकड़ जमीन दो साल के लिए लीज पर ली और हाइटेक खेती करनी शुरू की।
शुरुआत में करना पड़ा विरोध का सामना
अभिषेक बताते हैं कि शुरू में जब हम दोनों भाइयों ने लखनऊ में खेती करने की सोची तो दोस्तों और रिश्तेदारों ने समझाने के अंदाज में बहुत कुछ कहा। अभिषेक कहते हैं कि उन्‍हें यह समझ नहीं आ रहा था कि कोई प्रोफेशनल कोर्स करके कोई पांच लाख की नौकरी करता है तो उसका नाम होता है और कोई खेती करता है तो उसे मजदूर समझा जाता है। हालांकि‍, हमारा मकसद इसी फर्क को खत्म करना है।
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